शनिवार, 30 मई 2020

थाना शाहगंज पुलिस द्वारा आपराधिक मानव वध से संबंधित वांछित दो अभियुक्तगण गिरफ्तार,घटना में प्रयुक्त कुल्हाडी व बांस का डंडा बरामद

श्रीमान् पुलिस अधीक्षक महोदय, जौनपुर द्वारा अपराध एवं अपराधियों की गिर0 के चलाये जा रहे अभियान के क्रम में श्रीमान अपर पुलिस अधीक्षक नगर महोदय जौनपुर के निर्देशन व श्रीमान् क्षेत्राधिकारी महोदय शाहगंज के कुशल पर्यवेक्षण में मुझ प्रभारी निरीक्षक जयप्रकाश सिंह मय हमराह अधि0/कर्म0 द्वारा मु0अ0सं0 115/2020 धारा 323/504/506/308/304 भादवि थाना शाहगंज जनपद जौनपुर से संबंधित वांछित अभियुक्तगण 1. मूलचन्द पुत्र पुत्र स्व0 मुनेसर नि0 ताखापूरब थाना शाहगंज जनपद जौनपुर 2. गोरई उर्फ सत्यप्रकाश पुत्र सूर्यभान नि0 बिलारमऊ थाना फूलपुर जनपद आजमगढ को आज दिनांक 29/05/2020 को समय 05.30 बजे थाना शाहगंज जौनपुर स्थित आजाद पुलिया के से गिरफ्तार किया गया, तथा उनकी निशांदेही पर उनके घर से उक्त घटना से संबंधित आलाआहनी एक अदद कुल्हाडी व एक अदद बांस का डंडा बरामद किये गये अभियुक्तगण उपरोक्त की गिरफ्तारी से इस प्रकार के अपराधों पर अंकुश लगेगा।


                 


आपराधिक इतिहास-     


मूलचन्द पुत्र पुत्र स्व0 मुनेसर नि0 ताखापूरब थाना शाहगंज जनपद जौनपुर


1.मु0अ0सं0 115/2020 धारा 323/ 504/ 506/308/304 भादवि शाहगंजजौनपुर।


गोरई उर्फ सत्यप्रकाश पुत्र सूर्यभान नि0 बिलारमऊ थाना फूलपुर जनपद आजमगढ   


आपराधिक इतिहास-


1.मु0अ0सं0 115/2020 धारा 323/ 504/ 506/308/304 भादवि शाहगंजजौनपुर।


बरामदगीः-


आला आहनी मुकदमा उपरोक्त एक अदद कुल्हाडी अभि0 मूलचंद उपरोक्त की निशांदेही से तथा एक अदद बांस का डंडा अभि0 गोरई उर्फ सत्यप्रकाश उपरोक्त की निशांदेही से । 


गिरफ्तारी करने वाली टीम-


1.श्री जयप्रकाश सिंहप्र0नि0 थाना शाहगंज जौनपुर।


2.उ0नि0 श्री शितलू राम  थाना शाहगंज जौनपुर।


3.का0 अश्विनी कुमार शर्मा, का0 विश्वाश पाण्डेय, का0 आशीष यादव,  का0 दुर्गेश कुमार, का0 सुरेन्द्र कुमार, का0 नितेश तिवारीथाना शाहगंज जौनपुर।


थाना लाइन बाजार पुलिस द्वारा पाक्सो एक्ट का वांछित अभियुक्त कपिल बिन्द गिरफ्तार

जनपद में अपराध एवं अपराधियों के विरूद्ध प्रभावी नियंत्रण एवं कार्यवाही हेतु चलाये जा रहे अभियान के अन्तर्गत आज दिनांक 29.05.2020 को श्रीमान पुलिस अधीक्षक, जौनपुर व श्रीमान अपर पुलिस अधीक्षक नगर, जौनपुर के कुशल निर्देशन में श्री सुशील कुमार सिंह क्षेत्राधिकारी नगर, व श्री दिनेश प्रकाश पाण्डेय प्रभारी निरीक्षक, थाना- लाइन बाजार, जौनपुर के नेतृत्व में उ0नि0 विजय गौंड मय हमराह का0 सुनिल यादव व का0 हिमांशु राव के मु0अ0सं0- 070/20 धारा 363/366/376 भादवि व ¾ पाक्सो से सम्बन्धित वांछित अभियुक्त के तलाश में  क्षेत्र में मामूर थे कि जरिये मुखबिरखास ने आकर बताया की साहब


                                     


अभियुक्त कपिल बिन्द अपने के बाहर बैठा है, यह कह कर मुखबिर हट गया । कि इस सूचना पर उ0नि0 विजय गौड मय हमराह के अभियुक्त के घर पहुचे तो अभियुक्त अपने घर के बाहर मौजूद मिंला जिससे नाम पता पूछा गया तो अपना नाम कपिल बिन्द पुत्र दिनेश बिन्द नि0 धन्नेपुर थाना- लाइन बाजार, जौनपुर बताया जिसे गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया ।   


 


थाना मड़ियाहूँ पुलिस द्वारा गैंगेस्टर एक्ट का वांछित अभियुक्त गिरफ्तार

                                                   


पुलिस अधीक्षक महोदय जनपद जौनपुर के आदेश / निर्देश के बाबत अपराध व गैंगस्टर अधि0 के अपराधियो के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियान के क्रम मे अपर पुलिस अधीक्षक (ग्रा0) व क्षेत्राधिकारी मडियाहूँ के निर्देशन मे प्रभारी निरीक्षक मड़ियाहूँ  नि0 त्रिवेणी लाल सेन मय हमराह द्वारा पंजीकृत मु0अ0सं0 29/2020 धारा 3(1) उ0प्र0 गैंगस्टर एक्ट में नामजद व वांछित अभियुक्त अमानुल्लाह पुत्ररजाउल्लाह निवासीरेहटी थाना जलालपुर जिला जौनपुर उम्र करीब 45 वर्ष को आज दिनाँक 29.05.2020को गिरफ्तार किया गया । गिरफ्तार अभियुक्त उपरोक्त को मा0 न्याया0 के समक्ष रिमाण्ड हेतु प्रस्तुत किया जा रहा है ।गिरफ्तारी करने वाली टीमः  नि0 त्रिवेणी लाल सेन, प्रभारी निरीक्षक मड़ियाहूँ जौनपुर।.का0 राजेन्द्र प्रसाद, कां0 आलोक सिंह, कां0 सर्वेश विक्रम यादव, कां0 अनिल सिहथाना मड़ियाहूँ जौनपुर ।


 


           


थाना बदलापुर पुलिस द्वारा गैर इरादतन हत्या का वांछित अभियुक्त गिरफ्तार

                                         


जनपद में अपराध एवं अपराधियों के विरूद्ध प्रभावी नियंत्रण एवं कार्यवाही हेतु चलाये जा रहे अभियान के अन्तर्गत आज दिनांक 29.05.2020 को  थाना बदलापुर पुलिस द्वारा अभियुक्त राकेश उर्फ चिल्लू पुत्र वुद्धन यादव ग्राम प्रानपट्टीथानाबदलापुर जौनपुर सम्बन्धित मु0अ0स0 422/20 धारा 147/148/323/504/506/308/427/304 भा0द0वि0 कीगिरफ्तारी मुखबिर की  सूचना पर  की गई। गिरफ्तार करने वाली टीमप्रभारी निरीक्षक राजेश यादव थाना बदलापुर जनपद जौनपुर । उ0नि0 शिवकुमार यादव थाना बदलापुर जनपद जौनपुर  । का0 विपिन जायसवाल थाना बदलापुर जनपद जौनपुर ।


 


 


 


थाना गौराबादशाहपुर पुलिस द्वारा दो वांछित अभियुक्त गिरफ्तार

पुलिस अधीक्षक महोदय जौनपुर के द्वारा जनपद में अपराध एवं अपराधियों के विरुद्ध चलाये जा रहे सघन अभियान के अंतर्गत अपर पुलिस अधीक्षक नगर  के कुशल निर्देशन व क्षेत्राधिकारी केराकत के कुशल पर्यवेक्षण में कल दिनांक 28/5/20 को मु0अ0सं0 68/20 धारा 147/148/149/323/504/506/342/307/452/354/336/427 भा0द0वि0 के वांछित अभियुक्त को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया ।.जियालाल कन्नौजिया पुत्र मथई निवासी अमरा थाना गौराबादशाहपुर जौनपुर।राजभरत कन्नौजिया पुत्र मुन्नीलाल निवासी अमरा थाना गौराबादशाहपुर जौनपुर।


                                             


गिरफ्तारी करने वाली टीमउ0नि0 वीरेन्द्र कुमार मिश्र, थाना गौराबादशाहपुर जौनपुर।.हे0का0 कमलेश कुमार यादव,हे0का0 मो0 आऱिफ थाना गौराबादशाहपुर जौनपुर।


बोलता कैमरा पूछता सवाल

 जिला पूर्ति अधिकारी ने बताया कि कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत जिलाधिकारी के निर्देशन में जनपद-जौनपुर में निवास करने वाले मुसहर परिवारों/धरिकार परिवारों एवं अन्य गरीब परिवारों को दो चरणों में  खाद्यान्न राहत सामग्री की पैकेट उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रथम चरण में जनपद-जौनपुर में निवास करने वाले कुल 9860 मुसहर परिवारों व 1198 धरिकार परिवारों को खाद्यान्न राहत सामग्री का वितरण कराया जा चुका है। इसी प्रकार द्वितीय चरण में 9943 मुसहर परिवारों के अतिरिक्त हॉकर व पत्रकार बन्धु तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूची के अनुसार 819 परिवारों को खाद्यान्न राहत सामग्री पैकेट से लाभान्वित किया जा चुका है। इसी प्रकार बाहर से आये हुए व्यक्तियों जिन्हें कोरन्टाइन सेन्टर में निर्धारित अवधि पूर्ण कर अपने घरोें को जाने वाले 100 व्यक्तियों को खाद्यान्न राहत सामग्री पैकेट से लाभान्वित किया जा चुका है। इस प्रकार अब तक जनपद में कुल 21920 गरीब परिवारों को खाद्यान्न सामग्री से लाभान्वित किया जा चुका है।


 


संशोधित

जौनपुर  29 मई 2020 (सू0वि)-                          विज्ञप्ति संख्या- 08
            जिला पूर्ति अधिकारी ने बताया कि कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत जिलाधिकारी के निर्देशन में जनपद-जौनपुर में निवास करने वाले मुसहर परिवारों/धरिकार परिवारों एवं अन्य गरीब परिवारों को दो चरणों में खाद्यान्न राहत सामग्री की पैकेट उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रथम चरण में जनपद-जौनपुर में निवास करने वाले कुल 9860 मुसहर परिवारों व 1198 धरिकार परिवारों को खाद्यान्न राहत सामग्री का वितरण कराया जा चुका है। इसी प्रकार द्वितीय चरण में 9943 मुसहर परिवारों के अतिरिक्त कुछ गरीब हॉकरों व कुछ गरीब पत्रकार बन्धुओं तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूची के अनुसार 819 परिवारों को खाद्यान्न राहत सामग्री पैकेट से लाभान्वित किया जा चुका है। इसी प्रकार बाहर से आये हुए व्यक्तियों जिन्हें कोरन्टाइन सेन्टर में निर्धारित अवधि पूर्ण कर अपने घरोें को जाने वाले 100 व्यक्तियों को खाद्यान्न राहत सामग्री पैकेट से लाभान्वित किया जा चुका है। इस प्रकार अब तक जनपद में कुल 21920 गरीब परिवारों को खाद्यान्न सामग्री से लाभान्वित किया जा चुका है।


 


दोनो विज्ञप्तियो को देखने से लगता है कि जिलापूर्ती अधिकारी महोदय जौनपुर समस्त कार्य हवा हवाई करते है इनका कार्यालय खुद ही सारे नियम को ताक पर रखता है और ए महाशय जनता को 1 मीटर दूरी बनाये रखने की सलाह देते है।


 


पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की सच्ची श्रद्धांजलि जरुरत मंदों की सेवा है

                                 


जौनपुर।पूर्व प्रधानमंत्री व किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह को पुण्यतिथि पर भारत देश के लोगों ने याद किया और भाव पूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।इस मौके पर लोकदल के राष्ट्रीय सचिव घनश्याम दुबे ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि चौधरी जी का व्यक्तित्व और कृतित्व सदैव किसानों के लिए समर्पित रहा।कहां कि कोरोना काल में जब देश संकट से जूझ रहा हो ऐसे मे जरुरत मंदों की सेवा करना ही चौधरी जी के लिए सच्ची श्रद्धांजलि है। नोकरा, नेवढिया निवासी श्री दुबे शुक्रवार को स्व.चरण सिंह की पुण्यतिथि अवसर पर सीएलसी के महिला स्वंय सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा बनाये हुए एक हजार मास्क को खरीदा और ग्रामीण क्षेत्रों में जरुरत मंदों को घर,घर जाकर वितरित करने की बात कहीं।साथ ही उन्होंने कहां कि जनपद की महिला समूहों को आत्म निर्भर बनाने की जिम्मेदारी सभी की है।उन्होंने केन्द्र में पंजीकृत केरारबीर,राधारानी, कृष्णा आदि महिला समूहों से मास्क खरीदकर खुशी का अनुभव किया। इस अवसर पर जौनपुर पत्रकार संघ के जिला अध्यक्ष शशि मोहन सिंह छेम राजीव पाठक,उषा राय आदि लोग उपस्थित रहे। 


चौंंकाने वाला और दुर्भाग्यपूर्ण : मृत मां को जगाने की कोशिश कर रहे बच्चे के वीडियो पर संंज्ञान लिया पटना हाईकोर्ट

                           


बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर रेलवे स्टेशन पर अपनी मृत मां को जगाने की कोशिश कर रहे एक बच्चे के वीडियो पर गुरुवार को पटना हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। इस घटना को "चौंकाने वाला और दुर्भाग्यपूर्ण" बताते हुए पटना उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की बेंच ने कहा कि इस घटना पर उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप किया और तदनुसार इस खबर पर संज्ञान लिया और नोटिस जारी किया। । 28 मई, 2020 (पटना संस्करण) के टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक अखबार के लेख के माध्यम से सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एस कुमार द्वारा मुख्य न्यायाधीश के संज्ञान में यह घटना लाई गई। इसके बाद अपर महाधिवक्ता एस.डी. यादव जो वर्चुअल कोर्ट में उपस्थित थे, उन्हें इस बारे में बताया गया। पीठ ने कहा, "यदि समाचारों की सामग्री सही है, जिसमें से हमारे पास अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है, क्योंकि अखबार का राष्ट्रीय प्रसार व्यापक रूप से चल रहा है, तो यह घटना चौंकाने वाली और दुर्भाग्यपूर्ण है। यह हमारे अधिकार क्षेत्र में भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत आता है और इस तरह हम समाचार सामग्री पर संज्ञान लेते हैं और नोटिस जारी करते हैं। " उसी के प्रकाश में, बेंच ने निम्नलिखित मुद्दों को तैयार किया है जिन पर तत्काल विचार के लिए रखे गए। (क) क्या शव का पोस्टमार्टम किया गया था? यदि हां, तो मौत का कारण क्या था? क्या महिला वास्तव में भूख से मर गई थी? (ख) क्या वह अपनी सहोदर के साथ अकेली यात्रा कर रही थी? यदि नहीं, तो उसके साथी कौन थे? (ग) कानून लागू करने वाली एजेंसियों ने क्या कार्रवाई की है? (घ) सरकार द्वारा जारी किए गए रिवाज, परंपरा और निर्देशों के अनुसार मृतक के अंतिम अधिकार क्या थे? (छ) इन सबसे ऊपर, अब उन बच्चों / भाई-बहनों की देखभाल कौन कर रहा है, जिन्होंने दुर्भाग्य से अपनी मां को संकट के इन दिनों में खो दिया है? एस.डी. यादव, एएजी-आईएक्स को सभी मुद्दों पर निर्देश प्राप्त करने के लिए निर्देशित किया गया है, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय में बिहार राज्य के लिए नामित स्थायी वकील से पता लगाना है कि क्या शीर्ष अदालत ने इस विशेष घटना का संज्ञान लिया है। इसके अतिरिक्त, वकील आशीष गिरी को एमिकस क्युरी के रूप में इस मामले में सहायता करने के लिए नियुक्त किया गया है। यह मामला गुरुवार को दोपहर 2.15 बजे सूचीबद्ध किया गया था। सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि मां मानसिक रूप से अस्थिर थी, उसकी प्राकृतिक मृत्यु हुई। यादव ने खंडपीठ को सूचित किया कि किसी भी जानकारी का पता नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि बोर्ड पर सूचीबद्ध होने के बावजूद, सर्वोच्च न्यायालय में नहीं पहुंचा था। उन्होंने आगे कहा कि समाचार रिपोर्ट आंशिक रूप से गलत थी। "मृतक मानसिक रूप से अस्थिर थी और सूरत (गुजरात) से अपनी यात्रा के दौरान उसकी प्राकृतिक मौत हो गई थी। इस तथ्य की सूचना उसके साथियों, उसकी बहन और बहनोई (बहन के पति, अर्थात् एम डी वज़ीर) ने दी थी। मृतक, जो अपने पति द्वारा निर्जन किया गया था, केवल एक बच्चा था। " यादव ने अदालत को सूचित किया कि महिला की मौत को रेलवे अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया था, और बाद में वजीर के बयान को दर्ज करने के बाद, शव को घर ले जाने की अनुमति दी गई थी और कोई पोस्टमॉर्टम नहीं किया गया था। कोई एफआईआर भी दर्ज नहीं की गई थी। अनाथ बच्चा मृतक की बहन की सुरक्षित अभिरक्षा और संरक्षकता में है। यादव ने अदालत को यह आश्वासन दिया कि यदि उन्हें सहायता की आवश्यकता है तो वह परिवार से पूछताछ के लिए अधिकारियों से व्यक्तिगत रूप से बात करेंगे। बेंच ने यादव के बयानों को स्वीकार किया और कहा: "पूर्वोक्त बयान के मद्देनजर इस स्तर पर, सर्वोच्च न्यायालय में सरकारी वकील के बयान की प्रतीक्षा करते हुए हम विवेकपूर्ण ढंग से आगे कोई निर्देश जारी करने से बचते हैं, ताकि बच्चा सुरक्षित हाथोंं में हो।" यह मामला अब 3 जून को सूचीबद्ध किया गया है और संबंधित प्रधान सचिवों को अगली तारीख से पहले व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।


इंडिया" का नाम बदलकर " भारत" करो, ये अंग्रेजों की गुलामी का प्रतीक : सुप्रीम कोर्ट में याचिका

देश के नाम को इंडिया से " भारत" में बदलने की सीमा तक भारत के संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई स्थगित कर दी। जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने



मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अनुपलब्धता के कारण सुनवाई 2 जून के लिए स्थगित की। नमाह नामक व्यक्ति ने ये याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि देश को "मूल" और "प्रामाणिक नाम" भारत द्वारा मान्यता दी जानी चाहिए। याचिका वकील राज किशोर चौधरी के माध्यम से दायर की गई है।याचिकाकर्ता ने कहा है कि अनुच्छेद 1 में संशोधन यह सुनिश्चित करेगा कि इस देश के नागरिक अपने औपनिवेशिक अतीत को "अंग्रेजी नाम को हटाने" के रूप में प्राप्त करेंगे, जो एक राष्ट्रीय भावना पैदा करेगा। "समय अपने मूल और प्रामाणिक नाम से देश को पहचानने के लिए सही है, खासकर जब हमारे शहरों का भारतीय लोकाचार के साथ पहचानने के लिए नाम बदल दिया गया है .... वास्तव में इंडिया शब्द को भारत के साथ प्रतिस्थापित किया जाना हमारे पूर्वजों द्वारा स्वतंत्रता की कठिन लड़ाई को उचित ठहराएगा।याचिका से अंश याचिकाकर्ता का कहना है कि "इंडिया" नाम को हटाने में भारत संघ की ओर से विफलता हुई है जो "गुलामी का प्रतीक" है। वह कहते हैं कि इससे जनता को "चोट" लगी है, जिसके परिणामस्वरूप "विदेशी शासन से कठिन स्वतंत्रता प्राप्त स्वतंत्रता के उत्तराधिकारियों के रूप में पहचान और लोकाचार की हानि" हुई है। अपनी दलीलों को प्रमाणित करने के लिए, याचिकाकर्ता ने 15 नवंबर, 1948 को हुए संविधान के मसौदे का उल्लेख करते हैं, जिसमें संविधान के प्रारूप 1 के अनुच्छेद 1 पर बहस करते हुए एम अनंतशयनम अय्यंगर और सेठ गोविन्द दास ने "इंडिया" की जगह " भारत, भारतवर्ष, हिंदुस्तान" नामों को अपनाने की वकालत की थी।






बुधवार, 27 मई 2020

थाना सुरेरी पुलिस द्वारा गैरइरादतन हत्या के मुकदमें के दो वांछित अभियुक्त गिरफ्तार

पुलिस अधीक्षक जनपद जौनपुर द्वारा अपराध एवं अपराधियो के विरूद्ध चलाये जा रहे अभियान के क्रम मे अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण जौनपुर के निर्देशन मे एवं क्षेत्राधिकारी मड़ियाहूँ के कुशल पर्वेक्षण मेSHO श्यामदास वर्मा एवंवरिष्ट उ0नि0 श्री रामानन्द मय हमराही हे0का0 प्रदीप कुमारथाना सुरेरी जनपद जौनपुर द्वारा दिनांक 18.05.20 को थाना स्थानीय पर पंजीकृत मु0अं0सं0 26/20 धारा 147/323/504/506/308/304 भा0द0वि0 मे नामित अभियुक्त/अपचारी 1. नेहाल उर्फ डब्बू पुत्र अलीअहमद उम्र करीब 25 वर्ष 2. दानिश पुत्र अलीअहमद उम्र करीब 16 वर्ष  निवासीगण सरायडीह थाना सुरेरी जनपद जौनपुरको कारण गिरफ्तारी बताकर आज दिनांक 26.05.20 को पुलिस हिरासत लिया गया अभियुक्त को गिरफ्तार कर मा0 न्यायालय के समक्ष भेजा जा रहा है। उलेखनीय है कि दिनांक 18.05.20 को रात्रि करीब 19.00 बजे अभियुक्तउपरोक्त द्वारा पुरानी रंजीश को लेकर डाक्टर समीम पुत्र अब्दुल कय्यूम को ईट पत्थर सिर मे से मार कर गम्भीर रूप से घायल कर दिया गया था,जिससे डाक्टर समीम पुत्र अब्दुल कय्यूमकी मृत्यु दिनांक 20.05.20 को हो गयी ।



गिरफ्तार अभियुक्तों का विवरण-



  1. नेहाल उर्फ डब्बू पुत्र अलीअहमद उम्र करीब 25 वर्ष ।

  2. एक अपचारी निवासीगण सरायडीह थाना सुरेरी जनपद जौनपुर।


गिरफ्तारी करने वाली पुलिस टीम-



  1. प्रभारी निरीक्षक श्यामदास वर्मा , थाना सुरेरी जौनपुर।

  2. वरिष्ठ उ0नि0 रामानन्द, हे0का0 प्रदीप कुमार, रि0का0 राहुल यादव,रि0का0 सौरभ सिंह थाना सुरेरी जौनपुर।


थाना नेवढ़िया पुलिस द्वारा मु0अ0सं0 66/2020 धारा – 147/148/323/504/506/336/304 भादवि व 7 CLA Act से सम्बन्धित वांछित 7 अभियुक्त गिरफ्तार

पुलिस अधीक्षक जौनपुर के द्वारा चलाये जा रहे अपराध एवं  वांछित अपराधियो  के विरूद्ध  गिरफ्तारी विषयक अभियान के क्रम मे तथाअपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण एवंक्षेत्राधिकारी मड़ियाहू के कुशल निर्देशन/ पर्यवेक्षण मे  थानाध्यक्ष संतोषकुमार राय , प्रभारीपुलिस चौकी भाऊपुर उ0नि0  रामजी सैनी , एवं हमराह पुलिस बल मु0आ0 चन्द्र प्रताप सिंह , मु0आ0  पारसनाथ यादव,का0 विकाश कुमार यादव , का0 विनय कुमार पासवान मय सरकारी वाहन संख्या UP 62 AG 0143 के थाना  स्थानीय से प्रस्थान कर देखभाल क्षेत्र , ईद त्यौहार के दृष्टिगत शांति व्यवस्था डियूटी , कोबिड-19 कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के संक्रमण के बचाव के दृष्टिगत उच्चाधिकारीगण से प्राप्त आदेश निर्देश के अनुपालन के क्रम मे तथा अन्य राजकीय कार्य से क्षेत्र मे भ्रमणशील था किमु0अ0सं0 66/2020धारा – 147/148/323/504/506/336/304  भादवि व 7 CLA Act थाना नेवढ़िया जनपद जौनपुरघटना दिनांक 29.4.2020 ,  घटनास्थल बहद ग्राम जवन्सीपुर से सम्बन्धित नामजद व प्रकाश मे आये  वाछित अभियुक्तगण 1.नसीर अहमद पुत्र अफसर अली 2.रसीद अहमद पुत्र अफसर अली 3.आकीब अली पुत्र नसीर अहमद 4.औरंगजेब पुत्र नसीर अहमद 5.छांगुर उर्फ शारुक पुत्र जाकिर हुसैन 6.जुगनू उर्फ शमशाद पुत्र मो0 हनीफ 7. सरफराज अली पुत्र रोशनअली नि0गण जवन्सीपुर थाना नेवढ़िया जनपद जौनपुर  के  विभिन्न सम्भावित स्थानो पर उपस्थित होने की सूचना द्वारा उचित माध्यम प्राप्त हुई। हम पुलिस जन आपस मे योजनाबद्ध तरीके से कार्यवाही करते हुए अभियुक्तगण उपरोक्त को नियमानुसार गिरफ्तार किया गया । अभियुक्तगण दिनांक 9.5.2020 से वांछित चल रहे थे जिनकी गिरफ्तारी हेतु स्थानीय पुलिस सतत प्रयासरत थी ।



गिरफ्तार अभियुक्तों का विवरण-



  1. नसीर अहमद पुत्र अफसर अली

  2. रसीद अहमद पुत्र अफसर अली

  3. आकीब अली पुत्र नसीर अहमद

  4. औरंगजेब पुत्र नसीर अहमद

  5. छांगुर उर्फ शारुक पुत्र जाकिर हुसैन

  6. जुगनू उर्फ शमशाद पुत्र मो0 हनीफ

  7. सरफराज अली पुत्र रोशनअली नि0गण जवन्सीपुर थाना नेवढ़िया जनपद जौनपुर।


पंजीकृत अभियोग-



  1. मु0अ0सं0 066/020 धारा – 147/148/323/504/506/336/304  भादवि  थाना नेवढिया जौनपुर।


गिरफ्तारी करने वाली पुलिस टीम -


1.उ0नि0  सन्तोष कुमार राय, थानाध्यक्ष  थाना नेवढिया जौनपुर ।


2.उ0नि0  रामजी सैनी चौकी प्रभारी भाऊपुर  थाना नेवढिया जौनपुर।


3.मु0आ0 चन्द्रप्रताप सिंह,मु0आ0 पारसनाथ यादव, का0 विकास कुमार यादव , का0 विनय कुमार पासवान थाना नेवढ़िया जौनपुर।


 


थाना जफराबाद पुलिस द्वारा गैर इरादतन हत्या के मुकदमें की वांछित अभियुक्ता गिरफ्तार

पुलिस अधीक्षकजनपद जौनपुर के द्वारा अपराध एवं अपराधियों के विरूद्व चलाये गये अभियान के तहत अपर पुलिस अधीक्षक, नगर के निर्देषन एवं क्षेत्राधिकारी नगर व थानाध्यक्ष जफराबाद उ0नि0मदनलाल के कुषल पर्यवेक्षण में चौकी प्रभारी उ0नि0 वरूणेन्द्र कुमार राय मय हमराह म0का0 रूची वर्मा व हे0का0 बद्रीनाथ मौर्य द्वारा मुखबीर की सूचना पर थाना स्थानीय पर पंजीकृत मु0अ0सं0 55/2020 धारा 323,504,506,304,325 भादवि से सम्बन्धित वांछित चल रहे अभियुक्ता विमला देवी पत्नी रामबदन निषाद नि0 मलिकबहादुरपुर अहमदपुर, थाना जफराबाद जौनपुर को दिनांक 26.05.2020 को हिरासत पुलिस मे लिया गया। अग्रिम विधिक कार्यवाही की जा रही हैं।


गिरफ्तार वांछित अभियुक्ता-



  1. विमला देवी पत्नी रामबदन निषाद नि0 मलिकबहादुरपुर, अहमदपुर थाना जफराबाद जौनपुर ।


      आपराधिक इतिहास अभियुक्ता



  1. मु0अ0सं0 55/2020 धारा 323,304,325,504,506 भादवि थाना जफराबाद, जनपद जौनपुर।


      गिरफ्तारी करने वाल पुलिस टीम-



  1. उ0नि0 वरूणेन्द्र कुमार राय, चौकी प्रभारी जफराबाद, थाना जफराबाद, जौनपुर।

  2. हे0का0 बद्रीनाथ मौर्य, थाना जफराबाद, जौनपुर।

  3. म0का0 रूची वर्मा, थाना जफराबाद, जौनपुर।


 


 


 


 


 


थाना खेतासराय पुलिस द्वारा गैंगेस्टर एक्ट के वांछित 04 अभियुक्त गिरफ्तार

पुलिस अधीक्षक जौनपुरद्वारा अपराध एवम् अपराधियों की गिरफ्तारी हेतु चलाये जा रहे अभियान के अनुपालन के क्रम में  अपर पुलिस अधीक्षक नगर के निर्देशन मे व  क्षेत्राधिकारी शाहगंज जौनपुर के कुशल पर्यवेक्षण में थानाध्यक्ष व मय हमराह कर्म0गणद्वारादिनांक 26.05.2020 को मु0अ0स0 55/2020 धारा 3(1) उ0प्र0 गिरोह बन्द एवं समाज विरोधी क्रिया कलाप नि0अधि0 1986 थाना खेतासराय , जौनपुर मे चल रहे वांछित अभियुक्तगण 1. धर्मेन्द्र कुमार विन्द पुत्र मेवालाल विन्द 2. जितेन्द्र कुमार विन्द पुत्र मेवालाल विन्द 3. सेवालाल विन्द पुत्र जयराम विन्द 4. हरगुन गौतम पुत्र वंशलाल गौतम निवासीगण जमीन रुधौली थाना खेतासराय जनपद जौनपुर को गिरफ्तार किया गया । अभि0गण उपरोक्त की गिरफ्तारी से इस प्रकार के अपराधो पर अंकुश लगेगा । अभि0गण का आपराधिक इतिहास निम्नवत है।


आपराधिक इतिहास :-


1.धर्मेन्द्र कुमार बिन्द पुत्र मेवालाल बिन्द निवासी जमीन रुधौली थाना खेतासराय जौनपुर।



  1. मु0अ0सं0 – 259/19 धारा 420,465,468,471 भादवि व 60 आबकारी अधिनियम थाना खेतासरायजौनपुर।

  2. मु0अ0सं0 -269/19 धारा 60/60(2) आबकारी अधिनियम व 419,420,467,468 भादवि थाना खेतासराय जौनपुर।

  3. जितेन्द्र कुमार बिन्द पुत्र मेवालाल बिन्द निवासी जमीन रुधौली थाना खेतासराय जौनपुर।

  4. मु0अ0सं0 – 259/19 धारा 420,465,468,471 भादवि व 60 आबकारी अधिनियम   थाना खेतासरायजौनपुर।



  1. सेवालाल बिन्द पुत्र जयराम बिन्द निवासी जमीन रुधौली थाना खेतासराय जौनपुर।


1.मु0अ0सं0-224/19      धारा 60(2) आबकारी अधिनियम व 419,420 467,468 भादवि थाना        खेतासराय        जौनपुर।



  1. मु0अ0सं0-269/19 धारा 60/60(2) आबकारी अधिनियम व 419,420,467,468 भादवि थाना खेतासरायजौनपुर।


      3.मु0अ0सं0-034/20 धारा 60 आबकारी अधिनियम थाना खेतासरायजौनपुर।


 



  1. हरगुन गौतम पुत्र बंशलाल गौतम निवासी जमीन रुधौली थाना खेतासराय जौनपुर।


     1.मु0अ0सं0 – 259/19 धारा420,465,468,471 भादवि व  60 आबकारी अधिनियम थाना खेतासराय    जौनपुर।


 


गिरफ्तार अभियुक्तगण का विवरण –



  1. धर्मेन्द्र कुमार विन्द पुत्र मेवालाल विन्द उम्र 31 वर्ष ।

  2. जितेन्द्र कुमार विन्द पुत्र मेवालाल विन्द उम्र 24 वर्ष ।

  3. सेवालाल विन्द पुत्र जयराम विन्द उम्र 55 वर्ष ।

  4. हरगुन गौतम पुत्र वंशलाल गौतम उम्र 55 वर्ष । निवासीगण जमीन रुधौली थाना खेतासराय जनपद जौनपुर ।


 


गिरफ्तारी करने वाली टीम के सदस्य -



  1. उ0नि0 विजय प्रताप सिंह, थानाध्यक्ष खेतासराय जनपद जौनपुर ।


2.उ0नि0 हरिशंकर यादव, उ0नि0 आशुतोष गुप्ता, हे0का0 विरेन्द्र कुमार यादव, का0 वीरेन्द्र यादव (CIO),का0 अमरनाथ यादव ,  का0 सतेन्द्र साह, का0 दिनेश सरोज, रि0का0 अंकित कुमार, म0रि0का0 राखी, म0रि0का0 संगम शर्मा, थाना खेतासराय जौनपुर।


बरसठी ब्लॉक के परिषदीय शिक्षकों ने 101 कुन्तल खाद्दान्न जिलाधिकारी को सौंपा’

कोविड-19  महामारी से उत्पन्न विषम परिस्थितियों में असहाय एवं  मजबूर  लोंगो की सहायता करने के लिए जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह एंव जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण तिवारी के आह्वान पर बरसठी ब्लाक अध्यक्ष संतोष सिंह एंव जिला संगठन मंत्री अश्वनी सिंह, संतोष सिंह बघेल के नेतृत्व में ब्लाक शिक्षकों के स्वैच्छिक सहयोग से एकत्रित धनराशि के सापेक्ष 35 कुन्तल आटा, प्याज 20 कुन्तल, सरसों तेल 3000 बोतल, 4 कुन्तल चीनी, 4000 पैकेट नमक, 4000 पैकेट मसाला सहित खाद्दान्न सामाग्री गरीब परिवारों में वितरण हेतु  जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी,  जिला पूर्ति अधिकारी अजय सिंह और जिलाध्यक्ष अमित सिंह की उपस्थिति में जिलाधिकारी को उपलब्ध करायी गयी।



 बेसिक शिक्षकों द्वारा  दी जा रही सहायता की जिलाधिकारी ने  प्रशंसा करते हुए कहा कि बेसिक शिक्षकों का इस कोरोना की लड़ाई में किया गया सहयोग बेहद ही महत्वपूर्ण एंव ऐतिहासिक रहा है।
            ब्लाक अध्यक्ष संतोष सिंह ने कहा कि खंड शिक्षा अधिकारी सुरेंद्र सिंह पटेल के नेतृत्व में बरसठी ब्लाक के हम सभी शिक्षकों ने यह प्रण किया है कि  जनपद में कोई भी परिवार भुखमरी का शिकार नही होने पायेगा।
             ब्लाक मंत्री सुभाष चंद बिंद ने  शिक्षको को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि जिला अध्यक्ष अमित सिंह के आह्वान पर आज बरसठी ब्लाक के शिक्षकों की तरफ से खाद्दान्न सामाग्री का सहयोग किया गया है।  
          इस अवसर पर कृपाल सिंह(सरंक्षक), जिला उपाध्यक्ष राजेश सिंह टोनी, अनुज सिंह, शिरीष दूबे, विनोद सिंह, श्रीप्रकाश, राजबहादुर यादव, इंदजीत यादव, मानिक चंद, स्वतंत्र सिंह, यशवंत सिंह, सोमेंद्र त्रिपाठी, अरुण कुमार दूबे, रामसिंह, विशाल सिंह, ओमप्रकाश शुक्ला,अमित सिंह, ओमप्रकाश चैरसिया, शशांक मिश्र आदि उपस्थित रहे।


मंगलवार, 26 मई 2020

दुपहिया वाहन पर दो व्यक्ति उस दशा में कर सकेंगे यात्रा कि पीछे बैठे व्यक्ति को हेलमेट जिससे पूरा चेहरा ढकता हो, के अतिरिक्त लगाना होगा माक्स एवं ग्लव्स

जिला मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि शासन के आदेशानुसार किसी व्यक्ति द्वारा किसी सार्वजनिक स्थान पर अथवा घर के बाहर मुखावरण (मास्क), गमछा, रुमाल या दुपट्टा/स्कार्फ न पहनने पर या थूकने पर उसे जुर्माना से दंडित किया जाएगा, जिसमें प्रथम एवं द्वितीय बार के लिए जुर्माना 100 रुपए होगा, तीसरी तथा प्रत्येक अनुवत्र्ती बार के लिए जुर्माना 500 रुपए होगा। ऐसे व्यक्ति जो कोविड 19 से पीड़ित न हो द्वारा लॉक डाउन का उल्लंघन किए जाने पर प्रथम बार के लिए न्यूनतम 100 रुपए जुर्माना जो रुपये 500 तक हो सकता है, द्वितीय बार के लिए जुर्माना 500 रुपये जो 1000 रुपये तक हो सकता है, द्वितीय बार के पश्चात प्रत्येक उल्लंघन या पुनरावृत्ति के लिए जुर्माना 1000 रुपए होगा। इसी प्रकार दुपहिया वाहन पर पिछली सीट पर यात्रा करने पर प्रथम बार के लिए जुर्माना 250 रुपये, द्वितीय बार के लिए जुर्माना 500 रुपये, तृतीय बार के लिए जुर्माना 1000 रुपये एवं तृतीय बार के पश्चात् वाहन चलाने का लाइसेंस निरस्त किया जाना/निलंबित किया जायेगा, परंतु कार्यपालक मजिस्ट्रेट की अनुमति लेकर अति आवश्यक परिस्थिति में दुपहिया वाहन पर दो व्यक्ति उस दशा में यात्रा कर सकेंगे कि पीछे बैठे व्यक्ति को हेलमेट जिससे पूरा चेहरा ढकता हो, के अतिरिक्त माक्स एवं ग्लव्स भी लगाना होगा। इन समस्त मामले में जुर्माना प्रशमित किए जाने की शक्ति संबंधित न्यायालय या कार्यपालक मजिस्ट्रेट या ऐसे पुलिस अधिकारी जो चालान करने वाले पुलिस अधिकारी की श्रेणी से ऊपर हो किंतु निरीक्षक की श्रेणी से नीचे का न हो  में निहित होगी।


टिड्डी दल के प्रकोप प्रशिक्षित व्यक्तियों एवं समुचित यंत्रों के माध्यम से प्रभावशाली नियंत्रण का दिया निर्देश

 राजस्थान एवं पंजाब के कुछ क्षेत्रों में टिड्डी दल के प्रकोप के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश के राजस्थान एवं हरियाणा से सटे हुए जनपदों में टिड्डी दल के प्रकोप की संभावना बढ़ गई है । टिड्डी दल का प्रकोप  महामारी का स्वरूप ग्रहण कर लेता है। ऐसी स्थिति में इलाज से पूर्व बचाव बेहतर है की अवधारणा के दृष्टिगत जिला कृषि रक्षा अधिकारी राजेश कुमार राय ने जनपद के किसान भाइयों को सलाह दी है कि वह निरंतर टिड्डी दल के आक्रमण की निगरानी करते रहें ताकि किसी भी स्तर पर प्रकोप की दशा में ससमय टिड्डी दल पर नियंत्रण पाया जा सके।जनपद के किसानों को टिड्डी दल के प्रकोप की दशा में  सुझाव एवं संस्तुतियों का अनुपालन करने का निर्देश दिया है। टिड्डी दल के प्रकोप की सूचना ग्राम प्रधान, लेखपाल ,कृषि विभाग के क्षेत्रीय कर्मचारियों एवं ग्राम पंचायत अधिकारी के माध्यम से जिला प्रशासन तक पहुंचाएं , टिड्डी दल के प्रकोप की दशा में एक साथ इकट्ठा होकर टीन के डिब्बों, थालियों आदि को  बजाते हुए शोर मचाए। शोर सुनकर टिड्डी दल आसपास के खेतों पर आक्रमण नहीं कर पाएंगे । चूंकि बलुई मिट्टी चीटियों के प्रजनन एवं अंडे देने के सर्वाधिक अनुकूल होता है इसलिए टिड्डी दल के आक्रमण की संभावना को देखते हुए ऐसी मिट्टी वाले क्षेत्रों में जुताई करवा दें एवं जल का भरवा दे । उक्त उपाय से टिड्डियों के विकास की संभावना कम हो जाती है। सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि पंजाब में टीडी दल के नियंत्रण हेतु अग्नि शमन विभाग की सहायता ली गई ,अतः टिड्डी दल के नियंत्रण हेतु प्रशासन के माध्यम से अग्निशमन विभाग की सहायता ली जा सकती है । टिड्डी दल के न्यूनतम/ मध्यम प्रकोप की दशा में किसान भाई एक साथ मिलकर रसायन क्लोरपायरीफास् 20 प्रतिशत इ.सी  अथवा लैमडा साइहेलोत्रिन 5 प्रतिशत इसी का त्रीव छिड़काव करें । टिड्डी दल के नियंत्रण हेतु रसायन मैलाथियान 96 प्रतिशत यूएलबी का छिड़काव अत्यंत प्रभावी होता है परंतु इस रसायन की जनसामान्य को उपलब्धता न होने के कारण कृषक स्तर से इसका छिड़काव नहीं किया जा सकता यह रसायन टीडी नियंत्रण से संबंधित सरकारी तंत्र को उपलब्ध हो सकता है, इसलिए टिड्डी दल के आक्रमण की दशा में लोकस्ट कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन फरीदाबाद को एवं क्षेत्रीय केंद्रीय नाशीजीवी प्रबंधन केंद्र लखनऊ को फोन नंबर  0522- 273 2063  पर सूचित करें ताकि प्रशिक्षित व्यक्तियों एवं समुचित यंत्रों के माध्यम से प्रभावशाली नियंत्रण कराए जा सके।


जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने 23 रेस्टोरेन्ट को होम  डिलीवरी के लिए की अनुमति प्रदान

 जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने जनसुनवाई कक्ष में जिले के रेस्टोरेन्ट मालिकों के साथ वार्ता कर डिलीवरी23 रेस्टोरेन्ट को होम  के लिए अनुमति प्रदान की । उन्होने कहा कि सभी रेस्टोरेन्ट फोन पर आर्डर लेकर केवल होम डिलीवरी का कार्य करेेंगे। किसी भी दशा में ग्राहक रेस्टोरेन्ट नही आयेगंे। होम डिलीवरी की सुुविधा प्रातः 07 बजे से शाम 07 बजे तक ही की जायेगी। रेस्टोरेन्ट में निममित रूप से सैनेटाइजेशन का कार्य किया जायेगा। जिन कर्मचरियों के द्वारा होम डिलीवरी की जायेगी उन्हे एक  टोपी लगाना अनिवार्य होगा जिस पर रेस्टोरेन्ट का नाम व होम डिलीवरी लिखा रहेगा।


              जिलाधिकारी द्वारा तड़का रेस्टोरेन्ट सीविल लाइन्स , आशीष उपाध्याय मों.न.7800555569, अरिगैनो रेस्टोरेन्ट, शिवांशं श्रीवास्तव 8707733977, रेड चिली रेस्टोरेन्ट, नीरज श्रीवास्तव 9891621516, मंदाकिनी रेस्टोरेन्ट, राजन सिंह 9792903101, गो 69 पिज्जा पंकज सिंह 7901560343, ग्रीन चिली अनिल यादव 9695968400, जे0एम0एच होम डिलीवरी विष्णु कुमार 7905884167, ब्लू साल्ट निखिल कुमार सिंह 8318758219, बाटी चोखा मनोज कुमार 9454162121, दि ग्रैण्ड गुप्ता होटल सुशील उपाध्याय 9455779266, बसंत बहार रेस्टोरेन्ट अभिषेक मोदनवाल 8840756630, आर.के रेस्टोरेन्ट राजेश कुमार 7398601912, एस.के चाइनिज सुनील कुमार निषाद 9616735699, हिचकी चाट जयकिशन 9838971714 , बाला जी डोसा संदीप कुमार 9616355808, सुहान रेस्टोरेन्ट मनीष उपाध्याय 8601049999, लखनवी जायका जवाहर लाल जायसवाल 8400 422440, दुबे ढाबा राजेश दुबे 9415892548, हाट स्पाइसी रेस्टोरेन्ट अरूण गुप्ता 8756715314, बाबा बर्फानी रेस्टोरेन्ट कौशल कुमार 9044775270, तृप्ती जलपान विमल कुमार 7408885888, डीके चायनिज प्रदीप जायसवाल 8176058055 बाम्बे स्नैक्स बार मनीष साहु 9919667700 को होम डिलीवरी के लिए अनुमति प्रदान की गयी है। जिलाधिकारी ने जालान्स एवं वीमार्ट को प्रात:08 से अपरान्ह 02 बजे तक खाले जाने की अनुमति प्रदान की है।


फंसे हुए मज़दूरों को क्या सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट मांगी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार से इस बात का ब्योरा देने को कहा कि वह उन मज़दूरों को क्या सुविधा उपलब्ध करवा रही है जो सैकड़ों मील चलकर अपने राज्य उत्तर प्रदेश पहुँच रहे हैं। राज्य में जो मज़दूर फंसे हुए हैं उनके बारे में भी राज्य सरकार से स्थिति रिपोर्ट मांगी गई है। न्यायमूर्ति अनिल कुमार और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की पीठ ने एक जनहित याचिका पर यह आदेश दिया कि "प्रतिवादी के वक़ील को हम यह निर्देश देते हैं कि वह मामले की अगली सुनवाई के समय तक एक हलफनाम दायर कर यह बताएं कि वह उन श्रमिकों को क्या सुविधाएं दे रही है जो उत्तर प्रदेश स्थित अपने घर जाना चाहते हैं, इनमें से कुछ रास्ते में हैं और कुछ उत्तर प्रदेश में फंसे हुए हैं।" याचिकाकर्ता दिलीप कुमार मिश्रा ने अदालत से केंद्र और राज्य सरकारों को यह निर्देश देने का आग्रह किया है कि वह यह सुनिश्चित करे कि जो मज़दूर सड़कों पर चल रहे हैं वे भूखे न रहें और उनको भोजन, पानी और दवा और चिकित्सा सुविधा के साथ साथ उन्हें अपने गांव तक मुफ़्त में पहुंचाया जाए। इस जनहित



याचिका का विरोध करते हुए एएसजी एसबी पांडेय ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश और फंसे हुए श्रमिकों के बारे में भारत सरकार द्वारा घोषित स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटकॉल (एसओपी) के अनुरूप सरकार पहले से ही कई क़दम उठा रही है। उन्होंने 5 मई 2020 को जगदीप एस छोकर बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया जिसमें कहा गया कि केंद्र और राज्य सरकारें श्रमिकों का ख़याल रखने के लिए सभी ज़रूरी कदम उठा रही है। इस संदर्भ में हर्ष मंदर एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य मामले का हवाला भी दिया गया कि देश बहुत ही अस्वाभाविक समय से गुजर रहा है और इससे जुड़े लोग उनके लिए जो भी सबसे अच्छा है वह कर रहे हैं।



शनिवार, 23 मई 2020

बोलता कैमरा और पूछता सवाल?


जिलाधिकारी महोदय का सम्मान करने वाली राजनितिक महिलाओ के पास उपहार की कमी थी या जिलाधिकारी महोदय के पास समय का अभाव? क्या सम्मान करने वाली महिलाओ ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन  का किया है?


 जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह एवं पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार ने किया श्रमिकों के लिए कम्युनिटी किचन में बनाए जा रहे भोजन का निरीक्षण

   जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह एवं पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार द्वारा भंडारी रेलवे स्टेशन पर श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से आने वाले श्रमिकों के लिए कम्युनिटी किचन में बनाए जा रहे भोजन का निरीक्षण किया। भंडारी रेलवे स्टेशन पर श्रमिकों के लिए बनाई गई कम्युनिटी किचन में  भोजन के पैकेट तैयार किए जा रहे हैं। भोजन में दाल, चावल,पूडी सब्जी श्रमिकों को दी जा रही है। खाने की अच्छी गुणवत्ता पर जिलाधिकारी ने प्रशंसा की तथा कहा कि ट्रेनों से आने वाला कोई भी श्रमिक बिना भोजन पैकेट लिए ना जाये।



  जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने जनपद वासियों को दिया स्पष्ट रूप से निर्देश

  जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने जनपद वासियों को स्पष्ट रूप निर्देश दिया है कि लाकडाउन के आदेश का अक्षरशः पालन करें अन्यथा कडी़ कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी। उन्हाने कहा कि अनावश्यक रूप से घरों से बाहर न निकले। शासन द्वारा 65 साल से अधिक उम्र के लोगों तथा 10 साल से कम उम्र के बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को घरों से बाहर निकलने पर रोक लगाई गयी है।  दोपहिया वाहनों के संबंध में आदेश दिया है कि एक वाहन पर एक ही व्यक्ति बैठ सकता है और यदि महिला है तो पीछे 01 महिला को बैठने की अनुमति होगी । सभी दोपहिया वाहन चालको से अपील किया है कि किसी को अपनी अपने वाहन पर ना बैठाये। इसी प्रकार चार पहिया वाहनों में ड्राइवर के अतिरिक्त 02 लोग पीछे बैठ सकते हैं अगर बच्चे हैं तो दो बच्चे और बैठ सकते हैं । इसके अतिरिक्त कोई नहीं बैठ सकता ।
     सभी दुकानदारों को निर्देश दिया गया है कि अनावश्यक रूप से अपनी दुकानों पर भीड़ न लगने दे। दुकानों के सामने 01 मीटर की दूरी पर गोला बना दिया जाए और ग्राहक उनमें ही खड़े हो और उन्हे मास्क पहनना आवश्यक है । जिलाधिकारी ने जनपदवासियों से अपील किया है कि जिन्होंने अपने मोबाइल में आरोग्य सेतु एवं आयुष कवच ऐप डाउनलोड ना किया हो तो उन्हे डाउनलोड कर लें । उन्हाने कहा कि प्रत्येक दुकान पर सोशल डिस्टेंसिग का हर दशा में पालन किया जाए , किसी दुकानदार द्वारा इसमें लापरवाही बरती गई तो उसकी दुकान सीज करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। सब्जी, फल के ठेले को उनके आवंटित वार्ड और मोहल्ला में ही फल और सब्जी बेचने का निर्देश दिया और कहा कि उन्हे चैराहे पर खड़े होकर बिक्री करने की अनुमति नहीं है। किस दिन कौन दुकान खोली जाएगी क्या समय होगा यह सब निर्धारित किया जा चुका है उसके अनुसार ही दुकान को खोलें और बंद करे।  किसी भी व्यक्ति को संक्रमण फैलाने की अनुमति नहीं है जो भी व्यक्ति घर के बाहर निकल रहा है वह मास्क लगाकर ही निकले। दुकानदार एवं उनके कर्मचारी भी मास्क लगाकर ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए ही बिक्री करे।
  सभी थानाध्यक्षों को निर्देश दिया कि अपने क्षेत्रों में पैदल गस्त करके एक-एक दुकान को स्वयं देखें और लॉक डाउन के आदेशों का अक्षरशः पालन कराना सुनिश्चित करें। अपने अधीनस्थों को भी निर्देशित करें कि वह अपने क्षेत्र में पैदल घूम कर के उपरोक्त अनुसार कार्रवाई करें। प्रत्येक वार्ड में 5-5  कारोना वारियर्स बनाए गए हैं संबंधित थानाध्यक्षों को  प्रत्येक दशा में कल उनके साथ बैठक करके उनको भी लाकडाऊन के आदेशों का पालन कराने हेतु आदेशित कर के मोहल्लों में उनका आदेश का पालन कराने में सहयोग ले। जिलाधिकारी ने कहा कि अपने थाना क्षेत्र के 05 गांव प्रतिदिन व प्रभारी निरीक्षक के अधीन तैनात क्षेत्री उपनिरीक्षक गण अपने क्षेत्र के 05 गांव प्रतिदिन भ्रमण करेंगे और यह देखेंगे की  जो लोग अन्य राज्यों से आए हैं वह 21 दिन तक क्वारेंटाइन अवश्य करें अगर कोई आदेश का पालन नहीं करता है उसके खिलाफ कार्रवाई की करने का निर्देश दिया।  ,


दिल्ली हाईकोर्ट ने लाॅकडाउन के कारण किराए पर रोक लगाने की मांग को किया खारिज, भुगतान की तारीख को आगे बढ़ाने की दी अनुमति

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि किराएदार प्राकृतिक आपदा या फोर्स मेज्योर का आह्वान करते हुए लाॅकडाउन के कारण किराए पर रोक लगाने की मांग नहीं कर सकते हैं, विशेषतौर पर ऐसी स्थिति में जब किराए के परिसर पर उनका लगातार कब्जा हो या उसमें रह रहे हों। हालांकि किराएदार को कुछ राहत प्रदान करते हुए न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह की एकल पीठ ने कहा है कि लाॅकडाउन के कारण किराए के भुगतान की अनुसूची में कुछ स्थगन या छूट दी जा सकती है।यह आदेश उस आवेदन के संबंध में दिया गया है,जिसमें COVID-19 लॉकडाउन संकट में किरायेदारों को किराए के भुगतान के छूट देने से संबंधित



विभिन्न मुद्दों को उठाया गया था और इसी से जुड़े कानूनी सवाल भी इस आवेदन में उठाए गए थे। इस आवेदन में हाईकोर्ट द्वारा 2017 में एक आदेश के तहत पारित दिशा-निर्देश को निलंबित करने की मांग की गई थी। उस आदेश में हाईकोर्ट ने खान मार्केट,नई दिल्ली में स्थित एक संपत्ति का प्रतिमाह 3.5 लाख रुपये किराया देने का निर्देश दिया था और इस शर्त के साथ ही किराया नियंत्रक न्यायालय द्वारा पारित बेदखली के आदेश पर रोक लगा दी थी। आवेदक ने COVID-19 लॉकडाउन का हवाला देते हुए किराए को निलंबित करने या उस पर रोक लगाने की मांग की थी। Also Read - छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक दिन की सैलरी PM CARES फंड और मुख्यमंत्री राहत कोष में दान की इस आवेदन की मैरिट पर आगे बढ़ने से पहले, अदालत ने निम्नलिखित प्रारंभिक अवलोकन किया और कहा कि- ''सवाल यह है कि क्या लॉकडाउन किरायेदारों को छूट का दावा करने या किराए के भुगतान से छूट या किराए के निलंबन की मांग करने का हकदार बनाता है? इससे देश भर में हजारों मामलों उत्पन्न हो जाएंगे। हालांकि, इन मामलों को संबोधित करने के लिए कोई मानक नियम निर्धारित नहीं किए जा सकते हैं, लेकिन कुछ व्यापक मापदंडों को ध्यान में रखा जा सकता है। ताकि वह तरीका निर्धारित किया जा सकें जो इस तरह के मुद्दों का समाधान कर सकें।' किरायेदार के वकील ने किराए में छूट देने या कुछ आंशिक राहत जैसे कि भुगतान को स्थगित करने की मांग की थी। उसने दलील दी थी कि लॉकडाउन ने व्यवसाय को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। दूसरी ओर मकान मालिक के वकील ने तर्क दिया कि केवल व्यवसाय में व्यवधान के आधार पर किरायेदारों को मासिक भुगतान करने से छूट नहीं दी जा सकती है क्योंकि मकान मालिक भी किराए के परिसर की आय पर निर्भर रहता है। इन दलीलों को ध्यान में रखने के बाद अदालत ने भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 32 और 56 का विश्लेषण किया। उसके बाद अदालत ने कहा कि धारा 56 ,जो कि कर्तव्य को निभाने की असंभावना के कारण अनुबंध की निष्फलता के बारे में बताती है। परंतु यह धारा लीज एग्रीमेंट पर लागू नहीं होती है। इसी तरह यह धारा उन अनुबंधों पर भी लागू नहीं होती है जो ''निष्पादित अनुबंध'' है, न कि ''निष्पादन योग्य अनुबंध।'' अदालत ने कहा कि ''मूल सिद्धांत यह होगा कि यदि अनुबंध में किसी प्रकार की छूट या किराए के निलंबन के लिए कोई खंड बनाया गया हैै, तो ही किरायेदार इसके लिए दावा कर सकता है। इसी तरह अनुबंध में फोर्स मेज्योर या प्राकृतिक आपदा क्लॉज भी धारा 32 के तहत प्रासंगिकता रखता है। जो किरायेदार को यह दावा करने की अनुमति दे सकता है कि वह अनुबंध हो निरस्त कर दे और परिसर को खाली कर दें। हालांकि, यदि किरायेदार परिसर को अपने पास रखना चाहता है और कोई खंड इस मामले में किरायेदार को कोई राहत नहीं देता है तो उसे किराया या मासिक शुल्क देना ही होगा।'' इसके बाद अदालत ने फोर्स मेज्योर सिद्धांत के मामले को देखा। न्यायालय ने संपत्ति अन्तरण अधिनियम की धारा 108 (बी) (ई) को देखने के बाद कहा कि उक्त प्रावधान केवल संविदात्मक शर्त के अभाव या अनुपस्थिति में लागू होता है। अदालत ने यह भी कहा कि 'उपर्युक्त कानूनी स्थिति के मद्देनजर, COVID-19 प्रकोप के कारण घोषित किए गए लॉकडाउन के चलते परिसर का अस्थायी गैर-उपयोग भी ,टीपीए की धारा 108 (बी) (ई) के तहत लीज को निरस्त करने की व्याख्या के रूप में नहीं माना जा सकता है।'



यह कहने के पीछे कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है कि दफनाने से कोरोना वायरस फैलता है", बॉम्बे हाईकोर्ट ने बांद्रा कब्रिस्तान में शव दफनाने के खिलाफ याचिका खारिज

बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मुंबई के कुछ निवासियों द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया है, जिन्होंने ग्रेटर मुंबई नगर निगम द्वारा COVID -19 पीड़ितों को दफनाने के लिए बांद्रा में तीन कब्रिस्तानों का इस्तेमाल करने की अनुमति को चुनौती दी थी, क्योंकि इससे एक समुदाय में भय फैल गया था।



मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एसएस शिंदे की खंडपीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता के दावे का समर्थन करने के लिए कोई वैज्ञानिक डेटा नहीं है कि वायरस शव दफनाने से फैलता है और यह माना जाता है कि निगम को इस तरह की अनुमति देने और कब्रिस्तानों को तदनुसार सीमांकित करने का अधिकार है।


न्यायालय ने कहा कि शवों का सभ्य रूप से निपटान करने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का एक पहलू है, और कहा कि याचिकाकर्ता "असंवेदनशील" हैं।


कोर्ट ने कहा कि हमने याचिकाकर्ताओं को दूसरों की भावनाओं के प्रति असंवेदनशील पाया है।


कोर्ट ने कहा,


"एक सभ्य दफन का अधिकार, व्यक्ति की गरिमा के अनुरूप, संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा गारंटीकृत जीवन के अधिकार के एक पहलू के रूप में मान्यता प्राप्त है।


इस प्रकार, ऐसा कोई कारण नहीं है कि इस संकट अवधि के दौरान किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर इस कारण कि वह COVID-19 संक्रमण का संदिग्ध / पुष्टि वाला था, उसे उन सुविधाओं का हकदार नहीं माना जाए, जिसका हकदार वह सामान्य परिस्थितियों में होता।"


कोर्ट ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए रिट याचिका पर सुनवाई की और मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था।


पीठ ने कहा कि हालांकि यह अनुकरणीय लागत लगाने के लिए एक उपयुक्त मामला है, लेकिन क्योंकि COVOD -19 के फैलने की आशंका के परिणामस्वरूप मौजूदा स्थितियों के कारण याचिकाकर्ता डर गए थे, इसलिए कोई जुर्माना नहीं लगा रहे।


कोर्ट ने एमसीजीएम को COVOD -19 पीड़ितों के शवों को दफनाने के लिए दिशानिर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।


इससे पहले 4 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई से इनकार करते हुए इसे बॉम्बे हाईकोर्ट के पास भेजा था।


जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की पीठ ने इस मामले को बॉम्बे हाईकोर्ट के पास भेजा और कहा है कि हाईकोर्ट दो सप्ताह के भीतर मामले का निपटारा करे।


पीठ ने कहा कि चूंकि बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला अंतरिम था, इसलिए ये उचित होगा कि हाईकोर्ट ही इस मामले की सुनवाई करे।


गौरतलब है कि मुंबई निवासी प्रदीप गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर बॉम्बे हाईकोर्ट के 27 अप्रैल के एक अंतरिम आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने बांद्रा पश्चिम स्थित तीन कब्रिस्तानों में कोरोना से मरने वाले लोगों को दफनाए जाने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।


गांधी ने यह आशंका जताई थी कि कोरोना से मरने वाले लोगों को दफनाने से आसपास के इलाकों में वायरस का संक्रमण फैलने का खतरा है क्योंकि इनके आसपास घनी आबादी है और करीब तीन लाख लोग रहते हैं। इसलिए इन लोगों को कहीं और दफनाया जाए जहां आबादी कम हो।


शुक्रवार, 22 मई 2020

नाबालिग से रेप का आरोपी निकला कोरोना पॉजिटिव, पुलिस महकमे में मचा हड़कंप

अजमेर. शहर के दरगाह थाना पुलिस (Dargah Police Station) की ओर से रेप के मामले में गिरफ्तार किए गए 3 आरोपियों में से एक की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव (Corona report positive) पाई गई है. आरोपी की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद से ही पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है. मेडिकल टीम ने पॉजिटिव आये आरोपी को जेएलएन अस्पताल के कैदी वार्ड में शिफ्ट कर दिया है. उसके दो अन्य साथियों की रिपोर्ट आना अभी बाकी है.
दरगाह थाने के पुलिस के जवान सहमे
पुलिस अधीक्षक कुंवर राष्ट्रदीप का कहना है कि पुलिस के जवानों ने पूरी गाइडलाइन और दिशा निर्देशों की पालना के साथ आरोपियों की गिरफ्तारी और अनुसंधान किया था. लेकिन बावजूद इसके अगर फिर भी मेडिकल टीम किसी तरह की अनुशंषा करती है तो जवानों का सेम्पल टेस्ट कराया जा सकता है. आरोपी युवक के पॉजिटिव आने के बाद दरगाह थाने के पुलिस के जवान सहमे हुए हैं.

इस थाना इलाके में 125 से ज्यादा पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं

दरअसल पिछले दिनों दरगाह थाना क्षेत्र में रहने वाली नाबालिग पीड़िता ने पुलिस के सामने पेश होकर अपनी आपबीती बताई थी और आरोपियों के खिलाफ नामजद शिकायत दी थी. पुलिस ने मामले में तत्परता के साथ कार्यवाही करते हुए मंगलवार रात को 2 आरोपियों को गिरफ्तार लिया. उसके बाद बुधवार को एक और आरोपी को पकड़ने में सफलता हासिल कर ली. दरगाह थाना इलाका अजमेर में कोरोना का कन्टेनमेंट जोन बना हुआ है. अकेले इसी थाना इलाके से 125 से ज्यादा पॉजिटिव केस सामने आए हैं.


जोश में निकाली थी बारात लेकिन हुआ कुछ ऐसा कि 60 दिन बाद रोते बिलखते घर लौटे

कानपुर. एक-दो दिन नहीं बल्कि 60 दिन तक मेहमान-नवाजी कराने वाली अनोखी बारात का किस्सा कानपुर व आसपास के क्षेत्रों में खूब चर्चा का विषय बन गया है. यहां पर एक बारात लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से 60 दिन बाद अब वापस आ पाई. चौबेपुर के हकीम नगर गांव में उस वक्त मजमा लग गया जब 60 दिन बाद बारात वापस गांव लौटी अपनों के बीच पहुंचने के बाद ये बाराती और घर वाले मिलकर खूब बिलख-बिलख के रोये भी हालांकि ये आंसू ख़ुशी के थे.


जनता कर्फ्यू फिर लॉकडाउन


दरअसल यहां के रहने वाले महमूद खान के पुत्र इम्तियाज का रिश्ता बिहार के बेगूसराय बलिया प्रखंड फतेहपुर गांव में मोहम्मद हामिद की भांजी खुशबू के साथ तय हुआ था. बारात लेकर गांव से मोहम्मद खान बिहार पहुंचे, 21 मार्च को शादी हुई और 22 मार्च को बारातियों की मेहमान नवाजी के बाद विदाई की तैयारी थी लेकिन 22 मार्च को जनता कर्फ्यू (Public Curfew) के कारण बारात वहीं रुक गई और फिर देशव्यापी लॉकडाउन (Lockdown) की घोषणा हो गई जिसके बाद से पूरा परिवार 9 बारातियों के साथ वहीं पर रुक गया.



कभी रोटी-चटनी तो कभी सब्जी-चावल पर गुजरे दिन


बारातियों के कुछ दिन तो अच्छे गुजरे मगर कुछ दिन बाद बराती भी घर के सदस्य जैसे ही हो गए. लड़की के परिवार की भी आर्थिक हालत कुछ अच्छी नहीं थी, जैसे-तैसे रोटी-चटनी तो कभी सब्जी-चावल तो कभी दाल-चावल खाकर बारात ने दिन गुजारे. जब पूरी बारात के दूसरे प्रदेश में फंसने की खबर गांव पहुंची तो क्षेत्र के ही हिमांशु उर्फ गुड्डू ने केंद्र सरकार से गुहार लगाई और सभी को गाड़ी भेज कर लाया जा सका. इस बारात की वापसी देखने के लिए पूरे गांव में मजमा लग गया, सभी हैरत में थे कि आखिर 60 दिन तक कोई बारात कैसे रुक सकती है. चौबेपुर स्वास्थ्य केंद्र की टीम ने सभी बारातियों के स्वास्थ्य की जांच कर सभी को होम क्वारेन्टाइन (Home Quarantine) कर दिया है.


लड़के के पिता का कहना है कि लड़की की मां ने गांव में आसपास उधार लेकर जैसे-तैसे उनको इतने दिनों तक खाना खिलाया जबकि उनके आर्थिक हालात भी अच्छे नहीं थे. हालांकि अब बाराती घर तो जरूर आ गए हैं मगर मोहल्ले वाले ऐसी बारात से तौबा कर रहे हैं. वहीं क्षेत्र के रहने वाले एक समाजसेवी का कहना है कि क्षेत्र के सभी लोगों ने सहयोग करके बस करके पैसे इकट्ठा करके इन बारातियों को यहां पर बुलाया है जिसके लिए सभी बधाई के पात्र हैं.


Lockdown की छूट में महिला गई पार्लर, इधर बच्चों को बंधक बना 40 लाख की लूट

लखनऊ. कोरोना वायरस की रोकथाम को लेकर लागू लॉकडाउन (Lockdown) के चौथे चरण में सरकार ने देशभर में लगी कई पाबंदियों में ढील दी है. इसके तहत उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ (Lucknow) में भी सैलून और ब्‍यूटी पार्लर (Beauty Parlor) खोलने की अनुमति आज से दी गई. लॉकडाउन में मिली यह छूट, आम जनों को तो राहत पहुंचाने वाली है, लेकिन अपराधी इसे भी मौके की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं. कुछ ऐसा ही वाकया आज लखनऊ में सामने आया. यहां के थाना मड़ियांव क्षेत्र में आज बदमाशों ने एक परिवार में बच्चों को बंधक बनाकर ₹40 लाख रुपए मूल्य के जेवरात और नकद लूट लिए. शातिर अपराधियों ने इस वारदात को तब अंजाम दिया, जब मकान मालिक दफ्तर गया था और उनकी पत्नी पार्लर गई हुई थीं.



पिता का करीबी बता घर का दरवाजा खुलवाया


मड़ियाव के अजीज नगर में रहने वाले आशीष सिंह स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारी हैं. उनकी पत्नी घर से कुछ दूर ब्यूटी पार्लर चलाती हैं. आज करीब 2 महीने बाद लॉकडाउन में मिली छूट के तहत पार्लर खुले. सुबह में आशीष दफ्तर चले गए, वहीं उनकी पत्नी पार्लर चली गईं. घर पर 8 साल की बेटी अंशिका और 4 साल का बेटा अथर्व ही मौजूद थे. दोपहर 12 बजे के आसपास कुछ बदमाश आशीष के घर पहुंचे और बच्चों को उनके पिता का करीबी बताकर दरवाजा खुलवा लिया.घर में घुसने के बाद बदमाशों ने बच्चों को बंधक बनाकर करीब 30 लाख के जेवर और 10 लाख रुपए नकद लूटकर फरार हो गए. शातिर बदमाश बच्चों का मोबाइल लेकर भी चले गए. वारदात के बाद बच्चों ने पड़ोसी के मोबाइल से माता-पिता को लूट की सूचना दी. इसके बाद आशीष ने पुलिस को फोन किया, लेकिन पुलिस जब तक पहुंचती, तब तक बदमाश नौ-दो ग्यारह हो गए थे.


पुलिस ने ढाई लाख लूट की जानकारी दी


लूट की वारदात के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने अपराधियों की तलाश में आसपास के इलाकों की खाक छानी, मगर कुछ हासिल नहीं हुआ. लखनऊ की डीसीपी नॉर्थ शालिनी ने न्यूज 18 के साथ बातचीत में 2.5 लाख रुपए के लूट होने की जानकारी दी. लेकिन स्वास्थ्य विभाग के कर्मी आशीष ने मीडिया के साथ बातचीत के दौरान बताया कि बदमाशों ने घर में रखे सारे पैसे और जेवर पर हाथ साफ कर दिया. पत्नी से बात करने के बाद आशीष ने कहा कि लूटे गए जेवरात की कीमत 30 लाख से ज्यादा हो सकती है.


शादी का झांसा देकर रेप करता रहा सिपाही, प्रेग्नेंट होने पर युवती ने करवाया केस दर्ज

कानपुर. कोरोना (COVID-19) की जंग में इन दिनों कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें पुलिसकर्मी कोरोना योद्धा (Corona Warrior) बनकर मानवता का परिचय दे रहे हैं. लेकिन कानपुर (Kanpur) में एक सिपाही की करतूत से पुलिस महकमा शर्मसार हुआ है. जानकारी के मुताबिक झांसी में तैनात आमित नाम का सिपाही कानपुर में अपने मकान में किराये से रहने वाली युवती को शादी का झांसा देकर यौन शोषण (Rape) करता आ रहा था. युवती जब गर्भवती हो गयी तो वो उस पर गर्भपात का दबाब बनाने लगा. युवती ने इससे इनकार किया तो वो उसे जान से मारने की धमकी देने लगा. गुरुवार को पीड़िता ने थाने पहुंचकर अपने साथ हुए यौन शोषण और रेप की शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद पुलिस ने आरोपी सिपाही को गिरफ्तार कर लिया और उसे जेल भेज दिया.

पीड़ित युवती द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के मुताबिक आरोपी ने उसे अपने घर में किराए पर कमरा दिया था. वहां वो उसे शादी का झांसा देकर लंबे समय से रेप करता आ रहा था. पीड़िता जब तीन माह की गर्भ से हो गई तो उसने सिपाही से शादी करने के लिए कहा. आरोपी सिपाही उसे टालता रहा, लेकिन युवती को जब पता चला कि आरोपी अमित की शादी इलाहाबाद में किसी युवती के साथ तय हो गई है तो पीड़िता ने कल्याणपुर थाने पहुंचकर अपने साथ रेप की शिकायत दर्ज कराई.

पीड़िता की शिकायत पर आरोपी सिपाही भेजा गया जेल
आरोपी अमित कमल कल्याणपुर कला का रहने वाला है और वर्तमान में झांसी पुलिस लाइन में तैनात है. पुलिस अधीक्षक (एसपी) पश्चिमी डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि पीड़िता ने अपने साथ शादी करने का झांसा देकर कई बार रेप और गर्भवती करने की तहरीर दी है. युवती की तहरीर पर उचित कार्रवाई कर आरोपी सिपाही के खिलाफ अभियोग पंजीकृत कर जेल भेज दिया गया है. साथ ही झांसी में पुलिस अधिकारियों को भी इस मामले की जानकारी दे दी गई है.


जिलाधिकारी के आदेश के क्रम में नियमानुसार पात्र व्यक्तियों के राशन कार्ड बनाये गये है;जिला पूर्ति अधिकारी

 जिला पूर्ति अधिकारी ने अवगत कराया कि कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत जिलाधिकारी के आदेश के क्रम में नियमानुसार पात्र व्यक्तियों के राशन कार्ड बनाये गये है साथ ही जनपद-जौनपुर के अन्य प्रवासी मजदूर इत्यादि, जो दूसरे जिले अथवा प्रान्त में गये हुए थे, उनके इस जनपद में वापस आने से नये राशनकार्ड बनाये गये है अथवा उनके परिवार के कार्डो में उनके नाम यूनिट के रूप में जोड़े गये है। ऐसी स्थिति में शासन से जो उचित दर विक्रेताओं को खाद्यान्न का आवंटन प्राप्त हुआ है, वह नये राशनकार्डो/बढ़ी हुई यूनिटों पर प्राप्त नहीं हुआ है। स्पष्ट करना है कि उचित दर विक्रेताओं को वर्तमान वितरण माह से 02 माह पूर्व के 01 तारीख को विभागीय वेबसाइट पर प्रदर्शित कार्डो/यूनिटों के सापेक्ष खाद्यान्न आवंटन प्राप्त होता है। इसी प्रकार माह-मई 2020 में निःशुल्क वितरण हेतु चने व चावल का आवंटन क्रमशः 27 मार्च, 2020 व 01 अप्रैल, 2020 के राशन कार्ड/यूनिट पर प्राप्त हुआ है, जबकि ई-पॉस मशीन में जो डेटा अपलोड होता है, वह वर्तमान में प्रचलित राशनकार्ड/यूनिटों की संख्या अपलोड होता है। ऐसी स्थिति में विक्रेता को नये कार्ड अथवा नये वृद्धि किये गये यूनिटों पर खाद्यान्न प्राप्त नहीं होता है। ऐसी स्थिति में विक्रेता द्वारा पुराने कार्डो पर खाद्यान्न अवशेष होने पर ही नये कार्डधारकों/वृद्धि यूनिटों को दिया जाना सम्भव हो पाता है।
उपरोक्त के क्रम में नये कार्डधारकों को अवगत कराना है कि शासन द्वारा वितरण की अंतिम तिथि/प्रॉक्सी तिथि 25 मई, 2020 को संशोधित करते हुए 24 मई, 2020 को प्रॉक्सी तिथि निर्धारित कर दिया गया है। अतः समस्त विक्रेताओं को निर्देशित किया जाता है कि 24 मई 2020 को निर्धारित प्रॉक्सी दिवस पर पुराने राशनकार्डो/यूनिटों पर वितरण करने के उपरान्त अवशेष खाद्यान्न का वितरण नये राशनकार्डधारकों/बढ़ी हुई यूनिटों को अवश्य करेंगे, किसी भी दशा में अवशेष खाद्यान्न होने पर नये कार्डधारकों को खाद्यान्न से वंचित न किया जाये।


महानिबंधक, माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के मार्गदर्शन में जनपद न्यायालयों में 22 मई से संपादित किया जाएगा न्यायिक कार्य 

जनपद न्यायाधीश मदन पाल सिंह ने बताया है कि महानिबंधक, माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद द्वारा जनपद न्यायालयों में 22 मई से न्यायिक कार्य प्रारंभ किए जाने के संबंध में मार्गदर्शक बिंदु निर्धारित किए गए हैं ।उन्होंने बताया कि जनपद जौनपुर का न्यायालय परिसर परिरोधन क्षेत्र (containment zone) में नहीं है। उक्त के आधार पर माननीय न्यायालय से प्राप्त निर्देशानुसार ऑरेंज जोन में स्थित जनपद न्यायालयों में 22 मई 2020 से अग्रिम आदेश तक न्यायिक कार्य संपादन किए जाने हेतु निम्नलिखित मार्गदर्शक दिए गए हैं। तदनुसार 22 मई से न्यायिक कार्य  संपादित किया जाएगा । उन्होंने बताया कि न्यायालय परिसर को न्यायिक कार्य हेतु खोले जाने से पूर्व न्यायालय परिसर स्थित समस्त भवनों को सैनिटाइज किया जाएगा। प्रशासन के परामर्श से कोविड 19 के संकट का स्तर एवं जनपद में जोन की स्थिति की दैनिक समीक्षा की जाएगी और यथास्थिति दैनिक आधार पर वेवलिंक पर इसे अपलोड किया जाएगा। माननीय उच्चतम न्यायालय/माननीय उच्च न्यायालय,इलाहाबाद द्वारा न्यायिक अधिकारिता एवं भारत सरकार तथा राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 के संबंध में पारित किए गए निर्देशों/मार्गदर्शन का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा। न्यायालयों में न्यायिक कार्य संपादन हेतु पैतृक न्यायालयों एवं विशेष अधिकारिता वाले न्यायालयों द्वारा एवं विशेष परिस्थिति में अन्य न्यायालय द्वारा कार्य किया जाएगा । इसमें जनपद न्यायाधीश व प्रथम अपर न्यायाधीश,प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय, विशेष अधिकारिता का प्रयोग करने वाले सभी न्यायालय, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी,प्रथम एवं न्यायिक दंडाधिकारी,द्वितीय, सिविल जज सीनियर डिविजन, सिविल जज जूनियर डिविजन शहर ,सिविल जज जू.डि.शाहगंज एवं सिविल जज जू.डि.जौनपुर द्वारा वादों की सुनवायी की जाएगी। प्रभावी अवधि के दौरान न्यायिक अधिकारियों द्वारा नए/लंबित प्रकरणों के एडमिशन पर सुनवाई, लंबित/नए जमानत प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई, लंबित एवं नये जमानत प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई, वाहनों को अवमुक्त किए जाने संबंधी प्रार्थना पत्र एवं लघु अपराध के वादों की सुनवायी, लंबित/नए आवश्यक निषेधाज्ञा प्रार्थना पत्रों की सुनवाई, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 176 के अंतर्गत प्राप्त होने वाले पुलिस आख्या का निस्तारण, विवेचक द्वारा प्रस्तुत गैर जमानती अधिपत्र दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 82/83 के आवेदन एवं धारा 164 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत कथन किए जाने वाले प्रार्थना पत्रों का निस्तारण, विचाराधीन बंदियों की रिमांड/अन्य न्यायिक कार्यवाही का संपादन केवल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया जाएगा । माननीय जनपद न्यायाधीश ने बताया कि न्यायालय में कार्रवाई के दौरान पुरुष अधिवक्तागणों द्वारा सफेद शर्ट, हल्के रंग के पैंट के साथ बैंड का प्रयोग किया जाएगा तथा महिला अधिवक्तागण द्वारा उपयुक्त  हल्के रंगों का परिधान बैंड के साथ प्रयोग किया जाएगा। न्यायिक अधिकारियों को कोट  तथा गाउन पहनने से मुक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक कार्य दिवस में नियत कार्य पूर्ण होने पर सभी न्यायिक अधिकारी एवं कर्मचारी न्यायालय परिसर से चले जाएंगे। प्रभावी अवधि के दौरान आवश्यकता के अनुरूप सीमित संख्या में शपथ आयुक्तगण, स्टांप विक्रेताओं एवं टाइपिस्ट को परिसर में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी ।उन्होंने बताया कि न्यायालय परिसर में प्रवेश करने वाले सभी व्यक्तियों की थर्मल स्कैनिंग जांच प्रत्येक कार्य दिवस में की जाएगी। वर्तमान व्यवस्था के अंतर्गत केवल ऐसे न्यायालय कक्ष खोले जाएंगे जहां पर सुनवाई हेतु अधिवक्तागण को उपस्थित होना है ,ऐसे न्यायालय कक्षों में समुचित दूरी पर चार कुर्सियां रखी जाएगी। न्यायालय कक्ष में प्रवेश करने वाले सभी व्यक्ति द्वारा मास्क का प्रयोग किया जाएगा।


वर्चुअल कोर्ट से न्याय पाने में असमर्थ हैं मुविक्कल'': बार काउंसिल ऑफ इंडिया करेगी अदालतों में नियमित सुनवाई फिर से शुरू करने पर परामर्श

मुविक्कलों को वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से न्याय नहीं मिल पा रहा है, यह कहते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने बुधवार को निर्णय किया है कि वह सभी अदालतों में नियमित सुनवाई फिर से शुरू करने के मामले में परामर्श करने लिए देशभर के वकीलों और वादकारियों से बातचीत करेगी। बीसीआई की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि ''वह (बीसीआई) न्यायालयों में नियमित सुनवाई को फिर से शुरू करने के बारे में सबकी राय जानने के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के वरिष्ठ और अन्य अधिवक्ताओं से परामर्श करेगी। एक तरफ COVID 19 के मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ वादियों और अधिवक्ताओं की समस्याएं बढ़ रही हैं।''   20 मई को हुई अपनी बैठक में बीसीआई की जनरल काउंसिल ने इस संबंध में एक प्रस्ताव पास किया है। इस मामले में स्टेट बार काउंसिल के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट ,सभी हाईकोर्ट और डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार एसोसिएशन के वरिष्ठ अधिवक्ताओं और अन्य अधिवक्ताओं की राय मांगी जाएगी। बीसीआई का कहना है कि कुछ हाईकोर्ट में तत्काल मामलों को लेकर 'पिक एंड चूज' की नीति अपनाने संबंधी शिकायतें उनके पास आ रही हैं। वहीं असंतोषजनक वाई-फाई कनेक्शन और अन्य तकनीकी समस्याओं के कारण वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए की जा रही सुनवाई में भी लगाकर समस्याएं आ रही है। इस संबंध में भी उनको कई शिकायत मिली हैं।  बीसीआई ने कहा कि ''हम इस प्रक्रिया में प्रभावी सुनवाई की उम्मीद नहीं कर सकते है। वास्तव में देश के विभिन्न न्यायालयों में क्या चल रहा है, जनता और अधिवक्ता उसके बारे में अनभिज्ञ हैं।'' बीसीआई ने कई बार एसोसिएशन और वरिष्ठ अधिवक्ताओं की राय भी साझा की है, जिनके जरिए उनको पता चला है कि ''कुछ लोग लॉकडाउन (लगभग बंद पड़ी अदालतों का ) का अनुचित लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं। हाई-प्रोफाइल संबंध रखने वाले कुछ वकील और लाॅ-फर्म कानूनी पेशे को धीरे-धीरे हाईजैक करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि पूरी प्रणाली आम अधिवक्ताओं के हाथ से बाहर जा रही है। परिषद ने कहा कि वह पर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ अदालतों में नियमित सुनवाई या शारीरिक कामकाज को फिर से शुरू करने के मामले में सुझाव एकत्रित करने के लिए स्टेट बार काउंसिल और बार एसोसिएशन के माध्यम से एक जनमत सर्वेक्षण आयोजित करने जा रही है। परिषद ने भारत के मुख्य न्यायाधीश और सभी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों से आग्रह किया है कि वह वास्तविक कठिनाइयों पर ध्यान दें। बीसीआई ने कहा कि "यह विनम्रतापूर्वक प्रस्तुत किया जा रहा है कि बार से परामर्श किए बिना और बार को विश्वास में लिए बिना, यदि कोई निर्णय लिया जाता है तो वह सफल नहीं हो पाएगा।'' बीसीआई ने कहा कि उन्होंने यह भी प्रस्ताव पास किया है कि वह प्रधानमंत्री और सभी मुख्यमंत्रियों से अनुरोध करेंगे कि वे ''जरूरतमंद वकीलों की सहायता करें और उनके पेशेवर नुकसान को दूर करने में उनकी मदद करें।'' ''इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया, स्टेट बार काउंसिल और देश के बार एसोसिएशन अपनी क्षमता के अनुसार इस तरह के जरूरतमंद अधिवक्ताओं की मदद करते रहे हैं। हालांकि, इन संगठनों के संसाधन सीमित हैं।'' उन्होंने कहा कि ''इसलिए जब तक सरकार उनके बचाव में नहीं आती है, तब तक उनकी समस्याओें का समाधान नहीं होने वाला है। देश के सभी बार एसोसिएशनों को एक प्रस्ताव पारित करके स्थानीय सांसद, विधायकों और जिला कलेक्टरों के माध्यम से प्रधानमंत्री और सभी मुख्यमंत्रियों को भेजना चाहिए।'' बीसीआई ने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश और सभी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों से संपर्क करके उनसे यह आग्रह किया जाएगा कि वह वकीलों की उन समस्याओं पर विचार करें,जिनका सामना वकील अदालतों में मामलों की सुनवाई के दौरान वास्तव में कर रहे हैं। उन्होंने यह भी निर्णय किया है कि वह सीजेआई एसए बोबड़े और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ से भी अनुरोध करेंगे कि वे संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दें कि ''वर्चुअल सुनवाई के समय उन सभी अधिवक्ताओं को लिंक प्रदान करें ,जो मामले से संबंधित हैं या जो वरिष्ठ अधिवक्ता की सहायता कर रहे हैं या सुनवाई में भाग ले रहे हैं।''



एन राम और अन्य के खिलाफ दायर मानहा‌नि के मामले रद्द किए मद्रास हाईकोर्ट

प्रेस की स्वतंत्रता के महत्व को रेखांकित करते हुए एक महत्वपूर्ण फैसले में मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को संपादक-पत्रकार एन राम,एडिटर-इन-चीफ, दि हिंदू, सिद्धार्थ वरदराजन, नक्कीरन गोपाल आदि के खिलाफ दायर आपराधिक शिकायतों को खारिज कर दिया। इन सभी के खिलाफ 2012 में तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री जे जयललिता के खिलाफ कुछ रिपोर्टों के मामले में "राज्य के खिलाफ आपराधिक मानहानि" का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज की गई थी। श‌िकायत में कहा गया था कि रिपोर्ट राज्य सरकार के एक पदाधिकारी की मानहानि के बराबर है। लोक अभियोजक ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 199 (2) के तहत सत्र न्यायालय के समक्ष शिकायतें दायर की थीं। धारा 199 (2) सीआरपीसी भारतीय दंड संहिता की धारा 499/500 के तहत राज्य / संवैधानिक पदाधिकारियों के खिलाफ मानहानि के अपराधों के लिए एक विशेष प्रक्रिया का निर्धारण करती है। मौजूदा मामले में लोक अभियोजक ने राज्य की ओर से सत्र न्यायालय श‌ि‌कायत दायर की थी। सामान्य रूप से मजिस्ट्रेट कोर्ट के समक्ष सामान्य मानहानि के मुकदमे दायर किए जाते हैं। हाईकोर्ट में दायर रिट याचिकाओं में उन सरकारी आदेशों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई ‌थी, जिनके तहत सरकारी अभियोजक को रिपोर्टों के संबंध में धारा 199 (2) सीआरपीसी के तहत शिकायत दर्ज करने की मंजूरी दी गई। जस्टिस अब्दुल कुद्धोज की पीठ ने कहा कि राज्य के लिए, न‌िजी पक्षों की तुलना में, नागरिकों के खिलाफ आपराधिक मानहानि शुरू करने की उच्च मानदंड हैं। कोर्ट ने 152-पृष्ठ के फैसले में कहा, "आपराधिक मानहानि कानून आवश्यक मामलों में एक प्रशंसनीय कानून है, लोक सेवक/संवैधानिक पदाधिकारी अपने



प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ राज्य के जरिए इसका इस्तेमाल अपनी खुन्नस के ‌लिए नहीं कर सकते। लोक सेवकों/ संवैधानिक पदाधिकारियों को आलोचना का सामना करने में सक्षम होना चा‌हिए। ....राज्य आपराधिक मानहानि के मामलों का उपयोग लोकतंत्र को कुचलने नहीं कर सकता है।" कोर्ट ने कहा कि राज्य को आलोचना के मामलों में उच्च सहिष्णुता का प्रदर्शन करना चाहिए, और मुकदमे शुरु करने के लिए "आवेगात्मक" नहीं हो सकता है। "राज्य को मानहानि के मामलों में एक आम नागरिक की तरह आवेगी नहीं होना चाहिए और लोकतंत्र को कुचलने के लिए धारा 199 (2) सीआरपीसी को लागू नहीं करना चाहिए। केवल उन्हीं मामलों में जहां पर्याप्त सामग्री हो और जब धारा 199 (2) सीआरपीसी के तहत अभियोजन अपरिहार्य है, उक्त प्रक्रिया को लागू किया जा सकता है।" राज्य की तुलना "अभिभावक" से करते हुए कोर्ट ने कहा, "जहां तक ​​मानहानि कानून का संबंध है, राज्य सभी नागरिकों के लिए अभिभावक की तरह है। अभिभावकों के लिए अपने बच्चों की ओर से अपमान का सामना करना सामान्य है। अपमान के बावजूद, माता-पिता अपने बच्चों को आसानी से नहीं छोड़ते। दुर्लभ मामलों में ही ऐसा होता है जब बच्चों का चरित्र और व्यवहार गैरकानूनी हो जाता है, और माता-पिता ने उन्हें छोड़ देते हैं। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में जस्टिस दीपक गुप्ता, पूर्व जज, सुप्रीम कोर्ट, और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जज, सुप्रीम कोर्ट के हालिया भाषणों का हवाला भी दिया था, जिसमें उन्होंने लोकतंत्र में असंतोष के महत्व पर रोशनी डाली थी और विरोध की आवजों को कुचलने के लिए आपराधिक कानूनों का इस्तेमाल की बढ़ती प्रवृत्ति की आलोचना की थी। कोर्ट ने डॉ सुब्रमण्यम स्वामी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा आपराधिक मानहानि के उपयोग के लिए तय सिद्धांतों का उल्लेख किया। याचिकाकर्ताओं ने भारतीय दंड संहिता की धारा 499/500 की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी थी, हालांकि हाईकोर्ट ने उस पहलू पर विचार नहीं किया, क्योंकि 2016 में सुब्रमण्यम स्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट इसकी वैधता पर विचार कर चुका था। दो हफ्ते पहले, मद्रास हाईकोर्ट ने इकोनॉमिक टाइम्स के एक संपादक और रिपोर्टर के खिलाफ आपराधिक मानहानि की कार्यवाही को रद्द कर दिया था और कहा ‌था कि मात्र रिपोर्टिंग में गलतियां मानहानि का आधार नहीं हो सकती हैं। धारा 199 (2) के तहत सत्र न्यायालय द्वारा जांच का स्तर आंकड़ों की जांच करने के बाद कोर्ट ने कहा कि वर्ष 2012 से 2020 तक विभिन्न सत्र न्यायालयों में 226 मामले लंबित है। सत्ता में कोई भी राजनीतिक दल रहा हो, धारा 199 (2) सीआरपीसी के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। अदालत ने कहा कि धारा 199 (2) सीआरपीसी के तहत शिकायतों के यांत्रिक दाखिले के कारण, कभी-कभी सत्र न्यायालयों में मुकदमो की भरमार हो जाती है। इस पृष्ठभूमि में, कोर्ट ने सत्र न्यायाधीशों को याद दिलाया कि उन्हें राज्य द्वारा दायर आपराधिक मानहानि की शिकायतों के संबंध में उच्च स्तर की जांच करनी चा‌हिए। लोक अभियोजक पोस्ट ऑफिस की तरह काम नहीं कर सकते न्यायालय ने कहा कि लोक अभियोजक को राज्य के निर्देशों पर शिकायत दर्ज करने के लिए "डाकघर" की तरह काम नहीं करना चाहिए, और शिकायत दर्ज करने से पहले स्वतंत्र रूप से आरोपों की जांच करनी चाहिए। मानहान‌ि के तत्व गायब हैं न्यायालय ने उल्लेख किया कि धारा 199 (2) सीआरपीसी के तहत सरकारी वकील के जर‌िए मुकदमा चलाने के लिए आवश्यक मुख्य तत्व अर्थात् "राज्य की मानहानी" ही गायब होता है। सभी मामलों में, सरकारी वकील को मुकदमे की स्वीकृति प्रदान करते समय, संबंधित अनुमोदन आदेश इस मसले पर पूरी तरह चुप रहता है कि क्या राज्य को लोकसेवक / संवैधानिक पदाधिकारी उसके सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन के दौरान के कथित मानहानि के आधार पर बदनाम किया गया है। मीडिया को आत्म-नियमन करना चा‌हिए कोर्ट ने मीडिया को आत्म-नियमन का महत्व समझाते हुए कहा- "हमारे राष्ट्र ने हमेशा मीडिया की भूमिका का सम्मान किया है। उनकी स्वतंत्रता और सच्ची रिपोर्टिंग को सर्वोच्च सम्मान दिया गया है। लेकिन बीते कई वर्षों से मीडिया सहित लोकतंत्र के हर क्षेत्र में क्षरण हो रहा है। अगर इसे जल्द से जल्द खत्‍म नहीं की गई ‌तो यह आग की तरह फैल जाएगाी, जिससे हमारे लोकतंत्र को भारी नुकसान होगा। " केस का विवरण टाइटल: थिरु एन राम, एडिटर-इन-चीफ, "द हिंदू" बनाम यू‌नियन ऑफ इंडिया और जुड़े मामले कोरम: जस्टिस अब्दुल कुद्धोज प्रतिनिध‌ित्व: वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस रमन, आई। सुब्रमण्यन, अधिवक्ता पीटी पेरुमल, प्रशांत राजगोपाल, एस. एलम्भारती, एम स्नेहा, पी कुमारेसन, बीके गिरिश नीलकांतन ( याचिकाकर्ताओं के लिए)। मदन गोपाल राव, केंद्र सरकार की ओर से, एसआर राजगोपालन, अतिरिक्त महाधिवक्ता, सा‌थ में अध‌िवक्ता के रविकुमार।

https://hindi.livelaw.in/category/top-stories/state-should-not-be-impulsive-like-an-ordinary-citizen-in-defamation-matters-and-invoke-sec-1992-crpc-to-throttle-democracy-madras-hc-quashes-cases-against-n-ram-ors-157126


मुस्लिम होने की गलतफहमी के कारण चलाई थी लाठी ; मध्यप्रदेश में वकील की पिटाई करने के बाद पुलिस ने बनाया दबाव कहा, मामला वापस ले लो

मध्यप्रदेश के बैतूल में पुलिस की ज़्यादतियों का शिकार स्थानीय अधिवक्ता दीपक बुंदेले पर पुलिस मामला वापस लेने का दबाव बना रही है। अधिवक्ता दीपक बुंदेले की पुलिस ने 23 मार्च को निर्ममता से सरे आम पिटाई की थी, जिसके बाद उन्होंने विभिन्न फोरम पर इसकी शिकायत की थी। अब पुलिस मामला वापस लेने के लिए दबाव बना रही है। पुलिस ने मौखिक रूप से माफी मांगी जिसमें उसने बुंदेले से कहा कि उसकी दाढ़ी देखरेख उसे मुस्लिम समुदाय का समझकर पीटा गया।


यह थी घटना अधिवक्ता दीपक बुंदेले 23 मार्च 2020 को नगर के लल्ली चौक पर पुलिसकर्मियों ने बेरहमी से पीटा था, जिससे उनके कान का पर्दा फट गया था। बुंदेले 15 साल से डायबिटीज के मरीज हैं और दवाई लेने के लिए अस्पताल जा रहे थे, तभी शहर में सीआरपीसी की धारा 144 लागू होने के कारण पुलिस ने उन्हें पूछताछ के लिए रोका। बुंदेले ने लाइव लॉ से कहा कि उन्होंने पुलिसकर्मियों को बताया कि वे डायबिटीज के मरीज हैं और दवाई लेने के लिए अस्पताल जा रहे हैं, लेकिन पुलिसकर्मियों ने उनसे बदतमीजी की और लाठियों से उन्हें पीटा। घटना के समय लॉकडाउन शुरू नहीं हुआ था लेकिन धारा 144 लागू थी। बुंदेले ने कहा कि उन्होंने पिटते हुए पुलिसकर्मियों से कहा कि मारो मत, चाहो तो धारा 144 के उल्लंघन की कार्रवाई कर दो। घटना के बाद अधिवक्ता बुंदेले जैसे तैसे अपने भाई और परिचितों की मदद से अस्पताल पहुँचे। इस दौरान वहीं से उन्होंने जिला बार काउंसिल के अध्यक्ष संजय मिश्रा को अपने साथ हुई घटना के बारे में जानकारी दी, जो तुरंत उनसे मिलने पहुंचे। इस संबंध में बुंदेले ने पुलिस और प्रशासन के आला अफसरों से शिकायत करने साथ साथ विभिन्न बार काउंसिल को भी मामले से अवगत करवाया। इसके बाद पुलिस ने पहले तो बुंदेले से माफी मांगने की बात कही और बाद में मामला वापस लेने के लिए दबाव बनाया। बुंदेले ने अपने साथ हुई इस ज़्यादती की शिकायत ज़िले के एसपी , आईजी, डीआईजी और बार काउंसिल में की। पीड़ित ने मुख्यमंत्री को भी इस संदर्भ में पत्र लिखा। 17 मई को संबधित थाने से कुछ पुलिसकर्मी बुंदेले के घर आए और उनसे मामला वापस लेने को कहने लगे। इस दौरान बुंदेले ने मोबाइल का वॉइस रिकॉर्डर ऑन कर दिया, जिसमें पुलिसकर्मियों और बुंदेले की बात रिकॉर्ड हुई। एक पुलिसकर्मी ने बुंदेले से कहा कि" मुस्लिम समझकर उस पुलिस वाले ने तुम्हें पीट दिया, अब मामला खत्म करो।" इस पर बुंदेले ने कहा कि वो बार से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक को पत्र लिखकर यह मामला बता चुके हैं, अब मामला वापस लेना सही नहीं होगा। बुंदेले ने 18 मई को अपने वकील एहतेशाम हाशमी के माध्यम से डीजीपी, भोपाल को पत्र लिखकर पुलिस के मामला वापस लेने के लिए दबाव बनाने की शिकायत की।



समाजसेवी दिलीप तिवारी द्वारा रोडवेज कर्मचारियों में वितरण हेतु जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह एवं पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार को दिये 1200 मास्क


       समाजसेवी दिलीप तिवारी द्वारा कलेक्ट्रेट कक्ष में रोडवेज कर्मचारियों में वितरण हेतु 1200 मास्क जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह एवं पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार को दिये गए। दिलीप तिवारी द्वारा अब तक जनपद में दो लाख एक मास्क बनाकर निःशुल्क गरीबों में वितरण हेतु उपलब्ध कराए जा चुके हैं। जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक द्वारा उनके इस कार्य के लिए सराहना की गई।



राज्य सरकार की सहकारी बैंकों के ऋण धारको के लिए एक मुश्त ऋण समाधान योजना की अन्तिम तिथि जो 31 मार्च .2020 थी उसे अग्रिम आदेशों तक आगे बढाया गया

 उ0प्र0 सहकारी ग्राम विकास बैंक लि0 जौनपुर के क्षेत्रीय प्रबन्धक डा0 अवधेशचन्द शर्मा ने बताया है कि राज्य सरकार की सहकारी बैंकों के ऋण धारको के लिए एक मुश्त ऋण समाधान योजना की अन्तिम तिथि जो 31 मार्च .2020 थी उसे अग्रिम आदेशों तक आगे बढाया गया है ताकि इस योजना का लाभ अधिक से अधिक कृषकों को मिल सके।
उ0प्र0 सहकारी ग्राम विकास बैंक लि0 के क्षेत्रीय प्रबंधक एवं वरिष्ठ प्रबंधक विजय कुमार वर्मा शाखा जौनपुर की उपस्थित में शुक्रवार को एक मुश्त समाधान योजना की जानकारी दी गयी है। वरिष्ठ प्रबंधक ने बताया कि जिले की पाॅचों शाखाए क्रमशः जौनपुर केराकत, मछलीशहर, मडियाह,ॅू एवं शाहगंज में कुल पात्र सदस्य 2362 है जिनपर 3206.86 लाख बकाया है अभी तक 162 सदस्यों से 125.44 लाख रू0 जमा कराया जा चुका है तथा उन्हे 149.61 लाख की छूट प्रदान की गयी है । वरिष्ठ प्रबन्धक ने बताया कि शाखा जौनपुर के 20 सदस्यों ने 11.61 लाख जमा कराया गया है इन्हे 23.23 लाख की छूट प्रदान की गयी ह,ै बताया गया कि सहकारी ग्राम विकास बैंको के ऐसे ऋणी सदस्यों को इस योजना में सम्मिलित किया गया है जो किन्ही कारणों से ऋण की अदायगी नही कर सके है । इस योजना का लाभ अधिक से अधिक प्राप्तकरें (समय सीमा के अन्तर्गत) समीक्षा के दौरान शाखा पर सभी कर्मचारी उपस्थित रहें।


जिला भाजपा महिला मोर्चा कार्यकर्ताओं द्वारा जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक को कलेक्ट्रेट कक्ष में किया गया सम्मानित

 जिला भाजपा महिला मोर्चा केराकत एवं जौनपुर की कार्यकर्ताओं द्वारा  कोविड-19 के तहत किए गए सराहनीय कार्य के कारण जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह एवं पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार को कलेक्ट्रेट कक्ष में सम्मानित किया गया ।इस अवसर पर भाजपा महिला मोर्चा की सोनिया गिरी, राखी सिंह, उपमा गुप्ता, शालू सिंह, प्रियंका सिंह उपस्थित रहीं।



भाजपा की सरकार में दबंगों द्वारा बार-बार जान से मारने की धमकी;नहीं लिखी गयी रिपोर्ट

आजमगढ़। भाजपा की सरकार में दबंगों द्वारा आयेदिन गरीबों, पिछड़ों, दलितों व अल्पसख्यकों को बुरी तरह मारा-पीटा जा रहा है। भाजपा नेताओं के दबाव में थानों पर रिपोर्ट नहीं दर्ज हो रही है। कल दिनांक 21.05.2020 को नूरपुर भॅवरपुर थाना-तरवाॅ में गाय को बल्लम मारने से मना करने पर गाॅव के ही दबंग लोगों ने अनुसूचित जाति चमारों के घर में घुसकर बुरी तरह मारा पीटा, उसमें बालेन्द्र व उसकी बहू, लड़के, पुत्री, भाभी व विजय कुमार को घर में घुसकर बुरी तरह मारा-पीटा। बहू नीतू देवी बेहोश हो जा रही है। थाने पर दरोगा जी रात तक बैठाये रहे। रिपोर्ट नहीं लिखी गयी। वे लोग एस0पी0 से मिलकर सभी बातों को बताये। जाफरपुर कांसीराम कालोनी में रहने वाली सपना निषाद जो सपा नेत्री है। उसको बार-बार जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। उसने भी एस0पी0 से अपनी पूरी बात को बताया।



आपराधिक घटनाओं की बाढ़ आ गयी है। अभी सी0एच0सी0 हरैया में दबंगों ने थानाध्यक्ष रौनापार के सामने प्रभारी चिकित्साधिकारी से गाली गलौज और धक्कामुक्की किया और सरकारी कार्य में बाधा पहुॅचाये। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद भी गिरफ्तारी नहीं हो रही है। जबकि छोटे-छोटे अपराधों में तुरन्त पकड़कर चालान कर दिया जा रहा है। समाजवादी पार्टी गरीबों पर होने वाले जुल्म को लेकर लाकडाउन समाप्त होने के बाद थानों को घेरने का काम करेगी।
उक्त जानकारी समाजवादी पार्टी आजमगढ़ निवर्तमान जिलाध्यक्ष हवलदार यादव ने दीं।


गुरुवार, 21 मई 2020

आवश्कता है


आवश्कता है


आवश्कता है


आवश्कता है


विधायक खाना बांटने के एजेंट नहीं हैं, मणिपुर हाईकोर्ट

एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मणिपुर हाईकोर्ट ने आवश्यक वस्तुओं का व्यापक वितरण सुनिश्चित करने के लिए कई निर्देश जारी किए हैं। न्यायमूर्ति लनुसुंग्कुम ज़मीर और न्यायमूर्ति नोबिन सिंह की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत जो योग्य हैं ,जिसमें ऐसे लोग भी शामिल हैं जिनके पास कार्ड नहीं है,



उन्हें लॉकडाउन के दौरान पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम (पीडीएस) के माध्यम से खाद्यान्नों की आपूर्ति राज्य सरकार आवश्यक रूप से करे। अदालत ने इस मामले में विधायकों के हस्तक्षेप की भी आलोचना की जो लोगों में वितरण के लिए पीडीएस से खाद्यान्नों की ख़रीद करते हैं और कहा कि अधिनियम में इसकी इजाज़त नहीं है। बेंच ने कहा, "यह सर्वविदित है कि विधायक लोगों के प्रतिनिधि होते हैं, उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है और यह भी कि वे लोगों को महत्वपूर्ण सेवाएं देते हैं, लेकिन पर खाद्य अधिनियम 2013 में यह कहीं नहीं है कि विधायकों को पीडीएस वितरण में शामिल किए जाने की ज़रूरत है।" अदालत ने कहा, "अगर राज्य सरकार या किसी अधिकारी जिसको यह अधिकार दिया गया है, के अलावा कोई व्यक्ति लक्षित पीडीएस वितरण व्यवस्था में शामिल होता है और चावल का वितरण करता है या इसके वितरण में शरीक होता है तो उसकी यह गतिविधि ग़ैरक़ानूनी है और उसे क़ानून के तहत उपयुक्त सज़ा मिल सकती है।" अदालत के निर्देश 1) उचित मूल्य के दुकानदारों का चुनाव : अदालत ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति उचित मूल्य की दुकान का लाइसेंस किसी को दिए जाने से पीड़ित है तो वह इसके लिए उचित जगह पर इसकी शिकायात कर सकता है और सरकार को दुकानदारों के चुनाव की प्रक्रिया की समीक्षा अवश्य ही करनी चाहिए ताकि पीडीएस से कम मात्रा के वितरण की शिकायत को दूर की जा सके। 2) पीडीएस एजेंट के रूप में विधायक विधायकों द्वारा पीडीएस से अनाज की ख़रीद करने और उनका वितरण करने पर घोर आपत्ति करते हुए अदालत ने कहा, "खाद्य अधिनियम 2013 में ऐसा प्रावधान नहीं है कि वे पीडीसी के माध्यम से विभिन्न वस्तुओं के वितरण में शामिल हों।" 3) पीडीएस में चावल के वितरण की निगरानी अदालत ने कहा, "राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसने जो व्यवस्था बनायी है वह प्रभावी हो और लोगों को शिकायत का मौक़ा नहीं मिले।" 4) योग्य परिवारों की जिलावार सूची अदालत ने कहा कि हर योग्य परिवारों की जिलावार सूची संबंधित सरकारी अधिकारी अपने आधिकारिक वेबसाइट पर इस फ़ैसले के सुनाए जाने के एक सप्ताह के भीतर अपलोड करे। 5) सरकारी अधिकारी सूचना को प्रसारित करें पीडीएस (नियंत्रण) आदेश 2015 के तहत अधिकृत एजेंसियों या ठेकेदारों जिसके माध्यम से अनाज उठाए जाएंगे, उनका नाम, पता एवं अन्य विवरण सरकारी वेबसाइट पर अपलोड किया जाए। 6) सरकार द्वारा खाद्य अधिनियम 2013 की धारा 35 के तहत अधिकार-प्राप्त अधिकृत अधिकारी ही अनाज उठाएं और उसका वितरण करें और ऐसा नहीं करने पर वे इसके लिए ज़िम्मेदार होंगे। 7) उचित मूल्य की दुकान के मालिक को सभी तरह के उचित रिकॉर्ड रखने और रसीद के फ़ॉर्म रखने ज़रूरी होंगे। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उनके ख़िलाफ़ जांच होगी और तत्काल कार्रवाई की जाएगी जिसमें दोषी पाए जाने पर लाइसेन्स रद्द करने की बात भी शामिल है। 8) ऐसे लोग जो आपूर्ति नहीं मिलने या कम मिलने की शिकायत करते हैं उनकी शिकायत दूर करने की व्यवस्था हो। अदालत ने निर्देश दिया कि पीड़ित व्यक्ति किसी भी लीगल एड क्लीनिक या फ़्रंट ऑफ़िस/सचिव, ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण, सदस्य सचिव, मणिपुर विधिक सेवा से मदद प्राप्त कर सकते हैं और शिकायत कर सकते हैं। 9) कोरोना महामारी के समाप्त होने को लेकर अनिश्चितता को देखते हुए राज्य सरकार ऐसे लोगों की पहचानकर सकती है जो घर में अनाज जमा रखते हैं और उन्हें वह राहत सामग्री नहीं लेने का आग्रह कर सकती है और इनका वितरण जरूरतमंदों में किया जा सकता है।


फुल कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ केरल हाईकोर्ट ने दिए जांच के आदेश"जब तक जरूरी न हो तब तक गिरफ्तार न किया जाए,

भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का किसी भी कीमत पर एक अभियुक्त को गिरफ्तार करके उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए,सिवाय उन मामलों को छोड़कर जहां गिरफ्तारी अपरिहार्य या जरूरी है।'' अदालत ने यह भी आदेश दिया था कि जो व्यक्ति ऐसे अपराधों में शामिल हैं जिनमें अधिकतम सजा 7 साल से कम है, उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया जाना चाहिए। उपरोक्त निर्देश 23 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर जारी किए गए थे। ताकि जेलों में Covid 19 संक्रमण न फैले और इस महामारी के समय जेलों में कैदियों की संख्या कम रहे। हालांकि वर्तमान मामले में न्यायमूर्ति पीवी कुन्हिकृष्णन की पीठ ने कहा कि इस मामले में आरोपी पर आईपीसी की धारा 354ए के तहत



मामला बनाया गया था जो कि जमानतीय है। वही पाॅक्सो एक्ट 2012 की ऐसी धाराओं के तहत मामला बनाया गया है,जिनमें अधिकतम सात साल तक की सजा का प्रावधान है। फिर भी उसे हिरासत में ले लिया गया। इन परिस्थितियों के मद्देनजर पीठ ने कहा कि- ''इस न्यायालय की पूर्ण पीठ और शीर्ष न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों का पूरी तरह से उल्लंघन करते हुए इस मामले के जांच अधिकारी ने याचिकाकर्ता को गिरफ्तार किया था।" अदालत ने कहा कि आईओ यह बात कहकर अपना बचाव नहीं कर सकता कि उसे फुल बेंच द्वारा दिए गए निर्देशों के बारे में जानकारी ही नहीं थी, क्योंकि कोर्ट के संबंधित अधिकारियों द्वारा इन निर्देशों का व्यापक रूप से प्रचार किया गया था। मामले के आईओ के खिलाफ जांच का निर्देश देते हुए पीठ ने कहा कि- " यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि पूर्ण पीठ का निर्णय सभी मीडिया में प्रकाशित हुआ था। ऐसे में जांच अधिकारी यह नहीं कह सकता है कि वह इस न्यायालय की पूर्ण पीठ के निर्णय के बारे में नहीं जानता था।'' अदालत ने आदेश दिया है कि- ''ऐसी परिस्थितियों में मेरे अनुसार, इस मामले के जांच अधिकारी के खिलाफ जांच करना आवश्यक है। मैं गिरफ्तार करने वाले अधिकारी के खिलाफ कोई और टिप्पणी नहीं कर रहा हूं क्योंकि जमानत अर्जी पर सुनवाई के समय जांच अधिकारी का पक्ष नहीं सुना गया है। लेकिन एक वरिष्ठ अधिकारी को इस मामले में जांच करनी चाहिए और इस न्यायालय के समक्ष जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए। अन्यथा, इस न्यायालय की पूर्ण पीठ के निर्णय का कोई सम्मान नहीं होगा। " अदालत ने इस मामले में पलक्कड़ के जिला पुलिस प्रमुख को निर्देश दिया है कि वह उस पुलिस अधिकारी के आचरण के बारे में जांच करे, जिसने इस मामले में याचिकाकर्ता को गिरफ्तार किया था। जबकि किसी नागरिक की गिरफ्तारी के संबंध में पूर्ण पीठ द्वारा जारी एक सामान्य निर्देश लागू था। इतना ही नहीं इस मामले में गिरफ्तारी उस समय की गई थी जब सीआरपीसी की धारा 438 के तहत एक अग्रिम जमानत अर्जी हाईकोर्ट के समक्ष लंबित थी। अदालत ने डीपीसी को 30 दिनों के भीतर या तो खुद या एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के माध्यम से जांच पूरी करने और हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा अदालत ने याचिकाकर्ता-अभियुक्त की जमानत याचिका को यह कहते हुए स्वीकार कर लिया कि आईपीसी की धारा 354ए के तहत यह मामला जमानतीय है। वहीं आरोपी पर पाॅक्सो एक्ट की धारा 7,8,9 व 10 के तहत लगाए गए शेष अपराधों की प्रासंगिकता अभी आगे की जांच का विषय है। इस प्रकार अदालत ने यह निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता-अभियुक्त को जमानत पर रिहा कर दिया जाए। न्यायालय ने कहा था कि इसके लिए उसे एक व्यक्तिगत बांड देना होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जब भी आवश्यक हो वह संबंधित न्यायालय के समक्ष उपस्थित होगा। इसके अलावा, वह क्षेत्राधिकार पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर के सामने पेश होगा और अपना फोन नंबर और उस स्थान का पता उनको बताएगा,जहां पर वह जमानत मिलने के बाद रहने वाला है। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया है कि यदि वर्तमान में अदालत काम नहीं कर रही हैं तो याचिकाकर्ता को न्यायिक अदालत के कामकाज के शुरू होने के एक सप्ताह के भीतर 50 हजार रुपये की राशि का बांड व दो जमानती कोर्ट की संतुष्टि के लिए प्रस्तुत करने होंगे। मामले का विवरण- केस का शीर्षक- प्रसाद बनाम केरल राज्य व अन्य। केस नंबर-बीए नंबर 2827/2020 कोरम- जस्टिस पीवी कुन्हिकृष्णन प्रतिनिधित्व-एडवोकेट जैकब सेबेस्टियन, केवी विंस्टन और अनु जैकब (याचिकाकर्ता के लिए), सरकारी वकील अजिथ मुरली और संतोष पीटर (सीनियर) (प्रतिवादी के लिए)



'प्रवासी मजदूरों सहित अन्य लोगों को उत्तराखंड लौटने का हक है, बॉर्डर पर हो रैपिड एंटीबाडी टेस्ट', उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य-सरकार को दिए निर्देश

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बुधवार (20-मई-2020) को प्रवासियों की दुर्दशा और अन्य जरूरतमंद लोगों द्वारा लॉकडाउन में सहे जा रहे कष्ट को लेकर दाखिल जनहित याचिकाओं के सम्बन्ध में यह आदेश दिया कि राज्य सरकार, उत्तराखंड राज्य की सीमाओं पर कार्यात्मक करन्तीन (Quarantine) केंद्रों को स्थापित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैथानी एवं न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने यह आदेश जारी करते हुए यह भी कहा कि इन क्वारन्टीन केंद्रों में मौजूद व्यक्तियों में से, जिनमे आईसीएमआर के दिशानिर्देशों के अनुसार कोरोना के आवश्यक लक्षण दिखाई पड़ते हैं, उनका रैपिड टेस्ट किया जाएगा। अदालत ने अपने आदेश में यह भी देखा कि, "हालांकि रैपिड एंटीबॉडी परीक्षण को नैदानिक उद्देश्यों (diagnostic purposes) के लिए आईसीएमआर द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया है, लेकिन चूंकि इस परीक्षण का परिणाम बहुत कम समय में उपलब्ध हो जाता है, इसलिए ऐसे परीक्षणों का उपयोग, केवल सर्विलांस उद्देश्यों (surveillance purposes) के लिए किया जा सकता है।" कोर्ट का यह आदेश, प्रवासियों की दुर्दशा और अन्य जरूरतमंद लोगों द्वारा लॉकडाउन में सहे जा रहे कष्ट को लेकर, हरिद्वार के सच्चदानंद डबराल द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आया। गौरतलब है कि, राज्य की सीमा के खुलने के बाद से उत्तराखंड में दो लाख से अधिक लोगों के आने की संभावना है। उत्तराखंड में नब्बे हजार से ज्यादा लोग पहले ही पहुंच चुके हैं। शेष लोग, लगातार प्रदेश में आ रहे हैं और लगभग 6000 - 7000 व्यक्ति प्रत्येक दिन विभिन्न सीमा बिंदुओं से उत्तराखंड में प्रवेश कर रहे हैं। अदालत के पूर्व के आदेश बीते बुधवार (13-मई-2020) को, हाईकोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार से दो मुद्दों पर जवाब मांगा था, - क्या, राज्य में लौटने वाले प्रत्येक व्यक्ति की चिकित्सकीय रूप से जांच की जा रही थी, क्योंकि 'थर्मल स्क्रीनिंग पर्याप्त नहीं है' और क्या राज्य में लौटने वाले लोगों का एंटीजन टेस्ट, या कोई अन्य रैपिड टेस्ट हो सकता है। अदालत ने इससे पहले मंगलवार (12-मई-2020) को राज्य सरकार से यह भी पूछा था कि क्या राज्य में 'खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013' और 'अन्तर्राज्यीय प्रवासी श्रमिक(रोज़गार और सेवा शर्त विनियमन) अधिनियम, 1979' का सही तरीके से पालन किया जा रहा है अथवा नहीं। 15-मई-2020 को सुनवाई के दौरान अदालत ने यह देखा था कि, "वर्तमान में दो लाख से अधिक व्यक्ति, पहले से ही उत्तराखंड राज्य के साथ पंजीकृत हैं। ये ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अपनी इच्छा व्यक्त की है और उन्हें उत्तराखंड लौटने की आवश्यकता है। लगभग यह सभी ऐसे व्यक्ति हैं, जो उत्तराखंड के स्थायी निवासी हैं, लेकिन देश के विभिन्न राज्यों में काम कर रहे हैं। COVID-19 महामारी के इन अजीब और कठिन समय के तहत, वे अपने गृह राज्य में वापस आना चाहते हैं। उन्हें उत्तराखंड राज्य में प्रवेश करने से नहीं रोका जा सकता है, लेकिन न्यायालय की चिंता यह है कि उनमें से कई वायरस (COVID-19) से संक्रमित हो सकते हैं और इसलिए सीमाओं पर उचित जांच आवश्यक है।" इसी दिन, अदालत ने अपने आदेश में ऐसे लोगों की रैपिड टेस्टिंग की व्यवहार्यता के बारे में राज्य सरकार से पूछताछ की थी, इसका कारण यह था कि राज्य सरकार द्वारा ऐसे लोगों की केवल थर्मल टेस्टिंग की जा रही थी, जिसे अदालत ने उपयुक्त नहीं पाया था। मामले की पिछली सुनवाई [सोमवार, 18-मई-2020] के दौरान, राज्य सरकार ने उत्तराखंड हाईकोर्ट को यह सूचित किया था कि राज्य सरकार द्वारा, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) से राज्य की सीमाओं पर उत्तराखंड लौटने वाले प्रवासियों के रैपिड टेस्टिंग और एंटीजन परीक्षण के बारे में सलाह ली जा रही है। इसे देखते हुए अदालत ने राज्य सरकार को 20 मई तक अदालत को इस बारे में सूचित करने का निर्देश दिया था। अदालत को यह बताया गया था कि, यदि ICMR ऐसा सुझाव देता है कि राज्य की सीमा पर, प्रदेश में आ रहे प्रवासियों की रैपिड टेस्टिंग की जा सकती है, तो यह परीक्षण शुरू किया जाएगा। अदालत का आज का (20-मई-2020) आदेश राज्य के एडवोकेट जनरल श्री एस. एन. बाबुलकर, भारत के सहायक सॉलिसिटर जनरल श्री राकेश थपलियाल और पक्षकारों के लिए पेश अधिवक्ताओं के बीच इन जनहित याचिकाओं को लेकर विस्तार से चर्चा हुई और अदालत ने इस चर्चा को लेकर अपनी प्रसन्नता जताई। इस चर्चा में सचिव, स्वास्थ्य विभाग, उत्तराखंड सरकार एवं महानिदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य भी वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए। हालाँकि, अदालत ने अपने आदेश में इस बात का जिक्र किया कि वर्तमान समय में जो प्रयास, राज्य प्राधिकरणों द्वारा किए जा रहे हैं, विशेष रूप से उत्तराखंड की सीमाओं पर उन व्यक्तियों की वापसी की जांच करने के लिए, जो तेजी से बढ़ती संख्या में राज्य में आ रहे हैं, वे प्रयास पर्याप्त नहीं हैं। राज्य के दूर-दराज इलाकों में मिले संक्रमित मामलों का संज्ञान लेते हुए अदालत ने कहा कि यह डर है कि राज्य में लौटने वाले लोग, इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। अदालत ने ख़ास तौर पर इस बात को रेखांकित किया कि राज्य में किसी को भी आने का हक है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि, "हम लोगों के आने के खिलाफ नहीं हैं। उन्हें आने का पूरा अधिकार है। हमारी एकमात्र चिंता यह है कि कठिन समय के दौरान सीमा पर एक उचित स्क्रीनिंग होनी चाहिए।" अदालत के आदेश में इस बात का जिक्र किया गया है कि मौजूदा समय में राज्य की सीमाओं पर ऐसे लोगों की केवल थर्मल स्क्रीनिंग और उनका साधारण मेडिकल परिक्षण हो रहा है, जोकि काफी नहीं है। उल्लेखनीय है कि अदालत ने मामले की पिछली सुनवाई में भी रैपिड टेस्टिंग परिक्षण की व्यवहारिकता पर जोर दिया था। इसी क्रम में, ICMR ने अदालत के समक्ष ऐसे कुछ निर्माताओं की सिफारिश भी की, जो रैपिड टेस्टिंग किट का निर्माण करते हैं। सचिव स्वास्थ्य विभाग, भारत सरकार ने अदालत के समक्ष यह स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि इस परीक्षण को राज्य की सीमा के बिंदुओं पर एक प्रयोग के आधार पर उपयोग में लिया जा सकता है और इसकी सफलता या विफलता के आधार पर इसे आगे चलते रहने देने या बंद करने का निर्णय किया जा सकता है। अदालत ने इस सुझाव की सराहना की। इसी के मद्देनजर अदालत द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सभी लोगों से चर्चा करने के बाद राज्य सरकार के लिए कुछ निर्देश जारी किये गए। अदालत द्वारा राज्य सरकार के लिए जारी किये गए निर्देश * राज्य की प्रत्येक सीमा बिंदु पर, राज्य सरकार कार्यात्मक करन्तीन केंद्रों (Quarantine Centers) को स्थापित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। इन करन्तीन केंद्रों में, ऐसे सभी लोग को, जो देश के अन्य रेड जोन क्षेत्रों से आ रहे हैं, उन्हें एक सप्ताह की अवधि के लिए रखा जाएगा। * इन करन्तीन केन्द्रों में मौजूद व्यक्तियों में से, जिनमे आईसीएमआर के दिशानिर्देशों के अनुसार कोरोना के आवश्यक लक्षण दिखाई पड़ते हैं, उनका आरटी-पीसीआर के लिए परीक्षण किया जाएगा * हालांकि रैपिड एंटीबॉडी परीक्षण को नैदानिक उद्देश्यों (diagnostic purposes) के लिए



आईसीएमआर द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया है, लेकिन चूंकि इस परीक्षण का परिणाम बहुत कम समय में उपलब्ध हो जाता है, इसलिए ऐसे परीक्षणों का उपयोग, केवल सर्विलांस उद्देश्यों (surveillance purposes) के लिए किया जा सकता है। कम से कम थर्मल स्क्रीनिंग द्वारा निगरानी की तुलना में यह एक बेहतर निगरानी होगी। गौरतलब है कि अदालत के समक्ष ICMR का प्रतिनिधित्व कर रहे भारत के सहायक सॉलिसिटर जनरल, श्री राकेश थपलियाल, यह बयान दिया कि ICMR को कोई आपत्ति नहीं है यदि केवल सर्विलांस के उद्देश्यों के लिए रैपिड टेस्टिंग की जाती है, लेकिन यह निर्णय राज्य प्राधिकरण द्वारा लिया जाना है। * रैपिड टेस्ट किट को तुरंत खरीदा जाए और राज्य की सीमा बिंदुओं पर प्रयोग के आधार पर लोगों का परीक्षण इस पद्धति से किया जाए । एलिसा किट का जिक्र अदालत को आईसीएमआर ने यह बताया कि एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (Integrated Disease Surveillance Programme) के तहत "एलिसा किट" नामक एक परीक्षण किट को मंजूरी दी गयी है, जिसे राज्य सरकार को उपलब्ध कराया जा सकता है। अदालत ने आदेश दिया कि, "उत्तराखंड के जिला पौड़ी गढ़वाल में पहले भी इस तरह के परीक्षण किए जा चुके हैं। इसे अन्य जिलों में भी सर्विलांस के उद्देश्य से किया जाए।" भारत के सहायक सॉलिसिटर जनरल, श्री राकेश थपलियाल ने हाईकोर्ट को यह आश्वस्त किया कि जैसे ही राज्य सरकार, इन किटों की मांग करती है, वैसे ही उनकी आवश्यकता के आधार पर बिना किसी और देरी के उन्हें किट की आपूर्ति की जाएगी। अदालत ने मामले को 2-जून-2020 के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा कि एडवोकेट जनरल अदालत के समक्ष अदालत द्वारा प्रदान किये गए बिन्दुओं के आधार पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें। मामले का विवरण: केस टाइटल: सच्च्दानंद डबराल बनाम भारत संघ एवं अन्य केस नं: Writ Petition (PIL) No। 58 of 2020 कोरम: न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैथानी एवं सुधांशु धूलिया उपस्थिति: श्री शिव भट्ट (याचिकाकर्ता के लिए); श्री एस। एन। बाबुलकर, एडवोकेट जनरल, श्री एच। एम। रतुरी, डिप्टी एडवोकेट जनरल, श्री विनोद नौटियाल, डिप्टी एडवोकेट जनरल और श्री परेश त्रिपाठी, मुख्य स्टैंडिंग काउंसल। राकेश थपलियाल, भारत के सहायक सॉलिसिटर जनरल आदेश डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें TAGSMIGRANT WORKERS #UTTARAKHAND #UTTARAKHAND HIGH COURT 


पटना हाईकोर्ट ने ब‌िहार सरकार से कहा, COVID 19 राहत कार्यों में गैर-सरकारी संगठनों की मदद नहीं लेने की नीति पर पुनर्व‌िचार करें

पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार से आग्रह किया है कि सरकार COVID-19 संकट के निस्तारण में सिविल सोसायटी के सदस्यों की मदद नहीं लेने की नीति पर पुनर्विचार करे। चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने कहा कि "लोकतांत्रिक समाज में, सिविल सोसायटी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, ‌विशेष कर आपदा के समय में"। पीठ एओआर पारुल प्रसाद की ओर से दायर याच‌िका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्हें अनुसंधान सहयोगी अक्षत अग्रवाल (अंतिम वर्ष, जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल) ने सहायता की थी। याचिका में जिला मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उन्होंने नागरिक समाज संगठनों और एनजीओ को जरूरतमंद लोगों की मदद और राहत देने की अनुमति नहीं दी थी। 19 मई को अदालत ने एक अन्‍य वकील राजीव रंजन की याचिका (क्वारंटीन सेंटर की स्थिति के बारे में) के साथ उक्त याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को इस मुद्दे पर उच्चतम स्तर पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया। बेंच ने कहा, "हमारा विचार है कि शायद यह सार्वजनिक हित में होगा, राज्य के हित में भी होगा, कि सरकार स‌िव‌िल सोसायटी के सदस्यों से व्यक्तिगत या सांगठनिक आधार पर सहयोग न लेने की अपनी पुरानी नीति पर दोबारा गौर करे, व‌िशेष कर रेलवे स्टेशन पर या क्वारंटीन सेंटरों में भीड़ को मैनेज करने जैसे मामलों में। हम इनमें कोई नुकसान नहीं देखते हैं, खासकर जब सिविल सोसायटी ऐसे काम, किसी क्रेडिट का दावा किए बिना, स्वैच्छिक आधार पर करना चाहती है। हम पहले ही यह राय व्यक्त कर चुके हैं कि लोकतांत्रिक समाज में, आपदा के समय में सिविल सोसायटी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। हम यह देख सकते हैं कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 35 के तहत, सरकार के लिए प्राधिकरण का गठन करना अनिवार्य है, चाहे वह राष्ट्रीय स्तर पर हो, राज्य स्तर या जिला स्तर पर हो और इनमें गैर सरकारी संगठनों की भूमिका को संसद ने भी स्वीकार किया है।" अदालत ने स्वराज अभियान (I) बनाम यून‌ियन ऑफ इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट की मिसाल का हवाला देते हुए कहा; "स्वराज अभियान बनाम यूनियन ऑफ इंडिया व अन्य (2016) 7 SCC 498 में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने बिहार राज्य में सूखे के मुद्दे के निस्तारण के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिनमें से एक इस प्रकार था- 97.8. मानवीय पहलू जैसे कि प्रभावित क्षेत्रों से पलायन, आत्महत्या, अत्यधिक तनाव, महिलाओं की दुर्दशा और बच्चे आदि ऐसे कारक हैं जिन्हें राज्य सरकारों द्वारा सूखे से संबंधित मामलों में...ध्यान रखा जाना चाहिए। पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न और पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, हालांकि इन्हीं कारकों पर ध्यान पर्याप्त नहीं है।" कोर्ट ने कहा कि सूखे के कारण होने वाली आपदा के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए उपरोक्त निर्देश COVID 19 की मौजूदापरिस्थितियों में भी समान रूप से लागू होंगे। पीठ ने कहा कि भारत की 1/10 वीं आबादी बिहार में रहती है और देश के विभिन्न हिस्सों से लगभग आठ लाख लोग वापस आ रहे हैं, बाकी चीजों को छोड़ दें तो मानव प्रबंधन की खुद एक समस्या, जिस पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है। कोर्ट ने आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव, बिहार सरकार को निर्देश दिया कि अगली तारीख से पहले सभी मुद्दों पर हलफनामा दाखिल करें। मामले की अगली सुनवाई 22 मई को होगी। पिछले महीने, मद्रास हाईकोर्ट ने राजनीतिक दलों, गैर सरकारी संगठनों और आम लोंगों को कई शर्तों के साथ COVID-19 राहत कार्य में भाग लेने की अनुमति दी थी।

https://hindi.livelaw.in/category/top-stories/civil-society-cant-be-ignored-in-a-democratic-society-patna-hc-urges-state-to-reconsider-policy-of-not-engaging-ngos-for-covid-19-relief-157073


शनिवार, 16 मई 2020

सभी बाहर से आये प्रवासी मजदूर को बसों से उनके गंतव्य स्थान तक पहुचाये जायेंगे - जिलाधिकारी

  जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह एवं अशोक कुमार द्वारा मुख्य राजस्व अधिकारी डॉक्टर सुनील वर्मा, अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण संजय राय एवं अन्य अधिकारियों के साथ मुंगराबादशाहपुर के पांडेपुर में जौनपुर-इलाहाबाद बॉर्डर का निरीक्षण किया गया। यहां आने वाले प्रवासी मजदूर जो मुंबई से ट्रकों से आ रहे थे उन्हें बस के माध्यम से उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाए जाने की व्यवस्था की गई थी। जिलाधिकारी ने प्रवासी मजदूरों से कहा कि उन्हें किसी प्रकार की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।



शासन के निर्देशानुसार सभी को बसों द्वारा उनके गंतव्य स्थल तक सुरक्षित पहुंचाया जाएगा। जिसके लिए बॉर्डर पर 10 बस लगाने के निर्देश जिलाधिकारी ने सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी को दिए। जिलाधिकारी ने कहा कि कोई भी मजदूर पैदल न चले न ही असुरक्षित तरीके से ट्रकों से जाएं। प्रत्येक थाने स्तर पर एक बस तथा बॉर्डर पर चार-चार बसें प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाने की व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा की गई है। जिलाधिकारी ने कहा कि आवश्यकता होने पर और भी बसें लगाई जाएंगी। 


लॉकडाउन का पालन न कराने पर एफआईआर दर्ज

 जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि कोविड-19 के दृष्टिगत जनपद जौनपुर में लॉकडाउन का पालन कराने हेतु जनपद के प्रत्येक थानाध्यक्ष को 5-5 गांव के निरीक्षण हेतु निर्देशित किया गया था जिसके क्रम में शनिवार को 27 थानों में से 85 ग्रामों का निरीक्षण किया गया तथा कोतवाली जौनपुर में 02 लोगों के विरुद्ध मुकदमा अपराध संख्या 188/20 धारा 188, 269 आईपीसी व 3 महामारी अधिनियम 1997 के तहत लॉकडाउन का उल्लंघन करने के कारण समरजीत यादव पुत्र लालसा  यादव,  मोहम्मद आसिफ पुत्र मोहम्मद इस्लाम तथा थाना मछलीशहर में मुकदमा  अपराध संख्या 71/20 धारा 1170, 269 आईपीसी के तहत 05 लोगों अरुण कुमार उपाध्याय पुत्र सीताराम उपाध्याय, धीरेंद्र पुत्र राजाराम, रोहित कुमार पुत्र स्वर्गीय शिवशंकर, चंद्रमा सिंह पुत्र हरी प्रसाद, अंकित कुमार पुत्र श्याम नारायण सिंह के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है। प्रतिदिन थाना प्रभारी स्वयं 05 गांव व उनके अधीन प्रत्येक उपनिरीक्षक पांच गांवों का भ्रमण करेंगे वह देखेंगे की निगरानी समिति सही ढंग से कार्य कर रही है कि नहीं तथा बाहर राज्यों से आए लोग होम क्वॉरेंटाइन कर 21 दिन का पालन हर हाल में करें, जो नहीं करेंगे उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज की जाएगी।
                                                 


इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी सेंटर जौनपुर द्वारा प्रशिक्षित बालिकाओं व महिलाओं को निःशुल्क सिलाई मशीन का किया गया वितरण

इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी सेंटर जौनपुर द्वारा जिला संयोजक सत्येंद्र प्रताप सिंह की मौजूदगी में समस्त प्रशिक्षित बालिकाओं व महिलाओं को निःशुल्क सिलाई मशीन का वितरण किया गया। बालिकाओं व महिलाओं ने कहा कि यह सिलाई मशीन से मास्क बनाने का अभी उपयोग किया जायेगा। इस अवसर पर महेंद्र प्रताप सिंह, गणेश चौहान, प्रमोद, लाल जी सिंह, अजय सिंह आदि लोग उपस्थित रहे।



गोलू सिंह उर्फ शिवम सिंह नि0 ग्राम दरियाव गंज थाना बक्शा जौनपुर को गिरफ्तार कर दो अदद जिन्दा कारतूस 315 बोर का किया गया बरामद

श्रीमान पुलिस अधीक्षक महोदय द्वारा अपराध नियत्रण हेतु वांछित अपराधियो के विरुद्ध चलाये जा रहे चेकिग अभियान के तहत श्रीमान पुलिस अधीक्षक ग्रामीण महोदय के प्रवेक्षण  एवं श्रीमान क्षेत्राधिकारी सदर महोदय के मार्गदर्शन में प्र0 नि0 विजयशंकर सिह मय हमराह द्वारा मु0अ0स0 101/20 धारा 307/323/504 भादवि से सम्बन्धित अभियुक्त गोलू सिंह उर्फ शिवम सिंह पुत्र राजेश कुमार सिह नि0 ग्राम दरियाव गंज थाना बक्शा जौनपुर को गिरफ्तार कर उसके कब्जे से दो अदद जिन्दा कारतूस 315 बोर का बरामद किया गया जिसके आधार पर मु0अ0सं0 103/20 धारा 3/25 आर्मस एक्ट पंजीकृत कर  आवश्यक विधिक कार्यवाही की जा रही है।  



गिरफ्तार अभियुक्तः-



  1. गोलू सिंह उर्फ शिवम सिंह पुत्र राजेश कुमार सिह नि0ग्राम दरियाव गंज थाना बक्शा जौनपुर                 


आपराधिक इतिहास-



  1. मु0अ0स0 101/2020धारा 323/504/307 भादवि थाना बक्शा जौनपुर।

  2. मु0अ0सं0 103/20 धारा 3/25 आर्मस एक्ट थाना बक्शा जौनपुर ।


 गिरफ्तारी करने वाली टीमः-


1.श्री विजयशंकर सिह, प्रभारी निरीक्षक थाना बक्सा जौनपुर।



  1. उ0नि0श्री हरिश्चन्द राव थाना बक्शा जौनपुर 


 3.हे0का0 संजय ओझा, का0 चंचल यादव थाना बक्शा जौनपुर