जौनपुर, देश दुनिया मे जौनपुर सितारे हिंद के नाम से मशहूर है शायद यहा कभी बहुत बड़े बड़े काम करके यहा के लोगो ने यह प्रसंसनीय खिताब पाया है, मगर आज का जौनपुर पूरी तरह से भ्रष्टाचार के दल द लमे डूबता जा रहा है ऐसे मे समझ मे भ्रष्टाचारियो की शिकायत करने से पहले यह गीत याद आ जाता है कि “ चिंगारी कोई भड़के ,तो सावन उसे बुझाये , सावन जो अगन लगाये उसे कौन बुझाये?” यही गीत इस प्रकरण मे एकदम सटीक बैठता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार थाना सरायख्वाजा अंतर्गत शिकारपुर चैकी (Shikarpur Chauki) के पुलिस कांसटेबल सुशील कुमार यादव एवं ग्राम सभा हरबसपुर(छुंछा) के लेखपाल धर्मव्रत यादव से बुरी तरह पीड़ित व्यक्ति रामकृष्ण यादव पुत्र विजय बहादर यादव निवासी ग्राम सभा हरबसपुर(छुंछा) थाना सरायख्वाजा जनपद जौनपुर ने अपने लिखित बयांन मे बताया है कि वह लगभग 4 वर्ष से पुलिस विभाग तथा राजस्व विभाग द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है पीड़ित के बयांन के अनुसार दिनांक १८ध्६ध्२०२० को हल्का लेखपाल धर्मव्रत यादव कानूनगो रवि शंकर दो सिपाहियों के साथ दिन में 10रू30 बजे पीड़ित की अनुपस्थिति में पीड़ित के घर आ पहुंचे घरवालों के पूछने पर लेखपाल द्वारा बताया गया कि विपक्षी प्रेमचंद यादव पुत्र निरहू यादव गुलाब चंद यादव पुत्र घूरहु यादव द्वारा शिकायत की गई है आप लोग मुकदमे की जमीन 1388क व 1401 पर नव निर्माण कार्य कर रहे हो जिसे सुनकर घरवाले आश्चर्यचकित हो गए क्योकि लेखपाल साहब जिस निर्माण कार्य की बात कर रहे थे वह सब कार्य जैसे घर मड़हा लैट्रिंग आदि पूर्व समय में कानूनी कार्यवाही के तहत 1388क व 1401 आराजी नम्बर के बाहर बाहर किया गया था मौके पर उपस्थित लोगों ने लेखपाल से जांच करने के लिए कहा तो जाच मे पीड़ित के सभी कार्य आ0न0 1388क व 1401 के बाहर पाया गया इसके बावजूद लेखपाल धर्मव्रत यादव के कहने पर पुलिस बल के द्वारा पीड़ित के बुजूर्ग दादा एवं बहन को धमकाते हुए कहा गया कि आ0न0 1398 अविभाजित लैंड में भी कोई कार्य नहीं करेंगे जिस पर कोई मुकदमा नहीं चल रहा है। जब घर वालों ने पूछा आप किस अधिकारी के आदेश पर तथा किस शिकायत पर पुलिस बल के साथ मेरे घर आए हैं तो लेखपाल द्वारा कहां गया कोई प्रार्थना पत्र नहीं है केवल सादे कागज पर लिखकर बताया गया है कि आप यहां कोई कार्य नहीं करेंगे हम इस क्षेत्र के लेखपाल है हम जो कहेंगे वही प्रार्थना पत्र मे शिकायत है और जिस काम के लिए मना करेगे वही कानून है। पीड़ित परिवार के साथ घटने वाली यह घटना पहली बार नहीं थी पीड़ित के अनुसार इसी तरह उसके सामने ही लेखपाल एवं पुलिस द्वारा विपक्ष से पैसे का लेनदेन कर पीड़ित परिवार को पुलिस व राजस्व विभाग द्वारा परेशान किया जा रहा है जिसका पीड़ित के पास पुख्ता सबूत हैपीड़ित के अनुसार लेखपाल एवं पुलि के द्वारा निम्नलांकित तिथियो मे विपक्षी से पेसा लेकर मनमाना कार्यकर पीड़ित का मानसिक शोषण किया गया है। पीड़ित का पुराने घर को तोड़कर नया घर बनाया जा रहा था विपक्षी द्वारा पुलिस से पैसे का लेनदेन कर दिनांक 16.6.2016 को पीड़ित का बनाया जा रहा घर रुकवा दिया गया और कहा गया कि जिस आ0न0 1388क व 1401 पर कार्य हो रहा है उस जमीन पर मुकदमा है विपक्षीयो द्वारा राजस्व एवं पुलिस बल के सहयोग से पीड़ित का कार्य जबरन रोक दिया गया जिसमे पीड़ित द्वारा दिनांक16.9.2016 को एसडीएम सदर के समक्ष प्रार्थना पत्र दिया गया जिस पर दिनांक 16 मई 2016 को थाना इंचार्ज के के मिश्रा द्वारा मुकदमे की जमीन को सीमांकन करने के लिए कहा गया। दिनांक 4.10.2016 को राजस्व विभाग द्वारा जांच कर बताया गया की घर का निर्माण मुकदमे की जमीन से बाहर की जमीन में हो रहा है तब जाकर पीड़ित का घर बना।
इसी तरह विपक्षी द्वारा दिनांक 3.5.2017को पीड़ित द्वारा बनवाया जा रहा लैट्रिंग और छप्पर पुलिस द्वारा रुकवा दिया गया । पुन्ह दिनांक 30.3.2017 को एसडीएम के समक्ष प्रार्थना पत्र दिया गया जिस पर दिनांक 25 .4.2017 को एसआई हरि प्रकाश यादव द्वारा विवादित जमीन का सीमांकन करने के लिए कहा गया दिनांक 15 मई 2017 को राजस्व विभाग द्वारा छप्पर व लैट्रिन को विवादित जमीन से बाहर बताया गया तब जाकर कार्य हुआ।
इसी तरह घटनास्थल पर पडे ईट दिनांक 18. 6.2018 को गिराया गया है जिसका पूर्णता जिक्र जनता दर्शन में दिए गए प्रार्थना पत्र संख्या 15194180142031 में है।सबसे अधिक कष्ट इस बात की है की राजस्व विभाग व पुलिस द्वारा आज तक विपक्षियों को गुमराह कर पैसा लिया जा रहा है उन्हें 1388 का व 1401 का सही स्थान बताया ही नहीं जा रहा है न तो सीमांकन किया जा रहा है क्योंकि हल्का लेखपाल एवं सिपाही को पता है कि हकीकत बता दिया जाएगा तो दोबारा पैसा नहीं मिलेगा इस प्रकार चन्द रूपयो की लालच मे अपने कर्तव्य को भूलकर लेखपाल एवं सिपाही द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है हल्का लेखपाल एवं कांसटेबल द्वारा कि गयी कई घटनाएं हैं जिसको सारा गाव जानता है।
पीड़ित के अनुसार पीडित के घर से कुछ दूरी पर पैसे के लेनदेन की घटना पूरे गाव मे प्रचलित हो चुकी है जानकारी के अनुसार ग्राम सभा हरबसपुर निवासी राम अजोर अजीत आदि तथा इंद्रजीत व सभाजीत के मध्य 5 कड़ी नाली का विवाद चल रहा है जिस पर राम अजोर पक्ष से उस पर अपूर्ण घर बना लिया गया है जब इसकी शिकायत इंद्रजीत व सभा जी द्वारा एसडीएम से की गई तो राम अजोर पक्ष पर 15c का मुकदमा 67A. 3/5 एफ आई आर दर्ज की गई है मुकदमा होने के बावजूद भी लेखपाल व कानूनगो पैसे का लेनदेन कर हर दसवे दिन उस नाली का माप करवाते हैं अलग.अलग सरहदों को पैमाना मानते हैं और पूरी कोशिश करते है कि किसी प्रकार नाली को घर से बाहर दिखाया जाए जिससे राम अजोर का अपुर्ण घर पूर्ण हो जाये किंतु यह कहने के लिए है हकीकत यह है कि लेखपाल एवं राजस्व निरीक्षक द्वारा राम अजोर अजीत आदि पक्ष को बेवकूफ उनसे पैसा ऐठा जाता है। लेखपाल धर्मव्रत यादव एवं राजस्व निरीक्षक की करतूत इसी से पता चलती हे कि पीड़ित के आ0न0 1398 पर मु0 न होने के बाद भी उसे विवादित बताकर बिना लिखित शिकायत के रोकने आनेवाले लेखपाल राम अजोर अजीत आदि तथा इंद्रजीत व सभाजीत के मध्य मुकदमे होने के हर दसवे दिन विवादित जमीन को नापने आ जाते हैं इस प्रकरण मे पैसों का लेनदेन हरबसपुर निवासी बलराम यादव द्वारा किया जाता है जो वर्तमान में क्षेत्र पंचायत सदस्य है इस प्रकार की कई घटनाएं हैं। जबकि इसके विपरीत गांव के किसान मजदूर द्वारा 50 बार प्रार्थना पत्र देने के पश्चात सड़क नाली चक नहीं मापी जाती है बलराम यादव द्वारा पैसे के लेनदेन करने पर एक सादे कागज पर बिना किसी अनुमति के लेखपाल व पुलिस माप के लिए तैयार हो जाते हैं जिसमें पुलिस की भी अच्छी खासी कमाई हो जाती है,अपने सिपहसालारो के इस प्रसंसनीय कार्य से अंजान जिले के आला अधिकारी अंजान बैठे है या इनको जानकारी है फिर भी गरीब जनता का खून चूसने के लिए धर्मव्रत यादव जैसे रिस्वतखोर दीमक को खुला छोड़ रखे है जो पीड़ित गरीब के मन से कानून का भरोसा खतम कर रहा है।
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बुधवार, 24 जून 2020
जहा खुदगर्ज हाकिम हो वहा फरियाद क्या करना
गुरुवार, 18 जून 2020
प्रदेश सरकार ने लाॅकडाउन अवधि में 14.6 करोड़ लोगों को अब तक पाँच चरणों में 36.40 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न का किया वितरण
कोरोना वायरस के फैलने से पूरा देश लाॅकडाउन हो गया। यह महामारी ऐसे समय फैली की आम व्यक्ति इसके लिए तैयार नहीं था। लोगों का जीवन सामान्य गति से चल रहा था। हमारे देश में बड़ी संख्या में लोग विभिन्न उद्यम करके दैनिक आमदनी से अपनी आजीविका चलाते है। कोविड-19 केे कारण आमजन सुरक्षित रहे, और यह वायरस अन्य लोगों में फैलने न पाये, इसी को दृष्टिगत रखते मा0 प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश को सम्बोधित करते हुए कहा था, कि ‘‘हमे जान भी चाहिए और जहाॅन भी चाहिए‘‘। मा0 प्रधानमंत्री जी की बात को ध्यान में रखते हुए पूरे देश के सभी लोगों ने लाॅकडाउन का पूरा पूरा पालन किया। सभी तरह की मशीनरी बन्द हो गयी। प्रधानमंत्री जी को यह जानकारी थी कि देश में बड़ी जनसंख्या दैनिक आमदनी पर निर्भर है, इसलिए उन्होंने पूरे देश के गरीबों, दैनिक मजदूरों आदि के लिए आत्मनिर्भर भारत योजना एवं प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अन्तर्गत देश की जनता में खाद्यान्न वितरित कराने की व्यवस्था की। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी लाॅकडाउन के तहत गरीबों, श्रमिकों, आमजन को सार्वजानिक खाद्यान्न वितरण प्रणाली को सुदृढ़ करते हुए प्रदेश के सभी जरूरतमंद लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध करा रहे है। मुख्यमंत्री जी का ध्येय है कि पूरे प्रदेश मंे कोई व्यक्ति भूखा न रहे, सभी जरूरतमंदों को खाद्यान्न वितरित किया जाय। जिन परिवारों के राशन कार्ड है या जिनके पास नहीं है, ऐसे सभी पात्रों को खाद्यान्न वितरित किया गया। प्रदेश में अन्य प्रदेशों से वापस आये श्रमिकोें/कामगारों को भी खाद्यान्न दिया जा रहा है। मा0 प्रधानमंत्री जी की घोषणा के क्रम में प्रदेश में आत्मनिर्भर भारत योजनान्तर्गत ऐसे प्रत्येक प्रवासी/अवरूद्ध प्रवासी को, जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अन्तर्गत आच्छादित नहीं है, उन्हें 03 किलोग्राम गेहूं, 02 किलोग्राम चावल प्रति यूनिट की दर से तथा प्रति परिवार 01 किलोग्राम चना निःशुल्क वितरित किया जा रहा है। सरकार की इस योजना से लाखों श्रमिकों कामगारों को लाभ मिल है। उन्हेें निशुल्क खाद्यान्न वितरित करते हुए खाद्य सुरक्षा प्रदान की जा रही है। प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अन्तर्गत निःशुल्क 5 किलोग्राम चावल प्रति यूनिट व निःशुल्क 01 किलोग्राम चना प्रति कार्ड के हिसाब से वितरित करने की व्यवस्था की है। प्रदेश सरकार ने प्रदेश में अब तक 14.6 करोड़ लोगों को 05 चरणों के वितरण में 36.40 लाख मैट्रिक टन खाद्यान्न का वितरण किया है। 20 जून, 2020 से छठे चरण का खाद्यान्न वितरित होगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री जी के कुशल नेतृत्व का ही परिणाम है कि प्रदेश के किसी कोने से ऐसी कोई समस्या नहीं आई कि किसी गरीब, असहाय, श्रमिक को खाद्यान्न न मिला हो। लाॅकडाउन के समय सभी जरूरतमंदो को खाद्यान्न दिया गया और दिया जा रहा है। यदि किसी व्यक्ति/परिवार के पास राशनकार्ड नहीं है फिर भी उसे राशन दिया गया। खाद्य एवं रसद विभाग द्वारा 01 मई से लागू किये गये राष्ट्रीय राशन पोर्टबिलिटी के तहत 8.64 लाख अन्तःजनपदीय एवं 63,503 से अधिक अन्तर्जनपदीय लाभार्थियों ने राज्य स्तरीय पोर्टबिलिटी का लाभ उठाया है। हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना, मध्य प्रदेश आदि राज्यों के श्रमिकों/कामगारों को भी खाद्यान्न का वितरण किया गया। प्रदेश सरकार द्वारा दिव्यांगजनों, निःशक्तजनों तथा हाॅटस्पाट एरिया जहां पूर्ण लाॅकडाउन है, उन क्षेत्र के परिवारों को राशन की होम डिलीवरी की जा रही है। हर क्षेत्र, हर वर्ग के लोगों को राशन दिया जा रहा है।
लाॅकडाउन के दौरान बहुत से ऐसे परिवार, श्रमिक, गरीब और निःसहाय लोग थे, जिनके पास खाद्यान्न तो था किन्तु किसी कारणवश भोजन बना नहीं पाते थे। प्रदेश सरकार ने प्रदेश के सभी जनपदों में कम्युनिटी किचन की व्यवस्था की जिसके माध्यम से गांवों में खाना बनाकर परिवारों, श्रमिकों को बना-बनाया भोजन आपूर्ति किया गया। प्रदेश में कम्युनिटी किचन के माध्यम से 6.50 करोड़ से अधिक भोजन पैकेट लोगों के मध्य वितरित किया गया। प्रदेश सरकार कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए प्रदेश के समस्त जनपदों में अन्य प्रदेशों से आने वाले श्रमिकों/कामगारों को प्रवास के लिए विभिन्न क्वारंटीन सेन्टर एवं ट्रांजिट कैम्प बनाये गये हैं, जहां वह निवासित हैं। ऐसे लोगों को विशेष सतर्कता बरतते हुए अनुमन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति उसी सेन्टर में की जा रही है। ताकि लाभार्थियों के सुगमतापूर्वक इस योजना का लाभ प्राप्त हो जाय और उन्हें उचित दर की दुकानों पर न जाना पड़े।
कोविड-19 के कारण हुए लाॅकडाउन के दौरान प्रदेश सरकार की सुदृढ़ सुव्यवस्थित वितरण प्रणाली के कारण ही प्रदेश के गांवोे, कस्बों, नगरों, में हर जरूरमंद को खाद्यान्न लगातार मिल रहा है। उ0प्र0 के श्रमिक/ कामगार जो देश के अन्य प्रदेशों से आये हैं, उन्हें प्रदेश सरकार सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा मुहैया करा रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री जी के निर्देश के क्रम में जिनके पास राशनकार्ड नहीं है, अथवा राशनकार्ड मिलने में देरी हो रही है, ऐसे लोगो को ग्राम प्रधान पंचायत निधि से 1000 रूपये दे रहे है। इसके लिए पंचायती राज विभाग द्वारा बजट जारी कर दिया गया है। मुख्यमंत्री जी ने नये राशनकार्ड बनाने की प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिये है।
टेलीकॉम कंपनियो से अपने वित्तीय दस्तावेज़ जमा करने को कहा , सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दूरसंचार विभाग (डीओटी) के आवेदन, जिसमें 20 साल से अधिक समय में एजीआर से संबंधित बकाया का निपटान करने की अनुमति लेने की मांग की गई है, उस पर विचार करते हुए टेलीकॉम कंपनियों को अपने वित्तीय दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने दूरसंचार कंपनियों के प्रस्तावों पर विचार करने के लिए डीओटी को समय दिया। केस जुलाई के तीसरे सप्ताह के दौरान सुनवाई के लिए लिया जाएगा। सुनवाई के दौरान, पीठ ने सुरक्षा और गारंटी के बारे में पूछा जो बकाया भुगतान सुनिश्चित करने के लिए दूरसंचार कंपनियों से मांगी जा सकती है। वोडाफोन आइडिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि इसने पहले ही डीओटी को 7,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। उन्होंने कहा कि 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की बैंक गारंटी डीओटी के पास है, जिसे सिक्योरिटी माना जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि 20 साल से अधिक की किश्तों में भुगतान AGR की बकाया राशि को चुकाने का एकमात्र तरीका है। उन्होंने कहा, "कंपनी को कमाना और भुगतान करना है, और यही एकमात्र तरीका है।" पीठ ने यह कहते हुए जवाब दिया कि वोडाफोन एक "बड़ी विदेशी कंपनी" है और उन्हें कुछ डाउन पेमेंट करना होगा। न्यायमूर्ति एम आर शाह ने कहा, "आपको कुछ राशि जमा करनी चाहिए। सरकार को जनता के लिए इस धन की आवश्यकता है, विशेष रूप से महामारी के दौरान।" टाटा टेलीसर्विसेज की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद पी दातार ने कहा कि उनके मुवक्किल ने 37000 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। उन्होंने कहा कि महामारी ने कंपनी की आय को बुरी तरह प्रभावित किया है। भारती एयरटेल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ एएम सिंघवी ने कहा कि उनके मुवक्किल ने पहले ही 21000 करोड़ रुपये में से 18,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। उन्होंने कहा कि डीओटी के पास 10,800 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी लंबित है। यह मुद्दा गैर-दूरसंचार स्रोतों से राजस्व को शामिल करने के लिए 'एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू' (एजीआर) की व्याख्या करने वाले सुप्रीम कोर्ट के अक्टूबर 2019 के फैसले से भी उठा, जिसके परिणामस्वरूप टेलीकॉम कंपनियों को दूरसंचार लाइसेंस के उपयोग के लिए 1.42 लाख करोड़ रुपये से अधिक की देनदारी का सामना करना पड़ा। मार्च में, DoT ने एक आवेदन दायर कर टेलीकॉम कंपनियों को 20 साल से अधिक की अवधि में बकाया राशि का निपटान करने की अनुमति देने की मांग की थी। केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दूरसंचार विभाग (DoT) ने गैर-दूरसंचार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, (जैसे गेल ) के खिलाफ समायोजित सकल राजस्व की 4 लाख करोड़ रुपये की 96 प्रतिशत राशि को वापस लेने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अक्टूबर 2019 के फैसले में ये कहा था। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस एमआर शाह की बेंच को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि "हमने एक निर्णय लिया है क्योंकि वे आम जनता को टेलीकॉम सेवाएं प्रदान करने के व्यवसाय में नहीं हैं, हम इन PSU के 96% से बकाया की मांग वापस ले रहे हैं।"
पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र पर की गई रिपोर्टिंग में गलत बयान छापने का आरोप ,उत्तर प्रदेश पुलिस ने 'द स्क्रॉल' की पत्रकार सुप्रिया शर्मा के खिलाफ दर्ज की एफआईआर
वेबसाइट स्क्रॉल डॉट इन की कार्यकारी संपादक सुप्रिया शर्मा के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई गई है। शर्मा ने लॉकडाउन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के एक गांव की हालत पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। रामनगर पुलिस थाने में एफआईआर दज कराने वाली माला देवी ने आरोप लगाया है कि सुप्रिया शर्मा ने अपनी रिपोर्ट में उनके बयान को गलत तरीके से प्रकाशित किया है और झूठे दावे किए हैं,पुलिस ने शर्मा के खिलाफ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के संबंधित प्रावधानों के साथ आईपीसी की धारा 501 (ऐसे मामलों का प्रकाशन या उत्कीर्णन, जो मानहानिकारक हों) और धारा 269 (लापरवाही, जिससे खतरनाक बीमारी के संक्रमण को फैलाने की आशंका हो) के तहत मामला दर्ज किया है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में लॉकडाउन के प्रभावों पर आधारित अपनी रिपोर्ट में, जिसका शीर्षक था- प्रधानमंत्री के गोद लिए गांव में लॉकडाउन के दौरान भूखे रह रहे लोग, सुप्रिया शर्मा ने माला के बयान को प्रकाशित किया था, जो कि कथित रूप से घरेलू कर्मचारी हैं। रिपोर्ट में कहा गया था कि माला को लॉकडाउन के दौरान बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ा, उन्हें राशन की कमी तक पड़ गई। हालांकि, 13 जून की एफआईआर में माला देवी ने दावा किया है कि वह घरेलू कर्मचारी नहीं हैं और उनकी टिप्पणियों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने दावा किया कि वह वाराणसी की नगरपालिका में ठेके पर सफाई कर्मी हैं, और उन्होंने लॉकडाउन के दौरान किसी भी संकट का सामना नहीं किया। उन्हे भोजन भी उपलब्ध था। माला ने कहा, " शर्मा ने मुझसे लॉकडाउन के बारे में पूछा; मैंने उन्हें बताया कि न तो मुझे और न ही मेरे परिवार में किसी को कोई समस्या है।" एफआईआर में माला देवी कहती हैं, "यह कहकर कि मैं और बच्चे भूखे हैं, सुप्रिया शर्मा ने मेरी गरीबी और मेरी जाति का मजाक उड़ाया है। उन्होंने समाज में मेरी भावनाओं और मेरी प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाई है।" माला ने शर्मा और स्क्रॉल के एडिटर इन चीफ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी। स्क्रॉल डॉट इन ने हालांकि दावा किया है कि माला देवी की टिप्पणियों को "सटीकता" के साथ रिपोर्ट किया गया है और एफआईआर स्वतंत्र पत्रकारिता को "डराने और चुप कराने" का प्रयास है। स्क्रॉल एडिटोरियल ने वेबसाइट पर प्रकाशित एक बयान में कहा, "स्क्रॉल डॉट इन ने 5 जून, 2020 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी के डोमरी गांव की माला का साक्षात्कार किया। उनके बयान को आलेख में सटीकता के साथ रिपोर्ट किया गया। स्क्रॉल डॉट इन लेख का समर्थन करता है, जिसे प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र से रिपोर्ट किया गया है। यह एफआईआर COVID-19 लॉकडाउन के दौरान कमजोर समूहों की स्थितियों पर रिपोर्टिंग करने की कीमत पर स्वतंत्र पत्रकारिता को डराने और चुप कराने का एक प्रयास है।
प्रताप सेना हिन्दू संघ द्वारा चीन के राष्ट्रपति का निकाला गया शव यात्रा
आज जनपद जौनपूर में प्रताप सेना हिन्दू संघ द्वारा जिला प्रभारी सौरभ सिंह के नेतेत्व में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का चाइना मुर्दाबाद नारों के साथ निकाला गया ।जिसे नई गंज तिराहा पर फूका गया ।साथ ही चाइनीज सामानों के पूर्ण रूप से बहिष्कार का संकल्प लिया गया।अध्यछ शिवी सिंह ने कहा कि चीन को कड़ा जवाब देना चाहिए।जिसमें भारतीय सेना पूर्णतः सछम है।कार्यक्रम में शिवी सिंह के साथ साथ संगठन मंत्री नीरज सिंह ,महासचिव सनी सिंह राज,जिला प्रभारी सौरव सिंह ,अजय कुमार ,गोपाल सिंह प्रांजल ,अभिषेक, आदित्य ,कपिल ,बाबा धीरज आदि उपस्थित रहे।
शनिवार, 6 जून 2020
थाना सरायख्वाजा पुलिस द्वारा 2 किलो 215 ग्राम गांजा के साथ टाप-10 अपराधी राहुल उर्फ मंजीत गिरफ्तार
पुलिस अधीक्षक जौनपुर द्वारा जनपद में चलाये जा रहे अपराध एवं पुरस्कार घोषित अपराधियों , व अबैध शराब गांजा विक्री करने वाले अपराधियों के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियान के तहत, अपर पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) एवं क्षेत्राधिकारी सदर जौनपुर के निर्देशन में उ0नि0रामसुन्दर सिंह , उ0नि0 अवधनाथ यादव मय हमराह हे0का0 रविन्द्र सिंह का0 सुनील कुमार का0 रवि कुमार के द्वारा मुखबीर की सूचना अभियुक्त राहुल उर्फ मंजीत यादव पुत्र अरुण यादव निवासी पकड़ी थाना सरायख्वाजा जौनपुर को एक झोला जिसमें लगभग 2 किलो 215 ग्राम गांजा नजायज के साथ दिनांक 04.06.2020 को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी व बरामदगी के आधार पर थाना स्थानीय पर मु0अ0सं0 146/20 धारा 8/20 एन.डी.पीएस एक्ट पंजीकृत किया गया तथा अभियुक्त को जेल भेजा गया । अभियुक्त राहुल उर्फ मंजीत थाना स्थानीय का टाप -10 की श्रेणी का अपराधी है ।
थाना सरायख्वाजा पर तैनातपीआरवी 2342 ने संदिग्ध से मोटरसाइकिल बरामद कर थाने के सुपुर्द किया
पीआरवी 2342 को दिनाँक 05/06/2020 को समय 02:30 बजे थाना सरायख्वाजा अन्तर्गत अपने निर्धारित रुट चार्ट के अनुसार गश्त पर थीतभी भैसोली पेट्रोल पम्प के पास एक संदिग्ध मोटरसाइकिल सवार दिखा, जिसे पीआरवी ने रुकने का इशारा किया, जिस पर संदिग्ध ने कुछ दूर पहले ही मोटरसाइकिल छोड़कर खेत में कूदर भाग गया । पीआरवी ने पास जाकर देखा तो मोटरसाइकिल संख्या यूपी 65 एस 3355 में चाभी भी नहीं लगी थी । पीआरवी ने बरामदाल छोड़कर खेत में कूदर भाग गया । पीआरवी ने पास जाकर देखा तो मोटरसाइकिल संख्या यूपी 65 एस 3355 में मोटरसाइकिल को स्थानीय थाने के सुपुर्द किया ।
थाना नेवढ़िया पुलिस द्वारा गैर इरादतन हत्या के वांछित दो अभियुक्त गिरफ्तार-
पुलिस अधीक्षक जौनपुर के द्वारा चलाये जा रहे अपराध एवं वांछित अपराधियो के विरूद्ध गिरफ्तारी विषयक अभियान के अनुपालन मे तथा अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण के कुशल निर्देशन एवं क्षेत्राधिकारी मड़ियाहू के निकट पर्यवेक्षण मे उ0नि0लालबहादुर सिंह प्रभारी पुलिस चौकी सीतम सराय थाना नेवढ़िया जनपद जौनपुर हमराही पुलिस बल का0 उमेश कुमार यादव , का0 संस्कार कुशवाहा के साथ मु0अ0स0 88/2020 धारा 147/148/323/504/506/427/304 भादवि थाना नेवढ़िया जनपद जौनपुर से सम्बन्धित अभियुक्तगण 1. वीरेन्द्र कहार उम्र 46 वर्ष पुत्र स्व0 सेवालाल 2.करन कहार उम्र 18 वर्ष पुत्र हिन्ता कहार नि0गण ग्राम लाखापुर थाना नेवढ़िया जनपद जौनपुर को गिरफ्तार किया गया आवश्यक विधिक कार्यवाही की जा रही है।
थाना खेतासराय पुलिस द्वारा 01 शराब तस्कर माफिया गिरफ्तार
पुलिस अधीक्षक जौनपुरद्वारा अपराध एवम् अपराधियों की गिरफ्तारी हेतु चलाये जा रहे अभियान के अनुपालन के क्रम मेंअपर पुलिस अधीक्षक नगर के निर्देशन मेव क्षेत्राधिकारी शाहगंज जौनपुर के कुशल पर्यवेक्षण मेंउ0नि हरिशंकर यादव मय हमराह हे0का0 जयराम यादव व का0 राजकुमार यादव द्वारादिनांक 05.06.2020 को मु0अ0सं0-269/19 धारा 60,60(2) आबकारी अधिनियम व 419,420,467,468 भादवि थाना खेतासराय , जौनपुर मे वांछित अभियुक्त शोले राजभर पुत्र जियालाल राजभर निवासी जपटापुर थाना सरायख्वाजा जौनपुर को गिरफ्तार किया गया । अभि0 उपरोक्त की गिरफ्तारी से इस प्रकार के अपराधो पर अंकुश लगेगा । अभि0गण का आपराधिक इतिहास है।
थाना सिंगरामऊ पर तैनात पीआरवी 2350 ने बस में छूटे बैग को बस का पीछाकर बैग बरमाद करते हुये कॉलर के सुपुर्द किया गया
थाना सिंगरामऊ पर तैनात पीआरवी 2350 को दिनाँक 05/06/2020 को समय 07:58 बजे इवेंट 1700 पर थाना सिंगरामऊ अन्तर्गत मछलीशहर से कॉलर ने सूचना दी कि मेरा बैग जौनपुर से लखनऊ जा रही गोला डिपो की बस संख्या यूपी 30 टी 8161 में छूट गया है, जो बदलापुर के लिये निकली है । इस सूचना पर पीआरवी ने तत्काल कार्वाइ करते हुये बस का काफी दूर पीछा किया तो रास्ते में एक बस दिखाई दी, जिसका नम्बर कॉलर द्वारा दिये गये नम्बर से मिल रहा था । पीआरवी ने त्वरित कार्रवाई करते हुये बस को रोकने का इशारा किया । पीआरवी ने कॉलर को मौके पर बुलाकर बैग की पहचान करवाते हुये बैग उसके सुपुर्द किया ।
मध्य प्रदेश का एक पूरा थाना कर दिया गया 'क्वारेंटाइन' : गेट पर जड़ा ताला और स्टाफ को भेजा घर
ग्वालियर. ग्वालियर (gwalior) जिले के चीनौर थाने को स्वास्थ विभाग ने क्वारेंटाइन (Quarantine) कर दिया है. इस थाने में तैनात सभी 20 पुलिस वालों को क्वारेंटाइन कर दिया गया है. थाने परिसर को बंद कर मेन गेट पर ताला (lock) लगा दिया गया है और परिसर के बाहर शिकायत पेटी लटका दी गयी है.थाना क्वारेंटाइन होने के बाद इस इलाके में कानून व्यवस्था (low & order) पर संकट खड़ा हो गया है.इसकी वजह एक सिपाही है जो कोरोना पॉजिटिव निकला है.
भोपाल के सिपाही ने की थी लॉकडाउन ड्य़ूटी
मार्च महीने में भोपाल में तैनात एक सिपाही ग्वालियर जिले के चीनौर थाना क्षेत्र में अपने गांव में छुट्टी मनाने आया था. उसी दौरान देश व्यापी लॉक डाउन हो गया.सिपाही अपने गांव में ही फंसा रह गया. उसके बाद विभाग ने आदेश दिया कि वो चीनौर थाने में आमद देकर ड्य़ूटी शुरू करे. करीब दो महीने तक इस सिपाही ने चीनौर थाने में ड्यूटी की. लॉक डाउन खुलने के बाद विभाग से फिर नया आदेश आया और सिपाही को एक जून को चीनौर से भोपाल रवाना कर दिया गया.भोपाल पहुंचने पर जब इस सिपाही का कोरोना टेस्ट कराया गया, तो उसकी रिपोर्ट पॉज़िटिव आयी. खबर मिलते ही हड़कंप मच गया और स्वास्थ विभाग के निर्देश पर चीनौर थाने को बंद कर 20 पुलिसकर्मियों को क्वारेंटाइन कर दिया गया. अब थाने के गेट पर ताला और बाहर शिकायत पेटी लटक रही है.
MP बोर्ड का बड़ा फैसला, परिवार में कोरोना पॉजिटिव तो बच्चे नहीं दे सकेंगे 12वीं की परीक्षा
भोपाल. लॉकडाउन (Lockdown 5.0) के बाद अब शिक्षा व्यवस्था भी फिर पटरी पर आने वाली है. मध्य प्रदेश में 12वीं बोर्ड की परीक्षा (Board Exam) 9 जून से शुरू होने जा रही है. इसे लेकर अब सरकार की ओर से सभी जरूरी दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं. सरकार के मुताबिक कक्षा 12वीं की परीक्षा में सर्दी, खांसी और हल्के बुखार वाले परीक्षार्थियों की परीक्षा न छूटे इसके लिए एमपी बोर्ड ने आइसोलेशन रूम (यानी रिजर्व रूम )बनाने की तैयारी की है. थर्मल स्क्रीनिंग के दौरान जिस भी परीक्षार्थी का टेंपरेचर(तापमान) तय मानकों से ज्यादा रहेगा उन्हें अलग से आइसोलेशन रूम में बैठाकर परीक्षा दिलवाई जाएगी. सरकार की मानें तो प्रदेश भर में हर परीक्षा केंद्र पर एक आइसोलेशन रूम तैयार करवाया जा रहा है.
एमपी बोर्ड ने परीक्षार्थियों को यह भी निर्देश दिए हैं कि अगर उनके परिवार के किसी सदस्य को कोरोना है या फिर परिवार का कोई सदस्य क्वारंटाइन है तो ऐसे परीक्षार्थी कक्षा 12वीं की परीक्षा में शामिल नहीं हो सकेंगे. परीक्षा केंद्र में शामिल हो रहे परीक्षार्थियों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए एमपी बोर्ड ने ऐसे निर्देश दिए हैं
अब मोबाइल करेगा मरीजों की हेल्प
भोपाल. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) में बढ़ते कोरोना इंफेक्शन पर स्वास्थ्य विभाग अब चौकन्ना हो गया है. इसके लिए एक नई व्यवस्था तैयार की जा रही है. अब एक क्लीक में मरीज़ को उसके जरूरत का अस्पताल मिल जाएगा. अब शहर के हर अस्पताल की स्वास्थ्य विभाग (Helath Department) मैपिंग कर रहा है ताकि लोगों को इनके घर के पास ही मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध हो सके. सही समय पर सही इलाज लोगों को मिले और इसके लिए इन्हें ज्यादा दूर भी ना जाना पड़े इस मकसद के साथ स्वास्थ्य विभाग काम कर रहा है. इसके तहत अब लोगों को मेडिकल संबंधित जानकारी उनके मोबाइल पर उपलब्ध हो सके, ऐसी कोशिश की जा रही है.
बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण मरीज अस्पताल जाने से कतरा रहे हैं. हर छोटी-मोटी बीमारियों को लेकर मरीज इलाज के लिए परेशान हो रहे हैं. घर के बाहर निकलने में भी बच्चों और बुजुर्गों के साथ परिवार के अन्य सदस्यों को डर सता रहा है. आने वाले महीनों में सरकार यूं ही ज्यादा सतर्कता बरतने की लगातार अपील कर रही है. इस बात को ध्यान में रखकर स्वास्थ्य विभाग अब नई स्ट्रेटरजी पर काम कर रहा है.
अफसर कर रहे केन्द्रों की जांच
विभाग का प्लान है कि शहर की घनी आबादी में संचालित हो रहे छोटे-अस्पतालों की व्यवस्थाएं दुरूस्त की जाए. एनएचएम के उप संचालक डॉ. पंकज शुक्ला ने बताया कि विभाग के अधिकारी यूपीएचसी, सिविल डिस्पेंसरी और संजीवनी क्लीनिक का निरीक्षण कर रहे हैं. यहां के वर्किंग प्रोटोकॉल के बारे में जानकारी बटोर रहे हैं. इस नई व्यवस्था के जरिए लोगों को नजदीकी फीवर क्लीनिक की जानकारी उनके मोबाइल पर ही उपलब्ध हो सकेगी. स्वास्थ्य विभाग के अफसर कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए स्वास्थ्य मंत्री के निर्देशानुसार काम कर रहे हैं. अफसरों का ध्यान इस ओर भी है कि बारिश के मौसम में बीमारी किसी भी हाल में ज्यादा बढ़ने ना पाए. इसके लिए लोग शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सिविल डिस्पेंसरी और संजीवनी क्लीनिक में जाकर सामान्य उपचार, टीकाकरण परिवार कल्याण जैसी योजनाओं का लाभ ले सकेंगे.
ऐसे होगी मैपिंग
शहर के यूपीएचसी, सिविल डिस्पेंसरी और संजीवनी क्लीनिक के हर एक मरीज की समस्या को हल करने की विभाग रणनीती बना रहा है. इन संस्थाओं में ये देखा जा रहा है कि यहां फीवर क्लीनिक के लिए जारी किए गए प्रोटोकॉल के अनुसार काम हो रहा है या नहीं. एनएचएम के उप संचालक डॉ. पंकज शुक्ला के मुताबिक अब बारिश शुरू होने के बाद मौसमी बीमारियों के मरीज बढ़ेंगे. ऐसे में शहर के लोगों की पहली प्राथमिकता ये होगी की घर के नजदीक वाले अस्पतालों में इलाज मुहैया हो जाए ना की हर मामूली बीमारी के लिए सीधे बड़े सरकारी अस्पतालों की तरफ भागना पड़े. मरीजों की सुविधा के लिए विभाग चौकन्ना होकर तमाम व्यवस्थाएं करने में जुटा है. भोपाल सहित प्रदेश भर में संचालित सरकारी अस्पतालों की ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम मैपिंग का काम पिछले साल मैप आईटी ने शुरू किया था, लेकिन बीच में ही ये काम कुछ कारणों से बंद हो गया था. अब कोरोना संकटकाल में आम लोगों को घर के नजदीकी स्वास्थ्य संस्थाओं की जानकारी मोबाइल पर मिल सकेगी. विभाग गूगल के जरिए मैपिंग करने में लगा है.
किसानों की सब्जियों को सरकारी गाड़ी से रौंदने वाला दारोगा सस्पेंड
प्रयागराज. जिले के घूरपुर थाने में तैनात एक दारोगा की करतूत का वीडियो सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल होने का सीएम योगी (CM Yogi) ने संज्ञान लेते हुए उसे सस्पेंड (suspend) करने के निर्देश दिए जिसके तुरंत बाद एसएसपी प्रयागराज (SSP Prayagraj) ने दारोगा को सस्पेंड करते हुए उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू करने की भी संस्तुति कर दी है. बता दें कि दारोगा सुमित आनन्द द्वारा घूरपुर की साप्ताहिक सब्जी मंडी में सोशल डिस्टेंसिंग (social distancing) का पालन न होने पर सरकारी गाड़ी से किसानों की सब्जियों को रौंदे दिया गया था. मामले को संदेनशीलता से लेते हुए सीएम योगी ने दारोगा को तत्काल सस्पेंड करने और पीड़ित किसानों को मुआवजा देने का भी निर्देश दिया था.
किसानों को नुकसान की भरपाई करवाई गई
सीएम योगी के संज्ञान लेने के बाद एसएसपी प्रयागराज सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दारोगा को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है. इसके साथ एसएसपी ने सीओ को मौके पर भेजकर किसानों को उनके नुकसान की भरपाई भी करायी है. फिलहाल 11 किसानों को मौके पर जाकर सीओ ने क्षतिपूर्ति दे दी है. इसके साथ अन्य किसानों को चिन्हित किया जा रहा है, जिन्हें उनके नुकसान के मुताबिक मुआवजा दिया जायेगा. एसएसपी ने दारोगा के कृत्य को गम्भीर मानते हुए हुए विभागीय कार्रवाई के भी आदेश दे दिए हैं. इसके साथ ही जनपदीय शाखा में दारोगा को न रखे जाने की भी एसएसपी की ओर से संस्तुति उच्च अधिकारियों को भेज दी गई है. एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध ने बताया कि दारोगा के वेतन से किसानों को हुए नुकसान की रिकवरी भी की जाएगी. दरअसल बुधवार और शुक्रवार के दिन ही घूरपुर में साप्ताहिक सब्जी मंडी लगनी तय थी.
शनिवार से खुलेंगे सभी सरकारी स्कूल, स्टूडेंट्स की रहेगी छुट्टी
मऊ. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (Pandemic coronavirus) के संक्रमण से बचाव के लिए लागू किए गए देशव्यापी लॉकडाउन (Lockdown) के बाद अब अनलॉक (Unlock 1.0) होना शुरू हो चुका है. ऑफिस, दुकाने उद्योग इत्यादि खोले जाने के बाद अब शनिवार से सभी सरकारी स्कूल-कॉलेज भी खोलने के आदेश दे दिए गए हैं. जिला बेसिक शिक्षा विभाग (District Basic Education Department) के निर्देशानुसार तत्काल प्रभाव से नियमित रूप से प्रधानाध्यापक एवं सभी शिक्षक विद्यालय में अनिवार्य रूप से उपस्थित होकर कार्य संपादित करेंगे. जबकि बच्चों की छुट्टी रहेगी और विद्यालय में शिक्षण कार्य स्थगित रहेगा.शासन के निर्देशों के अनुपालन में खोले गए स्कूल
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ओपी त्रिपाठी ने News 18 से बातचीत में कहा कि शासन के निर्देशों के तहत विद्यालयों में उपस्थिति को अनिवार्य किया गया है. इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया जाएगा. यदि कोई गैर-हाजिर मिलता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. उन्होंने बताया कि अभी छात्रों के लिए स्कूल नहीं खोले गए हैं लेकिन ऑनलाइन शिक्षण और ई-पाठशाला संचालित रहेगी.
उन्होंने बताया कि शासन के निर्देश व जिलाधिकारी ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी के आदेश के अनुपालन में सभी राजकीय, परिषदीय व सहायता प्राप्त कक्षा 01 से 08 तक के सभी विद्यालय खुलेंगे. तत्काल प्रभाव से नियमित रूप से प्रधानाध्यापक एवं सभी शिक्षक विद्यालय में अनिवार्य रूप से उपस्थित होकर निर्देशानुसार कार्य संपादित करेंगे. बच्चों की छुट्टी रहेगी, विद्यालय में शिक्षण कार्य स्थगित रहेगा. लेकिन ऑनलाइन शिक्षण व ई-पाठशाला संचालित रहेगी. इसके अलावा मिड-डे मील संबंधित कार्य भी संपादित होंगे जिसके अंतर्गत छात्रों के अभिभावक के खाते में कन्वर्जन मनी भेजा जाएगा.
थाना जफराबाद पुलिस ने अभियुक्त कन्हैया व शोभा को 22 किग्रा व 70 पुड़िया अपमिश्रित दोहरा के साथ किया गिरफ्तार
पुलिस अधीक्षक जनपद जौनपुर द्वारा अपराध एव अपराधियों के विरूद्ध चलाये गये अभियान के तहत अपरपुलिसअधीक्षक नगर के निर्देशन एवं क्षेत्रधिकारी नगर व थानाध्यक्ष जफराबाद के कुशल पर्यवेक्षण मेंउ0नि0 वरूणेन्द्र कुमार राय चौकी प्रभारी जफराबाद द्वारा मुखविर की सूचना पर अभियुक्तगण कन्हैया लाल शुक्ला व शोभा शुक्ला पुत्रगण स्व0 राम सुलार शुक्ला नि0गण अहमदपुर थाना जफराबाद जौनपुरदिनांक 04/06/2020 को गिरफ्तार किया गया । जिसके पास से एक झोले में 70 पुड़िया व एक बोरे में 22 किग्रा अपमिश्रित दोहरा बरामद हुआ तथा थाना स्थानीय पर मु0अ0सं0 76/2020 धारा 272, 273 भा0द0वि0 एक्ट पंजीकृत किया गया तथा अग्रिम विधिक कार्यवाही की जा रही है ।
शुक्रवार, 5 जून 2020
संदिग्ध हालात में विवाहिता की मौत, पुलिस ने विवाहिता के अधजले शव को कब्जे में लेकर शुरू कर दी है तफ्तीश
सुलतानपुर : अखंडनगर थानाक्षेत्र के बिलवाई चौकी के रायपुर गांव में एक विवाहिता की मौत को सामान्य मौत घोषित करने के उद्देश्य से शव को गुपचुप तरीके से अंतिम संस्कार करने की कोशिश की गई। जानकारी मिलने पर श्मशान घाट पहुंची पुलिस ने विवाहिता के अधजले शव को कब्जे में लेकर तफ्तीश शुरू कर दी है। रायपुर गांव निवासी नीलम पत्नी इंद्रेश की बुधवार की रात संदिग्ध मौत हो गई। ससुरालजन गुरुवार की सुबह करीब सवा छह बजे गुपचुप रूप से गांव के प्राथमिक विद्यालय के बगल नदी किनारे उसका अंतिम संस्कार कर रहे थे। इसकी सूचना मृतका के पिता मनोज कुमार को दूरभाष पर किसी रिश्तेदार ने दी तो उन्होंने इसकी जानकारी डायल 112 पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलते ही थाना प्रभारी बेंचू सिंह यादव दल-बल के साथ श्मशान घाट पहुंच गए। अंतिम संस्कार को रुकवा कर उन्होंने अधजले शव को कब्जे में ले लिया। मृतका के पिता, मां रिसा देवी और बहन प्रिया दर्जनों लोगों मौके पर पहुंच गए। मृतका की मां के अनुसार नीलम ने घर वालों की मर्जी के खिलाफ इंद्रेश गौतम से लगभग ढाई वर्ष पहले चुपके से शादी कर ली थी। दोनों का एक वर्ष का बेटा प्रियांश है। मृतका की बहन ने बताया कि दोनों में अक्सर झगड़ा हुआ करता था। थाने में दी गई शिकायत में पिता ने हत्या की आशंका व्यक्त की है। थाना प्रभारी ने बताया कि शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद मौत के कारणों का पता चल सकेगा। मामले की जांच की जा रही है।
सीएम योगी ने जन्मदिन पर पौधा लगाया , पीएम ने दी बधाई
विश्व पर्यावरण दिवस और जन्मदिन के मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वृक्षारोपण किया। इस अवसर पर उन्होंने अपने आवास 5 कालिदास मार्ग पर पौधारोपण किया। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जन्मदिन की बाधाई दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने सुबह आठ बजे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को फोन कर जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि उत्तर प्रदेश के ऊर्जावान और मेहनती मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जन्मदिन की बधाई। उनके नेतृत्व में राज्य सभी क्षेत्रों में प्रगति की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि राज्य के लोगों के जीवन में बड़े बदलाव आए हैं। उन्होंने आगे लिखा कि भगवान उन्हें लंबी आयु दें और स्वस्थ रखें। आपको बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ का जन्म पांच जून 1972 को हुआ था।
सीएम योगी ने दिया एक ही दिन में 25 करोड़ वृक्ष लगाने का लक्ष्य
वहीं मुख्यमंत्री योगी ने एक ही दिन में 25 करोड़ वृक्ष लगाने का लक्ष्य दिया है। जिसे जुलाई के प्रथम सप्ताह में पूरा किया जाएगा। इस अवसर पर आज गंगा यमुना के तटवर्ती किसानों को खेतों में वृक्षारोपण पर सरकारी सहायता प्रदान की जाएगी। उन्होंने जुलाई के प्रथम सप्ताह में 1 दिन में 25 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। जबकि पूरे सीजन में 30 करोड़ पौधे लगाए जाएंगे। यह सभी फलदार छायादार और इमारती लकड़ी वाले पौधे होंगे। गंगा जमुना के तटवर्ती क्षेत्रों में पौधरोपण का विशेष कार्यक्रम किया जाएगा। इसके तहत तटवर्ती किसान अपने खेतों में फलदार वृक्षों को लगाएंगे उसके लिए भी विशेष स्कीम होगी।
पिछले वर्ष एक दिन में लगाए थे 25 करोड़ पौधे
इस स्कीम के तहत सरकार 3 साल तक सहयोग करेगी। जो लोग मेड़ पर बिना केमिकल, फर्टिलाइजर के पौधे लगाएंगे, उन्हें सरकार मुफ्त पौधे उपलब्ध कराएगी। बता दें कि पर्यावरण पर योगी आदित्यनाथ का विशेष ध्यान रहा है। पिछले वर्ष भी 25 करोड़ पौधे 1 दिन में लगाने का रिकॉर्ड बनाया गया था। वहीं उससे पहले 22 करोड़ पौधे लगाए गए थे। उन्होंने लोगों से ज्यादा से ज्यादा पीपल, बरगद, पाकड़, देसी आम, सहजन आदि के पौधे लगाने की अपील की थी।
प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद अब मामले के मूल याचिकाकर्ताओं ने अदालत की सहायता करने के लिए हस्तक्षेप आवेदन दिया
पिछले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने COVIDलॉकडाउन के बाद देश भर में फंसे प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा पर स्वत संज्ञान लिया था,जिसके बाद एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज और हर्ष मंदर के अलावा, आईआईएम-अहमदाबाद के पूर्व डीन जगदीप एस. छोकर ने इस मामले में न्यायालय की सहायता करने की अनुमति मांगी है। इस मामले में हस्तक्षेप करने के आवेदन दायर करते हुए मांग की गई है कि ''आवेदक उनके द्वारा दायर पूर्व में दायर की जनहित याचिकाओं को रिकॉर्ड पर रखकर इस मामले में अदालत की सहायता करना चाहते हैं। यह जनहित याचिकाएं ''देश में हुए व्यापक लाॅकडाउन के बाद प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा के संबंध में दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था चूंकि लाॅकडाउन के बारे में कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई थी और जिसने पूरे देश में दहशत पैदा कर दी थी। वहीं इसके कारण एकदम से लाखों प्रवासी श्रमिकों की नौकरियां और रोजगार का साधना चला गया था।'' पहली याचिका भारद्वाज और मंडेर की ओर से दायर की गई थी, जिसमें मांग की गई थी कि केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया जाए कि वह संयुक्त रूप से सभी प्रवासी श्रमिकों को मजदूरी/न्यूनतम मजदूरी का भुगतान सुनिश्चित करें। भले ही यह मजदूर किसी भी संस्थान, ठेकेदार या स्वरोजगार से जुड़े हों। चूंकि लाॅकडाउन के कारण वह काम करने और पैसा कमाने में असमर्थ हैं। दूसरी याचिका छोकर ने दायर की थी। जिसमें मांग की गई थी कि यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी प्रवासी श्रमिक अपने गांवों व घरों में सुरक्षित पहुंच जाए। इसके उनसे परिवहन का किराया न लिया जाए और यात्रा के दौरान उनको पर्याप्त भोजन आदि उपलब्ध कराया जाए। यह भी बताया गया कि ''उपर्युक्त दोनों याचिकाओं का संक्षिप्त सुनवाई के बाद निस्तारण कर दिया गया था।'' यह भी कहा गया कि ''चूंकि इस माननीय न्यायालय ने अब प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर स्वत संज्ञान लिया है। इसलिए आवेदक विनम्रतापूर्वक अदालत से हस्तक्षेप करने की मांग करते हैं। वह उन विभिन्न मुद्दों के संबंध में अदालत की सहायता करना चाहते है,जिनका सामना लाॅकडाउन शुरू होने के बाद से यह प्रवासी श्रमिक कर रहे हैं। आवेदक जिम्मेदार और प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता व इस देश के शिक्षाविद हैं और लॉकडाउन के बाद से प्रवासी श्रमिकों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं।'' 21 अप्रैल को शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने इस मामले में दायर एक जनहित याचिका का निपटारा करते हुए कहा था कि इस समय देश खुद असामान्य स्थिति में है और इसमें शामिल हितधारक अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश कर रहे हैं। इस जनहित याचिका में मांग की गई थी कि COVID19 महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन के कारण प्रवासी श्रमिक गंभीर तनाव में है,इसलिए उनको मजदूरी का भुगतान किया जाए। अदालत ने रिट याचिका का निपटारा करते हुए संक्षेप में कहा था कि '' सॉलिसिटर जनरल श्री तुषार मेहता ने एक स्थिति रिपोर्ट दायर की है और कहा है कि प्रवासी श्रमिकों के मुद्दों को संबोधित करने के लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं। उन्होंने आगे यह भी तर्क दिया था कि जमीनी धरातल पर इन मुद्दों को निपटाने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर प्रदान किया गया है। वहीं जब भी कोई शिकायत प्राप्त होती है तो अधिकारी तुरंत उस मामले में सहायता करने का प्रयास कर रहे हैं। हमारे सामने रखी गई सामग्री को ध्यान में रखते हुए हम प्रतिवादी-भारत सरकार को कह रहे हैं कि वह इस तरह के मामलों पर स्वयं विचार करें। वहीं याचिका में उठाए गए मुद्दों को निपटाने के लिए वह सभी कदम उठाए,जो उनको उपयुक्त लगते हैं।'' दूसरी जनहित याचिका के संबंध में अदालत ने एसजी की दलीलों को तरजीह देते हुए कहा था कि, ''इस याचिका में जो राहत मांगी गई है उसके लिए पर्याप्त रूप से मंजूरी दे दी गई है क्योंकि सरकार ने 29 अप्रैल 2020 को उन श्रमिकों की आवाजाही के मामले को स्वीकार कर लिया था,जो प्रवासी श्रमिक ,तीर्थयात्री, पर्यटक और छात्र हैं और विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए थे और एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं जा पा रहे थे।'' शीर्ष अदालत ने कहा था कि,"श्री तुषार मेहता ने यह भी कहा था कि रिट याचिका दायर करने से पहले ही उस पर चिंतन चल रहा था और सरकार इस पर विचार कर रही थी। एसजी ने यह भी बताया था कि बाद में 01 मई 2020 को एक आदेश जारी किया गया था जिसमें रेलवे ने प्रवासी श्रमिकों को उनके गांवों या राज्यों में पहुंचाने के लिए ''श्रमिक स्पेशल''ट्रेन चलाने का फैसला भी किया था। इसके बाद फंसे हुए व्यक्तियों की पूर्वोक्त श्रेणी की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार ने इन फंसे हुए प्रवासी श्रमिकों की कठिनाई को कम करने के हर संभव कदम उठाए हैं।'' कोर्ट ने पांच मई को याचिका का निपटारा करते हुए कहा था कि "इस तरह के परिवहन के लिए आवश्यक तौर-तरीके रेलवे के सहयोग से संबंधित राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा लागू किए जाने हैं। जहां तक श्रमिकों से रेलवे टिकट की राशि का 15 प्रतिशत वसूलने की बात है तो उस संबंध में यह अदालत अनुच्छेद 32 के तहत कोई भी आदेश जारी नहीं करेगी। यह संबंधित राज्य/रेलवे का काम है कि वह संबंधित दिशानिर्देशों के तहत आवश्यक कदम उठाए। इस रिट याचिका में मांगी गई राहत को पूरा कर दिया गया है। इसलिए हम मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के लिए वकील द्वारा उठाए जाने वाले अन्य मुद्दों पर विचार करके कोर्ट इस रिट याचिका के दायरे का विस्तार नहीं कर सकती हैं। ऐसे में अब इस याचिका को लंबित रखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा।'' न्यायालय ने केंद्र व सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्वत संज्ञान मामले में नोटिस जारी करते हुए 26 मई को कहा था कि ''अखबारों की रिपोर्ट और मीडिया रिपोर्ट में लगातार यह बताया जा रहा है कि प्रवासी मजदूर लंबी-लंबी दूरी पैदल पूरी कर रहे हैं या साइकिल आदि से चलने के लिए मजबूर हो रहे हैं। इन रिपोर्ट में इन मजदूरों की दुर्भाग्यपूर्ण और दयनीय स्थिति दिखाई जा रही है। इतना ही नहीं आज भी प्रवासी श्रमिकों की समस्याएं जारी हैं क्योंकि बहुत सारे श्रमिक सड़क,रेलवे स्टेशन,हाईवे या राज्यों की सीमाओं पर फंसे हुए हैं। इसलिए केंद्र और राज्य सरकार बिना कोई पैसा वसूले तुरंत इनके लिए पर्याप्त परिवहन,भोजन और आश्रय की व्यवस्था करें।'' इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भी प्रवासी श्रमिकों के मुद्दों पर केंद्र सरकार से कई सवाल किए। पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ''सबसे पहले व्यक्ति की अपनी जेब में पैसा होना चाहिए। किसी भी प्रवासी से कोई किराया नहीं लिया जाना चाहिए। इस किराए को वहन करने के लिए राज्यों के बीच कुछ व्यवस्था होनी चाहिए।'' पीठ ने पूछा, ''जिन लोगों को वापिस उनके घर भेजा जा रहा है क्या किसी भी स्तर पर उनसे परिवहन का किराया मांगा जा रहा है? एफसीआई के पास अतिरिक्त खाद्य पदार्थ उपलब्ध है, ऐसे में क्या इन लोगों को उस समय भोजन की आपूर्ति की जा रही है,जब यह अपने घर जाने के लिए अपनी बारी आने की प्रतिक्षा करते हैंै?'' पीठ ने यह भी पूछा कि ''प्रवासियों को उनके घर वापिस भेजने के लिए आपको कितने समय की जरूरत है? वही इन लोगों के लिए भोजन और बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए क्या निगरानी तंत्र बनाया गया है?''
COVID-19 रोगियों के इलाज के लिए निजी अस्पतालों द्वारा शुल्क वसूलने की सीमा तय करने वाली याचिका पर SC ने केंद्र से जवाब मांगा
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस जनहित याचिका में केंद्र की प्रतिक्रिया मांगी है जिसमें कोरोना के रोगियों के इलाज के लिए निजी अस्पतालों द्वारा शुल्क वसूलने की सीमा तय करने और क्वारंटाइन व संक्रमण के बाद की सुविधाओं के लिए अस्पतालों में दाखिल के प्रयोजनों के लिए पारदर्शी तंत्र बनाने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता अविषेक गोयनका ने अदालत को बताया कि निजी अस्पताल COVID रोगियों से अत्यधिक शुल्क वसूल रहे हैं, जिससे यह अधिकांश रोगियों के लिए दुर्गम हो जाता है, जिससे अनुच्छेद 14 और 21 प्रभावित होते हैं।जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि कोरोना वायरस रोगियों के इलाज के लिए निजी अस्पतालों द्वारा वसूले जाने वाले शुल्क पर ऊपरी सीमा लगाने के लिए केंद्र की ओर प्रतिक्रिया दर्ज करें। कोर्ट ने एक सप्ताह के बाद मामले को सूचीबद्ध किया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि अस्पतालों में दाखिले की मनमानी प्रक्रिया रोगियों के स्तर को आधार बनाती है और जो इलाज का खर्च नहीं उठा सकते हैं वो अलग रखे जाते हैं।याचिका में निम्नलिखित प्रार्थनाएं हैं- • " उत्तरदाताओं और बीमा कंपनियों को तुरंत, पूर्ण दावों, जो कि सरकार द्वारा निर्दिष्ट दरों के अनुसार हैं, देने के लिए उचित रिट/ निर्देश जारी करें। • उत्तरदाताओं को मरीज की पसंद और सामर्थ्य के अनुसार, कोविद -19 संक्रमण के मामले में निजी अस्पतालों की सुविधा के तुरंत लाभ के लिए तंत्र तैयार करने और विज्ञापित करने के लिए उचित रिट / दिशा- निर्देश जारी करें, • उत्तरदाताओं को COVID- 19 क्वारंटाइन के लिए तुरंत निजी सुविधा प्राप्त करने के लिए तंत्र बनाने और विज्ञापन देने के लिए उचित रिट/ दिशा- निर्देश जारी करें" इस पृष्ठभूमि में, याचिका कई समाचार रिपोर्टों पर निर्भर है जो यह सुझाव देते हैं कि बीमा कंपनियों ने कई लोगों के बीमा दावों को रोक दिया है और काउंटरों पर उनके लिए कैशलेस सुविधाओं से इनकार कर रहे हैं। याचिकाकर्ता का दावा है कि इस मुश्किल समय में कई नागरिकों को परेशानी में पहुंचा दिया है। "ये असाधारण समय हैं और कई नागरिकों को बिना किसी आय के छोड़ दिया गया है। उनकी बचत को भी नुकसान हुआ है। यदि दाखिले के दौरान कैशलेस की सुविधा नहीं दी जाती है, तो पर्याप्त नकदी के बिना रोगियों को अधर छोड़ दिया जाएगा और उन्हें निजी अस्पतालों में प्रवेश से सुसज्जित होने के बावजूद घटिया सरकारी सुविधाएंलेने के लिए मजबूर किया जाएगा। इसी प्रकार यदि डिस्चार्ज के दौरान दावों का सही तरीके से निपटान नहीं किया जाता है, तो रोगी को अस्पताल से छोड़ा नहीं जाएगा, जब तक कि रोगी परिवार, शेष राशि का भुगतान नहीं करता है। याचिका में पश्चिम बंगाल सरकार के निजी अस्पतालों के लिए जो दरें तय करने का हवाला देते हुए कहा गया है कि केंद्र उक्त उद्देश्य के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाकर ऐसा कर सकता है। "सरकार को उन क्षेत्रों के लिए, जहां कोई नीति नहीं है, नीतियों को बनाने करने के लिए निर्देशित किया जा सकता है। क्योंकि एक नीति की अनुपस्थिति अराजकता और भ्रम को बढ़ाती है। केंद्र सरकार के परिपत्रों में ऐसा कोई तंत्र नहीं है, जो नोडल विंडो की स्थापना का निर्देश देता हो जो पीड़ित व्यक्ति और उसके परिवार को निजी -क्वारंटाइन और / या अस्पताल की सुविधाओं के लिए निर्देशित कर सकते हैं। "
गुरुवार, 4 जून 2020
एक चाकू के साथ अभियुक्त को थाना बक्सा पुलिस ने किया गिरफ्तार
पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में अपराध एवं अपराधियों के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियान के क्रम में थाना बक्सा पुलिस के द्वाराग्राम बडारी थाना बक्शा जौनपुर से एकअभियुक्त सलमान अहमद पुत्र शब्बीर अहमद ग्राम बडारी थाना बक्शा जौनपुर को एक अदद नाजायज चाकू के साथ गिरफ्तार किया गया। बरामदगी के सम्बन्ध में मु0अ0सं0 113/20 धारा 4/25 आर्म्स एक्ट पंजीकृत किया गया ।
गैंगस्टर एक्ट सम्बन्धित अभियुक्त जनक गिरी पुत्र हरिलाल गिरी उर्फ हर्ष लाल गिरी गिरफ्तार
पुलिस अधीक्षक जौनपुर के निर्देशन में अपराध एवं अपराधियों के विरूद्ध चलाये जा रहे अभियान के क्रम में अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण व क्षेत्राधिकारी मड़ियाहू के निकट पर्यवेक्षण मेंथानाध्यक्ष संतोष कुमार राय थाना नेवढ़िया जौनपुर के नेतृत्वव श्री बालेन्द्र यादव थानाध्यक्ष रामपुर मय हमराही के सहयोग सेउ0नि0 श्री रामजी सैनी प्रभारी पुलिस चौकी भाऊपुर थाना नेवढ़िया जनपद जौनपुर मय हमराही पुलिस अधिकारी मु0आ0 पारसनाथ यादव , का0 अनवार अहमद , का0 विकास कुमार यादव , का0 विनय कुमार पासवानके साथ मु0अ0स0 94/2020 धारा 3(1) उ0प्र0 गैंगस्टर एक्ट थाना नेवढ़िया जनपद जौनपुर से सम्बन्धित अभियुक्तजनक गिरी पुत्र हरिलाल गिरी उर्फ हर्ष लाल गिरी नि0 ग्राम कोटी गाँव गोसाईपुर थाना रामपुर जौनपुर को गिरफ्तार किया गया ।
हत्या के मुकदमें से सम्बन्धित एक वांछित अभियुक्त गिरफ्तार
पुलिस अधीक्षक जौनपुर के निर्देशन में अपराध की रोकथाम एवं अपराधियों की गिरफ्तारी हेतु चलाये जा रहे अभियान के क्रम में अपर पुलिस अधीक्षक नगर व क्षेत्राधिकारी शाहगंज के कुशल पर्यवेक्षण मेंप्र0नि0 थाना खुटहन श्री जगदीश कुशवाहा, उ0नि0 सन्तराम यादव, उ0नि0 सुरेश कुमार सिंह, का0 रामचरन, का0 आशीष यादव द्वारा दिनांक 02.06.20 को ग्राम बड़सरा थाना खुटहन जौनपुर में हुई घटना जिसमें गोली लगने से राजेश तिवारी की मृत्यु हो गयी थी से सम्बन्धितमु0अ0सं0- 120/20 धारा 302/504 भादवि थाना खुटहन जनपद जौनपुर से सम्बन्धित वांछित अभियुक्त संदीप उर्फ सोनू तिवारी पुत्र कृष्णदत्त तिवारी निवासी ग्राम बड़सरा थाना खुटहन जनपद जौनपुर को उसके घर से दिनांक 02.06.20 को ही आलाकत्ल तमंचा मय एक अदद जिन्दा कारतूस व एक अदद खोखा कारतूस के साथ गिरफ्तार किया गया ।
पुलिस लाइन स्थित सभागार में उ0प्र0 पुलिस फैमिली वेलफेयर एशोसिएसन (वामासारथी)के तत्वाधान में कोविड-19(कोरोना संक्रमण) से बचाव के दृष्टिगत पुलिस लाइन आवासीय परिसर में रहने वाली महिलाओं का सम्मेलन/कार्यशाला का आयोजन किया गया।
श्री अशोक कुमार पुलिस अधीक्षक जौनपुर महोदय द्वारा पुलिस लाइन में लगातार कपड़े का मास्क बनाने वाली महिला आरक्षियों को कोरोना वारियर्स का पुरस्कार प्रदान कर उनका उत्साहवर्द्धन किया गया। तत्पश्चात कार्यशाला में महिलाओं को पुलिस चिकित्सालय के चिकित्सक द्वारा कोरोना संक्रमण से बचाव के सम्बन्ध में स्वच्छता, उत्तम स्वास्थ्य, व अन्य उपयोगी बिन्दुओं पर विस्तार से बताया गया तथा कोरोना काल में व्यापक सावधानी बरतने के सम्बन्ध में भी अवगत कराया गया। कार्यशाला में उपस्थित समस्त महिलाओं एवं महिला कर्मियों को सुरक्षा के दृष्टि से मास्क, सेनिटाइजर, व उनके बच्चों के लिये बिस्किटव चाकलेट का वितरण किया गया। कार्यक्रम का संचालन महिला थानें में नियुक्त कम्प्यूटर आपरेटर ज्योति श्रीवास्तव द्वारा किया गया।सम्मेलन में अधिकारीगण की धर्मपत्नी भी उपस्थित रही। सम्पूर्ण कार्यक्रम श्री रजतपाल राव, प्रतिसार निरीक्षक जौनपुर व श्रीमती तारावती देवी थानाध्यक्ष महिला थाना जौनपुर के दिशा निर्देशन में सकुशल सम्पन्न कराया गया।
चल पड़ी ट्रेन में नन्ही बच्ची को दूध देने के लिए आरपीएफ जवान ने की बहुत मशक्कत,
बहराइच का रहने वालीं साफिया हाशमी दुधमुंही बेटी को लेकर बेलगांव से चली थीं लेकिन रास्ते में कहीं दूध नहीं मिला, भोपाल में जवान इंदर यादव ने की मदद
भोपाल: Lockdown: लॉकडाउन में पुलिस ज्यादती की कई तस्वीरें सामने आईं. पुलिस वालों पर भी हमले हुए. लेकिन भोपाल स्टेशन पर एक ऐसी तस्वीर सीसीटीवी कैमरों में कैद हुई जो भरोसा जगाए रखती है. आरपीएफ के एक जवान ने एक दुधमुंही भूखी बच्ची को दूध देने के लिए जबर्दस्त मशक्कत की.
घर पहुंचकर एक वीडियो जारी कर साफिया ने कहा ''हम बहराइच के रहने वाले हैं, हम बेलगांव से चले थे लेकिन रास्ते में मुझे कहीं दूध नहीं मिला. भोपाल में इंदर यादव जी ने मदद की. उनका बहुत-बहुत शुक्रिया. जो मैसेज उन्होंने इंदर यादव को भेजा उसमें लिखा था आप हमारी लाइफ के रियल हीरो हैं और आप जैसे लोगों की देश में बहुत जरूरत है. आपने ट्रेन रवाना होने से पहले बच्ची की मदद की. आपकी मदद से ही मेरी बच्ची मेरे साथ सकुशल घर लौट सकी है.''
बांदा में दुबई से लौटे युवक ने फांसी लगाकर की आत्महत्या
कोविड-19 की जांच के बाद महिला ने अस्पताल के टॉयलेट में फांसी लगाकर की खुदकुशी
त्रिपुरा के जीबी पंत अस्पताल में कोविड-19 की जांच के एक दिन बाद एक महिला ने कथित तौर पर अस्पताल के शौचालय की छत से फांसी लगाकर खुदकुशी कर लीअगरतला त्रिपुरा के जीबी पंत अस्पताल में कोविड-19 की जांच के एक दिन बाद एक महिला ने कथित तौर पर अस्पताल के शौचालय की छत से फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. पुलिस को शक है कि 50 वर्षीय महिला के मन में संक्रमण का डर बैठ गया था और दहशत के मारे आत्महत्या कर ली होगी. स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एसके राकेश ने कहा कि महिला को सोमवार को अस्पताल के फ्लू वार्ड में भर्ती कराया गया था.राकेश ने कहा, 'महिला का शव सुबह करीब पांच बजे अस्पताल के शौचालय की छत से लटका पाया गया, जबकि उसकी कोविड-19 रिपोर्ट सुबह 11 बजे आई. रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि हो गई.' महिला की मां सोमवार की रात उसे अस्पताल ले गई थी और उसने मंगलवार सुबह अपनी बेटी को बिस्तर से गायब पाया.एक पुलिस अधिकारी ने कहा, 'अस्पताल में बहुत खोजने के बाद, उसकी मां ने शव को शौचालय की छत से लटका पाया.'उन्होंने कहा कि महिला पहले से किडनी रोग और सांस की बीमारी से ग्रसित थी. उन्होंने कहा कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया और अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया गया है
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल जज का कार्यकाल बढ़ाने की मांग कर रहे याचिकाकर्ता को बॉम्बे हाईकोर्ट जाने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मालेगांव ब्लास्ट मामले की त्वरित सुनवाई की के लिए ट्रायल जज के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग कर रहे परिजनों को बॉम्बे हाईकोर्ट जाने के लिए कहा है। मालेगांव ब्लास्ट की सुनवाई कर रहे मुम्बई की विशेष एनआईए कोर्ट के पीठासीन अधिकारी श्री पाडालकर, 29 फरवरी, 2020 को सेवानिवृत्ति चुके हैं। चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने धमाके के पीड़ित के पिता को त्वरित सुनवाई के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट समक्ष अपील करने को कहा। पीठ ने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस इस सबंध में उचित निर्णय ले सकते हैं। Also Read - COVID 19 के बारे में चीन और WHO से पूरी जानकारी लेने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग : सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर पीठ, मालेगांव के 60 वर्षीय निवासी निसार अहमद सैय्यद बिलाल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। 29 सितंबर, 2008 को मालेगांव के भिक्कू चौक पर हुए विस्फोट में उनके बेटे सैय्यद अजहर निसार अहमद की मौत हो गई थी। याचिकाकर्ता की दलील थी कि मामले की सुनवाई में हो रही देरी संविधान के अनुच्छेद 21 के खिलाफ है। याचिका में कहा गया था, "मुकदमे में हुई देरी के कारण याचिकाकर्ता और अन्य पीड़ितों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत, याचिकाकर्ता त्वरित ट्रायल का हकदार है और विशेषकर तब, जबकि याचिकाकर्ता का बेटा धमाके में मारा गया हो।" Also Read - सुप्रीम कोर्ट ने असम को इनर लाइन एरिया से बाहर रखने वाले राष्ट्रपति के आदेश पर रोक लगाने से इनकार किया, केंद्र से जवाब मांगा याचिका में कहा गया था कि दुर्घटना 29 सितंबर 2008 की है, लेकिन मुकदमे के ट्रायल में 12 साल लग गए हैं और अब जज को बदलने पर और देर होगी, क्योंकि नए जज को सारे सबूतों को समझने में समय लगेगा। याचिकाकर्ता की दलील थी, "वह पिछले एक साल और 4 महीनों में 140 गवाहों के परीक्षण में सक्षम रहे थे। नया जज मामले के रिकॉर्डों को, जो कि हजारों पन्नों में है, और समय लेगा। पीठासीन अधिकारी रिकॉर्डों से वाकिफ थे, और उनका कार्यकाल बढ़ाना न्याय के हित में होगा।" याचिकाकर्ता ने इससे पहले एक फरवरी, 2020 को बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से पीठासीन अधिकारी के कार्यकाल के विस्तार के लिए अनुरोध किया था। हालांकि, उस संबंध में कोई निर्देश पारित नहीं किया गया। मालेगांव विस्फोट मामले के मुकदमे की प्रभावी प्रगति न होने के कारण 26 फरवरी को बॉम्बे हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की खिंचाई भी की थी। इसके बाद, 27 फरवरी को, भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर, जो मालेगांव विस्फोट मामले के प्रमुख अभियुक्तों में से एक हैं, मुंबई की विशेष अदालत में पेश हुईं थीं। ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सात लोग इस मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं। मालेगांव बम विस्फोटों छह लोग मारे गए थे और 100 से अधिक घायल हो गए थे।
जब अपहरण के बाद हत्या होती है तो कोर्ट अपहरणकर्ता को हत्यारा मान सकता है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट की तीन-सदस्यीय खंडपीठ ने तमिलनाडु के नेता एम के बालन को 2001 में हुए अपहरण और हत्या का दोषी करार दिया है। दो-सदस्यीय खंडपीठ के खंडित फैसले के कारण इस मामले को तीन-सदस्यीय पीठ को सौंपा गया था। न्यायमूर्ति (अब सेवानिवृत्त) वी. गोपाल गौड़ा और न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने 2016 में इस मामले में खंडित निर्णय दिया था। न्यायमूर्ति गौड़ा ने आरोपी को बरी कर दिया था, जबकि न्यायमूर्ति मिश्रा ने अभियुक्त को दोषी ठहराया था। (सोमासुन्दरम उर्फ सोमू बनाम पुलिस आयुक्त के माध्यम से राज्य सरकार, (2016) 16 एससीसी 355) उसके बाद इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति के. एक. जोसेफ और न्यायमूर्ति वी. रमासुब्रमण्यम की खंडपीठ ने की। बेंच ने इस मामले के साक्ष्य का आकलन करते हुए व्यवस्था दी कि अपहरण के बाद हुई हत्या के मामले में अपहरणकर्ता को हत्यारा माना जा सकता है। खंडपीठ की ओर से न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ द्वारा लिखे गये फैसले में कहा गया है, "यथोचित मामले में अपहरण के बाद हत्या की घटना कोर्ट को यह मानने में सक्षम बनाती है कि अपहरणकर्ता ही हत्यारा है। सिद्धांत यह है कि अपहरण के बाद अपहरणकर्ता ही यह बता पाने की स्थिति में होगा कि पीड़ित का अंतत: क्या हुआ और यदि वह ऐसा करने में असफल रहता है तो यह स्वाभाविक है और तार्किक भी कि कोर्ट के लिए आवश्यक रूप से यह निष्कर्ष निकालना सहज हो सकता है कि उसने (अपहरणकर्ता ने) बदनसीब पीड़ित को खत्म कर दिया है। साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 भी अभियोजन के पक्ष में ही होगी।" बेंच ने आगे लिखा, "जहां अपहरण के बाद अपहृत व्यक्ति को गैर-कानूनी तरीके से कैद करके रखा जाता हो और बाद में उसकी मौत हो जाती है, तो यह अपरिहार्य रूप से निष्कर्ष निकलता है कि पीड़ित की मौत उनके हाथों ही हुई है, जिन्होंने उसका अपहरण करके कैद में रखा था।" न्यायालय ने 'पश्चिम बंगाल सरकार बनाम मीर मोहम्मद उमर (2000) 8 एससीसी 382' एवं 'सुचा सिंह बनाम पंजाब सरकार (एआईआर 2001 एससी 1436)' मामले में दिये गये पूर्व के निर्णयों का भी हवाला दिया। सुचा सिंह मामले में न्यायमूर्ति के टी थॉमस ने कहा था : "जब एक से अधिक व्यक्तियों ने पीड़ित को अगवा किया हो, जिसकी बाद में हत्या हो जाती है, तो तथ्यात्मक स्थिति को ध्यान में रखकर यह मानना कोर्ट के लिए न्यायोचित है कि सभी अपहरणकर्ता हत्या के लिए जिम्मेदार हैं। भारतीय दंड संहिता की धारा 34 का इसमें सहयोग लिया जा सकता है, जब तक कि कोई विशेष अपहरणकर्ता अपने स्पष्टीकरण के साथ कोर्ट को यह संतुष्ट नहीं करता कि उसने बाद में पीड़ित के साथ क्या किया, अर्थात् क्या उसने अपने सहयोगियों को रास्ते में छोड़ दिया था या क्या उसने दूसरों इस जघन्य कृत्य को करने से रोका था आदि, आदि।" इन मामलों में भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 के तहत अनुमान का इस्तेमाल यह साबित करने के लिए किया गया था कि ऐसे मामलों में किसी अन्य प्रकार की परिस्थिति साबित करने का जिम्मा अभियुक्त का होता है। मामलों के तथ्यों को लेकर कोर्ट ने व्यवस्था दी कि अभियुक्तों द्वारा हत्या को अंजाम दिये जाने का अनुमान सही लगाया गया था।
मंगलवार, 2 जून 2020
सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 7 के बारे मे संक्षिप्त विवरण
सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 7 के बारे मे संक्षिप्त विवरण ( जानकारी )
धारा 7(1) :- जीवन की रक्षा एवं स्वतंत्रता से संबंधित
सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 7(1) के तहत माँग सकते हैं, जो लोक जन सूचना अधिकारी या केंद्रीय जन सूचना अधिकारी 48 घंटे में प्रदान की जाएगी । जीवन की रक्षा से संबंधित कुछ सूचनाएँ इस प्रकार है :-
1. पुलिस उत्पीड़न एवं हिंसा के विरुद्ध अधिकार
2. कैदी का इंटरव्यू देने का अधिकार
3. निशुल्क कानूनी सहायता का अधिकार
4. निजता का अधिकार
5. शीघ्र विचारण का अधिकार
6. निष्पक्ष विचारण का अधिकार
7. कामकाजी महिलाओं के लैंगिक शोषण के विरुद्ध अधिकार
धारा 7(2) :- जीवन की रक्षा एवं स्वतंत्रता से संबंधित सूचना केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी सूचना देने में असफल रहते हैं तो उस आवेदन को नामंजूर कर दिया समझा जाएगा ।
धारा 7(3) (क) :- दस्तावेज के लिए अधिभारित शुल्क के बारे में 30 दिन के अंदर अगर लोक जन सूचना अधिकारी आवेदक को इसकी जानकारी नहीं देते हैं तो 30 दिन के बाद इसे अपवर्जित किया जाएगा
धारा 7(4) :- इस अधिनियम के अधीन अभिलेख या उसके किसी भाग तक पहुँच अपेक्षित है और ऐसा व्यक्ति, जिसको पहुँच उपलब्ध कराई जाने है । संवेदनात्मक रूप से निशक्त है, वहाँ यथास्थिति, केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य सूचना अधिकारी सूचना तक पहुँच को समर्थ बनाने के लिए सहायता उपलब्ध कराएगा जिसमें निरीक्षण के लिए सहायता सम्मिलित है, जो समुचित हो ।
धारा 7(5) :- इसके अधीन फीस युक्तियुक्त होगी और ऐसे व्यक्ति से, जो गरीबी रेखा के नीचे है, जैसा समुचित सरकार द्वारा निर्धारित किया जाएगा, कोई फीस प्रभारित नहीं की जाएगी ।
धारा 7(6) :- लोक जन सूचना अधिकारी सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6(1) के तहत 30 दिनों में सूचना उपलब्ध नहीं कराते हैं 30 दिन के बाद बिना भारित शुल्क के पूरी सूचना और दस्तावेज लोक जन सूचना अधिकारी मुफ्त में उपलब्ध कराएंगे
धारा 7(7) :- केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 11 के अधीन पर व्यक्ति (Third Party) द्वारा किए गए अभ्यावेदन को ध्यान में रखेगा ।
धारा 7(8) :- केंद्रीय जन सूचना अधिकारी या राज्य जन सूचना अधिकारी द्वारा को दिए गए आरटीआई आवेदन को अस्वीकृत करता है तो
(i) अस्वीकृति का कारण बताएगा ।
(ii) वह अवधि जिसके भीतर अस्वीकृति के विरुद्ध कोई अपील की जा सके
(iii)अपीलीय प्राधिकारी का नाम, पदनाम और पूर्ण पता देगा।
धारा 7(9) :- केंद्रीय जन सूचना अधिकारी या लोक जन सूचना अधिकारी किसी सूचना को उसी प्रारूप में उपलब्ध कराएगा जिसमें उसे माँगा गया है । जब तक कि लोक प्राधिकारी के स्रोतों को अननुपाती रुप से विचलित ना करता हो ।
प्रश्नगत अभिलेख की सुरक्षा या संरक्षण के प्रतिकूल ना हो ।
लाक डाउन में खुल रही फर्जी पत्रकारों की पोल!
लखनऊ। लाक डाउन में खुल रही फर्जी पत्रकारों की पोल! कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए सरकार द्वारा लाक डाउन घोषित किया गया है! इस दौरान मिली छूट में अनिवार्य सेवा के अन्तर्गत पत्रकारों को भी शामिल किया गया है! इसी का लाभ उठाते हुए व्हाट्स एप ग्रुप बनाकर उसके ही परिचय पत्र ग्रुप एडमिन ने बड़ी मात्रा में यूपी के सभी जिलों में जारी करके फर्जी पत्रकारों की एक फौज खड़ी कर दी है, जो प्रशासनिक अफसरों तथा पुलिस के बीच अपना रौब झाड़ते हुए असली पत्रकारों के समक्ष मुसीबत बने हुए थे! कुछ माह पूर्व रायबरेली के ऊंचाहार में जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक ने नौ पर्जी पत्रकार दबोचकर उनके खिलाफ सूचना अधिकारी से रिपोर्ट दर्ज करवाई थी! इसके बाद मेरठ, नोएडा, बुलंदशहर आदि दर्जन भर जिलों में इसी प्रकार के व्हाट्स एपिए पत्रकार पकड़े गए! अब बिल्कुल ताजे मामले में मुजफ्फरनगर में पकड़े गए हैं फर्जी पत्रकार! एसएसपी अभिषेक यादव ने बताया कि मुजफ्फरनगर पुलिस के समक्ष फर्जी पत्रकारों की जानकारी संज्ञान में आई थी। जिस पर जिले के सभी पत्रकारों की जांच कराए जाने पर दो दर्जन फर्जी पत्रकार पकड़ में आए हैं। जिनके पास से बरामद परिचय पत्र में उल्लिखित कोई मीडिया संस्थान ही देश में नहीं कार्यरत है सबसे रोचक बात तो यह है कि सभी जिलों में पकड़े गए इन फर्जी पत्रकारों के पास जो परिचय पत्र बरामद हुए हैं, उनमें Delhi Crime, TV NEWS INDIA Fatehpur, INDIA न्यूज TV FTP"2", PMP इंडिया न्यूज चैनल, PMP India news, Zeenationaltv24, Zee India Express आदि ऐसे मीडिया कार्ड मिले हैं, जिनके पास सूचना मंत्रालय का कोई मान्यता प्रमाण पत्र ही नहीं है और पकड़े गए फर्जी पत्रकार अपने आकाओं से प्रशासन की कोई बात भी नहीं करा पाए! पुलिस महानिदेशक कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश शासन ने यूपी के सभी जिलों में पत्रकारों की व्यापक छानबीन के निर्देश दिए हैं। जिसमें कानपुर, उन्नाव, फतेहपुर, कौशाम्बी, इलाहाबाद, प्रतापगढ़, इटावा, कन्नौज, उरई, हमीरपुर,जौनपुर,बनारस,आजमगढ आदि दो दर्जन से अधिक जिलों में प्रशासन ने असली पत्रकारों की लिस्ट तैयार करने में तेजी दिखाई है।
अभिनेता एवं सांसद सनी देओल द्वारा अभिनित विज्ञापन भ्रामक, कंपनी ने विज्ञापन बंद करने का किया कमिटमेंट
TV चेनल्स पर दिखाये जाने वाले राजेश मसाले के विज्ञापन पर आपत्ति जताते हुए भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI), मुम्बई को शिकायत में लिखा कि विज्ञापन में राजेश मसाले को भारत के सबसे टेस्टी मसाले बताया गया है किन्तु इस दावे के समर्थन में कोई डाटा नहीं दिखाया जा रहा है, ऐसी स्थिति में ये विज्ञापन भ्रामक प्रतीत होता है जिस पर रोक लगाई जानी चाहिए। शिकायत पर ASCI ने विज्ञापनदाता को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया। जवाब में मसाला कंपनी ने अपनी गलती स्वीकारते हुए इस विज्ञापन को वापस लेने का भरोसा दिलाया। साथियों, राष्ट्रीय स्तर की कंपनियां उपभोक्ताओं को ठगने के लिए इस तरह के भ्रामक विज्ञापन तैयार कराती हैं।
हमें इस तरह के विज्ञापनों से सावधान रहना चाहिए।
90% भारतीयों के दिमाग मै भूसा भरा है न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू
आप लोग रेल से कभी यात्रा किए है तो रेल गाड़ी मे व स्टेशन पर छोटे व स्थानीय कप मे चाय दी जाती है। रेल के कप मे भी चाय दी तो जहाँ तक चिह्न है,वहां तक नही देते।जनता व रेल दोनो को चूना लगता है।
(2) राजभाषा के नाम पर फर्जी प्रगति प्रतिवेदन अपवादों को छोड़कर भारत सरकार के हर कार्यलय से भेजा जा रहा है।इस प्रकार बिना कार्य किए वेतन लिया जा रहा है तथाआंकडो के
फर्जीबाड़ा हेतु कागज आदि का व्यय अलग से है। बताएं IRTC का टिकट on line केवल अंग्रेजी मे क्यों❓डाक घर से रजिस्ट्री स्पीड पोस्ट की रसीद अंग्रेजी मे क्यों❓कार्यालयों के विभिन्न कार्य अंग्रेजी मे क्यों❓ (3)आप लोग राज भाषा अधिनियम 1963 तथा राज भाषा नियम 1976 , राभाषा का वार्षक कार्यक्रम किसी कार्यालय मे जाकर पढ़ ले तो उल्लंघन देख कर भौंचक रह जाएंगे ।
(4) नोएडा = न्यू ओखला इण्डस्ट्रियल डेवलपमेंट अथारिटी। अब बताये कि यह स्थान बोधक कैसे है❓यह गौतमबुद्ध नगर का पर्याय कैसे है❓
(5)न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू का कथन-- 90% भारतीयों के दिमाग मै भूसा भरा है ,को आप किस आधार पर गलत कह सकते हैं ❓
विद्याधर पाण्डेय
(1) संरक्षक, सामाजिक संस्थाये समन्वय समिति , गाजियाबाद
(2)संरक्षक, भारतीय विधि,न्याय एवम् समाज,गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर
साथी हाथ बढ़ाना , एक अकेला थक जाएगा सब मिलकर बोझ उठाना
वाह रे उच्चकोटि की शिक्षित जनता , जिलाधिकारी महोदय के साथ फोटो खिचवाकर चर्चा मे आने की ललक ने सारे डिस्टेंसिंग भुला दिये। क्या इन दान दाताओ ने 1 मीटर की दूरी बनायी है ?
ग्राम सभा चन्दवक के प्रधान पति, ताक पर रखते है सरकारी तंत्र के आदेश।
जौनपुर , जहाॅ एक तरफ पूरा देश करोना की महामारी जूझ रहा है वही कुछ लोग देश दुनिया की तकलीफो से बे खबर अपनी ही तिजोरिया भरने मे लगे है। प्राप्त सूचना के अनुसार विकास खण्ड डोभी के ग्राम सभा चंदवक मे कहने के लिए तो ग्राम प्रधान गीता यादव है परंतु सारा कार्यभार प्रधानपति चन्द्रिका यादव जी करते है। बताते है कि ग्राम सभा चन्दवक मे एक छोटा सा गाव भी मिला है जिसका नाम हरिदासीपुर है यहा देखा जाये तो नाम बड़ा और दर्शन छोटा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है, क्योकि इस ग्राम सभा मे न हरी है और न ही दासी यहा अगर है तो सिर्फ दुब्यवस्था । ग्रामिणो ने बताया कि हमारे ग्राम सभा चन्दवक मे किसी भी गरीब का कोई काम नही कराया गया है चाहे वह शौचालय का काम हो या नाली अथवा खडंजा का काम प्रधानपति जी का स्पष्ट कहना है कि पाच साल बित चुका है जब अब तक मेरा कुछ नही हुआ तो अब क्या होगा? इतना ही नही प्रधान जी के सहोगियो का कथन है कि प्रधान जी कई तालाब और जलाशय बनवाये है मगर हरिदासी पुर मे एक पुराना तालाब हे जिसमे सालो पहले मछली पालन होता था परंतु उस समय भी इसका पानी इतना साफ था कि गाव की महिलाए उसी पानी से बर्तन तक धुलती थी परंतु आज ग्राम प्रधान गीता यादव के समय मे उस तालाब की ऐसी दुर्दशा है कि आस पास के लोगो का जीना दुभर हो गया है, नालियो से ऐसी दुर्गन्ध आति है कि मानो हरिदासीपुर के लोग किसी नर्क के द्वारा खड़े है जिसके चलते मच्छरो का पूरी तरह से प्रकोप हो गया है जहा आज तमाम गाव के प्रधान अपने गाव की सुरक्षा के लिए सेनेटाइजर का छिड़काव करवाते है वही चन्दवक के ग्राम प्रधान सिर्फ ग्राम विकास के नाम पर आया जनता का धन डकारने मे लगे है।
आई एम ए के द्वारा 500 पीपीई किट मुख्य चिकित्सा अधिकारी रामजी पांडे को उपलब्ध करायी गयी
विधायक जाफराबाद डा.हरेन्द्र प्रताप सिंह एवं जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह की उपस्थिति में आई एम ए के द्वारा 500 पीपीई किट मुख्य चिकित्सा अधिकारी रामजी पांडे को उपलब्ध करायी गयी। इस अवसर पर विधायक जफराबाद ने कहा कि जिला प्रशासन पूरी मुस्तैदी के साथ कोरोना वायरस से लड़ रहा है, जो कि प्रशंसनीय है । यह पीपीई किट स्वास्थ्य विभाग के लिए अत्यंत उपयोगी होगी। जिलाधिकारी ने कहा कि पीपीई किट की अत्यन्त आवश्यकता थी। आईएमए के द्वारा यह सराहनीय कार्य किया गया है ,आईएमए से और लोगों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए। भाजपा प्रवक्ता ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि आई एम ए संगठन किसी भी आपदा में हमेशा बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता है ,उसी क्रम में आज 500 पीपीई किट देकर बहुत ही सराहनीय कार्य किया है इस अवसर पर डॉ आर. के. सिंह , सीएमएस पुरुष चिकित्सालय डॉक्टर ए के शर्मा, आईएमए अध्यक्ष डॉ एन के सिंह, सचिव डॉक्टर मोहम्मद जाफरी, कृष्णा हार्ट केयर के डॉक्टर हरेन्द्र देव सिंह ,डॉ रजनीश श्रीवास्तव तथा आईएमए के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।
साप्ताहिक बंदी को छोड़कर सभी दुकाने प्रातः 9.00 बजे से सायं 7.00 बजे तक खोली जा सकेगी
जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह द्वारा कलेक्ट्रेट कक्ष में व्यापारियों के साथ बैठक की गई। बैठक में निर्णय लिया गया कि साप्ताहिक बंदी को छोड़कर सभी दुकाने प्रातः 9.00 बजे से सायं 7.00 बजे तक खोली जा सकेगी। दुकानों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना अनिवार्य होगा तथा ग्राहक एवं दुकान के कर्मचारी मास्क लगा कर रहे।
दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों को बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता न देने के मामले में केंद्र सरकार के निर्णय के खिलाफ खारिज की याचिका
दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों को बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता न देने के मामले में केंद्र सरकार के निर्णय के खिलाफ याचिका खारिज की दिल्ली हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है जो केंद्र सरकार व दिल्ली सरकार के निर्णय के खिलाफ दायर की गई थी। इस याचिका में केंद्र सरकार के साथ-साथ दिल्ली सरकार के भी उस निर्णय को चुनौती दी गई थी, जिसमें सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता न देने की बात कही गई थी।न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की खंडपीठ ने कहा कि कानून में सरकार पर यह दायित्व ड़ाला गया है कि महंगाई भत्ते /महंगाई राहत में की गई वृद्धि का संवितरण समयबद्ध तरीके से करना होगा। अदालत ने यह भी कहा कि ऊपर बताए गए ऑल इंडिया सर्विसेज (महंगाई भत्ता) रूल्स के नियम 3 के तहत ही केंद्र सरकार को यह अधिकार भी मिला हुआ है कि वह उन शर्तों को तय कर सकती है, जिनके अधीन ही सरकारी अधिकारी इस महंगाई भत्ते को प्राप्त्त कर सकते हैं।अदालत ने यह आदेश एक जनहित याचिका में दिया है, जिसमें मांग की गई थी कि केंद्र और दिल्ली सरकार, दोनों के वित्त मंत्रालय को निर्देश जारी किया जाए ताकि सरकारी कर्मचारियों के बढ़े हुए महंगाई भत्ते को फ्रीज करने के संबंध में जारी अधिसूचना को वापस ले लिया जाए और मानदंडों के अनुसार इसे जारी कर दिया जाए। केंद्र सरकार के इस विवादित कार्यालय ज्ञापन में सूचित किया था कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को दिया जाने वाला मंहगाई भत्ता और केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों को दी जाने वाली महंगाई राहत का भुगतान नहीं किया जाएगा। यह महंगाई भत्ता/ मंहगाई राहत 1 जनवरी 2020 से देय था। यह भी कहा गया था कि 01 जुलाई 2020 और 01 जनवरी 2021 से देय महंगाई भत्ते और महंगाई राहत की अतिरिक्त किस्त का भी भुगतान नहीं किया जाएगा। हालांकि मौजूदा दरों पर महंगाई भत्ता और महंगाई राहत का भुगतान जारी रखा जाएगा। वहीं उक्त ओएम में यह भी कहा गया है कि 1 जुलाई 2021 से महंगाई भत्ता और महंगाई राहत की भविष्य की किश्त जारी करने का निर्णय जब भी सरकार द्वारा लिया जाएगा, उस समय महंगाई भत्ता और महंगाई राहत की दरें 1 जनवरी 2020 से प्रभावी होंगी, जिसके बाद 1 जुलाई 2020 और 1 जुलाई 2021 को देय भत्ते को भी उसी अनुसार बहाल कर दिया जाएगा। याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष निम्नलिखित तर्क दिए थे- ए-केंद्र सरकार के कर्मचारियों और केंद्र सरकार के पेंशनरों को ऑल इंडिया सर्विसेज (डीए) रूल्स 1972 के तहत बढ़ाया गया महंगाई भत्ता/महंगाई राहत प्राप्त करने का एक निहित अधिकार है। बी- COVID19 महामारी को डीए को रोकने का एक कारण बताया गया है, परंतु उसके बावजूद भी यह आदेश आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत सक्षम प्राधिकारी द्वारा पारित नहीं किया गया है। सी-सिर्फ संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत राष्ट्रपति द्वारा घोषित वित्तीय आपातकाल के दौरान ही उप-अनुच्छेद 4 (ए) (i) के आधार पर - राज्य के मामलों के संबंध में काम करने वाले सभी या किसी भी वर्ग के व्यक्तियों के वेतन और भत्ते में कमी का प्रावधान किया जा सकता है। चूंकि इस समय कोई वित्तीय आपातकाल घोषित नहीं किया गया है, इसलिए यह कार्यालय ज्ञापन जारी नहीं किया जा सकता था। न्यायालय की टिप्पणियां अदालत ने कहा कि 1972 के डीए नियम बताते हैं कि महंगाई भत्ता और महंगाई राहत पाने का अधिकार केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है। इसे केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट भी किया जा सकता है और सरकार वह शर्ते लगा सकती है, जिनको वह उपयुक्त समझती है। अदालत ने आगे कहा कि इस संबंध में कोई वैधानिक नियम नहीं है जो केंद्र सरकार को नियमित अंतराल पर महंगाई भत्ता या महंगाई राहत को बढ़ाने के लिए बाध्य करता हो। इसके अलावा केंद्र सरकार के कर्मचारियों या केंद्र सरकार के पेंशनरों को भी कोई ऐसा निहित अधिकार नहीं मिला हुआ है,जिसके तहत वह नियमित अंतराल पर बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता या महंगाई राहत प्राप्त कर सके या मांग सके। अदालत ने यह भी कहा कि- 'जहां तक 1 जनवरी 2020 से प्रभावी 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता या महंगाई राहत प्राप्त करने का संबंध है तो इस मामले में जारी किए गए कार्यालय ज्ञापन में इसे हटाने या खत्म करने की बात नहीं कही गई है। सिर्फ इतना कहा गया है कि इसे फिलहाल स्थगित किया जा रहा है और इसका भुगतान एक जुलाई 2021 के बाद किया जाएगा।' उक्त ओएम को जारी करने के अधिकार के मुद्दे पर अदालत ने कहा कि इस विवादित ओएम में COVID19 महामारी का संदर्भ दिया गया है। इसका मतलब यह नहीं है कि प्रतिवादी ने सिर्फ उन्हीं प्रावधानों को लागू किया है जो आपदा प्रबंध अधिनियम में निहित हैं। संविधान के अनुच्छेद 360 के संबंध में याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए तर्क को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि ओम में राज्य के मामलों के संबंध में सेवा करने वाले किसी भी व्यक्ति के वेतन या भत्ते को काटने या कम करने की बात नहीं कही गई है। अदालत ने कहा कि- 'हमने ऑल इंडिया सर्विसेज (डीए) रूल्स 1972 के नियम 3 पर गौर किया है। उक्त नियम में कहीं भी यह उल्लेख नहीं किया गया है कि केंद्र सरकार महंगाई भत्ता दिया जाने की पात्रता के संबंध में अपना निर्णय कुछ शर्तो के तहत ही ले सकती है। यानि ऐसा करने के लिए सरकार को पहले एक नया नियम बनाना होगा या एक राजपत्र अधिसूचना जारी करनी होगी। कानून में ऐसी किसी आवश्यकता का उल्लेख नहीं किया गया है।' इस मामले में याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व डॉ प्रदीप शर्मा और श्री हर्ष ने किया था।
किशोरों को इसके नकारात्मक प्रभाव से बचाने के लिए Tik Tok मोबाइल ऐप को नियंत्रित करना आवश्यक : उड़ीसा हाईकोर्ट
उड़ीसा हाईकोर्ट ने एक ज़मानत आवेदन पर विचार करते हुए कहा कि टिक टोक मोबाइल एप्लिकेशन को अच्छी तरह से नियंत्रित करने की आवश्यकता है। न्यायमूर्ति एसके पाणिग्रही ने कहा कि एप्लिकेशन अक्सर अपमानजन और अश्लील कल्चर को प्रदर्शित करता है और स्पष्ट रूप से परेशान करने वाली सामग्री के अलावा पोर्नोग्राफी को बढ़ावा देता है। इस तरह के एप्लिकेशन को नियंत्रित करने की आवश्यकता है, जिससे किशोरों को इसके नकारात्मक प्रभाव से बचाया जा सके।इस मामले में आरोपी मृतक की पत्नी है। आरोपी पत्नी ने एक अन्य सह आरोपी के साथ मिलकर मृतक के और आरोपी के कुछ अंतरंग और निजी वीडियो टिक टोक पोस्ट कर दिए थे, जिसके बाद मृतक ने आत्महत्या कर ली थी। दोनों आरोपियों पर आईपीसी की धारा 306 के तहत आरोप लगाए गए थे। हालांकि अदालत ने आरोपियों को जमानत दे दी, लेकिन युवाओं पर टिक टोक ऐप के नेगेटिव प्रभाव का उल्लेख किया। न्यायाधीश ने कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि तत्काल मामले में टिक टोक वीडियो एक निर्दोष जीवन के दुखद अंत का कारण बन गया है, हालांकि टिक टोक वीडियो की सामग्री को अपडेट की गई केस डायरी द्वारा छुआ नहीं जा सकता था। इस तरह के टिक टोक को प्रसारित करना, पीड़ितों को प्रताड़ित करने के लिए आपत्तिजनक सामग्री का दुरुपयोग धीरे-धीरे बढ़ रहा है।बड़ी संख्या में लोग, विशेषकर युवा, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में, इस तरह के परेशान करने वाले रुझान के प्रति संवेदनशील हैं। इस तरह के कृत्य को डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से स्मार्ट तरीके से अंजाम दिया जाता है और सोशल मीडिया पर एकीकृत किया जाता है। वायरल हो रहे ऐसे टिक वीडियो को देखकर मृतक अपमानित महसूस कर सकता है और शर्मनाक हो सकता है, जो वर्तमान मामले में काफी स्पष्ट है। हालांकि वीडियो की सामग्री को जांच के पूर्वावलोकन में लाया जाना बाकी है। इस मामले की तरह सायबर बुलिंग जैसी गतिविधियां जैसा कि वर्तमान मामले में हुआ, उससे भी कई कई निर्दोष शिकार हुए हैं। टिक टोक मोबाइल ऐप जो अक्सर आपत्तिजनक कल्चर और पोर्नोग्राफी को बढ़ावा देता है। इसकी स्पष्ट रूप से परेशान करने वाली सामग्री के कारण, इसके नकारात्मक प्रभाव को ठीक से नियंत्रित करने की आवश्यकता है ताकि किशोरों को इसके नकारात्मक प्रभाव से बचाया जा सके।" सायबर अपराध को दूर करने के लिए भारत के पास एक विशेष कानून का अभाव है। कोर्ट ने कहा कि समुचित सरकार को उन कंपनियों पर कुछ उचित नियामक दायित्व डालने की सामाजिक ज़िम्मेदारी मिली है। न्यायालय ने यह भी देखा कि, "हालांकि अन्य अधिनियमों के साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के कुछ हिस्से, ऐसे अपराधों से निपटने के लिए हैं, विशेष रूप से आईटी एक्ट की धारा 66E, 67 और 67A, जो निजता, प्रकाशन और परिसंचरण के उल्लंघन के लिए सजा निर्धारित करता है" जिसे अधिनियम अश्लील "या" कामुक "सामग्री, मानता है, लेकिन यह पूरी तरह से अपर्याप्त है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 किसी भी सामग्री को अपलोड करने से पहले इस तरह की कंपनियों पर सामग्री लेने और निर्धारित प्रक्रिय पूरी करने का दायित्व देता है, लेकिन भारत में सायबर जैसे अपराध से निपटने के लिए एक विशेष कानून का अभाव है।" न्यायालय ने यह भी देखा कि कई जांच अधिकारी न तो अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं और न ही वे सायबर अपराध की बारीकियों को समझते हैं। "यह जरूरी है कि जांच में लगे अधिकारियों को इस तरह के तकनीकी-कानूनी मुद्दों की जांच करने के लिए अपने कौशल को उन्नत करने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण दिए जाने की आवश्यकता है। इसके अलावा, सायबर खुफिया, सायबर फोरेंसिक और सायबर अभियोजन प्रशिक्षण में सुधार और सायबर पुलिसिंग को बढ़ावा देने की बात लंबे समय से चल रही है।" मद्रास उच्च न्यायालय ने टिक टोक मोबाइल एप्लिकेशन के बारे में इसी तरह की टिप्पणियां की थीं और यहां तक कि इस ऐप के डाउनलोड को प्रतिबंधित करने का निर्देश दिया था। बाद में इस आदेश को टिकटोक प्रबंधन को चेतावनी के साथ वापस ले लिया गया कि यदि यह नकारात्मक और अनुचित या अश्लील सामग्री को फ़िल्टर करने के अपने उपक्रमों का उल्लंघन करता है, तो यह अदालत की अवमानना के दायरे में आ सकता है।
सोमवार, 1 जून 2020
आपमिश्रित दोहरा व जर्दा बनाते हुए तीन अभियुक्त सहित मकान मालिक गिरफ्तार
श्री अशोक कुमार पुलिस अधीक्षक जौनपुर के निर्देशन में अपराध एवं अपराधियो के विरुद्ध चलाये जा रहेअभियान के क्रम में अपर पुलिस अधीक्षक नगर व क्षेत्राधिकारी नगर के निकट पर्यवेक्षण एवं दिशा निर्देशन में थानाकोतवाली पुलिस द्वारा मुखवीर की सूचना पर तीन व्यक्तियों को दोहरा बनाते व बेचते हुए एवं मकान मालिक को बदलापुर पडाव से आज दिनांक 31/05/20 समय 15.25 बजे गिरफ्तार किया गया।अभियुक्तों के कब्जे से 290 पुड़िया अपमिश्रित दोहरा मय जर्दा बरामद किया गया।इस सम्बंध में थाना स्थानीय पर मु0अ0सं0 247/2020 धारा 188,269,272,273 भादविव धारा-3 महामारी अधिनियमपंजीकृत किया गया ।गिरफ्तार अभियुक्तो का विवरणः- सूरज विश्वकर्मा पुत्र सुभाषचन्द्र विश्वकर्मा निवासी कटघरा लड़न कालोनी, कोतवाली जौनपुर। सुशील कुमार सिंह पुत्र मालिक सिंह निवासीबदलापुर पड़ाव कोतवाली जौनपुर ।प्रमोद कुमार पुत्र सेवा कुमार निवासी कालीकुत्ती,उमरपुर,कोतवाली,जौनपुर।4 शुभम गुप्ता पुत्र महेन्द्र साहु निवासी मालीपुर,बदलापुर पड़ाव कोतवाली जौनपुर(मकान मालिक)
गिरफ्तारी टीम का विवरणः- निरी0 श्री पवन कुमार उपाध्याय प्रभारी निरीक्षक थाना कोतवाली जौनपुर।उ0नि0 राजीव मल्ल थाना कोतवाली जौनपुर। का0 कृष्ण मुरारी यादव थाना कोतवाली जौनपुर। का0 अभय नरायन सिंह थाना कोतवाली जौनपुर।
समाज सेवीयों ने रक्तदान कर राकेश श्रीवास्तव को विदाई दिया
लायन्स क्लब संगठन जौनपुर द्वारा आई.एम.ए. ब्लड बैंक में सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करते हुए रक्तदान शिविर आयोजित किया गया। लायन्स क्लब के गवर्नर डॉ क्षितिज शर्मा ने बताया कि LCIF कोऑर्डिनेटर, राकेश श्रीवास्तव, 33 वर्षों की अनवरत सेवा के पश्चात् आज सेवा-निवृत्त हुए हैं। राकेश श्रीवास्तव ने, तमाम सामाजिक संगठनों में, एक कर्मठ योद्धा के रूप में अपनी पहचान बनाई है, और हम सब का दायित्व बनता है कि ऐसी शख्सियत की विदाई भी एक शानदार सेवा-कार्य के माध्यम से आने वाली पीढ़ी को एक सकारात्मक सन्देश के रूप में प्रस्तुत की जाय। इसीलिए ये रक्तदान शिविर लगाया गया है।
जफराबाद विधायक डॉ एच.पी. सिंह ने कहा कि जब सभी रक्त कोषों में रक्त की कमी हो रही है ऐसे में ये सभी समाज सेवी संस्थाएं बधाई के पात्र हैं जो लाक डाउन में रक्तदान कर आज के दिन को ऐतिहासिक बना रही हैं। आई.एम.ए. अध्यक्ष डॉ एन के सिंह ने बताया कि आई एम ए जौनपुर के डाक्टरों ने केवल अपने सदस्यों के रुपये एक करोड़ की लागत से भी अधिक सहयोग से ये आधुनिक मशीनों से युक्त ब्लड बैंक खोला है।
राकेश श्रीवास्तव ने उपस्थित सभी लोगों व रक्तदान करने वाले लोगों के प्रति बहुत ही भावुक होकर आभार जताया जो आज रक्तदान कर इस दिन को यादगार बनाया।
शिविर में समाज सेवी संस्थाओं, रोटरी क्लब, जेसीज क्लब, लायन्स मेन, गोमती, क्षितिज, लियो क्लब, उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संघ, अखिल भारतीय कायस्थ महासभा व कायस्थ कल्याण समिति, ग्र.प. राज्य सफाई कर्मचारी संघ के पदाधिकारी उपस्थित रहते हुए रक्तदान में सहयोग किया। तथा आगे दिनों तक रक्तदान करते रहेगे।
संचालन कैबिनेट सचिव सै मो मुस्तफा व आभार कैबिनेट कोषाध्यक्ष मनीष गुप्ता ने व्यक्त किया।रक्तदान करने वालों में डा क्षितिज शर्मा, अमन श्रीवास्तव, नीरज शाह, संजय अस्थाना, अमित पांडेय, संजय गुप्ता, अनुप सिंह, मयंक नारायण, अरिहंत सिंह, राकेश सोनी, वीरेन्द्र सिंह, राजेश किशोर श्रीवास्तव, गणतंत्र श्रीवास्तव, रामचन्द्र, पंकज श्रीवास्तव, सनी सिंह, किशोर ओझा, शम्म तबरेज़ ख़ान, हीरालाल भारती, रहबर अब्बास, शिव कुमार यादव, अमर बहादुर यादव, अभिषेक राय, सभापति उपाध्याय, नारायण, अमित सेठ, अल्तमस आदि सहित 27 लोगों ने रक्तदान किया।
जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह के निर्देशन में शहर की प्रमुख बाजारों तथा सड़कों को किया गया सैनिटाइज
आज जौनपुर शहर में बाजारों की साप्ताहिक बंदी के दिन फायर ब्रिगेड तथा नगर पालिका परिषद जौनपुर की टीम द्वारा 09 गाड़ियों से प्रमुख बाजारों तथा सड़कों को सैनिटाइज किया गया, जिसका निरीक्षण स्वयं जिलाधिकारी एवं मुख्य राजस्व अधिकारी डॉक्टर सुनील वर्मा द्वारा किया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि साप्ताहिक बंदी वाले दिन जनपद की समस्त बाजारों एवं सड़कों को सैनिटाइज किया जाएगा। उन्होंने सभी से सतर्कता बरतने की अपील की तथा कहा कि अनावश्यक रूप से घर से बाहर न निकले, बाहर निकले तो मास्क लगाकर ही निकले तथा सोशल डिस्पेंसिंग का पालन करें।