मंगलवार, 21 जुलाई 2020

उत्तर प्रदेश दिव्यांगजन पुर्नवासन हेतु दुकान निर्माण/दुकान संचालन योजना के अन्र्तगत दुकान निर्माण क्रय हेतु पात्र लाभार्थी को वित्तीय सहायता

  जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी ने बताया कि दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा संचालित’’ उत्तर प्रदेश दिव्यांगजन पुर्नवासन हेतु दुकान निर्माण/दुकान संचालन योजना के अन्र्तगत दुकान निर्माण क्रय हेतु पात्र लाभार्थी को वित्तीय सहायता के रूप में रू0 20000 की धनराशि स्वीकृत की जाती है, जिसमें से रू0 15000 की धनराशि 04 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर ऋण के रूप में  तथा रू0 5000 की धनराशि अनुदान के रूप में दी जाती है। दुकान संचालन हेतु दुकान न्यूनतम पाॅच वर्ष के लिए किराये पर लिये जाने हेतु एवं खोखा/गुमटी/हाथ ठेला क्रय हेतु पात्र लाभार्थी को वित्तीय सहायता के रूप में रू0 10000 की धनराशि स्वीकृत की जाती है। जिसमें रू0 7500 की धनराशि 04 प्रतिशत वार्षिक वार्षिक साधारण ब्याज की दर पर ऋण के रूप में दी जाती है। जिसमें 7500 की धनराशि 4 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज की दर पर ऋण के रूप में तथा रू0 2500 की धनराशि अनुदान के रूप में प्रदान की जाती है। ऐसे निराश्रित दिव्यांगजन जो 40 प्रतिशत या इससे अधिक की दिव्यंागता से प्रभावित है हो एवं उत्तर प्रदेश के मूल निवासी हो। जिनकी वार्षिक आय समय-समय पर शासन द्वारा गरीबी रेखा के लिए निर्धारित आय सीमा के दो गुने से अधिक न हों। जिनकी आयु 18 वर्ष या उससे अधिक किन्तु 60 वर्ष से अधिक न हों। जो किसी आपराधिक अथवा आर्थिक मामलों में सजा न पाये हों तथा जिनके विरूद्व किसी प्रकार की सरकारी धनराशि देय न हों। जिनके पास दुकान निर्माण हेतु स्वयं क 110 वर्गफिट भूमि हों या अपने संस्त्रोंतों से उक्त क्षेत्रफल की भूमि खरीदने/लेने में समर्थ हों। अथवा स्थानीय निकाय/उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद/विकास प्राधिकरण/प्राइवेट बिल्डर्स तथा एजेन्सी से निर्मित दुकान क्रय हेतु, किन्तु दुकान का क्रय किसी परिवारीजन के नाम से अनुमन्य नही होगा। अथवा जिनके द्वारा कम से कम पाॅच वर्ष की  अवधि का किरायेदारी का पट्टा कराया जायें उन्हे उपलब्ध दुकान संचालन हेतु (किराया एवं कार्यशील पूॅजी) अथवा जिनके द्वारा गारन्टी/बन्धक उपलब्ध कराया जायें उन्हें खोखा/गुमटी/हाथ ठेला के क्रय एव कार्यशील पूॅजी हेतु दिया जायेगा। ऐसे दिव्यांग व्यक्ति जो विभाग द्वारा संचालित कार्यशाला से प्रशिक्षित हो अथवा आई0टी0आई0/पालीटेकनिक या किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से किसी व्यवसाय में प्रशिक्षण प्राप्त/डिप्लोमा प्रमाणपत्र धारी है और उसी क्षेत्र में व्यवसाय करना चाहता है, उसे वरीयता दी जायेगी। दिव्यांग दुकान पुर्नवासन हेतु दुकान निर्माण/संचालन येाजना के अन्तर्गत इच्छुक/पात्र दिव्यांगजन वर्तमान वित्तीय वर्ष में योजना की बेबसाइट http://divyangiandukan.upsde.gov.in  पर आनलाईन आवेदन कर सकते है । आनलाईन फार्म भरते समय आवेदक दम्पत्ति को दिव्यांगता प्रदर्शित करने वाला संयुक्त नवीनतम् फोटो , आयु प्रमाणपत्र जिसमे जन्मतिथि का अंकन हो सक्षम प्राधिकारी के स्तर से निर्गत दिव्यांगता प्रमाणपत्र, राष्ट्रीयकृत बैंक में संचालित खाता, आय प्रमाणपत्र , अधिवास का प्रमाणपत्र तथा आधारकार्ड एवं दो गवाहों की दो-दो आई0डी0 की छायाप्रति को स्वप्रमाणित करते/करवाते हुए मय अनुबंध, आवेदनपत्र के साथ आनलाईन उपरोक्त बेबसाइट पर अपलोड करना अनिवार्य है। योजनान्तर्गत लक्ष्य के अनुरूप 30 दिव्यांगजनों को शासनादेश के अनुरूप लाभान्वित करने की कार्यवाही सम्पन्न की जायेगी। अधिक जानकारी के लिए किसी भी कार्यदिवस में विकास भवन स्थिति कार्यालय, जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी से सम्पर्क कर सकते है ।
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जिलाधिकारी  दिनेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुई,जिला बाल संरक्षण समिति एवं बाल विवाह रोकथाम हेतु जनपद स्तर पर गठित जिला टास्क फोर्स की बैठक


जिला बाल संरक्षण समिति एवं बाल विवाह रोकथाम हेतु जनपद स्तर पर गठित जिला टास्क फोर्स की बैठक कलेक्ट्रेट सभागार में जिलाधिकारी  दिनेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुई । बैठक में  जिला बाल संरक्षण अधिकारी संतोष कुमार सोनी द्वारा चयन सेवा संचालन की जानकारी प्रदान  की गई। चाइल्डलाइन की तरफ से  अभिषेक उपाध्याय  द्वारा माह अप्रैल से अब तक आए हुए मामलों का विवरण समिति के समक्ष रखा गया। जिलाधिकारी द्वारा जिला प्रोबेशन अधिकारी को निर्देशित किया गया कि चाइल्ड लाइन के कार्यालय का निरीक्षण करे। बैठक में  संप्रेक्षण गृह जौनपुर के निर्माण की समीक्षा की गई तथा  अनुस्मारक पत्र भेजे जाने का निर्देश दिया गया ।किशोर न्याय बोर्ड की समीक्षा में विदिशा प्रशासनिक अधिकारी  मुरलीधर गिरी द्वारा अवगत कराया गया कि किशोर न्याय बोर्ड जौनपुर में 1211 मामले लंबित हैं । वर्तमान समय में जौनपुर के 49 बच्चे राजकीय संप्रेक्षण गृह वाराणसी एवं 4 बालिकाएं राजकीय संप्रेक्षण गृह  बाराबंकी में संरक्षित है। स्पॉन्सरशिप योजना की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि सभी उप जिलाधिकारियों एवं सभी खंड विकास अधिकारियों से वंचित बच्चों के प्रस्ताव प्राप्त कर लिए जाएं एवं सभी प्रस्तावों की अपने स्तर से जांच करा कर ही स्वीकृति हेतु प्रेषित किया जाए। उपयुक्त व्यक्ति उपयुक्त संस्था की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी ने कहा  कि इतने बड़े जनपद में उपयुक्त व्यक्ति और उपयुक्त संस्था का चयन होना चाहिए ।इसके लिए अच्छी संस्थाओं एवं गणमान्य नागरिकों से वार्ता कर उनका आवेदन प्राप्त किया जाए एवं बाल कल्याण समिति जौनपुर से उपयुक्त उपयुक्त घोषित कराएं जिससे जनपद के संरक्षण वाले बच्चों को उसका लाभ प्राप्त हो सके। बाल विवाह की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी द्वारा निर्देशित किया गया कि सोशल मीडिया के माध्यम से बाल विवाह के संबंध में जनमानस को जागरूक करने हेतु आवश्यक कार्यवाही करें। ब्लॉक स्तरीय बाल संरक्षण समिति एवं ग्राम स्तरीय बाल संरक्षण समिति की बैठकों के संबंध में निर्देशित किया गया कि इस हेतु रोस्टर जारी कराएं एवं रोस्टर के अनुसार सभी ब्लॉक एवं ग्राम पंचायतों में बाल संरक्षण समिति की बैठक अवश्य हो ।
 बैठक बाल कल्याण समिति  के कार्यों की समीक्षा की गई जिसमें बाल कल्याण समिति के सदसय धनंजय सिंह द्वारा बाल कल्याण समिति के प्रकरणों को विस्तार से बताया गया।  जिलाधिकारी ने किशोर न्याय अधिनियम के तहत कोई भी कार्य बाधित नहीं हो,बच्चों के संबंध में होने वाले हर कार्य सजगता से पूर्ण करते हुए जनपद के बच्चों को उसका लाभ दिलाया जाए। बैठक में बाल कल्याण समिति के सदस्य आनंद प्रधान ममता श्रीवास्तव सहायक जिला विद्यालय निरीक्षक रमेश चंद्र यादव बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से श्री आशीष श्रीवास्तव जिला कार्यक्रम अधिकारी राकेश मिश्रा कुलदीप सिंह सहायक श्रम आयुक्त बाल संरक्षण
                                                                     
 


राम जन्मभूमि पर खुदाई में पाई गई कलाकृतियों के संरक्षण की मांग करने वाले दो याचिकाकर्ताओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 1-1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मंदिर के निर्माण के दौरान अयोध्या में भगवान राम की जन्मभूमि के आसपास की भूमि की खुदाई करते समय पाए जाने वाले प्राचीन अवशेषों और कलाकृतियों के संरक्षण की मांग करने वाली दो जनहित याचिकाओं को खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं पर 1-1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की 3 जजों की पीठ ने याचिका को अयोध्या भूमि विवाद के फैसले के कार्यान्वयन को रोकने के प्रयास के रूप में देखा और परिणामस्वरूप इसे तुच्छ समझा।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने यह दावा करने का प्रयास किया कि उनकी प्रार्थना केवल यह सुनिश्चित करने के लिए है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) स्थल पर लेवल करने और खुदाई का पर्यवेक्षण कर सकता है और जो भी कलाकृतियों और पुरावशेष मिले हैं उन्हें जब्त कर सकता है। हालांकि, न्यायमूर्ति मिश्रा ने यह पूछने के लिए हस्तक्षेप किया कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत अदालत के समक्ष ऐसी याचिका क्यों दायर की गई थी।
याचिका खारिज करने के लिए जाने के बाद, न्यायमूर्ति मिश्रा ने याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाई और कहा कि "इस तरह की तुच्छ याचिकाएं दायर करना बंद करो! इससे आपका क्या मतलब है? क्या आप कह रहे हैं कि कानून का कोई नियम और न्यायालय का फैसला (अयोध्या का फैसला) लागू नहीं होगा और कोई भी कार्रवाई नहीं करेगा? " सॉलिसिटर जनरल द्वारा इस याचिका को दायर करने के लिए जुर्माना लगाने का आग्रह करने पर, न्यायमूर्ति मिश्रा ने प्रत्येक याचिकाकर्ता पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाने के लिए कहा जिसे एक महीने की अवधि के भीतर जमा करना होगा।
याचिकाकर्ताओं, जो प्राचीन गुफाओं और स्मारकों के क्षेत्र में शोधकर्ता हैं, ने एएसआई के लिए इस याचिका के साथ शीर्ष अदालत का रुख किया था कि वह अपने आस-पास के क्षेत्रों के साथ प्रस्तावित राम मंदिर निर्माण के स्थल की खुदाई करवाए ताकि प्राचीन कलाकृतियां, पुरावशेष और स्मारकों को पुनर्प्राप्त किया जा सके और उनका विश्लेषण करने में वैज्ञानिक अनुसंधान किया जाना चाहिए। ASI द्वारा खुदाई कार्य करने की आवश्यकता पर बल देते हुए, यह इंगित किया गया है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद 2003 में भी ऐसा ही किया गया था, लेकिन राम मंदिर निर्माण के स्थल पर कोई खुदाई नहीं की गई थी। याचिकाकर्ताओं ने मीडिया रिपोर्टों का भी हवाला दिया जो बताती हैं कि मई में मलबे को हटाने के दौरान साइट पर कुछ कलाकृतियां पाई गई थीं, लेकिन एएसआई या केंद्र सरकार को नहीं सौंपी गई थीं। इसके बजाय, यह सूचित किया गया है, इन प्राचीन अवशेषों को साइट पर ही छोड़ दिया गया है, वो भी बिना किसी सुरक्षा के। इस प्रकार, यह प्रार्थना की गई कि केंद्र, राज्य सरकार, एएसआई और अन्य संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया जाए कि " प्रतिवादी संख्या 6 (राम जन्मभूमि तीर्थ) से प्राचीन अवशेष, कलाकृतियों, पुरावशेषों और स्मारकों का अधिग्रहण किया जाए, जो मई 2020 के महीने में अयोध्या, जिला फैजाबाद, राज्य उत्तर प्रदेश में राम मंदिर के निर्माण के लिए श्री राम के जन्म स्थान की भूमि को समतल करने और खुदाई करने के दौरान पाए गए थे और भारत के संविधान के अनुच्छेद 29 (1) और 49, 1950 और प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थलों के प्रावधान और अधिनियम, 1958 के अनुसार उनका संरक्षण किया जाए।" याचिकाकर्ताओं ने इस तथ्य पर भी ध्यान आकर्षित किया कि बरामद कलाकृतियों को बिना किसी वैज्ञानिक अनुसंधान या विश्लेषण के हिंदू संस्कृति और धर्म के अवशेषों के रूप में पेश किया जा रहा है। "... उक्त कलाकृतियां और मूर्तियां प्राचीन भारतीय संस्कृति तक पहुंचने के अवशेष हैं और इसलिए उन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है और उनके मूल में वैज्ञानिक, पुरातत्व अनुसंधान किए जाने की आवश्यकता है।" इसके अतिरिक्त, यह आरोप लगाया गया कि महानिदेशक (DG), ASI, जो प्राचीन स्थलों और स्मारकों के संरक्षण और संरक्षण के लिए सक्षम प्राधिकारी हैं, की देखरेख में खुदाई और समतल गतिविधियां नहीं की जा रही हैं। इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि स्थानीय अधिकारी और सक्षम एएसआई अधिकारी भी खुदाई के दौरान साइट पर मौजूद नहीं हैं और समतल करने का काम किया जा रहा है, इसलिए इसी तरह पड़ा कलाकृतियों और मूर्तियों को जब्त नहीं किया जा रहा है। अपनी दलीलों पर जोर देने के लिए, यह बताया गया कि हैदराबाद के दलित अध्ययन केंद्र के अध्यक्ष ने दावा किया है कि उनका प्राचीन बौद्ध संस्कृति और साहित्य के साथ एक निकट संबंध है। सम्यक विश्व संघ के सचिव द्वारा लिखे गए एक पत्र का भी संदर्भ दिया गया, जिसमें महानिदेशक, एएसआई को कलाकृतियों और मूर्तियों को जब्त करने और संरक्षित करने का अनुरोध किया गया था। उन्होंने कहा, "यह भी पता चला है कि कहा जाता है कि प्राचीन कलाकृतियां और स्मारक इस स्थल पर क्षतिग्रस्त होने और नष्ट होने के गंभीर कारण हैं। इसलिए, बरामद प्राचीन कला प्रभाव के नुकसान की आशंका से पीड़ित याचिकाकर्ता इस माननीय न्यायालय के समक्ष संपर्क करने के लिए विवश हैं।" यह कहा गया कि याचिकाकर्ताओं ने इस मुद्दे पर महानिदेशक, एएसआई और अन्य अधिकारियों को इस तरह के मामलों के संरक्षण के लिए एक प्रतिनिधित्व दिया था, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। निर्माण प्रक्रिया को रोकने के प्रयास के किसी भी विचार का खंडन करने के लिए, याचिकाकर्ताओं ने अपनी प्रार्थना में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया था कि " जिला फैजाबाद, राज्य उत्तर प्रदेश के अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण करते समय" फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट को खुदाई की पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग करने का निर्देश दिया जाए।


सोमवार, 20 जुलाई 2020

समाजसेवी ने किया भव्य शोरूम का उद्घाटन



स्थानी बाजार के बरसठी रोड पर उद्योगपति समाजसेवी अशोक सिंह ने सोमवार शाम 4:30 बजे गारमेंट्स के भव्य शोरूम का उद्घाटन किया इस अवसर पर उनकी पत्नी शीला सिंह भी मौजूद रही। समाजसेवी उद्योगपति अशोक सिंह ने बताया कि हमारी एक दुकान वियरेबल फॉर मेंस गारमेंट्स के नाम से मुंबई में है उसी गारमेंट्स  की दुकान की शाखा का शुभारंभ सोमवार को रामपुर बाजार के बरसठी रोड पर किया गया। हमारा उद्देश्य है। की जो कपड़ा हमारे मुंबई गारमेंट के शोरूम में मिलता है। वही कपड़ा सस्ते दामों में रामपुर क्षेत्रवासियों को मिले। रामपुर में खुले वियरेबल  फॉर  मेंस गारमेंट शोरूम के माध्यम से कई लोगों को रोजगार भी प्राप्त होगा। और मुझे भी रामपुर की जनता की सेवा करने का मौका मिलेगा। इस संबंध में समाजसेवी शंभू नाथ तिवारी ने कहा कि समाजसेवी अशोक सिंह द्वारा किया गया यह कार्य बहुत ही सराहनीय है।हमारे क्षेत्र वासियों को बड़े-बड़े शहरों के फैशनेबल कपड़े आसानी से रामपुर बाजार में खुले शोरूम में मिल जाएगा इस शोरूम के माध्यम से क्षेत्र के कई लोगों को रोजगार भी प्राप्त होगा। इस अवसर पर एडवोकेट जेपी मिश्र प्रदीप यादव सौरभ सिंह समर सिंह किस्मत अली सहित अन्य लोग रहे