बुधवार, 18 नवंबर 2020

PMO अनूठा, मामले को अनिश्चित काल तक लंबित नहीं रखा जा सकता": सुप्रीम कोर्ट ने PM मोदी के वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पूर्व बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव द्वारा दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा जिसमें 2019 के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव को चुनौती दी गई है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने कहा कि देश के सबसे महत्वपूर्ण कार्यालय, यानी पीएमओ और इससे संबंधित मुद्दे को अनिश्चित काल तक लंबित नहीं रखा जा सकता है। ऐसा तब हुआ जब याचिकाकर्ता के वकील ने सुनवाई के दौरान कई बार स्थगन और पासओवर की मांग की।सीजेआई एस ए बोबडे ने कहा, "हम पहले ही इसे कई बार स्थगित कर चुके हैं। यह एक महत्वपूर्ण मामला है, जो प्रधानमंत्री के अनूठे कार्यालय के इर्द-गिर्द घूमता है। हम इसे अनिश्चित काल तक लंबित नहीं रख सकते।" अधिवक्ता प्रदीप कुमार ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल, पूर्व बीएसएफ जवान के नामांकन को गलत तरीके से खारिज कर दिया गया था और उन्हें नोटिस जारी होने के बाद पर्याप्त समय नहीं दिया गया था। इस बिंदु पर, सीजेआई बोबडे ने उनसे पूछा कि उक्त विवाद याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में कहां उठाया था।वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे पीएम मोदी के लिए उपस्थित हुए और उन्होंने अदालत को बताया कि विवाद को उच्च न्यायालय के समक्ष नहीं उठाया गया था और न ही अब इसे उठाया गया है। गौरतलब है कि 6 दिसंबर 2019 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी से लोकसभा चुनाव जीतने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया था। पीएम मोदी के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका बीएसएफ से बर्खास्त जवान तथा समाजवादी पार्टी के घोषित प्रत्याशी तेज बहादुर यादव ने दायर की थी। नामांकन से पहले तेज बहादुर यादव का पर्चा खारिज हो गया था।


हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता ने 58 पृष्ठ के अपने फैसले में कहा था कि याचिकाकर्ता को इस चुनाव को चुनौती देने का अधिकार नहीं है क्योंकि वह न तो वाराणसी का मतदाता है और न लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी रहा है। इसलिए उसे पीड़ित पक्ष नहीं कहा जा सकता। तेजबहादुर को 24 घंटे में आपत्ति दाखिल करने का अधिकार था किंतु याचिका में यह आधार लिया गया है कि उसे आपत्ति करने का 24 घंटे का समय नहीं दिया गया। दरअसल, वाराणसी सीट से नामांकन दाखिल करने वाले बीएसएफ के बर्खास्त सिपाही तेज बहादुर यादव ने पीएम मोदी के निर्वाचन को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनाव याचिका दाखिल की थी। याचिका में तेज बहादुर ने पीएम मोदी का चुनाव रद्द करने की मांग की थी। तेज बहादुर को समाजवादी पार्टी ने प्रत्याशी बनाया था। तेज बहादुर ने चुनाव अधिकारी पर आरोप लगाया था कि पीएम मोदी के दबाव में गलत तरीके से चुनाव अधिकारी ने उसका नामांकन रद्द किया था, जबकि गलत तथ्य देने व सही तथ्य छिपाने के आधार पर नामांकन निरस्त किया गया था। याचिका पर 23 अक्तूबर को हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था। पीएम मोदी की ओर से ये दलील दी गई थी कि वह वाराणसी लोकसभा क्षेत्र के वोटर नहीं हैं। साथ ही नामांकन खारिज होने के बाद वह वाराणसी सीट से प्रत्याशी भी नहीं थे। लिहाजा निर्वाचन को वही व्यक्ति चुनौती दे सकता है जो कि वाराणसी लोकसभा क्षेत्र का मतदाता या प्रत्याशी रहा हो। चुनाव याचिका में तेज बहादुर यादव का आरोप था कि उनका नामांकन सेना से बर्खास्त होने के चलते रद्द किया गया है, जबकि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत अगर किसी सरकारी कर्मचारी को उसके पद से बर्खास्त किया जाता है तो वह पांच साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ सकता, जब तक कि चुनाव आयोग उस व्यक्ति को इस बात का सर्टिफिकेट न जारी करे कि देशद्रोह और भ्रष्टाचार के आरोप में उसे बर्खास्त नहीं किया गया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी में तर्क दिया गया है कि उच्च न्यायालय जिला चुनाव अधिकारी द्वारा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9 और 33 (3) के तहत प्रावधानों के दुरुपयोग की सराहना करने में विफल रहा है। अधिवक्ता प्रदीप कुमार द्वारा दायर की गई ट और अधिवक्ता संजीव मल्होत्रा ​​द्वारा दायर याचिका में आगे कहा गया है कि मामले की योग्यता को ध्यान में रखने में नाकाम रहने पर उच्च न्यायालय द्वारा एक गंभीर त्रुटि की गई है और इस तरह, सिविल प्रक्रिया संहिता के VII नियम 11 के आदेश के "महज तकनीकी आधार" पर याचिका को खारिज करने को गलत ठहराया। पूर्व बीएसएफ जवान ने वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से अपने नामांकन को अस्वीकार करने के रिटर्निंग ऑफिसर के फैसले को चुनौती देते हुए पहले सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वालीपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया था



मनरेगा पार्क वाले गांवों को बनाया जायेगा आदर्श गांव

  जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने समस्त उप जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि वे अपने खंड विकास अधिकारियों से उन गांवों की सूची प्राप्त करे जहां पर मनरेगा पार्क विकसित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जनपद में ऐसे 45 गांव में पार्कों को विकसित किया गया है। इन सभी गांव को आदर्श गांव बनाना है। उन्होंने कहा कि एक सप्ताह तक इन गांवों में स्वयं जाकर के पब्लिक मीटिंग करें और इस मीटिंग में शिक्षा विभाग के एबीएसए और गांव के विद्यालय के सभी अध्यापकगण, बाल विकास की सुपरवाइजर और आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य विभाग की एएनएम और आशा,  पंचायत सचिव रोजगार सेवक किसान सहायक, प्रधान ग्राम एवं अन्य पुरुष और महिलाएं उपस्थित रहे। गांव को आदर्श शिक्षित गांव बनाना, गांव में सभी पात्र विधवा, विकलांग, वृद्धावस्था, किसान सम्मान निधि, सुमंगला योजना आदि के सभी पात्र लोगों का ऑनलाइन आवेदन करा कर उसकी स्वीकृति कराना, कोई पात्र वंचित न रहने पाए। स्कूल की दीवारों का पुरातन छात्र जो किसी न किसी अच्छी पद पर हो उनका नाम, मोबाइल नंबर के साथ लिखवाना और प्रत्येक माह की 01 तारीख को उन्हें बुलाकर सम्मान करना। सभी पात्रों को गांव के 04 महिलाओं के कर कमलों से पोषाहार का वितरण कराना। सभी वंचित और पात्रों का नाम पर राशन कार्ड बनाना, राशन वितरण के लिए चार लोगों की कमेटी बनाना जो अपनी उपस्थिति में सभी को निर्धारित मात्रा में निर्धारित मूल्य पर राशन वितरण कोटेदार से कराएं। भूमि विवादों को चिन्हित कर उन सभी विवादों को पुलिस और राजस्व निरीक्षक की संयुक्त टीम द्वारा निस्तारित कराना। सभी मृतक काश्तकारों के वारिसों का नाम अविवादित मामलों में खतौनी में दर्ज कराकर उन्हें खतौनी उपलब्ध कराना। गरीब वंचित पात्र लोगों को आवासीय पट्टे की भूमि उपलब्ध करना। गांव में कूड़ा प्रबंधन की समुचित व्यवस्था करना। गांव में प्रतिदिन समुचित सफाई के साथ प्रति सप्ताह एक बार सभी नालियों में एंटी लार्वा का छिड़काव और पूरे गांव में और सबके घरों में फागिंग कराना। गर्भवती महिलाओं की काउंसलिंग के लिए डॉक्टर और एएनएम और काउंसलर के माध्यम से उनकी काउंसलिंग कराना। परिवार रजिस्टर में सभी के नाम चढ़ाना। सभी परिवारों को परिवार रजिस्टर की नकल बनाकर उपलब्ध कराना। पात्र लोगों के मनरेगा जॉब कार्ड बनवाना। पैमाइश व बंटवारे व नामांतरण के वाद किसी भी न्यायालय में लंबित हो उनको ससमय निस्तारित कराना। पंचायत भवन को सुव्यवस्थित कर संचालित कराना। सामुदायिक शौचालय को शासनादेश अनुसार उच्च कोटि का संचालन कराना। विकास कार्यों को और आए हुए धन का पूरा विवरण दीवार पर लिखवाना। ग्राम स्तरीय सभी अधिकारियों/कर्मचारियों का नाम, पद नाम, मोबाइल नंबर और गांव में आने का दिन को दीवाल पर लिखवाना। विद्यालय का सर्वांगीण कायाकल्प करना। विद्यालय में बच्चों की शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित कराना। प्रतिदिन आधा घंटा संस्कार की शिक्षा बच्चों को देना। गांव वासियों के विद्यालय में सहभागिता बढ़ाना। विद्यालय में 4 से 5 अभिभावकों को प्रतिदिन बुलाना। विद्यालय में दोपहर भोजन के समय बच्चों के साथ गांव के चार पांच लोगों को आमंत्रित कर सहभागिता करना, जिससे वह खाने की गुणवत्ता देख सकें। पंचायत भवन में ग्राम स्तरीय सभी अधिकारियों की नेम प्लेट लगाना और उनके बैठने की व्यवस्था करना। गांव के सभी हैंडपंप जो खराब हो उनको ठीक करा कर चालू करना। गांव के सभी घरों में 20 लीटर या उससे अधिक साइज के कूड़ा दानों की व्यवस्था करना। गांव में सार्वजनिक जमीन पर गांव के कूड़े को व्यवस्थित रूप से डालने और उसको खाद बनाने के लिए गड्ढों की व्यवस्था कराना। गांव की सभी श्रमिकों का श्रम विभाग में पंजीकरण कराना। युवक मंडल दल द्वारा खेलकूद की टीमें तैयार कर खेलकूद को प्रोत्साहन देना। धन की उपलब्धता के आधार पर पूरे गांव की सड़कों का सुदृढ़ीकरण। जल निकासी की व्यवस्था। गांव के शौचालय जो लोगों के बनाए गए हैं उनका सभी उपयोग करें यह सुनिश्चित करना। खुले में शौच से पूरी तरह से मुक्त करना। गाव में अगर कोई आवारा पशु हो तो उनको पकड़ कर गौशाला भेजना। गांव में कॉमन सर्विस सेंटर खुलवा कर उसको प्रभावी बनाना तथा निर्धारित दरों पर गांव वालों को सुविधाएं उपलब्ध कराना। उक्त सभी कार्य करके गांव को आदर्श बनाया जाने हेतु उप जिलाधिकारी की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। पूरे जुनून और ताकत के साथ इन गांव को आदर्श बनाकर मॉडल बना दें जिससे अन्य गांव इंनसे प्रेरणा लेकर के अपने गांव में भी सुधार करें। किये गये कार्यो की सूचना प्रतिदिन मेरे व्हाट्सएप पर भी अवगत कराये। एक सप्ताह बाद इस कार्यो की मीटिंग कर कार्यों की समीक्षा गांववार की जाएगी।