सोमवार, 20 अप्रैल 2020

गरीब व छूटे हुए पात्र व्यक्तियों के राशन कार्ड बनाना

माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देशानुसार गरीब एवं छूटे हुए पात्र व्यक्तियों के राशन कार्ड बनाए जाने के संबंध में सभी लेखपालों को निर्देशित किया गया था कि ग्राम में ऐसे व्यक्तियों को चिन्हित करें जो राशन कार्ड के लिए पात्र हो लेकिन राशन कार्ड बना न हो। अब तक 13129 ऐसे लोगों को चिन्हित करके उनके फार्म लेखपालों द्वारा पूरे जिले के उपलब्ध कराए गए हैं, जिनमें जांच उपरांत अब तक 6151 लोगों के कार्ड बना करके जारी कर दिए गए शेष की जांच और जारी करने का कार्य प्रगति पर है। उप जिलाधिकारियों एवं तहसीलदार को आदेशित किया गया है इस पर सतत निगरानी रखें किसी अपात्र का राशन कार्ड न बनने पाए लेकिन कोई पात्र छुटने न पाए। यह भी निर्देशित किया गया कोई भूखा न रहे अगर ऐसा कोई है तत्काल उसकी राशन/खाने की व्यवस्था की जाए। कम्युनिटी किचन के नंबर प्रत्येक गांव में व्यापक रूप से प्रचारित किए जाएं। शहरी क्षेत्र में नगर पालिकाओं/नगर पंचायत द्वारा कम्युनिटी किचन के नंबर का प्रचार प्रसार किया जाये।
                                                         


आज से कार्यालयों में कार्य होगा प्रारंभ

   जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने बताया है कि 20 अप्रैल से कार्यालयों में कार्य प्रारंभ होगा। कार्यालयाध्यक्ष यह सुनिश्चित करेंगे कि जो आवश्यक स्टाफ है उसी को बुलाएंगे और यह संख्या एक तिहाई से अधिक न हो। कार्यालय में सैनेटाईजेशन की पूर्ण व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करेंगे। क्योंकि लाकडाउन 03 मई तक लागू है। अतः अन्य किसी को कार्यालय में अपने किसी कार्य से आने की अनुमति नहीं होगी। शासन के आदेशानुसार पुलिस विभाग, नगर विकास विभाग, होमगार्ड विभाग, मौसम विभाग, आकस्मिक सेवाएं, आपदा प्रबंधन, कारागार विभाग में यह प्रतिबन्ध लागूं नहीं होंगे।


रविवार, 19 अप्रैल 2020

5 सवालो का सही जबाब देकर जीते 100 रूपये का आकर्षक इनाम 

5 सवालो का सही जबाब देकर जीते 100 रूपये का आकर्षक इनाम 


1. कौन सी धारा है जो सूचना अधिकार मे आवेदक को सूचना से वंचित रखती है?
2. कौन सी धारा है जो सूचना अधिकार मे निरीक्षण का अधिकार देती है?
3. कौन सी धारा है जो सूचना अधिकार मे निशुल्क सूचना प्रदान करवाती है?
4. कौन सी धारा है जो सूचना अधिकार मे शिकायत का अधिकार प्रदान करती है?
5. कौन सी धारा है जिसके अंतर्गत आयुक्त सूचना अधिकारी पर दण्डात्मक कार्यवाही करता है?
उपर दिये गये सवालो मे सही जबाब देने वालो मे 5 व्यक्तियो को हकीकत एक्सप्रेस की तरफ से 100/ नगद पुरस्कार दिया जाएगा तथा फोटो के साथ नाम प्रकाशित किया जाएगा।
इनामी सवालो का कालम सिर्फ रविवार को प्रकाशित हाोगा तथा उसका सही जबाब अगले मंगलवार के प्रकाशन मे दिया जाएगा।
सवालो के जबाब व्हाटशाॅप नम्बर 9984458783 पर आमत्रिंत है।
                                                                                                                                         सम्पादक
                                                                                                                                     हकीकत एक्सप्रेस
                                                                                                                                              हिंदी दैनिक


 


गरीब, असहाय लोगों में राशन तथा भोजन के पैकेट एवं मास्क वितरित किए जिलाधिकारी

  जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने विकास खण्ड सुईथाकला के ग्राम कुसियाबहार तथा सदरूद्दीनपुर पहुंचकर गांव वालों का हालचाल पूछा तथा उनसे राशन वितरण की जानकारी प्राप्त की, साथ ही उन्होंने गरीब, असहाय लोगों में राशन तथा भोजन के पैकेट एवं मास्क वितरित किए। ग्राम कुसियाबहार में बासमती पत्नी रामकृपाल बिदं तथा अन्य ग्रामीणों से पूछा कि कोटेदार द्वारा राशन दिया जा रहा है या नहीं। जिलाधकारी ने कहा कि अगर कोटेदार द्वारा कम राशन दिया जाए तो उसकी शिकायत हमारे मो. नं.(9454417578) पर कर सकते हैं। कोटेदार कम राशन देगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। जिलाधिकारी ने बताया कि उज्ज्वला गैस कनेक्शन के लाभार्थियों के खाते में पैसे भिजवाए जा चुके हैं, लाभार्थी अपना पैसा निकालकर गैस एजेंसी जाकर गैस सिलेंडर ले सकते हैं। ग्राम सदरूद्दीनपुर में संतलाल बिंद एवं कुछ अन्य ग्राम वासियों ने  बताया कि उनका राशन कार्ड नहीं बना है, जिस पर जिलाधिकारी ने उप जिलाधिकारी  शाहगंज को निर्देश दिया कि गांव में लेखपाल को भेजकर सर्वे कराएं तथा जिनका राशन कार्ड नहीं बना है उनका राशन कार्ड तत्काल बनाया जाए, जिससे ग्रामवासी खाद्यान्न वितरण की दुकान से राशन ले सकें। जिला अधिकारी द्वारा गांव के शीला पत्नी गुड्डू, अभयराज, सुभाष चंद्र को राशन के पैकेट तथा गांव के बच्चों को भोजन के पैकेट वितरित किए।
       जिलाधिकारी द्वारा जपटापुर में साधन सहकारी समिति के गेहूं क्रय केंद्र का भी निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान केंद्र प्रभारी बृजेश सिंह के उपस्थित न होने तथा गेहूं की खरीद न होने पर जिलाधिकारी ने चेतावनी देते हुए कहा कि क्रय केंद्र पर गेहूं खरीद प्रारंभ कराएं, अन्यथा केंद्र प्रभारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। दो दिन पूर्व जिलाधिकारी द्वारा क्रय केंद्र के निरीक्षण के दौरान भी केंद्र प्रभारी उपस्थित नहीं पाए गए थे इस पर जिलाधिकारी ने सख्त नाराजगी व्यक्त की थी।   
                                                                


58 कोरोना संदिग्धों की सैंपल की जांच रिपोर्ट आई है सभी की रिपोर्ट नेगेटिव

  जिलाधकारी दिनेश कुमार सिंह ने बताया है कि आज 58 कोरोना संदिग्धों की सैंपल की जांच रिपोर्ट आई है और सभी की रिपोर्ट नेगेटिव है। आज 44 अन्य संदिग्धों के सैंपल और लिए गए तथा अब तक जनपद जौनपुर में ऐसे 468 लोगों को चिन्हित किया गया जो संदिग्ध थे जिनमे कोरोना जैसे लक्षण थे। आज तक 363 सैंपल के रिजल्ट आ चुके हैं। अभी 105 लोगों के नमूनों की जांच रिपोर्ट आना शेष है। 15 अप्रैल को एक व्यक्ति शाने आलम का सैंपल पॉजिटिव आया था। एक व्यक्ति मोहम्मद असहद का 23 मार्च को सैंपल पॉजिटिव आया था जो इलाज के बाद ठीक होकर घर चल गये है।  02 अप्रैल को दो लोगों का सैंपल पॉजिटिव आया था जिसमें एक बांग्लादेश का स्माइल था और दूसरा रांची का यासीन अंसारी था। दोनों अस्पताल में भर्ती है और उनका इलाज चल रहा है एक व्यक्ति हाफिज गुफरान का नमूना 08 अप्रैल को पॉजिटिव आया था। जिलाधकारी ने बताया कि किसी को घबराने की जरूरत नहीं है, केवल सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। कोई भी व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को स्पर्श न करें, दूरी बनाकर रखें, लॉकडाऊन के नियमों का पालन करें। सोशल डिस्टेंसिंग और आइसोलेशन के सिद्धांतों का पालन करें। यही एक रास्ता इस बीमारी से बचाव का है। हम सब इसका पालन करके ही कोरोना वायरस के संक्रमण को जनपद में रोक सकते हैं। अनावश्यक रूप से घरों से बाहर न निकले, मास्क का प्रयोग करें। समय-समय पर अपने हाथों को सैनिटाइज करते रहें या साबुन से धोते रहें।  


सरकार के निर्देश का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह

 जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार  पुलिस, होमगार्ड, सिविल डिफेंस, अग्निशमन, आकस्मिक सेवाएं, आपदा प्रबंधन, कारागार, नगर निकाय बिना किसी प्रतिबंध के यथावत अपने कार्यों को संपादित करेंगे। प्रदेश के सभी विभागाध्यक्ष/कार्यालयाध्यक्ष एवं समूह क तथा ख के सभी अधिकारी कार्यालय में उपस्थित रहेंगे। कार्यालय में प्रत्येक कार्य दिवस में समूह ग एवं घ के यथावश्यक 33 प्रतिशत तक के कार्मिकों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने की व्यवस्था के लिए विभागाध्यक्ष/कार्यालयाध्यक्षों के स्तर से आवश्यकता का निर्धारण करते हुए रोस्टर तय किया जाएगा। विभागाध्यक्षों/कार्यालयाध्यक्षों को सुझाव दिया जाता है कि वह अपने यहां कार्यरत कर्मचारियों का रोस्टर इस प्रकार बना ले कि ऐसे कर्मी अल्टरनेट दिवस में कार्यालय आए परंतु इससे शासकीय कार्य में कोई व्यवधान उत्पन्न न हो, शासकीय कार्य हेतु आवश्यक कार्मिकों को ही कार्यालय में बुलाया जाए। कार्यालय की कार्य अवधि में सोशल डिस्टेंसिंग एवं अन्य सुरक्षात्मक उपायों का प्रयोग ध्यान रखा जाए। रोस्टर के अनुसार घर से कार्य संपादित कर रहे कर्मी इस अवधि में अपने मोबाइल एवं इलेक्ट्रॉनिक साधनों के माध्यम से कार्यालय के संपर्क में रहेंगे, उन्हें आवश्यकता पड़ने पर कार्यालय बुलाया जा सकेगा। जिला प्रशासन, ट्रेजरी के कार्यों के संपादन के लिए भी आवश्यकतानुसार कार्मिकों को शासकीय कार्य के लिए नियोजित किया जाए। उत्तर प्रदेश राज्य रेजीडेन्ट कार्यालयों में भी कोविड-19 के संबंध में तथा अतिरिक्त किचन के संचालन के लिए उक्त प्रतिबंधों के साथ संचालित किया जाए। वन विभाग के कार्मिक जो प्राणीउद्यान के संचालन एवं प्रबंधन पौधशालाओ, वन्य-जीव, जंगलों में अग्निरोधी उपायों या सिंचाई के कार्यों तथा पेट्रोलिंग एवं आवश्यक वाहन सेवाओं से जुड़े हैं, वे अपने कार्यों का संपादन करते रहेंगे। संक्रमण से प्रभावित क्षेत्रो हॉट स्पॉट एरियाज में कार्यालयो को बंद किए जाने के संबंध में जिला प्रशासन के स्तर से पृथक से निर्णय लिया जाएगा। यह दिशा-निर्देश उन कर्मचारियों पर लागू नहीं होगा जो ऐसी आकस्मिक एवं आवश्यक सेवाओं से जुड़े हैं तथा कोविड-19 की रोकथाम में प्रत्यक्ष भूमिका अदा कर रहे हैं या जिन्हें गृह मंत्रालय भारत सरकार की उक्त वर्णित आदेश के तहत कोई अतिरिक्त निर्देश दिए गए हैं। इस निर्देश का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।


कर्फ्यू मे भी नही रुक रही अवैध शराब, पुलिस अवैध शराब का पकड़ा जखिरा

अवैध शराब के विरुद्ध अधिकारियो द्वारा लगातार चलाई जा रही मुहीम के तहत शनिवार 18 अप्रैल 2020 को मुखबीर से मिली सूचना के आधार पर जीवन गुर्जर पिता गुलाब गुर्जर निवासी ग्राम दिवेल के खेत पर बने मकान के अंदर से 32 पेटी देशी (दुबारा) शराब जिसकी कीमती 96000 रुपये है। खाचरौद पुलिस द्वारा श्रीमान एसडी ओपी सिंह के निर्देशन में जप्त की गई जिस पर अपराध क्रंमाँक 107 / 2020 धारा 34 ( 2 ) आबकारी एक्ट के तहत अपराध पंजीबद्ध कर आरोपी जीवन गुर्जर की तलाश जारी है । जीवन गुर्जर यह शराब कहा से लाता था उसकी तलाश जारी है । थाना प्रभारी उप निरीक्षक के.के. द्विवेदी , चालक प्र .आरक्षक हरिओम,उम्मेदराम डिगा ,रवि, महेन्द्र , हितेश , मोहर सिंह , मुकेश गोयल , सुशील मिश्रा , नरेन्द्र सिंह सिसोदिया का सराहनीय योगदान रहा है ।


 


क्या किसी कर्मचारी के ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई 'निजी सूचना' है?


  • सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर पूछा है कि क्या किसी कर्मचारी के ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के क्लाउज (j), धारा 8(1) के तहत निजी सूचना है। भारतीय खाद्य निगम ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फ़ैसले को चुनौती दी है जिसमें उसने कहा था कि इस तरह की सूचना निजी सूचना नहीं है और भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के बारे में जनता को बताया जानाचाहिए। न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए इस बारे में नोटिस जारी किया है। निगम ने केंद्रीय सूचना आयोग के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी जिसने उसे इस कार्रवाई के बारे में सूचना देने को कहा था। आरटीआई कार्यकर्ता ने इस कार्रवाई के बारे में सूचना की माँग की थी। हाईकोर्ट के समक्ष निगम ने गिरीश रामचंद्र देशपांडे बनाम केंद्रीय सूचना आयुक्त में आए फ़ैसले पर भरोसा जताते हुए दलील दी थी। इस फ़ैसले में कहा गया था कि किसी व्यक्ति ने अपने आयकर रिटर्न मेंजो सूचना सार्वजनिक की है वह निजी है और आरटीआई अधिनियम के क्लाउज (j), धारा 8(1) के तहत निजी सूचना है और इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है बशर्ते कि आम लोगों को इसके बारे मेंजानना बेहद ज़रूरी है। इस याचिका को ख़ारिज करते हुए पीठ ने कहा,"…याचिकाकर्ता ने इस मामले में उस व्यक्ति के आयकर रिटर्न को आधार बनाकर कहा है कि संबंधित सूचना निजी सूचना है और इसे आरटीआई अधिनियम के क्लाउज (j), धारा 8(1) के तहत सार्वजनिक नहीं किया जा सकता…वर्तमान मामले में चूँकि याचिकाकर्ता के अधिकारी के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाख़िल किया जा चुका है, उसके ख़िलाफ़ विभागीय कार्रवाईहो चुकी है और उसको अंततः सज़ा दी जा चुकी है तब याचिकाकर्ता के पास ऐसी कौन सी सूचना है जो निजी है और याचिकाकर्ता इसका विवरण क्यों नहीं दे रहा है जो प्रतिवादी नम्बर 2 ने यहाँ माँगा है।"



करोना की आड़ मे मनमाने हुए जिला चिकित्सालय के चिकित्सक एवं स्टाफ

जौनपुर जिलाधिकारी श्रीमान दिनेश कुमार सिंह जी इस समय जनपद के गाॅव गाॅव मे जाकर गरीबो का हाल चाल पूछ रहे है राशन बाॅट रहे है मगर इस कार्य मे जिलाधिकरी महोदय इस कदर ब्यस्त हो गये है  कि वे यह भूल गये है कि जनपद के दूसरे अधिकारी उनकी तरह शायद ईमानदारी से अपना फर्ज नही निभा रहे है या वे यह सोच रहे है कि जिलाधिकाराी महोदय गाॅव मे राशन बाॅट रहे हे तब तक हम कुछ गपशप ही करले यह करनामा जिला मुख्यालय के स्वास्थ्य विभाग यनी जिला चिकित्सालय के चिकित्सक एवं स्टाफ की है जो यह भूल गये कि जितना जरूरी गरीब को भोजन है शायद उतना ही जरूरी उसका स्वस्थ्य भी है जहा शहर की सड़को पर मोटे मोटे अक्षरो मे लिखा जा रहा है कि कोरोना से डरो ना कोरोना से लड़ो इस जुमले का बिपरीत व्यहार जिला अस्पताल मे देखने को मिल रहा है आज जिला अस्पताल के चिकित्सक एवं स्टाफ इस कदर कोरोना का भय फैला रहे है कि कोरोना की आड़ मे अस्पताल के स्टाफ अपने चैम्बर मे बैठकर गप्पे मारते देखे जाते है मगर रोगी को देखने के लिए आना कानी करते है भले ही गरीब बिमार व्यक्ति को कोई आराम न मिला हो मगर रोगी की वर्तमान हालत जाने बगैर उसका डिस्चार्ज कार्ड बना देते है इतना ही नही अगर रोगी या उसके साथ का कोई व्यक्ति थोड़ा आराम होने पर जाने की बात करे तो डाक्टर और स्टाफ यह कह कर डराते है कि एक सादे कागज पर लिख कर दे दो कि हम यह जान कर अपने रोगी को भर्ती किये है



कि कोरोना के इस माहौल मे डाक्टर साहब नही आएगे यदि मेरे रोगी को कुछ हुआ तो उसका जिम्मेदार मै स्वयं हूॅ। कई पीड़ितो ने बताया कि इसकी शिकायत वे मुख्य चिकित्सा अधीक्षक से भी किये मगर कोई लाभ नही आखिर जब किसी रोगी को आराम दिये बगैर जबरजस्ती डिस्चार्ज करना है तो उससे बेहतर उसे आते ही किसी दूसरे अस्पताल मे रेफर कर दे अथवा भर्ती लेने से इंकार करदे जिससे अस्पताल के स्टाफ को बैठकर गप्पा मारने का पूरा समय मिल सके। 
 


सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर- देशव्यापी लॉकडाउन के उचित कार्यान्वयन के लिए हर राज्य में करे सेना तैनात

देशव्यापी लॉकडाउन के उचित कार्यान्वयन के लिए प्रत्येक राज्य में सैन्य बलों की तैनाती की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। यह जनहित याचिका लॉकडाउन के दिशा-निर्देशों के पालन करवाने में उत्तरदाताओं द्वारा नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए रणनीति तैयार करने के निर्देश देने की भी मांग करती है। याचिका केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो या राष्ट्रीय जांच एजेंसी से देश के विभिन्न हिस्सों में लोगों के जमा होने से संबंधित मामलों की जांच करने के निर्देश देने की भी मांग करती है। कमलाकर आर शेनॉय की ओर से एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड ओमप्रकाश परिहार और एडवोकेट दुष्यंत तिवारी द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि केंद्र और राज्य के अधिकारियों ने COVID-19 मामलों की तेजी से वृद्धि के बावजूद बड़े पैमाने पर भीड़ ले जाने की अनुमति देकर कोरोना वायरस से लोगों के जीवन को सुरक्षित करने में विफल रहे हैं। आनंद विहार बस टर्मिनल पर बिहार और यूपी के प्रवासियों के जमा होने जैसी विभिन्न घटनाओं का उल्लेख याचिका करती है। इसमें कहा गया है कि दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने श्रमिकों को उनके घरों से निकलने से रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए और यहां तक ​​कि उन्हें जाने के लिए डीटीसी बसों की भी व्यवस्था की। निजामुद्दीन में मरकज में धार्मिक



सभा का भी संदर्भ दिया गया है, जिसमें हजारों लोग तब्लीगी जमात की एक धार्मिक मंडली में शामिल हुए थे। उक्त सभाओं को रोकने में दिल्ली सरकार की विफलता के बारे में सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक रिट याचिका लंबित है। 14.04.2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने की घोषणा के साथ, गुजरात, तेलंगाना और मुंबई में हजारों लोगों की भीड़ जमा होने के कई उदाहरण सामने आए। याचिका में कहा गया कि "ये जमावड़ा तब जुटाए जाने की अनुमति दी गई थी जब पूरे भारत में COVID-19 मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और ये राज्य कई में COVID-19 मामलों को देख रहे हैं, वास्तव में ये राज्य COVID-19 प्रभावित मामलों के शीर्ष 10 राज्यों में से हैं।" याचिका में दावा किया गया है कि इस तरह लोगों का जमा होना कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा लॉकडाउन योजना को तोड़ने के लिए बनाई गई योजना का एक हिस्सा है। याचिका में उन खबरों के बारे में भी बताया गया है जिसमें कहा गया था कि एकत्र किए गए अधिकांश लोग प्रवासी श्रमिक नहीं हैं जो घर वापस जाना चाहते हैं और कई ऐसे लोग हैं जो बिना सामान के खाली हाथ जमा हुए हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र के अधिकारियों पर लगातार हमले हो रहे हैं और जिन लोगों को क्वारंटाइन में रखा गया है या जो उपचाराधीन हैं, भागने की कोशिश कर रहे हैं, दलील में कहा गया है कि इन स्थानों पर सुरक्षा बढ़ाने की आवश्यकता है। अप्रैल के महीने में होने वाले एक धार्मिक त्योहार के बारे में आशंका बढ़ गई है, "अगर कोरोना वायरस हॉटस्पॉट क्षेत्रों में उचित सशस्त्र बल तैनात नहीं किया जाता है, तो अस्पताल क्षेत्र के लोगों, पुलिस सामाजिक कार्यकर्ताओं आदि पर हमलों की आशंका बढ़ जाएगी और सांप्रदायिक झड़पें आदि हो सकती हैं जो भारत में कोरोनावायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए अच्छा संकेत नहीं है। यह याचिका कहती है कि उल्लंघनों की घटना की जांच "सक्षम राष्ट्रीय जांच एजेंसी / केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो" द्वारा की जानी चाहिए, क्योंकि ये युद्ध छेड़ने के प्रयास हैं और आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज करना पर्याप्त नहीं होगा। एक निवारक उपाय के तहत कुछ कठोर कदम उठाए जाने की आवश्यकता है ।" इस मामले को आगामी सप्ताह में सूचीबद्ध किए जाने की संभावना है।



चोरी के आरोप में पकड़े गए किशोर को कपड़े और खाना देकर नालंदा अदालत ने रिहा किया, परिवार को राशन कार्ड देने के निर्देश

बिहार के नालंदा जिले में बिहारशरीफ कोर्ट ने शुक्रवार को चोरी करने के आरोप में पकड़े गए एक 16 वर्षीय किशोर के बचाव में आते हुए स्थानीय पुलिस को उसे रिहा करने और उसे लॉकडाउन के बीच भोजन और कपड़े देने का आदेश दिया। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह निर्देश न्यायिक अधिकारी मानवेंद्र मिश्रा ने दिया, जिन्होंने नोट किया कि लॉकडाउन के दौरान अपने भूखे परिवार को सहारा देने के लिए लड़का चोरी करने के लिए मजबूर हुआ था। लड़के ने अदालत को बताया कि वह असंगठित क्षेत्र में काम करता है। हालांकि, लॉकडाउन के कारण, वह अपनी मानसिक रूप से अस्वस्थ विधवा माँ और छोटे भाई के भरण पोषण में असमर्थ हो गया और इस तरह चोरी करने के लिए मजबूर हुआ। इन सबमिशनों को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने पुलिस को आदेश दिया कि वह उस लड़के को रिहा करे और उसे और उसके परिवार को भोजन और कपड़े उपलब्ध कराए। इसके अलावा अदालत ने ब्लॉक विकास अधिकारी (बीडीओ) को आधार कार्ड और परिवार का राशन कार्ड दिलाने में मदद करने का निर्देश दिया। अदालत ने बीडीओ को लड़के की विधवा मां की सहायता के लिए राज्य सरकार की विधवा पेंशन योजना के तहत पंजीकरण कराने का आदेश दिया और यह सुनिश्चित करने के लिए कि गरीबों के लिए सरकार की आवास योजना के तहत उनके परिवार को धन आवंटित किया जाए। अदालत ने इस मामले में अपने निर्देशों पर कार्रवाई की रिपोर्ट चार महीने के भीतर अदालत के सामने रखने का आदेश दिया। आरोपी लड़के को बाजार में एक महिला का पर्स छीनने के आरोप में बिहार शरीफ क्षेत्र में किशोर न्याय बोर्ड के निर्देश पर हिरासत में रखा गया था। बिहार शरीफ कोर्ट में तैनात न्यायिक कर्मचारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि "पूरी कवायद के पीछे मुख्य उद्देश्य छोटे अपराधों में बुक किए गए नाबालिगों को अवसर प्रदान करना है। यदि उन्हें सुधार गृह में भेजा गया तो बुरी वहां बुरी संगत में उनके बड़े अपराधियों में बदलने की आशंका है।" साभार-टाइम्स ऑफ इंडिया


आरटीआई के तहत है छात्रों को अपनी खुद की उत्तर पुस्तिका के निरीक्षण का अधिकार-केद्रीय सूचना आयोग

केंद्रीय सूचना आयोग यानि सीआईसी ने पिछले दिनों माना है कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत एक परीक्षार्थी को अपनी उत्तर पुस्तिका की जांच या निरीक्षण करने का अधिकार है। सीआईसी इस मामले में यूजीसी में कार्यरत एक सीनियर रिसर्च फैलो की तरफ से दायर अर्जी पर सुनवाई कर रहा था। इस मामले में एक आरटीआई की अर्जी सीपीआईओ,नेशनल इंस्ट्टियूट आॅफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस (एनआईएमएचएएनएस) के खिलाफ दायर की गई थी। इस मामले में अर्जी दायर करने वाले ने अपनी उत्तर पुस्तिका के संबंध में सात तथ्यों पर जानकारी मांगी थी। यह उत्तर पुस्तिका उसकी एम.फिल पीएसडब्ल्यू के पार्ट-एक की वार्षिक व पूरक परीक्षा की थी। उसने यह परीक्षा वर्ष 2017 में दी थी।


             


इस आरटीआई के जवाब में सीपीआईओ ने उसे एक पत्र के जरिए सभी तथ्यों का जवाब दे दिया। परंतु अर्जी दायर करने वाला इससे संतुष्ट नहीं हुआ और उसने एफएए से जानकारी मांगी,जिन्होंने उसे कुछ अतिरिक्त जानकारी उपलब्ध करा दी। एफएए के आदेश का पालन करते हुए प्रार्थी ने सीआईसी के समक्ष अर्जी दायर कर दी। मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी ने दलील दी कि उसे पूरी सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई ओर जो उत्तर पुस्तिका उसने मांगी थी,उसे गलत तरीके से उपलब्ध कराने से इंकार कर दिया गया। इसके लिए हवाला दिया गया कि एनआईएनएचएएनएस में ऐसा कोई सिस्टम नहीं है,जिसके तहत पीजी के छात्र को वह उत्तर पुस्तिका उपलब्ध कराई जाए,जिसका मूल्याकंन या जांच हो चुकी हो। इसके अलावा प्रार्थी ने और भी कई मुद्दे उठाए,जिनमें संस्थान द्वारा परिणाम देने में देरी करने व पादर्शिता,पीएचडी कोर्स की मैरिट लिस्ट प्रकाशित न करा आदि शामिल है। प्रतिवादी के वकील ने दलील दी कि आरटीआई एक्ट की धारा 6 के तहत प्रार्थी वह सूचना ले सकता है जो सार्वजनिक अॅथारिटी के तहत उपलब्ध है। इस मामले में एनआईएनएचएएनएस के वर्तमान सिस्टम के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि पीजी के किसी छात्र को वह उत्तर पुस्तिका उपलब्ध कराई जाए,जिसका मूल्यांकन या जांच हो चुकी हो। चूंकि सार्वजनिक अॅथारिटी की पहुंच इस तरह के परिणाम तक नहीं है। इसलिए प्रार्थी को परिणाम उपलब्ध नहीं कराया गया। सीआईसी ने कहा कि एक छात्र की उसकी उत्तर पुस्तिका तक पहुंच के मामले में कानून पहले से ही तय हो चुका है। सीआईसी ने सीबीएसई एंड अन्य बनाम अदित्य बंदोपाध्याय एडं अदर्स एसएलपी (सी)नंबर 7526/2009 केस का हवाला दिया,इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि हर परीक्षार्थी को अपनी मूल्यांकित हो चुकी उत्तर पुस्तिका की जांच या निरीक्षण करने या उसकी फोटोकाॅपी लेने का अधिकार है,बशर्ते इसको आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 8 (1)(ई) के तहत छूट न दी गई हो। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि जब कोई उम्मीदवार परीक्षा में भाग लेता है और अपना जवाब उत्तर पुस्तिका में लिखता है और उसे मूल्यांकन के लिए देता है,जिसके बाद परिणाम घोषित होता है। यह उत्तर पुस्तिका एक कागजात या रिकार्ड है। उत्तर पुस्तिका में जो ''विचार'' समाया होता है,वह आरटीआई के तहत सूचना बन जाता है। मूल्यांकित उत्तर पुस्तिका को आरटीआई एक्ट की धारा 8 से छूट होगी और परीक्षार्थी तक इसकी पहुंच होगी। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को देखते हुए पाया गया कि प्रार्थी ने अपनी उत्तर पुस्तिका तक अपनी पहुंच संस्थान के नियमों के तहत नहीं बल्कि आरटीआई एक्ट के तहत मांगी है। इसलिए वह यह सूचना पाने का हकदार है। आरटीआई एक्ट की धारा 22 के तहत इसके प्रावधान किसी अन्य कानून से उपर है। ऐसे में संस्थान के नियम या कानून से उपर आरटीआई के प्रावधान है। सीआईसी ने यह भी कहा कि अगर प्रार्थी छात्र को उसकी जांच का अधिकार नहीं दिया गया तो इससे उसके जीवन और आजीविका का अधिकार प्रभावित होगा। ''सीआईसी ने यह भी महसूस किया जो मामला उनके समक्ष लाया गया है,उसमें व्यापक जनहित शामिल है,जो उन सभी छात्रों के भविष्य को प्रभावित करेगा जो अपनी उत्तर पुस्तिका या उनके द्वारा प्राप्त किए गए अंकों के संबंध में जानकारी लेना चाहते है। जो उनके भविष्य के कैरियर की संभावनाओं पर असर डालेंगा और उससे उनके जीवन व आजीविका का अधिकार प्रभावित होगा। इसलिए आरटीआई एक्ट 2005 के तहत छात्रों को उनकी खुद की उत्तर पुस्तिका का निरीक्षण या जांच करने की अनुमति दी जा रही है।'' इस मामले में सीआईसी ने कई अन्य फैसलों का भी हवाला दिया और कहा कि सार्वजनिक अॅथारिटी का हर काम सार्वजनिक हित में होना चाहिए,जिससे देश की सामाजिक-आर्थिक कर्मशक्ति प्रभावित होती है। प्रार्थी द्वारा उठाए गए अन्य मुद्दों के संबंध में सीआईसी ने कहा कि यह सभी मामले उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर के है। उनका क्षेत्र सिर्फ यह देखना है कि मांगी गई सूचना उपलब्ध कराई गई है या नहीं या किस आधार पर सूचना देने से मना किया गया है। इसलिए अन्य मामले उनके अधिकारक्षेत्र में नहीं आते है। सीआईसी ने आदेश दिया है कि प्रतिवादी इस मामले में परीक्षार्थी को उसकी मूल्यांकित उत्तर पुस्तिका की काॅपी उपलब्ध करा दे। साथ ही कहा है कि प्रतिवादी समय-समय पर कांफ्रेंस आदि का आयोजन करवाए ताकि संबंधित अधिकारियों को कानून की जानकारी उपलब्ध कराई जा सके या सूचित किया जा सके। ताकि वह अपना उत्तरदायित्व ठीक से पूरा कर पाए। इसी के साथ अर्जी का निपटारा कर दिया गया।



शनिवार, 18 अप्रैल 2020

कोरोना रोगियो के शरीर को दफनाने से हुआ विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा निर्देश का उल्लंघन राज्य सरकार से हलफनामा दायर करने को कहा कलकत्ता हाईकोर्ट

कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को उस याचिका पर सुनवाई की,जिसमें कहा गया है कि मृत्यु के प्रमाण पत्र के बिना कोरोना रोगी के शरीर को कब्रिस्तान में दफनाना विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन या अनादर करना है। यह दिशा-निर्देश ''कोरोना के संदर्भ में संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण करने के लिए एक मृत शरीर के सुरक्षित प्रबंधन'' के संबंध में किए गए हैं।



याचिकाकर्ता ने व्यक्तिगत तौर पर पेश होते हुए तर्क दिया कि ''उनके निवास से सटा एक कब्रिस्तान है। 3 अप्रैल को, स्थानीय प्रशासन ने इस वायरस से संक्रमित होने के कारण मरने वाले एक बसरत मोल्लाह के शव को दफनाने की अनुमति दी थी,जबकि उसकी मौत के संबंध में कोई मृत्यु प्रमाण पत्र पेश नहीं किया गया। अदालत को यह भी बताया गया कि पिछले दिनों ही इस जिले को ''हाॅट स्पाट'' इलाका घोषित कर दिया गया था।'' याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि राज्य के अधिकारियों ने विभिन्न आदेशों में निहित निर्देशों के अनुसार उचित कदम नहीं उठाए हैं। इन सभी आदेशों का काॅपी याचिका के साथ दायर की गई है। उसने बताया कि उसने एक प्रतिनिधित्व या ज्ञापन के माध्यम से अपनी शिकायत अधिकारियों के पास भेजी थी। लेकिन आज तक उस पर विचार नहीं किया गया है और न ही कोई उचित कदम उठाया गया है। इसलिए, इस तरह की निष्क्रियता में अदालत के तत्काल हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है। एकल पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि-' " वर्तमान में कोरोना वायरस के कारण अभूतपूर्व स्थिति पैदा हो गई है। इसलिए इस आपदा को बढ़ने से रोकने के लिए अधिकारियों और बड़े स्तर पर जनसमूह को हाथ से हाथ मिलाकर या मिलकर काम करने की आवश्यकता है।' 'जहां तक संभव हो वायरस की रोकथाम को सुनिश्चित करना और साथ में चिंता,पीड़ा और खतरे की अवधारणा को कम करना ही एक ''अंतरिम उपाय'' है। अदालत ने राज्य-प्रतिवादियों को निर्देश दिया है कि ''याचिका के साथ दायर किए गए विभिन्न अधिकारियों की तरफ से जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार सभी आवश्यक कदम सख्ती से उठाए जाएं।'' पीठ ने कहा है कि हलफनामे के रूप में एक रिपोर्ट दायर करके बताया जाए कि इस संबंध में क्या-क्या कदम उठाए गए हैं।