बुधवार, 22 अप्रैल 2020

बॉम्बे हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस , महाराष्ट्र सरकार ने समाचार पत्रों की डोर-टू-डोर डिलीवरी पर लगाई रोक

बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने मुख्य सचिव अजोय मेहता द्वारा हस्ताक्षरित एक परिपत्र/अधिसूचना के संबंध में समाचार पत्रों की रिपोर्ट का संज्ञान लिया है, जिसमें प्रिंट मीडिया को लॉकडाउन से छूट दी गई थी, हालांकि पत्रिकाओं और समाचार पत्रों की डोर-टू-डोर डिलीवरी को प्रतिबंधित किया गया था। जस्टिस पीबी वरले ने अधिसूचना के संबंध में 'लोकमत' और 'द हिंदू' में प्रकाशित समाचारों और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा ट्विटर पर जारी किए गए बयान का उल्‍लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था- "स्टॉलों/दुकानों पर समाचार पत्रों, पत्रिकाओं की ब‌िक्री की अनुमति है लेकिन मीडिया कंपनियों से हम अनुरोध करते हैं कि वे होम डिलीवरी से परहेज करें। " कोर्ट ने दुविधाजनक हालात की ओर संकेत करते हुए कहा कि एक ओर मुख्य सचिव ने अधिसूचना में कहा है कि प्रिंट मीडिया को 20 अप्रैल 2020 से लॉकडाउन से छूट दी गई है, जबकि मुख्यमंत्री ने अपने बयान में कहा कि समाचार पत्रों, पत्रिकाओं की बिक्री की पहले से स्थापित स्टालों/दुकानों पर अनुमति है, जबकि समाचार पत्रों की डोर-टू-डोर डिलीवरी निषिद्ध है। बेंच ने कहा- "यह समझना कठिन है कि जब राज्य सरकार स्टालों और



दुकानों पर समाचार पत्रों की खरीद की अनुमति दे रही है तो समाचार पत्रों की डोर-टू-डोर डिलीवरी क्यों निषिद्ध है। क्या राज्य सरकार जनता को अनुमति दे रही है कि वो स्टॉल और दुकानों पर जाकर समाचार पत्र खरीदे, इसका मतलब यह है कि तब जनता के पास लॉकडाउन की अवधि में घरों से बाहर निकलने के लिए एक कारण या बहाना होगा, निश्चित रूप से इससे सड़कों पर चहल-पहल होगी। दूसरी ओर, राज्य सरकार डोर-टू-डोर डिलीवरी पर रोक लगा रही है, जिससे लोग अपने घर पर समाचार पत्र पा सकते हैं और उन्हें घर के बाहर भी नहीं निकलना पड़ेगा।" कोर्ट ने आगे कहा कि पत्रिकाएं साप्ताहिक या मासिक होती हैं, जबकि समाचार पत्र रोजाना प्रकाशित और वितरित होते हैं। "राज्य सरकार कोरोनावायरस का संक्रमण रोकने के ल‌िए निश्चित रूप से विशेष क्षेत्रों में समाचार पत्रों की डोर-टू-डोर डिलीवरी पर रोक लगाने पर विचार कर सकती है। हालांकि यह समझना मुश्किल है कि सरकार ने मीडिया कंपनियों को समाचार पत्र प्रकाशित करने अनुमति दी है लेकिन उन्हें डोर-टू-डोर वितरित करने की अनुमति नहीं है।" जस्टिस वरले ने कहा कि अधिसूचना से यह भी स्‍पष्ट नहीं है कि यह निर्णय सभी क्षेत्रों या जिलों पर लागू है या राज्य सरकार ने क्षेत्रों और जिलों पर विचार ही नहीं किया है। कोर्ट ने यह तर्क दिया कि आम जनता तकनीक-प्रेमी नहीं हो सकती है और सभी ई-पेपर नहीं पढ़ सकते हैं। कोर्ट ने कहा, "अधिकांश समाचार पत्र ई-पेपर के रूप में उपलब्ध हैं, फिर भी आम जनता के लिए ई-पेपर पढ़ पाना संभव नहीं है। सभी लोग प्रौद्योगिकी से वाकिफ नहीं हैं।" कोर्ट ने एडवोकेट सत्यजीत बोरा को मामले में एमिकस क्यूरी नियुक्त किया और महाराष्ट्र सरकार को 24 अप्रैल को नोटिस का जवाब देने को कहा। सोमवार को नागपुर बेंच ने महाराष्ट्र यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट और नागपुर यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट की दायर याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था, जिसमें उक्त नोटिस / परिपत्र को चुनौती दी गई थी।



जमानत देना एक नियम है और जेल केवल एक अपवाद : केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक मामले में सत्र न्यायाधीश द्वारा जमानत देने की कंडीशन में याचिकाकर्ता को कोरोना रिलीफ फंड में 25 हज़ार रुपए जमा कराने की शर्त को अनुचित एवं अन्यायपूर्ण कहा। सत्र न्यायाधीश ने ज़मानत की शर्त के रूप में कहा था कि याचिकाकर्ता को कोरोना रिलीफ फंड में 25,000 / - रुपये की राशि जमा करनी चाहिए। हाईकोर्ट ने इसे अनुचित और अन्यायपूर्ण कहा। एकल न्यायाधीश ने हाईकोर्ट के एक फैसले का संदर्भ दिया जिसमें मोती राम बनाम मध्यप्रदेश राज्य में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर भरोसा करते हुए यह कहा गया था कि जमानत के लिए नकद सुरक्षा या किसी भी राशि के अनुदान के लिए राशि जमा करना अन्यायपूर्ण, अनियमित और अनुचित है। सत्र न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता को जमानत देते हुए उसे कोरोना रिलीफ फंड में 25,000 रुपए की राशि जमा करने और उक्त न्यायालय के समक्ष रसीद पेश करने का निर्देश दिया था। इससे क्षुब्ध याचिकाकर्ता ने यह कहते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया कि हालत गंभीर है। उसने उक्त निर्णय पर भरोसा किया, जिसमें उच्च न्यायालय ने यह माना कि जमानत देते समय अदालत आरोपियों को कोई नकद जमा करने का निर्देश नहीं



देगी। जस्टिस सीएस डायस का अवलोकन किया कि "यह कानून है कि जमानत देना एक नियम है और जेल केवल एक अपवाद है। निर्विवाद रूप से, याचिकाकर्ता ने आवेदन किया था और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 1967 (2) के तहत उसे जमानत दी गई थी, जो उसका अनिश्चितकालीन अधिकार है।" न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, "कानून की उपरोक्त स्पष्ट घोषणा (मोती राम) के मद्देनजर, मुझे लगता है कि सत्र न्यायाधीश द्वारा लगाई गई शर्त नंबर 2 में पाया गया है कि याचिकाकर्ता को कोरोना रिलीफ फंड में 25,000 रुपए की राशि जमा करनी चाहिए, जो अनुचित और अन्यायपूर्ण है, इसलिए, मैंने उक्त शर्त को खारिज कर दिया।" उल्लेखनीय है कि झारखंड उच्च न्यायालय ने पिछले सप्ताह PM CARES फंड में दस हज़ार रुपए जमा कराने की शर्त पर अग्रिम जमानत आवेदन की अनुमति दी थी। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने PM CARES फंड में दान देने की शर्त पर लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाले किराना व्यवसायी को ज़मानत दी इसी प्रकार मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भी लॉकडाउन उल्लंघन में एक मामले इन ज़मानत देते हुए PM CARES फंड में दस हज़ार रुपए जमा करने की शर्त लगाई थी।



भयल बियाह मोर करब का कि तर्ज पर टुल्ली दे रहे ग्राम सभा चन्दवक के प्रधान पति

डोभी जौनपुर आज एक तरफ देश महामारी से जूझ रहा है ऐसे मे जनपद जौनपुर के ग्राम प्रधान अपनी आदत से बाज नही आ रहे है, प्राप्त सूचना के अनुसार वि0ख0 डोभी अंतर्गत ग्राम सभा चन्दव के ग्राम प्रधान नाम के लिए तो श्रीमती गीता यादव है परंतु उनका सारा कार्यभार उनके पति चन्द्रिका यादव द्वारा सम्ॅभाला जाता है बताते है कि उपरोक्त ग्राम प्रधान पति बात चीत मे जितने तेज है उससे कही ज्यादा भोले भाले ग्रामिणो को बरगला कर उनको टुल्ली देने मे माहिर है जिससे तमाम ग्रामिण उनके झासे मे पड़कर परेशान हो रहे है जिसका जिता जागता प्रमाण है कि प्रधान पति गाव के तमाम लोगो को यह आश्वासन दिये थे कि प्रधान मंत्री महोदय द्वारा घर-घर शौचालय बनना है परंतु बजट आने मे देर है इस लिए आप लोगो से अनुरोध है कि आप लोग किसी तरह अपना शौचालय बनवाये बजट आते ही आपका भुगतान करा दिया जाएगा प्रधान पति की बातो के झासे मे पड़ कर कई गरीब ग्रामिणो ने इस आशा मे कर्ज लेकर शौचालय बनवा लिया कि प्रधान जी शौचालय का भुगतान करवा देगे मगर शौचालय बनने के बाद प्रधान जी कि बात बदल गयी अब उनका कहना है कि शौचालय तो तुमने अपने इस्तेमाल के लिए बनवाया है उसका पैसा मै कैसे भुगतान करा सकता हू। जबकि गाव मे सर्वे करने से पता चलता है कि कितने शौचालय बने है और कितने का भुगतान हुआ है फिर भी अपनी दबंगई व ब्लाक के अधिकारियो से मिल कर जनता के धन का बंदरबाट करने से बाज नही आ रहे है ग्रामिणो का कहना है कि यदि प्रधान जी शौचालय बनने पर भुगतान करने की बात से पिदे हटेगे तो हम लोग मजबूरन उच्च अधिकारी केे समक्ष जाने पर मजबूर होगे।   


शिक्षकों ने जिलाधिकारी को सौंपा पचास हजार जरूरमंद लोगो का राशन

    वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की आपदा से निपटने के लिए विकास क्षेत्र सिकरारा के परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों ने जिस संकल्प शक्ति के साथ अनूठी मिशाल पेश किया वह औरो के लिए अनुकरणीय उदाहरण बन गया। जानलेवा कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में शामिल इन शिक्षक योद्धाओं ने बुधवार को कलेक्ट्रेट परिसर में जिलाधिकारी को इतनी आवश्यक राहत सामग्री (खाद्यान्न) उपलब्ध करा दिया कि उससे लगभग पचास हजार जरूरतमंद लोगों के पेट के भूख की ज्वाला शांत हो जाएगी। ब्लाक के शिक्षकों द्वारा एकत्रित 135 क्विंटल राशन के साथ अन्य खाद्य सामग्री, तेल, मशाला व नमक के पैकटों को संगठन के अध्यक्षों के साथ शिक्षा अधिकारियों ने जिलाधिकारी को सौंपा। जिलाधिकारी ने शिक्षकों के इस प्रयास की जमकर सराहना की साथ ही भविष्य में इस संकट से उबरने के लिए इसी तरह के सहयोग की उम्मीद की । उन्होंने शिक्षकों से आरोग्य



सेतु एप डाउनलोड करने की अपील की । उन्होंने कहा कि शिक्षकों के इस ऐतिहासिक सेवा कार्य व योगदान के लिए पूरा जनपद आजीवन आभारी रहेगा। खण्ड शिक्षा अधिकारी सिकरारा राजीव यादव ने बताया कि शिक्षकों के द्वारा  50 क्विंटल आटा, 10 क्विंटल अरहर की दाल, 10 क्विंटल चने की दाल, 15 क्विंटल चावल, 20 क्विंटल प्याज, 10 क्विंटल चीनी,200 मि0ली की 2010 बोतल सरसो तेल, 10 क्विंटल नमक, 6600 मसाला पैकेट, सहित अन्य घरेलू सामान जिलाधिकारी को उपलब्ध कराया जिलाध्यक्ष अमित सिंह ने बताया कि परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों ने अपना एक दिन का वेतन पहले ही मुख्यमंत्री राहत कोष में दे दिया है इसके साथ ही जिले के कई ऐसे शिक्षक है जिन्होंने व्यक्तिगत वेतन का पैसा जिलाधिकारी द्वारा बनाये गए राहत कोष में, प्रधानमंत्री राहत कोष व मुख्यमंत्री राहत कोष में भी दिया है। उन्होंने बतया की इसी तरह का सहयोग अन्य ब्लाकों से भी किया जाएगा। जिलाध्यक्ष सुशील उपाध्याय ने बताया ने बताया कि जनपद में कोई भी जरूरतमंद भूखा न रह जाय इसलिए शिक्षकों का यह प्रयास अनवरत जारी रहेगा। ब्लाक अध्यक्ष मृत्यंजय सिंह ने कहा कि अभी लगभग एक लाख लोगों को मास्क, सेनेटाइजर, साबुन वितरित होगा। बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण कुमार तिवारी ने बताया कि जनपद के सभी ब्लाकों के शिक्षकों द्वारा राहत सामग्री जुटाया जा रहा है। इसके साथ ही साथ शिक्षक लाकडाउन का पालन करते हुए घर बैठकर बच्चो को आनलाइन पढ़ाने में भी जुटे हुए है। इस दौरान जिला पूर्ति अधिकारी अजय प्रताप सिंह, अनुपम श्रीवास्तव, शैलेश चतुर्वेदी, राजेन्द्र प्रताप सिंह, राजू सिंह, राजीव उपाध्यक्ष, सर्वजीत यादव, अनंत यादव, सतीस सिंह, राजीव सिंह, मनीष सिंह आदि का सक्रिय योगदान रहा।


रमजान माह में घर-घर उपलब्ध करायी जायेगी खाद्य सामग्री

 रमजान का माह प्रारंभ हो रहा है कोरोना संक्रमण के कारण जनपद लॉकडॉउन लागू है इसलिए लॉकडाउन का पालन करते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाना है। इससे रमजान माह में लॉक डाउन को दृष्टिगत रखते हुए मुस्लिम समुदाय बाहुल्य क्षेत्रों में 42 ठेलो की व्यवस्था की गई है जो घर-घर जाकर रमजान में प्रयुक्त होने वाली खाद्य सामग्री का विक्रय करेंगे। इसके अतिरिक्त पूरे जौनपुर शहर में फल और सब्जी के डोर स्टेप डिलीवरी हेतु वार्डवार लगभग 500 ठेलो की व्यवस्था की गई है जो ताजी सब्जियों व फलों को घर-घर जाकर विक्रय करेंगे। लॉक डॉउन की स्थिति तक डोर स्टेप डिलीवरी सुविधा के तहत



जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने फल और सब्जी एवं आवश्यक वस्तुओं की ठेलो को कोतवाली से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया, जो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए विक्रय करेगे।


प्रसाद इंस्टिट्यूट में बनाई गई अस्थाई जेल’

 प्रसाद इंस्टिट्यूट में अस्थाई जेल बनाई गयी  है जिसमे तबलीगी जमात के 46 लोगों को रखा गया है।  इस जेल में बांग्लादेश के मोहम्मद इस्माइल तथा उनके गाईड मोहम्मद यासीन अंसारी जो रांची के रहने वाले हैं तथा कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे जो कि अब ठीक हो करके आ गए है को  भी रखा गया है, अब कुल 46 लोग इस जेल में बंद है जो सभी तबलीगी जमात से संबंधित है।
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श्रमिको के लिए बनाये गये ऐप

      जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने बताया है की आयुक्त अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास उत्तर प्रदेश ने निर्देश दिए है कि ऐसे श्रमिकों जिनका पंजीयन उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में है लेकिन जिनके बैंक खातों का विवरण उपलब्ध नहीं है कि जिला वार/ब्लॉक वार सूची अपर मुख्य सचिव ,राजस्व को साफ्ट कॉपी में उपलब्ध कराई जाए एवं उनके निर्देशन में जिला प्रशासन की सहायता से बैंक खाता नंबर ,बैंक का आईएफएससी कोड ,बैंक शाखा का नाम प्राप्त किए जाएं । इसके अतिरिक्त एक मोबाइल एप बनाए जाने का निर्देश दिए गए हैं जिससे मोबाइल पर ऐप डाउनलोड कर श्रमिक अपना नाम ,मोबाइल नंबर, बैंक खाता एवं अन्य विवरण अपलोड कर सके। उत्तर प्रदेश भवन एवं संनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा पंजीकृत निर्माण श्रमिकों को आपदा राहत सहायता योजना के अंतर्गत रुपये 1000 दिए जा रहे हैं जिसमें कुछ श्रमिकों का खाता संख्या पोर्टल पर उपलब्ध ना होने के कारण उनको यह हितलाभ प्रदान करना संभव नहीं हो पा रहा है। इस हेतु बोर्ड द्वारा पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के बैंक खाता का विवरण अपडेट करने हेतु एक मोबाइल ऐप यूपीबीओसीडब्ल्यू बनाया गया है । इस सॉफ्टवेयर को गूगल प्ले स्टोर पर यूपीबीओसीडब्ल्यू डॉट इन के माध्यम से डाउनलोड किया जा सकता है। ऐप इंस्टॉल करने के पश्चात ओपन करने पर यूपीबीओसीडब्ल्यू बोर्ड का लोगो सामने आएगा, इसके पश्चात श्रमिक के विवरण के सत्यापन हेतु मोबाइल नंबर, पंजीयन संख्या, आधार संख्या की आवश्यकता होगी। इस डाटा को भरने के पश्चात सत्यापित पर क्लिक करेंगे। क्लिक करने के साथ ही मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी संख्या आएगी इस ओटीपी संख्या या डाटा को डाल कर पुनः सत्यापित करेंगे।  इसके पश्चात श्रमिक का विवरण जिसमे श्रमिक का नाम, पिता/पति का नाम आएगा। इसके पश्चात आधार नंबर को भी सत्यापित करना होगा। आधार नंबर को डालने के पश्चात मोबाइल नंबर पर पुनः एक ओटीपी नंबर या डाटा आएगा। ओटीपी भरने के पश्चात सत्यापित पर क्लिक करेंगे तथा क्लिक करने के साथ ही श्रमिक के बैंक खाता से संबंधित विवरण की कॉलम आ जाएंगे, उक्त कालम में श्रमिक का नाम स्वतः फीड रहेगा । इसके पश्चात श्रमिक द्वारा अपना बैंक खाता संख्या, आईएफएससी कोड, बैंक का नाम एवं बैंक शाखा भरना होगा । इसके पश्चात अपडेट पर क्लिक करने पर रिकॉर्ड अपडेट की सूचना आ जायेगी जिसे ओके करने के पश्चात बैंक सम्बन्धी डाटा अपलोड हो जाएगा


जिलाधिकारी के निर्देश पर दर्ज करायी गयी एफआईआर

  जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह के निर्देश के क्रम में 01 अप्रैल 2020 को उप जिलाधिकारी मडि़याहूं को मुखबिर के द्वारा सूचना प्राप्त हुई कि जयप्रकाश गुप्ता निवासी ग्राम पंचायत जगदीशपुर विकासखंड रामनगर के घर पर अवैध सिलेंडर रखे हुए हैं। जिस पर उप जिलाधिकारी मडि़याहूं, क्षेत्राधिकारी मडि़याहूं  (आपूर्ति निरीक्षक) सुशील कुमार पांडे व (आपूर्ति निरीक्षक) दिनेश कुमार पथिक द्वारा संयुक्त रूप से छापेमारी की गयी। छापेमारी के दौरान छानबीन करने पर घर के अंदर 28 भरे एवं 01 खाली घरेलू गैस सिलेंडर व 37 चूल्हे रखे हुए पाए गए । जांच एवं बयान से स्पष्ट होता है कि जयप्रकाश गुप्ता पुत्र ताराचंद गुप्ता निवासी ग्राम पंचायत जगदीशपुर विकासखंड रामनगर द्वारा उज्ज्वला योजना के कनेक्शन के अंतर्गत प्राप्त घरेलू गैस सिलेंडर एवं चूल्हे जो



ग्राहकों के पास होना चाहिए थे उसको अनुचित लाभ के उद्देश्य अनाधिकृत रूप से अवैध कालाबाजारी की जा रही थी जो द्रवित पेट्रोलियम विनियम गैस (प्रदाय एवं विनियम) 2000 के प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन है तथा आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 के अंतर्गत दंडनीय अपराध है। जिलाधिकारी के निर्देश पर जयप्रकाश गुप्ता पुत्र ताराचंद गुप्ता के उपरोक्त गंभीर अनियमितता के क्रम में उनके विरुद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज  करा दी गयी है।
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24 एवं 25 अप्रैल 2020 को विशेष वितरण दिवस के रूप में चिन्हित किए जाने का लिया गया निर्णय

  जिलाधकारी दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि आयुक्त, खाद्य तथा रसद विभाग द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि वर्तमान में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत नियमित वितरण के अतिरिक्त प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत खाद्यान्न का वितरण किया जा रहा है । इस क्रम में सुनिश्चित करने हेतु कि कोई भी अंत्योदय कार्ड धारक खाद्यान्न पाने से वंचित ना रहे और इस प्रकार होम डिलीवरी हेतु चिन्हाकित प्रत्येक निशक्तजन को उनके कार्ड पर खाद्यान्न उनके घर पहुंचा दिया जाए। 24 एवं 25 अप्रैल 2020 को विशेष वितरण दिवस के रूप में चिन्हित किए जाने का निर्णय लिया गया है। परंतु उक्त दिवसों में अन्य लाभार्थियों को खाद्यान्न प्राप्त करने में कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा। उन्होंने बताया कि माह अप्रैल 2020 की 24 तारीख तक खाद्यान्न प्राप्त करने वाले दोनों श्रेणियों (अंत्योदय कार्ड धारकों एवं निशक्तजन) के कार्ड धारकों को चिन्हित करते हुए प्रत्येक दशा में सुनिश्चित किया जाए कि उन्हें इन दिनों में खाद्यान्न अवश्य प्राप्त हो जाए।


PM CARES फंड में दान देने की शर्त पर लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाले किराना व्यवसायी को ज़मानत दी मध्यप्रदेश हाईकोर्ट

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने मंगलवार को इंदौर-निवासी व्यक्ति को जमानत दे दी। इस व्यक्ति को लॉकडाउन उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने ज़मानत देते हुए शर्त रखी कि वह एक सप्ताह के लिए "स्वैच्छिक सेवा करेगा। न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने निर्देश दिया कि किराना दुकान के मालिक दिलीप विश्वकर्मा को पैंतीस हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। साथ ही इतनी ही राशि के जमानत की शर्त के अलावा कोर्ट ने यह भी कहा कि जब भी ट्रायल कोर्ट उसे पेश होने को कहे, उसे पेश होना होगा। इसके अलावा अदालत ने उसे PM CARES फंड में 10,000 / रुपये जमा करने और एक सप्ताह के लिए स्वैच्छिक सेवा करने को कहा। पीठ ने आदेश दिया कि "आवेदक PM CARES में 10,000 / - (दस हजार रुपए) दान करेगा, जैसा कि उसके द्वारा स्वेच्छा से कहा गया है और प्रति दिन कम से कम तीन घंटे एक सप्ताह की अवधि तक स्वयंसेवक के रूप में सेवा भी करेगा, जैसा कि संबंधित एसडीएम द्वारा निर्देशित किया जाए,


                                       


जिसे वह बिना किसी देरी के इस स्थिति के बारे में सूचित करेगा।" आवेदक को लॉकडाउन अवधि के दौरान अपनी किराने की दुकान खोलने और सामाजिक दूरी के मानदंड का पालन किए बिना ग्राहकों को वहां इकट्ठा होने देने के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था। अपने बचाव में आवेदक ने प्रस्तुत किया था कि उसका निवास और दुकान एक ही इमारत में स्थित है और यही कारण है कि ग्राहकों ने उसकी दुकान के सामने भीड़ लगाई। आवेदक ने यह भी कहा कि उसने लॉकडाउन के महत्व को महसूस किया और कुछ समय के लिए वह स्वयंसेवक के रूप में काम करने को तैयार है। हाल ही में, झारखंड उच्च न्यायालय ने एक मामले में ज़मानत देते हुए PM CARES फंड में दान करने और आरोग्य सेतु ऐप' डाउनलोड करने की शर्त लगाई थी।


लॉकडाउन के कारण आर्थिक तंंगी का सामना कर रहे अधिवक्ताओंं को वित्तीय सहायता देने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्देश दिये

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को एक निगरानी समिति का गठन किया, जिसमें हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (एचसीबीए) के विभिन्न पदाधिकारियों को रखा गया है। यह समिति वित्तीय लॉकडाउन के कारण वित्तीय संकट झेल रहे अधिवक्ताओं को वित्तीय सहायता के वितरण फंड की निगरानी की करेगी। मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर की अगुवाई वाली एक खंडपीठ ने यह आदेश आर्थिक रूप से कमजोर अधिवक्ताओं को वित्तीय सहायता देने के मुद्दे पर एक मुकदमे की सुनवाई करते हुए पारित किया। अदालत ने आदेश दिया है कि समिति एक पूर्ण योजना तैयार करने और सदस्यों को सहायता के अनुदान के उद्देश्य से एसोसिएशन के खातों को संचालित करने के लिए एक संवादात्मक निकाय के रूप में कार्य करेगी। खंडपीठ में शामिल न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा ने उत्तर प्रदेश एडवोकेट्स वेलफेयर फंड एक्ट, 1974 के तहत ट्रस्टी कमेटी को आदेश दिया कि जल्द से जल्द एक बैठक बुलाई जाए ताकि जरूरतमंद अधिवक्ताओं को सहायता प्रदान करने के लिए एक योजना तैयार की जा सके, जो COVID 19 के कारण लगाए गए लॉकडाउन की वजह से वित्तीय रूप से प्रभावित हुए हैं। पीठ ने यह निर्देश वरिष्ठ अधिवक्ता बीके श्रीवास्तव के यह कहने पर दिया कि राज्य की ओर से यूपी एडवोकेट्स वेलफेयर फंड एक्ट के तहत वकीलों को सहायता प्रदान करने के लिए जिम्मेदार ट्रस्टीज कमेटी का कामकाज सतोषजनक नहीं है। अदालत ने इस प्रकार आदेश दिया: "उत्तर प्रदेश एडवोकेट्स वेलफेयर फंड एक्ट, 1974 के तहत गठित ट्रस्टीज़ कमेटी जल्द से जल्द बैठक करेगी ताकि जरूरतमंद एडवोकेट्स को सहायता प्रदान की जा सके, जो COVID-19 लॉकडाउन के कारण पूरी तरह से प्रभावित हैं। स्कीम बनाने के बाद, ट्रस्टीज़ कमेटी उत्तर प्रदेश राज्य में मान्यता प्राप्त बार एसोसिएशनों के लिए फंड जारी करना सुनिश्चित करेगी और एसोसिएशन को विशिष्ट निर्देश देगी ताकि एसोसिएटेड सदस्यों को इस योजना के अनुसार फंड से सहायता दी की जा सके। इस याचिका की लिस्टिंग की अगली तारीख से पहले यह काम पूरा किया जाना आवश्यक है। अधिवक्ताओं की विधवाओं को सहायता के लिए और अन्य दावेदारों को भी ट्रस्टीस कमेटी ने आगे लंबित सभी आवेदनों पर विचार करने और निर्णय लेने के लिए निर्देशित किया है। ट्रस्टी कमेटी द्वारा आज से एक महीने की अवधि में इस तरह के आवेदनों पर विचार और निर्णय लिया जाना आवश्यक है। अपने निर्णय के अनुसार, बार काउंसिल ऑफ इंडिया, नई दिल्ली उत्तर प्रदेश के बार काउंसिल को धनराशि जल्द से जल्द, 27 अप्रैल, 2020 को या उससे पहले जारी करेगा। इस बीच में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश, अदालत से जुड़ी बार एसोसिएशनों के माध्यम से जरूरतमंद अधिवक्ताओं को सहायता वितरित करने के लिए एक योजना तैयार करे। स्टेट बार काउंसिल यह सुनिश्चित करेगी कि धनराशि को उनके दुरुपयोग को रोकने के लिए निष्पक्ष और समान रूप से पूरी सावधानी के साथ वितरित किया जाए। बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश जरूरतमंद अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए उन्हें जारी राशि का पूरा हिसाब रखने या उनके उपयोग के लिए बार एसोसिएशन को आवश्यक निर्देश जारी करेगा। इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के पास पर्याप्त धनराशि है, लेकिन कुछ अजीब परिस्थितियों के कारण, यह जरूरतमंद सदस्यों की मदद करने की स्थिति में नहीं है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए, हम निम्नलिखित सदस्यों की एक निगरानी समिति का गठन करना उचित समझते हैं: - (i) श्री राकेश पांडे, वरिष्ठ अधिवक्ता और नामित अध्यक्ष, इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन। (ii) श्री अमरेन्द्र नाथ सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता और नामित अध्यक्ष, इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन। (iii) श्री जे.बी. सिंह, एडवोकेट और जनरल सेक्रेटरी, इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन। (iv) श्री प्रभा शंकर मिश्र, इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अधिवक्ता और नामित महासचिव। (v) श्री वी.पी. श्रीवास्तव, वरिष्ठ अधिवक्ता, इलाहाबाद। (vi) श्री विकाश चंद्र त्रिपाठी, मुख्य स्थायी वकील, इलाहाबाद। समिति इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के सदस्यों को सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से एसोसिएशन के खातों को संचालित करने के लिए एक संवादात्मक निकाय के रूप में कार्य करेगी। निगरानी समिति इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के जरूरतमंद सदस्यों को सहायता के वितरण के लिए एक पूरी योजना तैयार करेगी। निगरानी समिति को 25 अप्रैल, 2020 को या उससे पहले इलाहाबाद में जरूरतमंद अधिवक्ताओं को सहायता के वितरण को सुनिश्चित करना आवश्यक है। ऐसा करते समय यह सहायता का उचित और एक समान अनुदान सुनिश्चित करेगी और इसका पूरा लेखा-जोखा भी रखेगी। उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (प्रोटोकॉल) समिति के सदस्यों को सामाजिक दूरी को बनाए रखते हुए बार एसोसिएशन के कार्यालय को खोलने और उपयोग करने की अनुमति देंगे। कोर्ट ने आदेश दिया : "अवध बार एसोसिएशन, लखनऊ ने पहले से ही जरूरतमंद अधिवक्ताओं की मदद के लिए एक पूरी योजना तैयार की है। एसोसिएशन आज से एक सप्ताह की अवधि के भीतर यथासंभव जल्द से जल्द इस योजना को निष्पादित करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेगी। इस न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया जाता है कि वे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं क्लर्कों (एडवोकेट्स क्लर्कों का पंजीकरण) नियमावली, 1997 के अनुसार अधिवक्ता क्लर्कों को पंजीकृत करने की प्रक्रिया शुरू करें। हम उत्तर प्रदेश राज्य के सभी नामित वरिष्ठ अधिवक्ताओं और अधिवक्ताओं से यह अनुरोध करना चाहते हैं कि उनके पास बार एसोसिएशनों की सहायता के लिए पर्याप्त संसाधन हों, इसके लिए वे एडवोकेट क्लर्कों की मदद ले सकते हैं। मामले के साथ भागीदारी करते हुए, हम उत्तर प्रदेश राज्य में विभिन्न अदालतों में काम करने वाले पंजीकृत अधिवक्ता क्लर्कों के कल्याण के लिए एक व्यवहार्यता की जांच करने के लिए राज्य सरकार से अनुरोध करते हैं। " जैसा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा किए गए उपायों के संबंध में अदालत को सूचित किया गया था कि उसने अधिवक्ताओं की अपनी ताकत के अनुपात में प्रत्येक राज्य बार काउंसिल को 1 करोड़ रुपये के अधिकतम अनुदान के अधीन वित्तीय सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया था। इसके अलावा परिषद ने आर्थिक रूप से कमज़ोर अधिवक्ताओं को प्रधानमंत्री से 20,000 / - रुपये प्रति माह एक न्यूनतम निर्वाह भत्ते के रूप में देने करने की अपील की थी। यह मामला अब 5 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।



मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

प्रधान की मिली भगत से ग्राम समाज की ज़मीन पर अवैध कब्जा

मानी कलाँ / जौनपुर


थाना खेतासराय क्षेत्र मानी कलाँ गाँव में तलाब के किनारे  लाक्डाउन का उंलघन करते हुए ग्राम प्रधान की सह ग्राम समाज की ज़मीन पर पैसों के नशो में चूर होकर फैज़ान अहमद एवं इरफान अहमद पुत्र  हाफ़िज़ ज़करिया अवैध तरीके से कब्जा कर रहे है। प्राप्त सूचना के अनुसार ए लोग मनबढ़ किस्म के व्यक्ति है शायद इसी डर के कारण अवैध तरीके से कर रहे ग्राम समाज कब्जा



की शिकायत कोई थाना खेतासराय मे नही कर रहा है बताते है कि ये दो माह पूर्व ग्राम समाज की जमीन पर अवैध कब्जा कर रहे थे, मौके पर पहुंच कर डायल 112 फोर्स ने निर्माण कार्य को रोकवा दिया था।लॉक डाउन का फायदा उठाते हुए मन माने तरीके से मकान का निर्माण कार्य करवा रहा है।जिसे ना कानून का डर है ना शासन प्रशासन का डर है।


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