गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

घर-घर जाकर किसी भी बैंक का पैसा एईपीएस के माध्यम से निकासी करेगा भारतीय डाक विभाग

जौनपुर 23 अप्रैल कोरोना वायरस संक्रमण के रोकथाम हेतु जनपद में चल रहे लॉक डाउन के दौरान भारतीय डाक विभाग द्वारा आम जनमानस को उनके घर-घर जाकर किसी भी बैंक का पैसा एईपीएस के माध्यम से निकासी करके दिया जा रहा है, इस सम्बन्ध में प्रत्येक दिन चयनित मोहल्ले में जाकर प्रत्येक घर-घर में भी किसी भी बैंक का भुगतान इण्डिया पोस्ट पेमेण्ट बैंक के माध्यम से किया जा रहा है। जनपद के ग्रामीण क्षेत्रो में भी शाखा डाकघरो के माध्यम से प्रत्येक कार्य दिवस में भी एईपीएस के


 


माध्यम से ग्राहको के खाते का भुगतान दिया जा रहा है। चूँकि इस सप्ताह आने वाले शनिवार 25 अप्रैल 2020 को चतुर्थ शनिवार होने की वजह से बैंक में आम जनता का कार्य नहीं हो पाएगा, आम जनमानस की सुविधा एवं सहायता हेतु जनपद के प्रधान डाकघर एवं समस्त उपडाकघर 24 अप्रैल 2020 को सुबह 08.00 बजे से कार्य करेगे एवं किसी भी बैंक खाते का भुगतान इण्डिया पोस्टबैक के माध्यम से करेगें। ग्राहको की सुविधा हेतु प्रधान डाकघर में 05 स्पेशल काउण्टर एवं उपडाकघर जौनपुर कचहरी में 03 स्पेशल काउण्टर भुगतान हेतु खोले जाएंगे। साथ ही साथ जनपद के समस्त शाखा डाकघरो द्वारा भी निर्धारित कार्य दिवस मंे पैसे का भुगतान करेंगे इसी तारम्य में समस्त माननीय जनप्रतिनिधि, समस्त ग्राम प्रधान, समस्त बीडीसी गण, नगरपालिका परिषद के सम्मानित सभासद गण को भी अवगत कराना चाहता हूँ कि भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा डीबीटी के माध्यम से जनधन योजना, मनरेगा मजदूरी, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना इत्यादि योजनाओ के लाभार्थी भी जिनकी धनराशि किसी भी बैंकखाते में आ रही है उस धनराशि का भुगतान भारतीय डाक विभाग के इण्डिया पोस्ट पेमेण्ट बैंक के माध्यम से नजदीकी डाकघर से प्राप्त किया जा सकता है। इस सम्बन्ध में अवगत कराना है कि जौनपुर जनपद में प्रधान डाकघर, 49 उपडाकघरों एवं 348 शाखा डाकघरों यह सुविधा प्रदान कर रहे हैं।


लगभग 80 गरीब व जरूरतमन्द परिवारों को जनपद न्यायाधीश जौनपुर द्वारा किया गया आवश्यक खाद्य सामग्री का वितरण

जौनपुर 23 अप्रैल सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने बताया कि उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुसार 23 अप्रैल 2020 को जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जौनपुर के निर्देशानुसार जनपद के सुदूर क्षेत्र ग्राम अड़ियार थाना सुरेरी तहसील मड़ियाहूॅं जनपद जौनपुर के ऐसे परिवार जो प्रतिदिन मजदूरी करके अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं और वर्तमान में लॉकडाउन के कारण घरों में बैठे हैं, जिससे उनके सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया है, को चिन्हित कर दीवानी न्यायालय के समस्त न्यायिक अधिकारीगण के सहयोग से माननीय जनपद न्यायाधीश एम0पी0 सिंह, मनोज कुमार, प्रथम अपर जिला जज, अंजनी कुमार सिंह, अपर जिला जज, विकास, प्रभारी सी0जे0एम0 एवं मो0 फिरोज, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जौनपुर द्वारा ग्राम अड़ियार के लगभग 80 गरीब व जरूरतमन्द परिवारों को आवश्यक खाद्य सामग्री का वितरण किया गया। इस अवसर पर माननीय जनपद न्यायाधीश द्वारा जनपद के सभी आमजन से अपील की गयी कि वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव हेतु सामाजिक दूरी, मास्क का प्रयोग व कोविड-19 की अन्य सभी सावधानियों का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित करें। सचिव मो0 फिरोज, द्वारा बताया गया कि जो वास्तविक रूप में गरीब व जरूरतमन्द हैं, उनकी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा हर संभव मदद की जायेगी।
     इस अवसर पर क्षेत्राधिकारी मड़ियाहॅूं विजय सिंह, थानाध्यक्ष श्यामराज वर्मा, योगेशमणि दूबे, लेखपाल, ग्राम प्रधान, श्रीमती ज्ञान देवी, प्रधानपति राजेश कुमार व अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।


जिला प्रशासन ने अच्छी चिकित्सा सेवाएं देने वाली विशेषज्ञ डॉक्टरों के 19 नर्सिंग होम व प्राइवेट हॉस्पिटल को जारी की अनुमति

अयोध्या 23 अप्रैल। जिला मजिस्ट्रेट श्री अनुज कुमार झा ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ घनशयाम   सिंह द्वारा चिन्हित 19 निजी चिकित्सालय को लॉक डाउन के दौरान  कुछ शर्तों के साथ केवल आकस्मिक/ इमरजेंसी सेवाएं शुरू करने की दी अनुमति ।  गंभीर प्रकृति के रोगी अपनी इच्छा अनुसार इन निजी चिकित्सालय में विशेषज्ञ डॉक्टरों से करा सकेंगे अपना इलाज।जिला प्रशासन द्वारा जन सामान्य की चिकित्सा संबंधित समस्याओं के समाधान हेतु भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं संबंधी गतिविधियों को सुचारू बनाने की नीति के तहत जारी की गई है अनुमति ।लॉक डाउन के दौरान केवल और केवल इमरजेंसी सेवाएं ही चालू रहेंगे ।जबकि अग्रिम आदेशो तक ओपीडी पूर्ण रूप से बंद रहेगी। जिला मजिस्ट्रेट ने आगे बताया कि इन निजी चिकित्सालयों को चिकित्सालय में मरीज के प्रवेश के पूर्व हैंडवाश, साबुन, लिक्विड  सोप व सैनेटाइजर से हाथों को सेनीटाइज कराना अनिवार्य होगा। यदि मरीज ने मास्क नहीं  पहना है तो चिकित्सालय प्रबंधन मरीज को तुरंत मास्क उपलब्ध कराएगा। प्रवेश के समय मरीज वह उसके साथ आने वाले परिवार के सदस्य की प्रथम दृष्टया थर्मल स्क्रीनिंग कराना अनिवार्य होगा ।यदि कोई मरीज अथवा उसके साथ आया व्यक्ति कोरोना वायरस का संदिग्ध प्रतीत होता है और उसमें कोरोना के लक्षण परीक्षित होते हैं तो संदिग्ध मरीज को पृथक कक्ष में रखना अनिवार्य होगा और इसकी सूचना तत्काल मुख्य चिकित्सा अधिकारी को देना होगा ।समस्त ऐसे मरीज जिनको चिकित्सालय में एडमिट किया गया है  अथवा किया जाएगा उन सभी की अनिवार्य रूप से कोरोन सैंपलिंग  करानी होगी ।साथ ही सभी निजी चिकित्सालय को



एन95 मास्क व पीपीई किट एवं संक्रमण से सुरक्षा के सभी उपकरण पर्याप्त मात्रा में रखने के साथ सभी चिकित्सकों तथा पैरामेडिकल स्टाफ द्वारा प्रयोग करना अनिवार्य होगा । सामाजिक दूरी का मानक सुनिश्चित करते हुए कार्मिकों की उपस्थिति 33% रखनी होगी। चिकित्सीय परामर्श व टेली कंसल्टेंसी , टेली मेडिसिन  के माध्यम से दिए जाएंगे। इंफेक्शन प्रिवेशन प्रोटोकॉल का शत प्रतिशत पालन करना होगा। मुख्य चिकित्सा  अधिकारी डॉ घनश्याम सिंह ने बताया   जगत हॉस्पिटल आर्थो के डॉक्टर सूर्यमणि द्विवेदी  ,चिरंजीव हॉस्पिटल के डॉक्टर उमेश कुमार चौधरी (सर्जरी),दिव्या हॉस्पिटल के डॉक्टर विजय प्रताप सिंह(सर्जरी), राज  राजेश्वरी हॉस्पिटल डॉ  अरविंद कुमार मिश्रा(न्यूरो सर्जरी), डॉक्टर देवा मेमोरियल हॉस्पिटल के डॉ अतुल वर्मा (अर्थो),देवा मेमोरियल हॉस्पिटल डॉ रजनीश वर्मा (सर्जरी)डॉ सुमिता वर्मा(स्त्री रोग)   संजाफी हॉस्पिटल एवं सर्जिकल सेंटर के डॉक्टर मुकेश कुमार गौतम(आईसीयू), केयर हॉस्पिटल डॉक्टर अफरोज खान (मेडिसिन),रेनू मेमोरियल ऑर्थो सेंटर के डॉक्टर अनिल कुमार, कौशल चाइल्ड केयर एंड मेडिकल सेंटर के डॉक्टर केएन कौशल(बालरोग) ,टीएलएम हॉस्पिटल के डॉक्टर बीनू बेरी(चर्म रोग व कुष्ठ) ,सीताराम मेडिकल सेंटर के डॉक्टर अभिषेक शरण( मेडिसिन), लाइफ लाइन हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के डॉक्टर विपिन कुमार(सर्जरी) हर्षण हृदय संस्थान के डॉक्टर अरुण कुमार जायसवाल (ह्रदय रोग),आनंद मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर आनंद गुप्ता (मेडिसिन)अयोध्या आई हॉस्पिटल के डॉक्टर पवन कुमार(नेत्र रोग) यश्लोक हॉस्पिटल के डॉक्टर चितरंजन वर्मा(बाल रोग) एवं डॉक्टर मृदुला वर्मा ( स्त्री रोग),अवध  न्यूरो साइकेट्री डॉक्टर   शिशिर वर्मा( मनोरोग) व निर्मला हॉस्पिटल के डॉक्टर आरके बनोधा ( मेडिसिन एवं आइसीयू)को अपने से सम्बंधित मरीजो के इलाज की अनुमति जिला प्रशासन द्वारा जारी की गई है।


 


जिला प्रशासन की मानवीय व सार्थक पहल से लाग डाउन के दौरान ग्रामीण क्षेत्रो में रोजगार

अयोध्या 22 अप्रैल 2020-अन्य प्रदेश से वापस आये श्रमिको तथा स्थानीय स्तर पर पहले से श्रमिको को रोजगार उपलब्ध कराने के दृष्टिकोण से अधिक से अधिक मानव दिवसो को सृजित करेगा जिला प्रशासन एवं विकास विभाग, उक्त जानकारी देत हुए जिला मजिस्ट्रेट श्री अनुज कुमार झा ने बताया कि शासन द्वारा 20 अप्रैल के बाद जिन कार्यो को कराने की अनुमति प्रदान की गई है उसे घ्यान में रखते हुए मुख्य विकास अधिकारी श्री प्रथमेश कुमार से कहा कि महात्मा गाॅधाी राष्ट्रीय रोजगार गारन्टी योजनान्तर्गत  ग्रामीण क्षेत्रो में सोशल डिस्टैसिंग व कोरोना वायरस के बचाव के सभी उपाय करते हुए अधिक से अधिक रोजगार व मानव दिवसो का सृजन किया जाये ताकि मनरेगा सहित अन्य प्रदेशो व जनपदो से वापस आये श्रमिको को रोजगार चाहने



वाले व्यक्तियो को उनके निवास स्थल के निकट ही स्थानीय स्तर पर रोजगार प्रदान किया जा सके साथ ही ज्यादा से ज्यादा स्थाई परिसम्पत्तियो का सृजन करते हुए लाक डाउन के दौरान रोजगार के अवसर उत्पन्न किये जा सके।जिला मजिस्ट्रेट श्री अनुज कुमार झा ने बताया कि अन्य जनपदो व अन्य राज्यो से वापस आये हुए व्यक्तियो व श्रमिको का यथा शीघ्र नया जाबकार्ड बनाने तथा निष्क्रिय जाबकार्ड के नवीनीकरण का निर्देश जारी कर दिये गये है ताकि रोजगार चाहने वाले व्यक्तियो व श्रमिको को ग्राम पंचायत में ही रोजगार उपलब्ध हो सके। मुख्य विकास अधिकारी श्री प्रथमेश कुमार ने बताया कि शासन एवं प्रशासन की मंशानुसार  21 अप्रैल से 137 ग्राम पंचायतो में 197 कार्य स्थल पर कार्य प्रारम्भ करा दिया गया है जिनमें कुल 3088 श्रमिको को नियोजित किया गया है। उन्होंने बताया कि डीसी मनरेगा व सभी खण्ड विकास अधिकारियो को ऐसे कार्यो को चिन्हित करने के निर्देश दिये गये है जिन पर तत्काल कार्य प्रारम्भ हो सके। उन्होंने आगे बताया कि मुख्यतः सिचाई व जल संरक्षण से संबंधित कार्यो को प्राथमिकता के आधार पर प्रारम्भ करा दिया गया है। इसी के साथ तमसा नदी के जीणोद्धार के पश्चात बड़े पैमाने पर नदी के किनारे लगाये गये पौधो की देख-रेख व सिचाई हेतु मास्टर रोल निर्गत कर दिये गये है इस कार्य में भी बड़ी संख्या में श्रमिको को लगाया जा रहा है। सभी कार्यस्थलो पर कोरोना वायरस से बचाव हेतु सभी श्रमिको को मास्क, गमछा बाध्कर कार्य करने को अनिवार्य बना दिया गया है और श्रमिको द्वारा इस निर्देश का अक्षरशः पालन भी किया जा रहा है श्रमिको को सोशल डिस्टेसिंग के पालन के साथ-साथ थोडे-थोड़े देर पर साबुन से 20 सेकेण्ड तक पानी से धोने के भी निर्देश दिये गये है और श्रमिको द्वारा इस निर्देश का नियमित रूप से पालन भी किया जा रहा है।


 


रिश्वत लेते हुए कैमरे में कैद यातायात पुलिस का आरक्षक

जशपुर शहर के बाहरी इलाकों बाईपास और रिंगरोड गुजरने वाले वाहनों जांच के नाम पर पुलिस द्वारा अवैध वसूली की खबरें कई दिनों से आ रही थीं। बुधवार को यहां का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें ट्रैफिक पुलिस की सफेद वर्दी पहने एक जवान बड़ी ही सफाई से करारे नोट लेकर उसे मुठ्ठी में मोड़कर फिर जेब में डालते नजर आ रहा है।



जांच के दौरान वहां मौजूद किसी व्यक्ति ने बड़ी ही सफाई से उसका यह वीडियो बना लिया और इसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक उक्त स्थल पर प्वाइंट लगाकर एक यातायात विभाग का आरक्षक और उसके साथ मौजूद खाकी वर्दी धारी एएसआई ने लोगों की गाड़ियां रुकवाई थीं। इसके बाद वह लोगों से रुपए समेट कर अपनी बाइक में सवार होकर वहां से निकल गया। घूस लेते कैमरे में कैद हुए इस आरक्षक का नाम बालेश्वर बघेल है। 


प्रवासी मज़दूरों को अपने गांव जाने की इजाजत देने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप आवेदन दायर

देश भर में फंसे लाखों प्रवासी कामगारों के मौलिक अधिकार के जीवन के प्रवर्तन के लिए केंद्र और राज्यों को उनके गृहनगर और गांवों में सुरक्षित यात्रा की व्यवस्था करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका का विरोध करते हुए एक हस्तक्षेप आवेदन दाखिल किया गया है। याचिकाकर्ता, आईआईएम-अहमदाबाद के पूर्व डीन जगदीप एस छोकर और वकील गौरव जैन ने शीर्ष अदालत से प्रार्थना की थी कि लॉकडाउन के विस्तार के मद्देनज़र, विभिन्न राज्यों में फंसे श्रमिकों को आवश्यक परिवहन सेवाएं प्रदान की जाएं जो अपने घर लौटना चाहते हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रवासी कामगार, जो चल रहे लॉकडाउन के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित वर्ग के लोगों में से हैं, को COVID-19 के परीक्षण के बाद अपने घरों में वापस जाने की अनुमति दी जानी चाहिए। इस याचिका पर कमलाकर आर शेनॉय की ओर से एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड ओमप्रकाश परिहार द्वारा दायर हस्तक्षेप आवेदन में कहा गया कि कोरोना वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए, लॉकडाउन निष्पक्ष और समान होना चाहिए। इसलिए, वायरस के प्रसार को रोकने के लिए उठाए गए एहतियाती उपायों के बावजूद प्रवासी श्रमिकों को लॉकडाउन से मुक्त नहीं किया जा सकता। हस्तक्षेप आवेदन में उन समाचार रिपोर्टों का भी हवाला दिया जिनमें यह कहा गया कि चिकित्सा परीक्षण



सटीक नहीं हैं। झूठी नेगेटिव रिपोर्ट के अस्तित्व की संभावना के कारण उन प्रवासियों की आवाजाही की अनुमति देना नासमझी है, जिनकी रिपोर्ट कथित रूप से नेगेटिव आई है। वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर याचिका में याचिकाकर्ता का कहना था कि प्रवासी कामगार, जो चल रहे लॉकडाउन के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित वर्ग के लोगों में से हैं, को COVID-19 के परीक्षण के बाद अपने घरों में वापस जाने की अनुमति दी जानी चाहिए। इस याचिका में यह बताया गया है कि बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक हैं, जो अपने परिवार के साथ रहने के लिए अपने पैतृक गांवों में वापस जाने की इच्छा रखते हैं, और 24 मार्च को घोषित 21 दिनों के लॉकडाउन के मद्देनज़र अचानक भीड़ से ये स्पष्ट है जो विभिन्न बस टर्मिनलों पर बेकाबू अराजकता का कारण बनी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि " ऐसे कई प्रवासी मज़दूरों की दुखद मौतों के उदाहरण हैं जो बिना किसी विकल्प के साथ छोड़ दिए गए थे और उन्होंने सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर अपने मूल स्थानों की यात्रा की। हाल ही में ऐसी मीडिया रिपोर्ट आई हैं, जो बताती हैं कि प्रवासी मज़दूर अपनी मज़दूरी का भुगतान न करने और अपने पैतृक गांवों में लौटने की मांग के कारण कुछ स्थानों पर सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस याचिका पर हस्तक्षेप आवेदन में पीआईएल में की गई प्रार्थनाओं का विरोध करते हुए तर्क दिया है कि प्रवासी श्रमिकों को अपने घर जाने के लिए यात्रा करने की अनुमति देना वांछनीय नहीं है, क्योंकि यह वायरस के प्रसार को बढ़ावा देगा।



प्रेमी ने प्रेमिका को दिया जहर , खाई थी साथ जीने-मरने की कसमें

चंडीगढ़. प्रेमी युगल अपना प्यार माको पाने के लिए कसमें तो बहुत खाते हैं लेकिन इसमें से बहुत कम ही लोग ऐसे होते हैं जो उनको पूरा भी करते हैं. कई लोग तो ऐसे भी होते हैं जो मौक़ा मिलते ही पीठ देखा देते हैं. ऐसा ही एक मामला पंजाब के माछीवाड़ा में सामने आया है. माछीवाड़ा के पास गांव सैसोंवाल खुर्द में प्रेमी जोड़े ने शादी के लिए परिवार के लोगों के राजी न होने पर साथ मरने का वादा किया था. युवक जगदीप सिंह ने सुखविंदर कौर (20) को जहर दे दिया, जबकि खुद जहर नहीं खाया. जहर देने से लड़की की मौत हो गई ये आरोप सुखविंदर की मां ने लगाया है.


                                 



ये था पूरा मामला
लड़का और लड़की एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे और शादी करना चाहते थे. उनके इस प्यार को देख घरवालों ने उन लोगों की सगाई भी करवा दी और उसके बाद जगदीप ने सुखविंदर को जहर दे दिया. लड़की की मां ने पुलिस में शिकायत की है जगदीप सिंह मेरी बेटी से शादी करना चाहता था इसलिए हमने उसकी सगाई भी कर दी थी. 21 अप्रैल को जगदीप अपनी मां सरबजीत के साथ घर आया और अपशब्द कहने लगा. उसने बताया कि दोपहर को सुखविंदर उल्टियां करने लगी, जगदीप ने उसे सल्फास की गोलियां दीं. अस्पताल ले जाने के बाद डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
पुलिस ने मां बेटे के खिलाफ किया केस दर्ज
लड़की की मां की शिकायत पर पुलिस ने जगदीप सिंह और सरबजीत कौर के खिलाफ धारा 306 और 34 तहत केस दर्ज कर लिया गया है. पुलिस ने केवल दो लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है जबकि आत्महत्या के मजबूर करने के लिए परिवार के और भी सदस्य शामिल हैं.


अवैध संबंधों में रोड़ा बनने पर टीचर ने की थी सांगवान खाप के कन्नी प्रधान की हत्या

चरखी दादरी. सांगवान खाप के कन्नी प्रधान प्रदीप सांगवान की हत्‍या मामले में सनसनीखेज खुलासा हुआ है. हरियाणा पुलिस ने बताया कि प्रदीप की उसके साथी टीचर ने ही अवैध संबंधों के चलते हत्या (Murder) कर दी थी. मृतक की पत्नी के साथ आरोपी टीचर के अवैध संबंध थे, इसलिए साजिश रचते हुए टीचर ने कन्नी प्रधान को जूस में नींद की गोलियां देकर जहरीला इंजेक्शन लगाया था. बेहोश होने के बाद उसके शरीर पर चोटें मारी गई थीं. हत्या के बाद मृतक की गाड़ी को एक्सीडेंट (Accident) का रूप देकर आरोपी फरार हो गया था. पुलिस ने आरोपी टीचर को काबू करते हुए रिमांड पर लिया है. डीएसपी शमशेर दहिया ने प्रेस वार्ता कर हत्याकांड का खुलासा किया. डीएसपी ने बताया कि गत 10 अप्रैल को कन्नी प्रधान गांव चरखी निवासी प्रदीप सांगवान की गाड़ी कलियाणा रोड पर दुर्घटनाग्रस्त मिली थी. गाड़ी में कन्नी प्रधान मृत अवस्था में मिले थे, जिसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर सदर पुलिस ने हत्या का केस दर्ज किया था.सदर पुलिस ने आरोपी टीचर को गिरफ्तार कर पूछताछ की तो कई खुलासे हुए. डीएसपी ने बताया कि हत्यारोपी टीचर गांव घसोला निवासी जयवीर सिंह के मृतक कन्नी प्रधान की पत्नी के साथ अवैध संबंध थे, जिसके कारण साजिश के तहत वारदात को अंजाम दिया गया. टीचर ने हत्या को एक्सीडेंट का रूप देने की कोशिश की थी.




कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया
पुलिस जांच के दौरान खुलासा हुआ कि टीचर ने कन्नी प्रधान को जूस में नींद की गोलियां दीं और नशे का इंजेक्शन देकर बेहोश किया था. इसके बाद उनकी हत्या कर उनकी गाड़ी को एक्सीडेंट का रूप देकर फरार हो गया था. पुलिस ने हत्यारोपी को कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया है. रिमांड के दौरान पूछताछ की जाएगी और इस दौरान कई खुलासे भी हो सकते हैं. प्रेस वार्ता में डीएसपी (मुख्‍यालय) जोगेंद्र सिंह व सदर थाना प्रभारी नरेंद्र सिंह भी साथ थे.


अब दूल्हा पड़ाेसियों को बेच रहा मुर्गे , शादी की पार्टी के लिए पाल रखे थे 500 मुर्गे

हल्द्वानी. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में हुए लॉकडाउन के कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना भी करना पड़ा है. हालात ये हैं कि बड़ी संख्या में लोगों की शादियां रद्द हो गई या टल गई हैं. ऐसा ही मामला हल्द्वानी में भी सामने आया. यहां पर एक परिवार के सामने अनोखी मुसीबत खड़ी हो गई है. पनियाली गांव में रहने वाले राणा परिवार में बेटे की शादी थी. इसके लिए 13 से 15 अप्रैल के बीच खास पार्टी का इंतजाम भी किया गया था. इस पार्टी के लिए खास राणा परिवार ने 500 से ज्यादा मुर्गे पाल रखे थे. आने वाले मेहमानों के लिए नॉनवेज के कई व्यंजन बनाए जाने थे.

...और टल गई शादी
कोरोना के चलते लॉकडाउन फिर बढ़ा कर 3 मई तक कर दिया गया. अब राणा परिवार के बेटे मोहित की शादी टल गई है. लेकिन परिवार के सामने सबसे बड़ी समस्या ये हो गई है कि आखिर इन मुर्गों का वे क्या करें. परिवार में इतने लोग नहीं हैं कि इन्हें खत्म किया जा सके, वहीं बाजार भी बंद होने के चलते उनके सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है.

आस-पास खुद ही बेच रहे
मोहित ने बताया कि अब मुर्गों को वे आसपास रहने वाले लोगों को ही बेच रहे हैं. वे किसी भी दाम में इन्हें बेचकर इनसे छुटकारा पा रहे हैं. मोहित का कहना है कि शादी टलने का दुख है साथ ही तैयारियों में लगा पैसा भी बर्बाद हो गया. उन्होंने कहा कि शादी को लेकर पूरे परिवार ने बहुत कुछ सोच रखा था लेकिन अब उतना कुछ न हो सकेगा. वहीं मोहित की चाची बसंती राणा ने कहा कि बच्चों की शादी का अरमान हर मां बाप को होता है. जिसके लिए हमने भी धूम धाम से तैयारियां की थीं. लेकिन अब इस कोरोना के चलते कुछ नहीं हो सका. अब इंतजार है कि ये दौर कब खत्म हो.



                                         पार्टी के लिए खास राणा परिवार ने 500 से ज्यादा मुर्गे पाल रखे थे.

कोरोना को लेकर राहत की खबर
उत्तराखंड से अच्छी खबर आई है. राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि मंगलवार और बुधवार को सूबे में कोरोना वायरस का कोई नया सामने नहीं आया है. राज्य में अब तक कोविड-19 (COVID-19) से 46 लोग संक्रमित हो चुके हैं. इनमें से 23 लोग स्वस्थ हो चुके हैं.

सबसे अधिक मरीज देहरादून से
मालूम हो कि उत्तराखंड में इस बीमारी की चपेट में आने वाले लोगों की सबसे ज्यादा संख्या देहरादून से है. राज्य में जहां कुल 46 मरीज कोरोना के हैं जिनमें से अकेले देहरादून के 24 हैं. वहीं, नैनीताल में 9 और हरिद्वार में 7 मामले प्रकाश में आए हैं.



दोबारा इस्तेमाल की जा रही हैं डिस्पोजेबल PPE किट,कोरोना वॉरियर्स की जान से खिलवाड़

भोपाल.क्या प्रदेश की जनता की सुरक्षा करने वाले कोरोना वॉरियर्स (Corona warriors) की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. कोरोना योद्धा पुलिस कर्मी जनता की सुरक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं, लेकिन पता चला है कि उनकी सुरक्षा और बचाव के लिए जो संसाधन मुहैया शासन प्रशासन को कराना चाहिए उसमें घोर लापरवाही बरती जा रही है.
राजधानी भोपाल के कंटेंटमेंट जोन में तैनात पुलिसकर्मियों के साथ पीपीई किट के नाम पर मजाक किया जा रहा है. एक पीपीई किट 1 ही दिन पुलिसकर्मी को इस्तेमाल करनी होती है. लेकिन उन्हें दो दिन तक एक ही किट इस्तेमाल करना पड़ रही है. यह नियम के विरुद्ध है, जबकि एक बार पीपीई किट का इस्तेमाल होने के बाद उसे डिस्पोज किया जाना चाहिए.टीम ने राजधानी भोपाल के कंटेंटमेंट एरिया में जाकर पुलिस कर्मियों का हाल जाना तो सच्चाई निकलकर सामने आ गई. बागसेवनिया इलाके में स्थित एक कंटेंटमेंट जोन में तैनात एक पुलिसकर्मी ने बताया बताया कि उसे 8 दिन में 4 किट मिली थीं. यानी उसने 2 दिन तक एक किट पहनकर कंटेंटमेंट जोन में ड्यूटी की. कंटेंटमेंट जोन में एक पुलिसकर्मी को वहां की तमाम स्थिति परिस्थितियों पर नजर रखनी पड़ती है. लोगों के आने-जाने पर रोक लगानी पड़ती है. साथ में तमाम लोगों की डिटेल भी नोट करनी पड़ती है. ऐसे जोन में लगातार ड्यूटी करने के कारण पुलिसवालों को संक्रमण का खतरा बना रहता है.


 



नगर निगम के कर्मचारियों के पास पीपीई किट नहीं
शहर के 120 कंटेंटमेंट जोन में 710 पुलिसकर्मी तैनात हैं. 2 दिन के लिए 1068 किट बांटी गई, जबकि 1420 की जरूरत है. पुलिस के पास सिर्फ 2000 किट का स्टॉक है.नगर रक्षा समिति के 800 सदस्यों को भी किट नहीं मिल रही है. इसके अलावा11000 शत-प्रतिशत निगम कर्मचारियों को भी किट नहीं मिली है. कंटेंटमेंट जोन में तैनात नगर निगम के कर्मी ने बताया कि उसे अभी तक पीपीई किट नहीं मिली है किट के नाम पर कपड़े की एक किट दी गई है जो सुरक्षा के लिहाज से उचित नहीं है. यह हाल राजधानी भोपाल का ही नहीं है.यही हाल इंदौर के अलावा दूसरे शहर के कंटेंटमेंट में तैनात पुलिसकर्मियों का भी है. जबकि स्वास्थ्य कर्मी जो सर्वे करने के लिए घर घर जा रहे हैं उन्हें जो किट मिलती है वह सर्वे करने के बाद शाम को सर्वे रिपोर्ट देने के साथ ही उसे डिस्पोज कर देते हैं.


धारावी में कोरोना से कैसे निपटेगी महाराष्ट्र सरकार? स्वास्थ्य मंत्री ने बताया प्लान

मुंंबई. मुंबई के झुग्गी बस्ती वाले इलाके धारावी (Dharavi) में कोरोना संक्रमितों की संख्या 189 हो गई है. धारावी में 24 घंटे में 9 नए मामले सामने आए हैं. यहां अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि 20 लाख की घनी आवाधी वाले इस इलाके में अब कोरोना संक्रमण मामले की रोकथाम और संक्रमित मरीजों की जांच सरकार कैसे कराएगी. इस सवाल पर महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा है कि धारावी के झुग्गियों में रहने वालों को अब कोरोना टेस्ट के लिए सरकार के पास खुद आना होगा.



महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई स्थित एशिया की सबसे बड़ी झोपड़पट्टी धारावी 


घने इलाकों में कैसे होंगे टेस्ट


मतलब साफ है कि धारावी और दूसरे बड़े स्लमों में सरकार ज्यादा कुछ नहीं कर पा रही है.


धारावी के घने इलाके में करीब 20 लाख लोग रहते हैं. यहां टेस्ट के लिए डेढ़ सौ डॉक्टरों की टीम जांच कर रही है. टोपे ने कहा कि समिति के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए अधिक बेड की व्यवस्था करने और पूरे मुंबई में जांच सुविधाएं बढ़ाने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा कि अगर आवश्यकता पड़ी तो टेंट को खुले मैदान में भी लगाया जा सकता है. आईएमसीटी ने बुधवार को राज्य सरकार द्वारा किए गए उपायों का आकलन करने के लिए धारावी के आईसोलेशन केंद्रों और शिविरों का दौरा किया.


मुश्किल में लोग


महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई स्थित एशिया की सबसे बड़ी झोपड़पट्टी धारावी में कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते सन्नाटा पसरा है. यहां लगभग हर रोज नए मामले सामने आ रहे हैं. लॉकडाउन के चलते लोगों के पास रोजगार का कोई साधन नहीं है. यहां छोटे से इलाके में 10 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं. धारवी बेहद घना इलाका है. धारावी की झोपड़पट्टी 613 एकड़ क्षेत्र में फैली है. कई बार सैकड़ों लोग एक ही बाथरूम का इस्तेमाल करते हैं. कई लोगों को तो यहां पीने के लिए साफ पानी भी नहीं मिलता है. 25 मार्च से लॉकडाउन लागू होने के बाद से लोग एक वक्त के खाने के लिए भी दूसरों के मदद के भरोसे रहते हैं.


 


 

ठाणे में मुसलमान के हाथों से सामान नहीं लेने पर व्यक्ति को किया गया गिरफ्तार

ठाणे. महाराष्ट्र (Maharashtra) में ठाणे जिले के कशीमिरा इलाके में सामान पहुंचाने गये एक मुस्लिम व्यक्ति के हाथों से सामान न लेने पर एक स्थानीय व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस अधिकारी के अनुसार मंगलवार को गजानन चतुर्वेदी (51) के खिलाफ भादंसं की धारा 295 ए (धार्मिक भावना को आहत करने के उद्देश्य से दुर्भावनापूर्ण हरकत करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है. वरिष्ठ निरीक्षक संजय हजारे ने बताया कि सामान पहुंचाने वाले ने शिकायत दर्ज करायी है कि मंगलवार सुबह को जब वह कुछ सामान पहुंचाने चतुर्वेदी के घर पहुंचा तब उन्होंने उससे नाम पूछा. जब उसने अपना नाम बताया तो चतुवेर्दी ने कहा कि वह मुसलमान के हाथों कोई सामान नहीं लेंगे. पुलिस अधिकारी ने कहा कि मामले की जांच चल रही है.


समानता जरूरी: यह नहीं चल सकता कि न्यूज प्रोड्यूसर सारा खर्च उठाएं और गूगल-फेसबुक मुनाफे की मलाई मार जाएं

न्यूजपेपर इंडस्ट्री बड़े पैमाने पर मानव और वित्तीय संसाधनों का निवेश करके उच्च स्तरीय और तथ्यपूर्ण खबरें लाती हैं लेकिन फेसबुक और गूगल जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म इन खबरों से चांदी काटते हैं, वह भी बिना कोई राजस्व साझा किए। यह तस्वीर बदलनी चाहिए। इसके लिए सरकार को तत्काल दखल देने की जरूरत है। पेश है टाइम्स ऑफ इंडिया का इसी मुद्दे पर संपादकीय-



मार्क ट्वेन के टॉम सौयर को याद कीजिए जो गर्मी के तपते दिन में अपने दोस्तों से चारदीवारी की पेंटिंग कराता है और उन्हें उनके श्रम का पारिश्रमिक देने से भाग जाता है। भारतीय मीडिया कंपनियां भी फेसबुक और गूगल को लेकर इसी तरह की स्थिति में हैं। ये डिजिटल प्लेटफॉर्म्स समाचार सामग्री को और ज्यादा लोगों तक पहुंच के लिए कृतज्ञता की मांग करते हैं और जब अच्छी खासी लागत से तैयार हुई सामग्री के लिए राजस्व को साझा करने की बात आती है तो ये बहरे हो जाते हैं। गूगल और फेसबुक को न्यूज गेदरिंग के लिए निवेश करने की जरूरत नहीं पड़ती लेकिन ये इनके जरिए विज्ञापनों के रूप में राजस्व पाते हैं और पत्रकारिता के लिए मामूली रकम अदाकर खुद करीब खरबों डॉलर कमाते हैं। केंद्र को इस तरह की लूट का उसी तरह संज्ञान लेना चाहिए जैसे ऑस्ट्रेलिया ने गूगल और फेसबुक को लोकल मीडिया कंपनियों के साथ ऑनलाइन ऐडवर्टाइजमेंट रेवेन्यू को साझा करने के लिए मजबूर करके लिया है।

कोविड-19 की वजह से ऐडवर्टाइजमेंट रेवेन्यू धराशायी हुआ है, इसलिए अधिकारियों को तत्काल डिजिटल प्लेटफॉर्मों और न्यूज आउटलेट्स के बीच इस स्पष्ट असंतुलन की समस्या को देखना चाहिए। न्यूज आउटलेट्स उच्च गुणवत्ता की सामग्री को प्रकाशित करने के लिए न्यूज गेदरिंग ऑपरेशंस में बड़े पैमाने पर मानव और वित्तीय संसाधनों का निवेश करते हैं। उनकी सामग्री फैक्ट चेक्ड होती हैं और प्रासंगिकता, संक्षिप्तता और स्टाइल के लिए बड़े ही करीने से एडिट की गई होती हैं। प्राकृतिक आपदाओं, सांप्रदायिक दंगों और कोविड-19 जैसी हेल्थ इमर्जेंसी के वक्त पत्रकार खुद को गंभीर जोखिम में डालकर नागरिकों के लिए सही सूचनाएं लाते हैं।
अगर गूगल और फेसबुक न्यूजपेपर इंडस्ट्री को बर्बाद करने में कामयाब हो गए तो यह लोकतंत्र, लोक व्यवस्था या आजीविका के लिए अच्छी खबर नहीं होगी। जनहित के लिए पत्रकारिता एक स्वतंत्र आउटलेट प्रदान करता है। इसके अलावा यह देश और नागरिकों को सोशल मीडिया की वजह से फैलने वाली उन गलत सूचनाओं से भी बचाता है जो अविश्वास, भय और उन्माद पैदा करती हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म एक तरफ तो न्यूज से पैसे बना रहे हैं और दूसरी तरफ फेक न्यूज और गलत सूचनाओं के व्यापक प्रसार के प्रति जवाबदेही से भी भाग रहे हैं।
बहुराष्ट्रीय उपस्थिति वाले डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को रास्ते पर लाने के लिए सख्त बातचीत की जरूरत है। इन्हें रेवेन्यू शेयरिंग के लिए बाध्य करने के स्पेन और फ्रांस सरकार के शुरुआती मॉडल नाकाम हो चुके हैं। जिस तरह से फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के प्रतिस्पर्धा नियामकों ने किया है, उसी तरह भारत भी इन डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर न्यूज प्रोड्यूसर्स के साथ बातचीत के आदेश देकर शुरुआत कर सकता है। ऑस्ट्रेलिया ने इन डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को रेवेन्यू शेयरिंग के लिए बाध्य किया, लेकिन यह स्वैच्छिक था लिहाजा इस दिशा में कुछ खास प्रगति नहीं हुई और कोरोना वायरस की वजह से कई दर्जन न्यूजरूम बंद हो गए। अब ऑस्ट्रेलिया तत्काल कानूनी रास्ता अपनाने जा रहा है। आज बराबरी की जरूरत है जहां बहुराष्ट्रीय डिजिटल प्लेटफॉर्म अपने एकाधिकारवादी रवैये से बाहर निकलें। फेसबुक और गूगल ने 2018-19 में अपने ऑनलाइन ऐड रेवेन्यू का करीब 70 प्रतिशत (11,500 करोड़ रुपये) भारत से कमाए थे। 2022 में यह मार्केट बढ़कर 28,000 करोड़ रुपये का हो जाएगा। भारत सरकार को इस डिजिटल उपनिवेशवाद को रोकना होगा जहां भारतीयों के पसीने और परिश्रम की कमाई देश से बाहर जा रही है जबकि स्थानीय समुदाय और कारोबार बर्बाद हो गए हैं।