भोपाल. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) के कलेक्टर तरुण पिथोड़े (Tarun Pithode) ने कहा कि शहर में तीन मई के बाद भी लॉक डाउन (Lockdown) जारी रह सकता है. तरुण पिथौड़े ने कहा कि भोपाल की मौजूदा हालातों को देखते हुए लॉक डाउन पर बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि शहर मे कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर सैंपल की जांच तेजी से हो रही है.
10 हजार टेस्ट में से 6 हजार की रिपोर्ट आई : पिथोड़े
तरुण पिथोड़े ने कहा कि अभी कुछ की रिपोर्ट आनी बाकी है. उन्होंने कहा कि शहर में करीब 10 लोगों की टेस्ट सैंपल लिए गए थे, उनमें से 6 हजार की टेस्ट रिपोर्ट आ चुकी है. अभी करीब चार हजार लोगों की टेस्ट रिपोर्ट आनी बाकी है.
रमजान में सभी घरों में रहेंगे: कलेक्टर
रमजान का महीना शुरू हो गया है. रमजान को लेकर कलेक्टर ने कहा कि लोग लॉक डाउन का पालन करेंगे और सभी अपने-अपने घरों में ही रहेंगे. इस अवधि में प्रशासन सभी को जरूरी सामान मुहैया कराएगा.
गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्र ने भी दिए संकेत
प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने गुरूवार को इस बात के संकेत दिए थे कि 3 मई के बाद भोपाल, इंदौर, उज्जैन और खरगोन जिले में लॉकडाउन बढ़ाया जा सकता है. हालांकि इस पर फैसला 30 अप्रैल के बाद किया जाएगा. ये चारों प्रदेश के कोरोना से सबसे ज़्यादा संक्रमित ज़िले हैं. स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि इंदौर अभी सबसे ज्यादा संवेदनशील जिला है. और वहां पर कोरोना संक्रमित की संख्या में एक जंप अभी और आ सकता है, यानी इंदौर में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा और बढ़ने की आशंका है.
हकीकत एक्सप्रेस हिंदी दैनिक समाचार भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त समाचार पत्र है। जिसमे सामान्य खबरो के साथ साथ अपराधिक खबरे, खोजी खबरे, गाव गिरांव की खबरे, समाज मे घटित हो रही नित नई खबरो को संकलित कर प्रकाशित करने का कार्य हकीकत एक्सप्रेस के माध्यम से किया जाता है।
शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020
3 मई के बाद भी जारी रह सकता है लॉकडाउन, कलेक्टर ने दिए संकेत
दरोगा ने गाड़ी साइड करने को कहा तो BDO ने पिस्टल दिखाकर दी औकात में रहने की नसीहत
जमुई. बिहार में लॉकडाउन (Lockdown) का उल्लंघन करने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, लेकिन इन सबके बीच इस कानून की धज्जियां उड़ाने में सरकारी मुलाजिम और अधिकारी भी पीछे नहीं रह रहे. ताजा मामला जमुई (Jamui) से जुड़ा है, जहां ड्यूटी में तैनात एक दरोगा (SI) ने सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) और कानून का पाठ पढ़ाया तो बीडीओ (BDO) ने उसे पिस्टल दिखाते हुए औकात में रहने की नसीहत दे डाली.
बिहार के जमुई (चकाई) के बीडीओ
गाड़ी साइड करने को लेकर हुआ विवाद
शहर के कचहरी चौक पर तैनात एसआई ने चकाई बीडीओ की निजी कार को सड़क के किनारे लगाने को कहा था. बस इसी बात से बीडीओ साहब भड़क गए और एसआई विंध्याचल सिंह पर हनक दिखाते हुए उनको औकात में रहने तक की बात कह दी. यह मामला तब हुआ जब चकाई बीडीओ ने अपनी एसयूवी कार को शहर के कचहरी चौक पर बीच सड़क पर लगा दिया था. तब ड्यूटी पर तैनात दरोगा ने कार को किनारे खड़ा करने का आग्रह किया था. इस बात की शिकायत ड्यूटी पर तैनात एसआई ने मौखिक रूप से जिले के पुलिस कप्तान से की है. वहीं मामला संज्ञान में आने के बाद जमुई के डीएम ने जांच की बात कही है.
गांधीगिरी के लिए जाने जाते हैं एसआई
सुबह की शिफ्ट में एसआई विंध्याचल सिंह अपने सहयोगी पुलिसबल के साथ तैनात थे. गुरुवार की सुबह चकाई बीडीओ सुनील चांद अपनी एसयूवी कार से वहां पहुंचे थे. लॉकडाउन का पालन न करने वाले और बगैर मास्क लगाकर सड़क पर निकलने वाले लोगों पर बगैर डंडा चलाए आग्रह कर एसआई विंध्याचल सिंह शहर के कई लोगों की पसंद बन चुके हैं और वो गांधीगिरी के लिए जाने जाते हैं लेकिन चकाई बीडीओ को जब इस एसआई ने कार को सड़क के किनारे लगाने को कहा तब वे भड़क गए.
बीडीओ की गाड़ी में सवार थे चार-पांच लोग
एसआई विंध्याचल सिंह ने बताया कि कोरोनाबंदी में भी चकाई बीडीओ साहब की निजी एसयूवी कार में चार-पांच लोग सवार थे. जब मैंने उन्हें कार को किनारे लगाने को कहा गया तो वे भड़क गए और कमर में लगी पिस्टस को दिखाते हुए औकात में रहने और देख लेने की बात कहकर धमकाया. एसआई विंधायचल सिंह ने यह भी बताया कि बीडीओ साहब की कमर में उनका लाइसेंसी रिवाल्वर भी था. इस मामले में एसआई ने एसपी डा इनामुल हक मैग्नु से मिलकर मौखिक रूप से जानकारी दे दी है, लेकिन अभी कोई लिखित आवेदन नहीं दिया गया है.
आरोपी बीडीओ ने दी सफाई
इस मामले में चकाई बीडीओ सुनील ने बताया कि ड्यूटी पर तैनात एसआई जानबूझकर मुझे टारगेट करते हैं और अक्सर मेरी कार को रोक कर टोकते हैं और कहते हैं कि लॉकडाउन में कार में तीन से चार लोग क्यों बैठे हैं. बीडीओ ने कहा कि मेरे पास लाइसेंसी रिवाल्वर है. चकाई नक्सली इलाका है और मैं वहां का प्रखंड विकास पदाधिकारी हूं, इसलिए उसे लेकर ही चलना पड़ता है. कोरोनाबंदी में ड्यूटी दे रहे एसआई को बीडीओ द्वारा धमकाने के मामले में जमुई के डीएम धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि यह मामला संज्ञान में आया है और इसमें जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
दिनदहाड़े तीन लोगों को मारी गोली,पटना में भू-माफियाओं का तांडव
इस वक्त की बड़ी खबर राजधानी पटना (Patna) से आ रही है जहां अपराधियों ने दिनदहाड़े गोलीबारी (Firing) की बड़ी घटना को अंजाम दिया है. घटना राजधानी पटना से सटे नेउरा की है जहां रास्ते के विवाद को लेकर अपराधियों ने तीन लोगों को सरेआम गोली मार दी.बिहटा के नेउरा ओपी अंतर्गत बेला गांव में हुई इस घटना से अफरातफरी मच गई. गोलीबारी की घटना में जख्मी हुए लोगों को आनन-फानन में इलाज के लिए पटना के निजी अस्पताल में भेजा गया है. जानकारी के मुताबिक तीनों लोगों को पिस्टल से गोली मारी गई है जिसमें से एक की हालत गंभीर बताई जा रही है. मामले की जानकारी मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची जो फिलहाल पूरी घटना की छानबीन कर रही है.गोलीबारी की इस घटना के बाद से गांव में तनाव का माहौल है. बताया जा रहा है कि रास्ते को लेकर गांव के ही कुछ लोगों में पहले से विवाद चला आ रहा था जिसको लेकर इस घटना को अंजाम दिया गया है. एक साथ गांव के तीन लोगों को गोली लगने से लोग काफी दहशत में हैं. इस मामले में विस्तृत जानकारी की प्रतीक्षा की जा रही है.
महामारी से लड़ने के लिए सीएम रिलीफ फंड में योगदान देंगे लोकतंत्र सेनानी
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (Pandemic Coronavirus) की चपेट में इस वक्त पूरा देश है. प्रदेश में भी लगातार संक्रमितों के मामले बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश के लोकतंत्र सेनानी भी इस संकट के समय में योगी सरकार (Yogi Government) का साथ देने सामने आए हैं. लोकतंत्र सेनानियों ने उनको मिलने वाली सम्मान राशि में से एक-एक हजार रुपये मुख्यमन्त्री रिलीफ़ फण्ड (Chief Minister Relief Fund) में देने का ऐलान किया है. गौरतलब है कि मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के मुख्यमंत्रित्व काल में शुरू हुई लोकतंत्र सम्मान राशि को वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने प्रदेश के लोकतंत्र सेनानियों की सम्मान राशि को बढ़ाकर 20 हजार रुपए प्रतिमाह किया था.
प्रदेश में 6032 लोकतंत्र सेनानी
लोकतंत्र सेनानी कल्याण समिति के संरक्षक और विधान परिषद सदस्य यशवंत सिंह ने इस बारे ने News 18 को जानकारी देते हुए बताया कि सूबे के लोकतंत्र सेनानी कोरोना महामारी से लड़ने के लिए मुख्यमन्त्री रिलीफ़ फण्ड में इस महीने एक-एक हजार रुपए का योगदान करेंगे. इसके लिए जिलाधिकारियों से आग्रह किया जा रहा है कि वह सबको मिलने वाली सम्मान राशि से एक-एक हज़ार रुपया काटकर मुख्यमंत्री रिलीफ़ फण्ड में भेज दें. बता दें कि इस समय सूबे में कुल 6032 लोकतंत्र सेनानी हैं जो सम्मान राशि पा रहे हैं. इसमें 5054 वे हैं जो आपातकाल का विरोधकर खुद जेल में रहे हैं. शेष 578 जेल में बंद रहे लोकतंत्र सेनानियों की पत्नियां हैं.कोरोना महामारी को लेकर लोकतंत्र सेनानी कल्याण समिति की एक आनलाइन बैठक हुई जिसकी अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष रामसेवक यादव ने और संचालन संयोजक धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव ने की. बैठक में विभिन्न जिलों के लोकतंत्र सेनानी शामिल हुए. ऑनलाइन हुई इस बैठक में लोकतंत्र सेनानी समिति के संरक्षक यशवंत सिंह ने कहा कि कोरोना महामारी से लड़ने के लिए हम सभी सेनानियों को कम से कम एक-एक हज़ार रुपए का सहयोग मुख्यमन्त्री रिलीफ़ फण्ड में करना चाहिए. सभी साथियों ने उनके प्रस्ताव को स्वीकार किया और कहा कि इस माह एक-एक हज़ार रुपए का योगदान किया जाएगा. इसके लिए जिलाधिकारियों से सम्पर्क कर कहा जाएगा कि वह सभी की सम्मान राशि से एक-एक हज़ार रुपया काटकर मुख्यमन्त्री रिलीफ़ फण्ड में भेज दें. बैठक में मुख्यमन्त्री योगी श्री आदित्य नाथ के पिता श्री आनन्द सिंह बिष्ट के निधन पर शोक जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि भी दी गई.
लॉक डाउन में साफ नजर आने लगी गोमती नदी
लॉक डाउन (Lockdown) के दौरान जहां एक तरफ लोगों के सामने समस्याओं का अंबार है. लोगों को बहुत सारी दिक्कतें हैं. इन सबके बीच कुछ अच्छी खबरें भी हैं. लॉक डाउन के चलते पूरा देश थमा हुआ है. शहरों में आवाजाही रुकी है. फैक्ट्रियों सहित तमाम उद्योग बंद हैं. लोगों की आवाजाही ना होने से वातावरण और पर्यावरण साफ हो गया है. लखनऊ (Lucknow) की आबोहवा साफ हो गई है. शहर लखनऊ की लाइफलाइन गोमती नदी (Gomti River) भी साफ दिखने लगी है.पहले जिस गोमती के पानी को छूने लायक नहीं समझा जाता था. जहां गोमती किनारे टहलने से भी बीमारी का डर लगा रहता था. उस गोमती का पानी अब साफ नजर आने लगा है. पर्यावरणविद और पिछले कई सालों से गोमती की साफ-सफाई का जिम्मा उठाए रिद्धि गौड़ कहते हैं कि जो काम हम लोग पिछले 15 बरस में नहीं कर पाए वह करोना ने महज 1 महीने में कर दिखाया.
रिद्धि कहते हैं कि नदी अब साफ दिखने लगी है. लॉक डाउन के दौरान नवरात्र पड़े लिहाजा गोमती में किसी भी तरह का विसर्जन नहीं हुआ. कारोबार बंद है. लिहाजा नदी किनारे कपड़ों की धुलाई भी नहीं हो रही. इससे पानी साफ है. इसके अलावा बहुत सारी फैक्ट्रियां बंद हैं और उनसे निकलने वाली गंदगी भी बंद है इसलिए गोमती साफ-साफ नजर आती है. उन्होंने कहा कि यह मौका है कि लोग इस साफ सफाई का ध्यान रखें और अपनी गोमती को इसी तरह हमेशा साफ-सुथरा बनाए रखें.
प्रयागराज में गंगा और यमुना भी हो रहीं निर्मल
उधर प्रयागराज में भी गंगा समेत देश की दूसरी नदियों का जल पहले से काफी स्वच्छ और अविरल हो गया है. इसकी वास्तविक वजह है कि कल कारखानों के बंद हो जाने से इन दिनों गंगा नदी में गंदा पानी नहीं प्रवाहित हो रहा है. खास तौर पर गंगोत्री से निकलने वाली गंगा नदी कानपुर की टेनरियों की वजह से सबसे ज्यादा दूषित होती थी. लेकिन लॉक डाउन में कानपुर में भी उद्योगों के ठप हो जाने से गंगा का पानी पहले से कई गुना साफ नजर आने लगा है.
उत्साहित अखाड़ा परिषद सरकारों से करेगा ये मांग
साधु संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी भी मानते हैं कि लॉक डाउन में गंगा पहले ज्यादा अविरल और निर्मल हुई है. उन्होंने कहा है कि गंगा और यमुना नदियों में गर्मी की वजह से पानी जरूर कुछ कम हुआ है. लेकिन इसका यही स्वरूप बरकरार रहे, इसके लिए वे केन्द्र और प्रदेश सरकारों से मांग करेंगे कि गंगा के किनारे लगे कल-कारखानों का पानी गंगा में न छोड़ा जाए.
पर्यावरणविद भी लॉक डाउन को बता रहे नदियों के सेहत के लिए उचित
सेवानिवृत्त रक्षा वैज्ञानिक और पर्यावरण के जानकार डॉ मोहम्मद आरिफ मानते हैं कि मानव में वो ताकत ही नहीं है कि वह प्रकृति को ठीक कर सके. उनके मुताबिक प्रकृति अपना बैलेंस खुद करती है. इसलिए जहां नमामि गंगे जैसे योजनायें करोड़ों रुपये खर्च करके जो काम अब तक नहीं कर सकीं, वो काम कोरोना महामारी के दौरान इस लॉक डाउन ने पूरा कर दिया है. उनके मुताबिक गंगा और यमुना पवित्र नदियों में जल की स्वच्छता से लोगों के बीच भी अच्छा संदेश जाएगा.
कार्ययोजना बनाने के निर्देश , दूसरे राज्यों में फंसे करीब 10 लाख मजदूरों को वापस लाएगी योगी सरकार
लखनऊ. लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान अन्य राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के निर्देश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM yogi Adityanath) ने दिए हैं. शुक्रवार को टीम-11 के साथ हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने अन्य राज्यों में फंसे मजदूरों व उनके परिवार को वापस लाने के लिए कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि अलग-राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बातचित कर इसका पूरा रोडमैप बनाकर तीन दिन में उनके समक्ष पेश किया जाए. बता दें लॉकडाउन के दौरान अभी तक पांच लाख मजदूर यूपी में आ चुके हैं. एक अनुमान के मुताबिक देश के अलग-अलग राज्यों में अभी भी 10 लाख मजदूर फंसे हैं.
चरणबद्ध तरीके से होगी वापसी
मुख्यमंत्री ने सभी राज्यों में तैनात नोडल अफसरों से सभी मजदूरों की वापसी चरणबद्ध तरीके से कराने के लिए रोडमैप मांगा है. पहले उन लोगों की वापसी की जाए जो लोग अलग-अलग राज्यों में क्वारंटाइन सेंटर में 14 दिन की अवधि पूरी कर चुके हैं. उन्हें वापस लाकर उनका स्वास्थ्य परिक्षण करवाकर मेडिकल प्रोटोकॉल का पालन करते हुए भी क्वारंटाइन किया जाए. इसके बाद वे मजदूर आएंगे, जो काम धंधा बंद होने की वजह से अपनी-अपनी जगह फंसे हैं. यूपी में वापसी पर भी मजदूरों का मेडिकल जांच के बाद क्वारंटाइन में रखा जाएगा. इतना ही घर वापसी के बाद उनके लिए रोजगार की व्यवस्था के भी निर्देश दिए हैं.
इतना बड़ा ऑपरेशन करने वाला यूपी होगा पहला राज्य
यूपी सरकार में मंत्री और प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री अपने लोगों को लेकर चिंतित हैं. इसलिए उन्होंने पहले कोटा से छात्रों को निकाला और अब प्रवासी मजदूरों को निकालने के लिए रोडमैप बनवाने का निर्देश दिया है. सभी मजदूरों की घरवापसी प्रोटोकॉल के तहत होगी. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने इस बात का भी ध्यान रखा है कि उन्हें घर वापसी के बाद रोजगार भी मिले. इसके लिए मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को 15 लाख रोजगार के अवसर सृजित करने के निर्देश दिए हैं. दरअसल मुख्यमंत्री यूपी से पलायन को रोकने की दिशा में भी काम कर रहे हैं. यूपी पहला राज्य है जो इस तरह का फैसला ले रहा है.
ये होगी चुनौती
इतनी बड़ी संख्या में अलग-अलग राज्यों से मजदूरों को लाना किसी चुनौती से कम नहीं है. वो भी तब जब रोड और रेल सेवाएं भी स्थगित हैं. बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने अलग-अलग जिलों में तैनात नोडल अफसरों से वहां की सरकार से बात कर यूपी के बॉर्डर तक छोड़ने की व्यवस्था कराने की बात कही है. बॉर्डर से यूपी रोडवेज की बस से उनके गंतव्य तक पहुंचाया जाएगा. मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि निश्चित ही यह एक बड़ी चुनौती है. लेकिन हम आठ हजार छात्रों को कोटा से निकालकर लाए हैं. अधिकारियों को रोडमैप तैयार करने को कहा गया है. जो भी कार्य योजना बनेगी उसी अनुसार सभी को लाया जाएगा.
गुरुवार, 23 अप्रैल 2020
जुर्माने का भुगतान सजा का एक तरीका, यह ज़मानत की शर्त नहीं हो सकता : झारखंड हाईकोर्ट
झारखंड हाइकोर्ट ने माना है कि जमानत के लिए न्यायालय 'कोई भी शर्त' नहीं लगा सकता है जिसे वह जमानत देते समय पसंद करता है। जमानत आदेश में रखी गई शर्तों को जमानत देने के उद्देश्य और उद्देश्य के अनुरूप होना चाहिए। उच्च न्यायालय द्वारा किया गया यह अवलोकन दो बिंदुओं पर है: 1. आईपीसी के संदर्भ में "सजा" के रूप में जुर्माना राशि का आरोपण। 2. जमानत स्वीकार करना एक 'निर्णायक निष्कर्ष नहीं है और इसलिए सजा के रूप में, यहां तक कि जुर्माना, जमानत शर्तों के रूप में नहीं लगाया जा सकता। न्यायमूर्ति आनंद सेन ने न्यायिक आयुक्त, रांची द्वारा पारित आदेश के खिलाफ एक आवेदन पर सुनवाई करते हुए यह कहा। न्यायिक आयुक्त ने आवेदक को जमानत देने के लिए आबकारी विभाग के पक्ष में 600,000 रुपए का जुर्माना भरने की शर्त रखी थी। आवेदक पर आबकारी अधिनियम की धारा 47 (ए) के तहत निर्धारित सीमाओं के उल्लंघन का आरोप है। उसकी दुकान में 106.2 लीटर देशी और विदेशी शराब रखने का आरोप लगाया गया था। तर्क याचिकाकर्ता ने कहा था कि जमानत की शर्तें कानून के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं कर सकती। बिना किसी मुकदमे के उसे दोषी ठहराकर जमानत की शर्त के रूप में उस पर जुर्माना नहीं लगाया जा सकता। इसके विपरीत, एपीपी ने तर्क दिया कि जमानत देने के एवज में न्यायालय अपने अधिकार क्षेत्र में "कोई भी शर्त" लगा सकता है। उन्होंने कहा कि सीआरपीसी की धारा 439 (1) के उल्लंघन से जो वर्तमान मामले में लागू है, यह स्पष्ट है कि कानून ने अदालत को जमानत देने के लिए "कोई भी शर्त" लगाने की शक्ति दी है। जांच परिणाम अदालत ने देखा कि वास्तविक प्रश्न यह है कि टर्म 'कोई शर्त' है, जैसा कि धारा 439 (1) के तहत इस्तेमाल किया गया है, उसे शाब्दिक अर्थ दिया जा सकता है जिसमें किसी भी स्थिति को शामिल किया जा सकता है, जो न्यायालय को लगता है। और यहां तक कि अप्रासंगिक स्थिति भी शामिल है या होनी चाहिए या यह उन शर्तों तक ही सीमित है, जो प्रासंगिक हैं और कुछ संबंध हैं जिनके उद्देश्य से जमानत दी जाती है। पीठ ने मुनीष भसीन औऱ अन्य बनाम राज्य (दिल्ली सरकार एनसीटी) (2009) 4 एससीसी 45 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून का उल्लेख किया, जिससे यह माना गया कि न्यायालय द्वारा शर्तें लगाई जा सकती हैं: i) जांच अधिकारी के सामने या अदालत के समक्ष अभियुक्त की उपस्थिति को सुरक्षित करने के लिए। (ii) उसे न्याय के रास्ते से भागने से रोकने के लिए। (iii) उसे सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने से रोकने या उत्पीड़न से रोकने के लिए। गवाहों को धमकाने से रोकने के लिए ताकि उन्हें पुलिस या अदालत के सामने तथ्यों का खुलासा करने से रोका जा सके, या (iv) कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए किसी विशेष क्षेत्र या इलाके में अभियुक्तों के आने जाने को प्रतिबंधित करना, आदि। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि किसी अभियुक्त को किसी अन्य शर्त के अधीन करना अदालत द्वारा प्रदत्त शक्ति के "अधिकार क्षेत्र से परे" होगा। इसके मद्देनजर, न्यायमूर्ति सेन ने देखा, "न्यायालय जमानत देते समय अपनी पसंद की कोई भी शर्त 'नहीं लगा सकता।' किसी भी शर्त 'या' अन्य शर्त 'को जमानत देने के उद्देश्य और उद्देश्य के अनुरूप और सुमित मेहता (सुप्रा) मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय और अन्य मामले जिनका उल्लेख ऊपर किया गया है, उनके अनुसार होना चाहिए। न्यायालय को 'किसी भी शर्त' को लागू करने की पूर्ण शक्ति नहीं दी गई है, जिसे वह महसूस करता है और लगाने के लिए चुनता है, बल्कि उसे उचित और व्यावहारिक होना चाहिए। " उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि शर्तों को अत्याधिक कठोर नहीं होना चाहिए, ताकि जमानत देने का उद्देश्य ही कुंठित हो
जाए। उन्होंने कहा, "जमानत का उद्देश्य न तो दंडात्मक है और न ही निवारक है, बल्कि स्वतंत्रता से वंचित होना एक दंड माना जाना चाहिए।" उन्होंने कहा कि "आईपीसी के साथ-साथ आबकारी अधिनियम के तहत भी जुर्माना लगाया जाना "सजा" का एक रूप है। जुर्माना तभी लगाया जाता है जब अभियुक्त का अपराध सिद्ध हो जाता है और उसे अपने खिलाफ लगाए गए आरोप में दोषी ठहराया जाता है। किसी भी स्थिति में यदि कोई अभियुक्त निर्धारित कानून के प्रावधानों के अनुसार अपना अपराध स्वीकार करता है, तो उसे दंडित किया जा सकता है और जुर्माना लगाया जा सकता है। इस प्रकार, जब तक अपराध सिद्ध नहीं होता है और अभियुक्त को दोषी ठहराया जाता है, तब तक कोई सजा नहीं दी जा सकती है और जुर्माना नहीं लगाया जा सकता। " उन्होंने कहा, "यह अच्छी तरह से तय है कि जमानत की अर्जी से निपटने के दौरान जमानत अर्जी का निपटारा करते समय निकाले गए निष्कर्ष, निर्णायक निष्कर्ष नहीं है, क्योंकि यह आरोपियों के अपराध से संबंधित है।" अदालत ने इस प्रकार आदेश दिया कि जमानत देने की शर्त के रूप में जुर्माना लगाना कानून के अनुसार नहीं है। "चूंकि, कानून के पूर्वोक्त प्रावधानों से जुर्माना केवल मुकदमे के समापन के बाद लगाया जा सकता है और वह भी किसी अभियुक्त को दोषी ठहराने के बाद, सजा के माध्यम से लगाया जाता है। वर्तमान केस में न्यायालय द्वारा पारित जुर्माना लगाने की शर्त संहिता की धारा 437 और 439 में दिए गए प्रावधानों के खिलाफ है और यह एक अप्रासंगिक स्थिति है, जो माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय के अनुरूप नहीं है। इस शर्त का अदालत द्वारा ज़मानत देने के उद्देश्य से कोई संबंध नहीं है।" इस तर्क को खारिज करते हुए अदालत ने टिप्पणी की, "एक याचिकाकर्ता या अभियुक्त न्यायालय के समक्ष कोई भी प्रस्तुतिकरण कर सकता है, लेकिन, यह न्यायालय है, जिसे यह तय करना है कि क्या ये प्रस्तुतियाँ कानून द्वारा निर्धारित मापदंडों के भीतर हैं। न्यायालय को पक्षकारों द्वारा किए गए प्रस्तुतिकरणों में बहना नहीं चाहिए। बल्कि, कानून के सही परिप्रेक्ष्य और सिद्धांत के आधार पर उसका का मूल्यांकन और करना चाहिए। "
बाल विवाह होने पर 02 वर्ष की सजा का प्रावधान
जिला प्रोबेशन अधिकारी संतोष कुमार सोनी ने बताया कि समाज के कुछ लोगों द्वारा लड़के और लड़की का विवाह हेतु निर्धारित आयु कमशाः 21 एवं 18 वर्ष के पूर्व ही करा देते हैं इस प्रकार विवाह अक्षय तृतीय (आखा तीज) जैसे अवसरों पर होते हैं जबकि
इस संबंध में बाल विवाह जैसी कुप्रथा के विरुद्ध बाल विवाह विरोधी अधिनियम 1929 (यथासंशोधित) व बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006 के अंतर्गत बाल विवाह होने पर 02 वर्ष की सजा अथवा रुपये एक लाख का जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है। इस वर्ष अक्षय तृतीया 26 अप्रैल 2020 को पड रही है। आम जनमानस से अनुरोध है कि बाल विवाह की किसी भी घटना की सूचना 1098 चाइल्ड लाइन सेवा एवं जिला प्रोबेशन अधिकारी के मोबाइल नंबर 7518024045, संरक्षण अधिकारी 81150660215 एवं कार्यालय के टेलीफोन नंबर 05452-220275 टोल फ्री नंबर 181 महिला हेल्पलाइन या अपने नजदीकी थाना को दें।
घर-घर जाकर किसी भी बैंक का पैसा एईपीएस के माध्यम से निकासी करेगा भारतीय डाक विभाग
जौनपुर 23 अप्रैल कोरोना वायरस संक्रमण के रोकथाम हेतु जनपद में चल रहे लॉक डाउन के दौरान भारतीय डाक विभाग द्वारा आम जनमानस को उनके घर-घर जाकर किसी भी बैंक का पैसा एईपीएस के माध्यम से निकासी करके दिया जा रहा है, इस सम्बन्ध में प्रत्येक दिन चयनित मोहल्ले में जाकर प्रत्येक घर-घर में भी किसी भी बैंक का भुगतान इण्डिया पोस्ट पेमेण्ट बैंक के माध्यम से किया जा रहा है। जनपद के ग्रामीण क्षेत्रो में भी शाखा डाकघरो के माध्यम से प्रत्येक कार्य दिवस में भी एईपीएस के
माध्यम से ग्राहको के खाते का भुगतान दिया जा रहा है। चूँकि इस सप्ताह आने वाले शनिवार 25 अप्रैल 2020 को चतुर्थ शनिवार होने की वजह से बैंक में आम जनता का कार्य नहीं हो पाएगा, आम जनमानस की सुविधा एवं सहायता हेतु जनपद के प्रधान डाकघर एवं समस्त उपडाकघर 24 अप्रैल 2020 को सुबह 08.00 बजे से कार्य करेगे एवं किसी भी बैंक खाते का भुगतान इण्डिया पोस्टबैक के माध्यम से करेगें। ग्राहको की सुविधा हेतु प्रधान डाकघर में 05 स्पेशल काउण्टर एवं उपडाकघर जौनपुर कचहरी में 03 स्पेशल काउण्टर भुगतान हेतु खोले जाएंगे। साथ ही साथ जनपद के समस्त शाखा डाकघरो द्वारा भी निर्धारित कार्य दिवस मंे पैसे का भुगतान करेंगे इसी तारम्य में समस्त माननीय जनप्रतिनिधि, समस्त ग्राम प्रधान, समस्त बीडीसी गण, नगरपालिका परिषद के सम्मानित सभासद गण को भी अवगत कराना चाहता हूँ कि भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा डीबीटी के माध्यम से जनधन योजना, मनरेगा मजदूरी, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना इत्यादि योजनाओ के लाभार्थी भी जिनकी धनराशि किसी भी बैंकखाते में आ रही है उस धनराशि का भुगतान भारतीय डाक विभाग के इण्डिया पोस्ट पेमेण्ट बैंक के माध्यम से नजदीकी डाकघर से प्राप्त किया जा सकता है। इस सम्बन्ध में अवगत कराना है कि जौनपुर जनपद में प्रधान डाकघर, 49 उपडाकघरों एवं 348 शाखा डाकघरों यह सुविधा प्रदान कर रहे हैं।
लगभग 80 गरीब व जरूरतमन्द परिवारों को जनपद न्यायाधीश जौनपुर द्वारा किया गया आवश्यक खाद्य सामग्री का वितरण
जौनपुर 23 अप्रैल सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने बताया कि उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुसार 23 अप्रैल 2020 को जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जौनपुर के निर्देशानुसार जनपद के सुदूर क्षेत्र ग्राम अड़ियार थाना सुरेरी तहसील मड़ियाहूॅं जनपद जौनपुर के ऐसे परिवार जो प्रतिदिन मजदूरी करके अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं और वर्तमान में लॉकडाउन के कारण घरों में बैठे हैं, जिससे उनके सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया है, को चिन्हित कर दीवानी न्यायालय के समस्त न्यायिक अधिकारीगण के सहयोग से माननीय जनपद न्यायाधीश एम0पी0 सिंह, मनोज कुमार, प्रथम अपर जिला जज, अंजनी कुमार सिंह, अपर जिला जज, विकास, प्रभारी सी0जे0एम0 एवं मो0 फिरोज, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जौनपुर द्वारा ग्राम अड़ियार के लगभग 80 गरीब व जरूरतमन्द परिवारों को आवश्यक खाद्य सामग्री का वितरण किया गया। इस अवसर पर माननीय जनपद न्यायाधीश द्वारा जनपद के सभी आमजन से अपील की गयी कि वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव हेतु सामाजिक दूरी, मास्क का प्रयोग व कोविड-19 की अन्य सभी सावधानियों का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित करें। सचिव मो0 फिरोज, द्वारा बताया गया कि जो वास्तविक रूप में गरीब व जरूरतमन्द हैं, उनकी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा हर संभव मदद की जायेगी।
इस अवसर पर क्षेत्राधिकारी मड़ियाहॅूं विजय सिंह, थानाध्यक्ष श्यामराज वर्मा, योगेशमणि दूबे, लेखपाल, ग्राम प्रधान, श्रीमती ज्ञान देवी, प्रधानपति राजेश कुमार व अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।
जिला प्रशासन ने अच्छी चिकित्सा सेवाएं देने वाली विशेषज्ञ डॉक्टरों के 19 नर्सिंग होम व प्राइवेट हॉस्पिटल को जारी की अनुमति
अयोध्या 23 अप्रैल। जिला मजिस्ट्रेट श्री अनुज कुमार झा ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ घनशयाम सिंह द्वारा चिन्हित 19 निजी चिकित्सालय को लॉक डाउन के दौरान कुछ शर्तों के साथ केवल आकस्मिक/ इमरजेंसी सेवाएं शुरू करने की दी अनुमति । गंभीर प्रकृति के रोगी अपनी इच्छा अनुसार इन निजी चिकित्सालय में विशेषज्ञ डॉक्टरों से करा सकेंगे अपना इलाज।जिला प्रशासन द्वारा जन सामान्य की चिकित्सा संबंधित समस्याओं के समाधान हेतु भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं संबंधी गतिविधियों को सुचारू बनाने की नीति के तहत जारी की गई है अनुमति ।लॉक डाउन के दौरान केवल और केवल इमरजेंसी सेवाएं ही चालू रहेंगे ।जबकि अग्रिम आदेशो तक ओपीडी पूर्ण रूप से बंद रहेगी। जिला मजिस्ट्रेट ने आगे बताया कि इन निजी चिकित्सालयों को चिकित्सालय में मरीज के प्रवेश के पूर्व हैंडवाश, साबुन, लिक्विड सोप व सैनेटाइजर से हाथों को सेनीटाइज कराना अनिवार्य होगा। यदि मरीज ने मास्क नहीं पहना है तो चिकित्सालय प्रबंधन मरीज को तुरंत मास्क उपलब्ध कराएगा। प्रवेश के समय मरीज वह उसके साथ आने वाले परिवार के सदस्य की प्रथम दृष्टया थर्मल स्क्रीनिंग कराना अनिवार्य होगा ।यदि कोई मरीज अथवा उसके साथ आया व्यक्ति कोरोना वायरस का संदिग्ध प्रतीत होता है और उसमें कोरोना के लक्षण परीक्षित होते हैं तो संदिग्ध मरीज को पृथक कक्ष में रखना अनिवार्य होगा और इसकी सूचना तत्काल मुख्य चिकित्सा अधिकारी को देना होगा ।समस्त ऐसे मरीज जिनको चिकित्सालय में एडमिट किया गया है अथवा किया जाएगा उन सभी की अनिवार्य रूप से कोरोन सैंपलिंग करानी होगी ।साथ ही सभी निजी चिकित्सालय को
एन95 मास्क व पीपीई किट एवं संक्रमण से सुरक्षा के सभी उपकरण पर्याप्त मात्रा में रखने के साथ सभी चिकित्सकों तथा पैरामेडिकल स्टाफ द्वारा प्रयोग करना अनिवार्य होगा । सामाजिक दूरी का मानक सुनिश्चित करते हुए कार्मिकों की उपस्थिति 33% रखनी होगी। चिकित्सीय परामर्श व टेली कंसल्टेंसी , टेली मेडिसिन के माध्यम से दिए जाएंगे। इंफेक्शन प्रिवेशन प्रोटोकॉल का शत प्रतिशत पालन करना होगा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ घनश्याम सिंह ने बताया जगत हॉस्पिटल आर्थो के डॉक्टर सूर्यमणि द्विवेदी ,चिरंजीव हॉस्पिटल के डॉक्टर उमेश कुमार चौधरी (सर्जरी),दिव्या हॉस्पिटल के डॉक्टर विजय प्रताप सिंह(सर्जरी), राज राजेश्वरी हॉस्पिटल डॉ अरविंद कुमार मिश्रा(न्यूरो सर्जरी), डॉक्टर देवा मेमोरियल हॉस्पिटल के डॉ अतुल वर्मा (अर्थो),देवा मेमोरियल हॉस्पिटल डॉ रजनीश वर्मा (सर्जरी)डॉ सुमिता वर्मा(स्त्री रोग) संजाफी हॉस्पिटल एवं सर्जिकल सेंटर के डॉक्टर मुकेश कुमार गौतम(आईसीयू), केयर हॉस्पिटल डॉक्टर अफरोज खान (मेडिसिन),रेनू मेमोरियल ऑर्थो सेंटर के डॉक्टर अनिल कुमार, कौशल चाइल्ड केयर एंड मेडिकल सेंटर के डॉक्टर केएन कौशल(बालरोग) ,टीएलएम हॉस्पिटल के डॉक्टर बीनू बेरी(चर्म रोग व कुष्ठ) ,सीताराम मेडिकल सेंटर के डॉक्टर अभिषेक शरण( मेडिसिन), लाइफ लाइन हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के डॉक्टर विपिन कुमार(सर्जरी) हर्षण हृदय संस्थान के डॉक्टर अरुण कुमार जायसवाल (ह्रदय रोग),आनंद मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर आनंद गुप्ता (मेडिसिन)अयोध्या आई हॉस्पिटल के डॉक्टर पवन कुमार(नेत्र रोग) यश्लोक हॉस्पिटल के डॉक्टर चितरंजन वर्मा(बाल रोग) एवं डॉक्टर मृदुला वर्मा ( स्त्री रोग),अवध न्यूरो साइकेट्री डॉक्टर शिशिर वर्मा( मनोरोग) व निर्मला हॉस्पिटल के डॉक्टर आरके बनोधा ( मेडिसिन एवं आइसीयू)को अपने से सम्बंधित मरीजो के इलाज की अनुमति जिला प्रशासन द्वारा जारी की गई है।
जिला प्रशासन की मानवीय व सार्थक पहल से लाग डाउन के दौरान ग्रामीण क्षेत्रो में रोजगार
अयोध्या 22 अप्रैल 2020-अन्य प्रदेश से वापस आये श्रमिको तथा स्थानीय स्तर पर पहले से श्रमिको को रोजगार उपलब्ध कराने के दृष्टिकोण से अधिक से अधिक मानव दिवसो को सृजित करेगा जिला प्रशासन एवं विकास विभाग, उक्त जानकारी देत हुए जिला मजिस्ट्रेट श्री अनुज कुमार झा ने बताया कि शासन द्वारा 20 अप्रैल के बाद जिन कार्यो को कराने की अनुमति प्रदान की गई है उसे घ्यान में रखते हुए मुख्य विकास अधिकारी श्री प्रथमेश कुमार से कहा कि महात्मा गाॅधाी राष्ट्रीय रोजगार गारन्टी योजनान्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रो में सोशल डिस्टैसिंग व कोरोना वायरस के बचाव के सभी उपाय करते हुए अधिक से अधिक रोजगार व मानव दिवसो का सृजन किया जाये ताकि मनरेगा सहित अन्य प्रदेशो व जनपदो से वापस आये श्रमिको को रोजगार चाहने
वाले व्यक्तियो को उनके निवास स्थल के निकट ही स्थानीय स्तर पर रोजगार प्रदान किया जा सके साथ ही ज्यादा से ज्यादा स्थाई परिसम्पत्तियो का सृजन करते हुए लाक डाउन के दौरान रोजगार के अवसर उत्पन्न किये जा सके।जिला मजिस्ट्रेट श्री अनुज कुमार झा ने बताया कि अन्य जनपदो व अन्य राज्यो से वापस आये हुए व्यक्तियो व श्रमिको का यथा शीघ्र नया जाबकार्ड बनाने तथा निष्क्रिय जाबकार्ड के नवीनीकरण का निर्देश जारी कर दिये गये है ताकि रोजगार चाहने वाले व्यक्तियो व श्रमिको को ग्राम पंचायत में ही रोजगार उपलब्ध हो सके। मुख्य विकास अधिकारी श्री प्रथमेश कुमार ने बताया कि शासन एवं प्रशासन की मंशानुसार 21 अप्रैल से 137 ग्राम पंचायतो में 197 कार्य स्थल पर कार्य प्रारम्भ करा दिया गया है जिनमें कुल 3088 श्रमिको को नियोजित किया गया है। उन्होंने बताया कि डीसी मनरेगा व सभी खण्ड विकास अधिकारियो को ऐसे कार्यो को चिन्हित करने के निर्देश दिये गये है जिन पर तत्काल कार्य प्रारम्भ हो सके। उन्होंने आगे बताया कि मुख्यतः सिचाई व जल संरक्षण से संबंधित कार्यो को प्राथमिकता के आधार पर प्रारम्भ करा दिया गया है। इसी के साथ तमसा नदी के जीणोद्धार के पश्चात बड़े पैमाने पर नदी के किनारे लगाये गये पौधो की देख-रेख व सिचाई हेतु मास्टर रोल निर्गत कर दिये गये है इस कार्य में भी बड़ी संख्या में श्रमिको को लगाया जा रहा है। सभी कार्यस्थलो पर कोरोना वायरस से बचाव हेतु सभी श्रमिको को मास्क, गमछा बाध्कर कार्य करने को अनिवार्य बना दिया गया है और श्रमिको द्वारा इस निर्देश का अक्षरशः पालन भी किया जा रहा है श्रमिको को सोशल डिस्टेसिंग के पालन के साथ-साथ थोडे-थोड़े देर पर साबुन से 20 सेकेण्ड तक पानी से धोने के भी निर्देश दिये गये है और श्रमिको द्वारा इस निर्देश का नियमित रूप से पालन भी किया जा रहा है।