मंगलवार, 2 जून 2020

सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 7 के बारे मे संक्षिप्त विवरण

सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 7 के बारे मे संक्षिप्त विवरण ( जानकारी )


धारा 7(1) :- जीवन की रक्षा एवं स्वतंत्रता से संबंधित


सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 7(1) के तहत माँग सकते हैं, जो लोक जन सूचना अधिकारी या केंद्रीय जन सूचना अधिकारी 48 घंटे में प्रदान की जाएगी । जीवन की रक्षा से संबंधित कुछ सूचनाएँ इस प्रकार है :-


1. पुलिस उत्पीड़न एवं हिंसा के विरुद्ध अधिकार 
2. कैदी का इंटरव्यू देने का अधिकार 
3. निशुल्क कानूनी सहायता का अधिकार 
4. निजता का अधिकार 
5. शीघ्र विचारण का अधिकार
6. निष्पक्ष विचारण का अधिकार  
7. कामकाजी महिलाओं के लैंगिक शोषण के विरुद्ध अधिकार


धारा 7(2) :-  जीवन की रक्षा एवं स्वतंत्रता से संबंधित सूचना केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी सूचना देने में असफल रहते हैं तो उस आवेदन को नामंजूर कर दिया समझा जाएगा ।


धारा 7(3) (क) :- दस्तावेज के लिए अधिभारित शुल्क के बारे में  30 दिन के अंदर अगर लोक जन सूचना अधिकारी   आवेदक को इसकी जानकारी नहीं देते हैं तो 30 दिन के बाद इसे अपवर्जित किया जाएगा


धारा 7(4) :- इस अधिनियम के अधीन अभिलेख या उसके किसी भाग तक पहुँच अपेक्षित है और ऐसा व्यक्ति, जिसको पहुँच उपलब्ध कराई जाने है । संवेदनात्मक रूप से निशक्त है, वहाँ यथास्थिति, केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य सूचना अधिकारी सूचना तक पहुँच को समर्थ बनाने के लिए सहायता उपलब्ध कराएगा जिसमें निरीक्षण के लिए सहायता सम्मिलित है, जो समुचित हो ।


धारा 7(5) :- इसके अधीन फीस युक्तियुक्त होगी और ऐसे व्यक्ति से, जो गरीबी रेखा के नीचे है, जैसा समुचित सरकार द्वारा निर्धारित किया जाएगा, कोई फीस प्रभारित नहीं की जाएगी ।
 
धारा 7(6) :- लोक जन सूचना अधिकारी सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6(1) के तहत 30 दिनों में सूचना उपलब्ध नहीं कराते हैं 30 दिन के बाद बिना भारित शुल्क के पूरी सूचना और दस्तावेज लोक जन सूचना अधिकारी मुफ्त में उपलब्ध कराएंगे


धारा 7(7) :- केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 11 के अधीन पर व्यक्ति (Third Party) द्वारा किए गए अभ्यावेदन को ध्यान में रखेगा ।


धारा 7(8) :- केंद्रीय जन सूचना अधिकारी या राज्य जन सूचना अधिकारी द्वारा को दिए गए आरटीआई आवेदन को अस्वीकृत करता है तो 
(i) अस्वीकृति का कारण बताएगा ।
(ii) वह अवधि जिसके भीतर अस्वीकृति के विरुद्ध कोई अपील की जा सके 
(iii)अपीलीय प्राधिकारी का नाम, पदनाम और पूर्ण पता देगा। 


धारा 7(9) :- केंद्रीय जन सूचना अधिकारी या लोक जन सूचना अधिकारी किसी सूचना को उसी प्रारूप में उपलब्ध कराएगा जिसमें उसे माँगा गया है । जब तक कि लोक प्राधिकारी के स्रोतों को अननुपाती रुप से विचलित ना करता हो ।
प्रश्नगत अभिलेख की सुरक्षा या संरक्षण के प्रतिकूल ना हो ।


लाक डाउन में खुल रही फर्जी पत्रकारों की पोल!

लखनऊ। लाक डाउन में खुल रही फर्जी पत्रकारों की पोल! कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए सरकार द्वारा लाक डाउन घोषित किया गया है! इस दौरान मिली छूट में अनिवार्य सेवा के अन्तर्गत पत्रकारों को भी शामिल किया गया है! इसी का लाभ उठाते हुए व्हाट्स एप ग्रुप बनाकर उसके ही परिचय पत्र ग्रुप एडमिन ने बड़ी मात्रा में यूपी के सभी जिलों में जारी करके फर्जी पत्रकारों की एक फौज खड़ी कर दी है, जो प्रशासनिक अफसरों तथा पुलिस के बीच अपना रौब झाड़ते हुए असली पत्रकारों के समक्ष मुसीबत बने हुए थे! कुछ माह पूर्व रायबरेली के ऊंचाहार में जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक ने नौ पर्जी पत्रकार दबोचकर उनके खिलाफ सूचना अधिकारी से रिपोर्ट दर्ज करवाई थी! इसके बाद मेरठ, नोएडा, बुलंदशहर आदि दर्जन भर जिलों में इसी प्रकार के व्हाट्स एपिए पत्रकार पकड़े गए! अब बिल्कुल ताजे मामले में मुजफ्फरनगर में पकड़े गए हैं फर्जी पत्रकार! एसएसपी अभिषेक यादव ने बताया कि मुजफ्फरनगर पुलिस के समक्ष फर्जी पत्रकारों की जानकारी संज्ञान में आई थी। जिस पर जिले के सभी पत्रकारों की जांच कराए जाने पर दो दर्जन फर्जी पत्रकार पकड़ में आए हैं। जिनके पास से बरामद परिचय पत्र में उल्लिखित कोई मीडिया संस्थान ही देश में नहीं कार्यरत है सबसे रोचक बात तो यह है कि सभी जिलों में पकड़े गए इन फर्जी पत्रकारों के पास जो परिचय पत्र बरामद हुए हैं, उनमें Delhi Crime, TV NEWS INDIA Fatehpur, INDIA न्यूज TV FTP"2", PMP इंडिया न्यूज चैनल, PMP India news, Zeenationaltv24, Zee India Express आदि ऐसे मीडिया कार्ड मिले हैं, जिनके पास सूचना मंत्रालय का कोई मान्यता प्रमाण पत्र ही नहीं है और पकड़े गए फर्जी पत्रकार अपने आकाओं से प्रशासन की कोई बात भी नहीं करा पाए! पुलिस महानिदेशक कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश शासन ने यूपी के सभी जिलों में पत्रकारों की व्यापक छानबीन के निर्देश दिए हैं। जिसमें कानपुर, उन्नाव, फतेहपुर, कौशाम्बी, इलाहाबाद, प्रतापगढ़, इटावा, कन्नौज, उरई, हमीरपुर,जौनपुर,बनारस,आजमगढ आदि दो दर्जन से अधिक जिलों में प्रशासन ने असली पत्रकारों की लिस्ट तैयार करने में तेजी दिखाई है।


अभिनेता एवं सांसद सनी देओल द्वारा अभिनित विज्ञापन भ्रामक, कंपनी ने विज्ञापन बंद करने का किया कमिटमेंट

TV चेनल्स पर दिखाये जाने वाले राजेश मसाले के विज्ञापन पर आपत्ति जताते हुए भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI), मुम्बई को शिकायत में लिखा कि विज्ञापन में राजेश मसाले को भारत के सबसे टेस्टी मसाले बताया गया है किन्तु इस दावे के समर्थन में कोई डाटा नहीं दिखाया जा रहा है, ऐसी स्थिति में ये विज्ञापन भ्रामक प्रतीत होता है जिस पर रोक लगाई जानी चाहिए। शिकायत पर ASCI ने विज्ञापनदाता को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया। जवाब में मसाला कंपनी ने अपनी गलती स्वीकारते हुए इस विज्ञापन को वापस लेने का भरोसा दिलाया। साथियों, राष्ट्रीय स्तर की कंपनियां उपभोक्ताओं को ठगने के लिए इस तरह के भ्रामक विज्ञापन तैयार कराती हैं। 



हमें इस तरह के विज्ञापनों से सावधान रहना चाहिए। 


90% भारतीयों के दिमाग मै भूसा भरा है न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू

आप लोग रेल से कभी यात्रा किए है तो रेल गाड़ी  मे व स्टेशन पर छोटे व स्थानीय कप मे चाय दी जाती है। रेल के कप मे भी चाय दी तो जहाँ  तक चिह्न है,वहां तक नही देते।जनता व रेल दोनो  को चूना लगता है।
(2) राजभाषा  के नाम पर फर्जी  प्रगति प्रतिवेदन अपवादों  को छोड़कर  भारत सरकार के हर कार्यलय से भेजा जा रहा है।इस प्रकार  बिना कार्य किए वेतन लिया जा रहा है तथाआंकडो  के 
 फर्जीबाड़ा हेतु कागज आदि का व्यय अलग से है। बताएं IRTC का टिकट  on line केवल अंग्रेजी  मे क्यों❓डाक घर से रजिस्ट्री  स्पीड पोस्ट  की रसीद  अंग्रेजी  मे क्यों❓कार्यालयों  के विभिन्न  कार्य अंग्रेजी  मे क्यों❓ (3)आप लोग राज भाषा अधिनियम 1963 तथा राज भाषा नियम 1976 , राभाषा का वार्षक कार्यक्रम किसी कार्यालय मे जाकर पढ़ ले तो उल्लंघन  देख कर भौंचक रह जाएंगे ।
(4) नोएडा = न्यू ओखला इण्डस्ट्रियल  डेवलपमेंट  अथारिटी। अब बताये कि यह स्थान बोधक कैसे है❓यह गौतमबुद्ध नगर  का पर्याय  कैसे है❓
(5)न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू  का कथन-- 90% भारतीयों के दिमाग मै भूसा भरा है ,को आप किस आधार पर गलत कह सकते हैं ❓


विद्याधर पाण्डेय 
(1) संरक्षक, सामाजिक संस्थाये समन्वय समिति , गाजियाबाद 
(2)संरक्षक,  भारतीय विधि,न्याय  एवम् समाज,गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर 


साथी हाथ बढ़ाना , एक अकेला थक जाएगा सब मिलकर बोझ उठाना


वाह रे उच्चकोटि की शिक्षित जनता , जिलाधिकारी महोदय के साथ फोटो खिचवाकर चर्चा मे आने की ललक ने सारे डिस्टेंसिंग भुला दिये। क्या इन दान दाताओ ने 1 मीटर की दूरी बनायी है ?


ग्राम सभा चन्दवक के प्रधान पति, ताक पर रखते है सरकारी तंत्र के आदेश।

जौनपुर , जहाॅ एक तरफ पूरा देश करोना की महामारी जूझ रहा है वही कुछ लोग देश दुनिया की तकलीफो से बे खबर अपनी ही तिजोरिया भरने मे लगे है। प्राप्त सूचना के अनुसार विकास खण्ड डोभी के ग्राम सभा चंदवक मे कहने के लिए तो ग्राम प्रधान गीता यादव है परंतु सारा कार्यभार प्रधानपति चन्द्रिका यादव जी करते है। बताते है कि ग्राम सभा चन्दवक मे एक छोटा सा गाव भी मिला है जिसका नाम हरिदासीपुर है यहा देखा जाये तो नाम बड़ा और दर्शन छोटा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है, क्योकि इस ग्राम सभा मे न हरी है और न ही दासी यहा अगर है तो सिर्फ दुब्यवस्था । ग्रामिणो ने बताया कि हमारे ग्राम सभा चन्दवक मे किसी भी गरीब का कोई काम नही कराया गया है चाहे वह शौचालय का काम हो या नाली अथवा खडंजा का काम प्रधानपति जी का स्पष्ट कहना है कि पाच साल बित चुका है जब अब तक मेरा कुछ नही हुआ तो अब क्या होगा? इतना ही नही प्रधान जी के सहोगियो का कथन है कि प्रधान जी कई तालाब और जलाशय बनवाये है मगर हरिदासी पुर मे एक पुराना तालाब हे जिसमे सालो पहले मछली पालन होता था परंतु उस समय भी इसका पानी इतना साफ था कि गाव की महिलाए उसी पानी से बर्तन तक धुलती थी परंतु आज ग्राम प्रधान गीता यादव के समय मे उस तालाब की ऐसी दुर्दशा है कि आस पास के लोगो का जीना दुभर हो गया है, नालियो से ऐसी दुर्गन्ध आति है कि मानो हरिदासीपुर के लोग किसी नर्क के द्वारा खड़े है जिसके चलते मच्छरो का पूरी तरह से प्रकोप हो गया है जहा आज तमाम गाव के प्रधान अपने गाव की सुरक्षा के लिए सेनेटाइजर का छिड़काव करवाते है वही चन्दवक के ग्राम प्रधान सिर्फ ग्राम विकास के नाम पर आया जनता का धन डकारने मे लगे है। 


आई एम ए के द्वारा 500 पीपीई किट मुख्य चिकित्सा अधिकारी रामजी पांडे को उपलब्ध करायी गयी

  विधायक जाफराबाद डा.हरेन्द्र प्रताप सिंह एवं जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह की उपस्थिति में आई एम ए के द्वारा 500 पीपीई किट मुख्य चिकित्सा अधिकारी रामजी पांडे को उपलब्ध करायी गयी। इस अवसर पर विधायक जफराबाद ने कहा कि जिला प्रशासन पूरी मुस्तैदी के साथ कोरोना वायरस से लड़ रहा है, जो कि प्रशंसनीय है । यह पीपीई किट स्वास्थ्य विभाग के लिए अत्यंत उपयोगी होगी। जिलाधिकारी ने कहा कि पीपीई किट की अत्यन्त आवश्यकता थी। आईएमए के द्वारा यह सराहनीय कार्य किया गया है ,आईएमए से और लोगों  को भी प्रेरणा लेनी चाहिए। भाजपा प्रवक्ता ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि आई एम ए संगठन किसी भी आपदा में हमेशा बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता है ,उसी क्रम में आज 500 पीपीई किट देकर बहुत ही सराहनीय कार्य किया है  इस अवसर पर डॉ आर. के. सिंह , सीएमएस  पुरुष चिकित्सालय डॉक्टर  ए के शर्मा, आईएमए अध्यक्ष डॉ एन के सिंह, सचिव डॉक्टर मोहम्मद जाफरी, कृष्णा हार्ट केयर के डॉक्टर हरेन्द्र देव सिंह ,डॉ रजनीश श्रीवास्तव तथा आईएमए के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।


साप्ताहिक बंदी को छोड़कर सभी दुकाने प्रातः 9.00 बजे से सायं 7.00 बजे तक खोली जा सकेगी

 



जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह द्वारा कलेक्ट्रेट कक्ष में व्यापारियों के साथ बैठक की गई। बैठक में निर्णय लिया गया कि साप्ताहिक बंदी को छोड़कर सभी दुकाने प्रातः 9.00 बजे से सायं 7.00 बजे तक खोली जा सकेगी। दुकानों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना अनिवार्य होगा तथा ग्राहक एवं दुकान के कर्मचारी मास्क लगा कर रहे। 


दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों को बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता न देने के मामले में केंद्र सरकार के निर्णय के खिलाफ खारिज की याचिका

दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों को बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता न देने के मामले में केंद्र सरकार के निर्णय के खिलाफ याचिका खारिज की दिल्ली हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है जो केंद्र सरकार व दिल्ली सरकार के निर्णय के खिलाफ दायर की गई थी। इस याचिका में केंद्र सरकार के साथ-साथ दिल्ली सरकार के भी उस निर्णय को चुनौती दी गई थी, जिसमें सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता न देने की बात कही गई थी।न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की खंडपीठ ने कहा कि कानून में सरकार पर यह दायित्व ड़ाला गया है कि महंगाई भत्ते /महंगाई राहत में की गई वृद्धि का संवितरण समयबद्ध तरीके से करना होगा। अदालत ने यह भी कहा कि ऊपर बताए गए ऑल इंडिया सर्विसेज (महंगाई भत्ता) रूल्स के नियम 3 के तहत ही केंद्र सरकार को यह अधिकार भी मिला हुआ है कि वह उन शर्तों को तय कर सकती है, जिनके अधीन ही सरकारी अधिकारी इस महंगाई भत्ते को प्राप्त्त कर सकते हैं।अदालत ने यह आदेश एक जनहित याचिका में दिया है, जिसमें मांग की गई थी कि केंद्र और दिल्ली सरकार, दोनों के वित्त मंत्रालय को निर्देश जारी किया जाए ताकि सरकारी कर्मचारियों के बढ़े हुए महंगाई भत्ते को फ्रीज करने के संबंध में जारी अधिसूचना को वापस ले लिया जाए और मानदंडों के अनुसार इसे जारी कर दिया जाए। केंद्र सरकार के इस विवादित कार्यालय ज्ञापन में सूचित किया था कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को दिया जाने वाला मंहगाई भत्ता और केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों को दी जाने वाली महंगाई राहत का भुगतान नहीं किया जाएगा। यह महंगाई भत्ता/ मंहगाई राहत 1 जनवरी 2020 से देय था। यह भी कहा गया था कि 01 जुलाई 2020 और 01 जनवरी 2021 से देय महंगाई भत्ते और महंगाई राहत की अतिरिक्त किस्त का भी भुगतान नहीं किया जाएगा। हालांकि मौजूदा दरों पर महंगाई भत्ता और महंगाई राहत का भुगतान जारी रखा जाएगा। वहीं उक्त ओएम में यह भी कहा गया है कि 1 जुलाई 2021 से महंगाई भत्ता और महंगाई राहत की भविष्य की किश्त जारी करने का निर्णय जब भी सरकार द्वारा लिया जाएगा, उस समय महंगाई भत्ता और महंगाई राहत की दरें 1 जनवरी 2020 से प्रभावी होंगी, जिसके बाद 1 जुलाई 2020 और 1 जुलाई 2021 को देय भत्ते को भी उसी अनुसार बहाल कर दिया जाएगा। याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष निम्नलिखित तर्क दिए थे- ए-केंद्र सरकार के कर्मचारियों और केंद्र सरकार के पेंशनरों को ऑल इंडिया सर्विसेज (डीए) रूल्स 1972 के तहत बढ़ाया गया महंगाई भत्ता/महंगाई राहत प्राप्त करने का एक निहित अधिकार है। बी- COVID19 महामारी को डीए को रोकने का एक कारण बताया गया है, परंतु उसके बावजूद भी यह आदेश आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत सक्षम प्राधिकारी द्वारा पारित नहीं किया गया है। सी-सिर्फ संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत राष्ट्रपति द्वारा घोषित वित्तीय आपातकाल के दौरान ही उप-अनुच्छेद 4 (ए) (i) के आधार पर - राज्य के मामलों के संबंध में काम करने वाले सभी या किसी भी वर्ग के व्यक्तियों के वेतन और भत्ते में कमी का प्रावधान किया जा सकता है। चूंकि इस समय कोई वित्तीय आपातकाल घोषित नहीं किया गया है, इसलिए यह कार्यालय ज्ञापन जारी नहीं किया जा सकता था। न्यायालय की टिप्पणियां अदालत ने कहा कि 1972 के डीए नियम बताते हैं कि महंगाई भत्ता और महंगाई राहत पाने का अधिकार केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है। इसे केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट भी किया जा सकता है और सरकार वह शर्ते लगा सकती है, जिनको वह उपयुक्त समझती है। अदालत ने आगे कहा कि इस संबंध में कोई वैधानिक नियम नहीं है जो केंद्र सरकार को नियमित अंतराल पर महंगाई भत्ता या महंगाई राहत को बढ़ाने के लिए बाध्य करता हो। इसके अलावा केंद्र सरकार के कर्मचारियों या केंद्र सरकार के पेंशनरों को भी कोई ऐसा निहित अधिकार नहीं मिला हुआ है,जिसके तहत वह नियमित अंतराल पर बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता या महंगाई राहत प्राप्त कर सके या मांग सके। अदालत ने यह भी कहा कि- 'जहां तक 1 जनवरी 2020 से प्रभावी 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता या महंगाई राहत प्राप्त करने का संबंध है तो इस मामले में जारी किए गए कार्यालय ज्ञापन में इसे हटाने या खत्म करने की बात नहीं कही गई है। सिर्फ इतना कहा गया है कि इसे फिलहाल स्थगित किया जा रहा है और इसका भुगतान एक जुलाई 2021 के बाद किया जाएगा।' उक्त ओएम को जारी करने के अधिकार के मुद्दे पर अदालत ने कहा कि इस विवादित ओएम में COVID19 महामारी का संदर्भ दिया गया है। इसका मतलब यह नहीं है कि प्रतिवादी ने सिर्फ उन्हीं प्रावधानों को लागू किया है जो आपदा प्रबंध अधिनियम में निहित हैं। संविधान के अनुच्छेद 360 के संबंध में याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए तर्क को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि ओम में राज्य के मामलों के संबंध में सेवा करने वाले किसी भी व्यक्ति के वेतन या भत्ते को काटने या कम करने की बात नहीं कही गई है। अदालत ने कहा कि- 'हमने ऑल इंडिया सर्विसेज (डीए) रूल्स 1972 के नियम 3 पर गौर किया है। उक्त नियम में कहीं भी यह उल्लेख नहीं किया गया है कि केंद्र सरकार महंगाई भत्ता दिया जाने की पात्रता के संबंध में अपना निर्णय कुछ शर्तो के तहत ही ले सकती है। यानि ऐसा करने के लिए सरकार को पहले एक नया नियम बनाना होगा या एक राजपत्र अधिसूचना जारी करनी होगी। कानून में ऐसी किसी आवश्यकता का उल्लेख नहीं किया गया है।' इस मामले में याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व डॉ प्रदीप शर्मा और श्री हर्ष ने किया था।


किशोरों को इसके नकारात्मक प्रभाव से बचाने के लिए Tik Tok मोबाइल ऐप को नियंत्रित करना आवश्यक : उड़ीसा हाईकोर्ट


उड़ीसा हाईकोर्ट ने एक ज़मानत आवेदन पर विचार करते हुए कहा कि टिक टोक मोबाइल एप्लिकेशन को अच्छी तरह से नियंत्रित करने की आवश्यकता है। न्यायमूर्ति एसके पाणिग्रही ने कहा कि एप्लिकेशन अक्सर अपमानजन और अश्लील कल्चर को प्रदर्शित करता है और स्पष्ट रूप से परेशान करने वाली सामग्री के अलावा पोर्नोग्राफी को बढ़ावा देता है। इस तरह के एप्लिकेशन को नियंत्रित करने की आवश्यकता है, जिससे किशोरों को इसके नकारात्मक प्रभाव से बचाया जा सके।इस मामले में आरोपी मृतक की पत्नी है। आरोपी पत्नी ने एक अन्य सह आरोपी के साथ मिलकर मृतक के और आरोपी के कुछ अंतरंग और निजी वीडियो टिक टोक पोस्ट कर दिए थे, जिसके बाद मृतक ने आत्महत्या कर ली थी। दोनों आरोपियों पर आईपीसी की धारा 306 के तहत आरोप लगाए गए थे। हालांकि अदालत ने आरोपियों को जमानत दे दी, लेकिन युवाओं पर टिक टोक ऐप के नेगेटिव प्रभाव का उल्लेख किया। न्यायाधीश ने कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि तत्काल मामले में टिक टोक वीडियो एक निर्दोष जीवन के दुखद अंत का कारण बन गया है, हालांकि टिक टोक वीडियो की सामग्री को अपडेट की गई केस डायरी द्वारा छुआ नहीं जा सकता था। इस तरह के टिक टोक को प्रसारित करना, पीड़ितों को प्रताड़ित करने के लिए आपत्तिजनक सामग्री का दुरुपयोग धीरे-धीरे बढ़ रहा है।बड़ी संख्या में लोग, विशेषकर युवा, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में, इस तरह के परेशान करने वाले रुझान के प्रति संवेदनशील हैं। इस तरह के कृत्य को डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से स्मार्ट तरीके से अंजाम दिया जाता है और सोशल मीडिया पर एकीकृत किया जाता है। वायरल हो रहे ऐसे टिक वीडियो को देखकर मृतक अपमानित महसूस कर सकता है और शर्मनाक हो सकता है, जो वर्तमान मामले में काफी स्पष्ट है। हालांकि वीडियो की सामग्री को जांच के पूर्वावलोकन में लाया जाना बाकी है। इस मामले की तरह सायबर बुलिंग जैसी गतिविधियां जैसा कि वर्तमान मामले में हुआ, उससे भी कई कई निर्दोष शिकार हुए हैं। टिक टोक मोबाइल ऐप जो अक्सर आपत्तिजनक कल्चर और पोर्नोग्राफी को बढ़ावा देता है। इसकी स्पष्ट रूप से परेशान करने वाली सामग्री के कारण, इसके नकारात्मक प्रभाव को ठीक से नियंत्रित करने की आवश्यकता है ताकि किशोरों को इसके नकारात्मक प्रभाव से बचाया जा सके।" सायबर अपराध को दूर करने के लिए भारत के पास एक विशेष कानून का अभाव है। कोर्ट ने कहा कि समुचित सरकार को उन कंपनियों पर कुछ उचित नियामक दायित्व डालने की सामाजिक ज़िम्मेदारी मिली है। न्यायालय ने यह भी देखा कि, "हालांकि अन्य अधिनियमों के साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के कुछ हिस्से, ऐसे अपराधों से निपटने के लिए हैं, विशेष रूप से आईटी एक्ट की धारा 66E, 67 और 67A, जो निजता, प्रकाशन और परिसंचरण के उल्लंघन के लिए सजा निर्धारित करता है" जिसे अधिनियम अश्लील "या" कामुक "सामग्री, मानता है, लेकिन यह पूरी तरह से अपर्याप्त है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 किसी भी सामग्री को अपलोड करने से पहले इस तरह की कंपनियों पर सामग्री लेने और निर्धारित प्रक्रिय पूरी करने का दायित्व देता है, लेकिन भारत में सायबर जैसे अपराध से निपटने के लिए एक विशेष कानून का अभाव है।" न्यायालय ने यह भी देखा कि कई जांच अधिकारी न तो अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं और न ही वे सायबर अपराध की बारीकियों को समझते हैं। "यह जरूरी है कि जांच में लगे अधिकारियों को इस तरह के तकनीकी-कानूनी मुद्दों की जांच करने के लिए अपने कौशल को उन्नत करने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण दिए जाने की आवश्यकता है। इसके अलावा, सायबर खुफिया, सायबर फोरेंसिक और सायबर अभियोजन प्रशिक्षण में सुधार और सायबर पुलिसिंग को बढ़ावा देने की बात लंबे समय से चल रही है।" मद्रास उच्च न्यायालय ने टिक टोक मोबाइल एप्लिकेशन के बारे में इसी तरह की टिप्पणियां की थीं और यहां तक ​​कि इस ऐप के डाउनलोड को प्रतिबंधित करने का निर्देश दिया था। बाद में इस आदेश को टिकटोक प्रबंधन को चेतावनी के साथ वापस ले लिया गया कि यदि यह नकारात्मक और अनुचित या अश्लील सामग्री को फ़िल्टर करने के अपने उपक्रमों का उल्लंघन करता है, तो यह अदालत की अवमानना ​​के दायरे में आ सकता है।





सोमवार, 1 जून 2020

आपमिश्रित दोहरा व जर्दा बनाते हुए तीन अभियुक्त सहित मकान मालिक गिरफ्तार

श्री अशोक कुमार पुलिस अधीक्षक जौनपुर के निर्देशन में अपराध एवं अपराधियो के विरुद्ध चलाये जा रहेअभियान के क्रम में अपर पुलिस अधीक्षक नगर व क्षेत्राधिकारी नगर के निकट पर्यवेक्षण एवं दिशा निर्देशन में थानाकोतवाली पुलिस द्वारा मुखवीर की सूचना पर तीन व्यक्तियों को दोहरा बनाते व बेचते हुए एवं मकान मालिक को बदलापुर पडाव से आज दिनांक 31/05/20 समय 15.25 बजे गिरफ्तार किया गया।अभियुक्तों के कब्जे से 290 पुड़िया अपमिश्रित दोहरा मय जर्दा बरामद किया गया।इस सम्बंध में थाना स्थानीय पर मु0अ0सं0 247/2020 धारा 188,269,272,273 भादविव धारा-3 महामारी अधिनियमपंजीकृत किया गया ।गिरफ्तार अभियुक्तो का विवरणः- सूरज विश्वकर्मा पुत्र सुभाषचन्द्र विश्वकर्मा निवासी कटघरा लड़न कालोनी, कोतवाली जौनपुर। सुशील कुमार सिंह पुत्र मालिक सिंह निवासीबदलापुर पड़ाव कोतवाली जौनपुर ।प्रमोद कुमार पुत्र सेवा कुमार निवासी कालीकुत्ती,उमरपुर,कोतवाली,जौनपुर।4 शुभम गुप्ता पुत्र महेन्द्र साहु निवासी मालीपुर,बदलापुर पड़ाव कोतवाली जौनपुर(मकान मालिक)



गिरफ्तारी टीम का विवरणः- निरी0 श्री पवन कुमार उपाध्याय प्रभारी निरीक्षक थाना कोतवाली जौनपुर।उ0नि0 राजीव मल्ल थाना कोतवाली जौनपुर। का0 कृष्ण मुरारी यादव थाना कोतवाली जौनपुर। का0 अभय नरायन सिंह थाना कोतवाली जौनपुर।


 


समाज सेवीयों ने रक्तदान कर राकेश श्रीवास्तव को विदाई दिया

लायन्स क्लब संगठन जौनपुर द्वारा आई.एम.ए. ब्लड बैंक में सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करते हुए रक्तदान शिविर आयोजित किया गया। लायन्स क्लब के गवर्नर डॉ क्षितिज शर्मा ने बताया कि LCIF कोऑर्डिनेटर, राकेश श्रीवास्तव, 33 वर्षों की अनवरत सेवा के पश्चात् आज सेवा-निवृत्त हुए हैं। राकेश श्रीवास्तव ने, तमाम  सामाजिक संगठनों में, एक कर्मठ योद्धा के रूप में अपनी पहचान बनाई है, और हम सब का दायित्व बनता है कि ऐसी शख्सियत की विदाई भी एक शानदार सेवा-कार्य के माध्यम से आने वाली पीढ़ी को एक सकारात्मक सन्देश के रूप में प्रस्तुत की जाय। इसीलिए ये रक्तदान शिविर लगाया गया है।



जफराबाद विधायक डॉ एच.पी. सिंह ने कहा कि जब सभी रक्त कोषों में रक्त की कमी हो रही है ऐसे में ये सभी समाज सेवी संस्थाएं बधाई के पात्र हैं जो लाक डाउन में रक्तदान कर आज के दिन को ऐतिहासिक बना रही हैं। आई.एम.ए. अध्यक्ष डॉ एन के सिंह ने बताया कि आई एम ए जौनपुर के डाक्टरों ने केवल अपने सदस्यों के रुपये एक करोड़ की लागत से भी अधिक सहयोग से ये आधुनिक मशीनों से युक्त ब्लड बैंक खोला है।


          राकेश श्रीवास्तव ने उपस्थित सभी लोगों व रक्तदान करने वाले लोगों के प्रति बहुत ही भावुक होकर आभार जताया जो आज रक्तदान कर इस दिन को यादगार बनाया। 


          शिविर में समाज सेवी संस्थाओं, रोटरी क्लब, जेसीज क्लब, लायन्स मेन, गोमती, क्षितिज, लियो क्लब, उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संघ, अखिल भारतीय कायस्थ महासभा व कायस्थ कल्याण समिति, ग्र.प. राज्य सफाई कर्मचारी संघ के पदाधिकारी उपस्थित रहते हुए रक्तदान में सहयोग किया। तथा आगे दिनों तक रक्तदान करते रहेगे। 


संचालन कैबिनेट सचिव सै मो मुस्तफा व आभार कैबिनेट कोषाध्यक्ष मनीष गुप्ता ने व्यक्त किया।रक्तदान करने वालों में डा क्षितिज शर्मा, अमन श्रीवास्तव, नीरज शाह, संजय अस्थाना,  अमित पांडेय, संजय गुप्ता, अनुप सिंह, मयंक नारायण, अरिहंत सिंह, राकेश सोनी, वीरेन्द्र सिंह, राजेश किशोर श्रीवास्तव, गणतंत्र श्रीवास्तव, रामचन्द्र, पंकज श्रीवास्तव, सनी सिंह, किशोर ओझा, शम्म तबरेज़ ख़ान, हीरालाल भारती, रहबर अब्बास, शिव कुमार यादव, अमर बहादुर यादव, अभिषेक राय, सभापति उपाध्याय, नारायण, अमित सेठ, अल्तमस आदि सहित 27 लोगों ने रक्तदान किया।


जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह के निर्देशन में शहर की प्रमुख बाजारों तथा सड़कों को किया गया सैनिटाइज

आज जौनपुर शहर में बाजारों की साप्ताहिक बंदी के दिन फायर ब्रिगेड तथा नगर पालिका परिषद जौनपुर की टीम द्वारा 09 गाड़ियों से प्रमुख बाजारों तथा सड़कों को सैनिटाइज किया गया, जिसका निरीक्षण स्वयं जिलाधिकारी एवं मुख्य राजस्व अधिकारी डॉक्टर सुनील वर्मा द्वारा किया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि साप्ताहिक बंदी वाले दिन जनपद की समस्त बाजारों एवं सड़कों को सैनिटाइज किया जाएगा। उन्होंने सभी से सतर्कता बरतने की अपील की तथा कहा कि अनावश्यक रूप से घर से बाहर न निकले, बाहर निकले तो मास्क लगाकर ही निकले तथा सोशल डिस्पेंसिंग का पालन करें।