पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में अपराध एवं अपराधियों के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियान के क्रम में थाना बक्सा पुलिस के द्वाराग्राम बडारी थाना बक्शा जौनपुर से एकअभियुक्त सलमान अहमद पुत्र शब्बीर अहमद ग्राम बडारी थाना बक्शा जौनपुर को एक अदद नाजायज चाकू के साथ गिरफ्तार किया गया। बरामदगी के सम्बन्ध में मु0अ0सं0 113/20 धारा 4/25 आर्म्स एक्ट पंजीकृत किया गया ।
हकीकत एक्सप्रेस हिंदी दैनिक समाचार भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त समाचार पत्र है। जिसमे सामान्य खबरो के साथ साथ अपराधिक खबरे, खोजी खबरे, गाव गिरांव की खबरे, समाज मे घटित हो रही नित नई खबरो को संकलित कर प्रकाशित करने का कार्य हकीकत एक्सप्रेस के माध्यम से किया जाता है।
गुरुवार, 4 जून 2020
गैंगस्टर एक्ट सम्बन्धित अभियुक्त जनक गिरी पुत्र हरिलाल गिरी उर्फ हर्ष लाल गिरी गिरफ्तार
पुलिस अधीक्षक जौनपुर के निर्देशन में अपराध एवं अपराधियों के विरूद्ध चलाये जा रहे अभियान के क्रम में अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण व क्षेत्राधिकारी मड़ियाहू के निकट पर्यवेक्षण मेंथानाध्यक्ष संतोष कुमार राय थाना नेवढ़िया जौनपुर के नेतृत्वव श्री बालेन्द्र यादव थानाध्यक्ष रामपुर मय हमराही के सहयोग सेउ0नि0 श्री रामजी सैनी प्रभारी पुलिस चौकी भाऊपुर थाना नेवढ़िया जनपद जौनपुर मय हमराही पुलिस अधिकारी मु0आ0 पारसनाथ यादव , का0 अनवार अहमद , का0 विकास कुमार यादव , का0 विनय कुमार पासवानके साथ मु0अ0स0 94/2020 धारा 3(1) उ0प्र0 गैंगस्टर एक्ट थाना नेवढ़िया जनपद जौनपुर से सम्बन्धित अभियुक्तजनक गिरी पुत्र हरिलाल गिरी उर्फ हर्ष लाल गिरी नि0 ग्राम कोटी गाँव गोसाईपुर थाना रामपुर जौनपुर को गिरफ्तार किया गया ।
हत्या के मुकदमें से सम्बन्धित एक वांछित अभियुक्त गिरफ्तार
पुलिस अधीक्षक जौनपुर के निर्देशन में अपराध की रोकथाम एवं अपराधियों की गिरफ्तारी हेतु चलाये जा रहे अभियान के क्रम में अपर पुलिस अधीक्षक नगर व क्षेत्राधिकारी शाहगंज के कुशल पर्यवेक्षण मेंप्र0नि0 थाना खुटहन श्री जगदीश कुशवाहा, उ0नि0 सन्तराम यादव, उ0नि0 सुरेश कुमार सिंह, का0 रामचरन, का0 आशीष यादव द्वारा दिनांक 02.06.20 को ग्राम बड़सरा थाना खुटहन जौनपुर में हुई घटना जिसमें गोली लगने से राजेश तिवारी की मृत्यु हो गयी थी से सम्बन्धितमु0अ0सं0- 120/20 धारा 302/504 भादवि थाना खुटहन जनपद जौनपुर से सम्बन्धित वांछित अभियुक्त संदीप उर्फ सोनू तिवारी पुत्र कृष्णदत्त तिवारी निवासी ग्राम बड़सरा थाना खुटहन जनपद जौनपुर को उसके घर से दिनांक 02.06.20 को ही आलाकत्ल तमंचा मय एक अदद जिन्दा कारतूस व एक अदद खोखा कारतूस के साथ गिरफ्तार किया गया ।
पुलिस लाइन स्थित सभागार में उ0प्र0 पुलिस फैमिली वेलफेयर एशोसिएसन (वामासारथी)के तत्वाधान में कोविड-19(कोरोना संक्रमण) से बचाव के दृष्टिगत पुलिस लाइन आवासीय परिसर में रहने वाली महिलाओं का सम्मेलन/कार्यशाला का आयोजन किया गया।
श्री अशोक कुमार पुलिस अधीक्षक जौनपुर महोदय द्वारा पुलिस लाइन में लगातार कपड़े का मास्क बनाने वाली महिला आरक्षियों को कोरोना वारियर्स का पुरस्कार प्रदान कर उनका उत्साहवर्द्धन किया गया। तत्पश्चात कार्यशाला में महिलाओं को पुलिस चिकित्सालय के चिकित्सक द्वारा कोरोना संक्रमण से बचाव के सम्बन्ध में स्वच्छता, उत्तम स्वास्थ्य, व अन्य उपयोगी बिन्दुओं पर विस्तार से बताया गया तथा कोरोना काल में व्यापक सावधानी बरतने के सम्बन्ध में भी अवगत कराया गया। कार्यशाला में उपस्थित समस्त महिलाओं एवं महिला कर्मियों को सुरक्षा के दृष्टि से मास्क, सेनिटाइजर, व उनके बच्चों के लिये बिस्किटव चाकलेट का वितरण किया गया। कार्यक्रम का संचालन महिला थानें में नियुक्त कम्प्यूटर आपरेटर ज्योति श्रीवास्तव द्वारा किया गया।सम्मेलन में अधिकारीगण की धर्मपत्नी भी उपस्थित रही। सम्पूर्ण कार्यक्रम श्री रजतपाल राव, प्रतिसार निरीक्षक जौनपुर व श्रीमती तारावती देवी थानाध्यक्ष महिला थाना जौनपुर के दिशा निर्देशन में सकुशल सम्पन्न कराया गया।
चल पड़ी ट्रेन में नन्ही बच्ची को दूध देने के लिए आरपीएफ जवान ने की बहुत मशक्कत,
बहराइच का रहने वालीं साफिया हाशमी दुधमुंही बेटी को लेकर बेलगांव से चली थीं लेकिन रास्ते में कहीं दूध नहीं मिला, भोपाल में जवान इंदर यादव ने की मदद
भोपाल: Lockdown: लॉकडाउन में पुलिस ज्यादती की कई तस्वीरें सामने आईं. पुलिस वालों पर भी हमले हुए. लेकिन भोपाल स्टेशन पर एक ऐसी तस्वीर सीसीटीवी कैमरों में कैद हुई जो भरोसा जगाए रखती है. आरपीएफ के एक जवान ने एक दुधमुंही भूखी बच्ची को दूध देने के लिए जबर्दस्त मशक्कत की.
घर पहुंचकर एक वीडियो जारी कर साफिया ने कहा ''हम बहराइच के रहने वाले हैं, हम बेलगांव से चले थे लेकिन रास्ते में मुझे कहीं दूध नहीं मिला. भोपाल में इंदर यादव जी ने मदद की. उनका बहुत-बहुत शुक्रिया. जो मैसेज उन्होंने इंदर यादव को भेजा उसमें लिखा था आप हमारी लाइफ के रियल हीरो हैं और आप जैसे लोगों की देश में बहुत जरूरत है. आपने ट्रेन रवाना होने से पहले बच्ची की मदद की. आपकी मदद से ही मेरी बच्ची मेरे साथ सकुशल घर लौट सकी है.''
बांदा में दुबई से लौटे युवक ने फांसी लगाकर की आत्महत्या
कोविड-19 की जांच के बाद महिला ने अस्पताल के टॉयलेट में फांसी लगाकर की खुदकुशी
त्रिपुरा के जीबी पंत अस्पताल में कोविड-19 की जांच के एक दिन बाद एक महिला ने कथित तौर पर अस्पताल के शौचालय की छत से फांसी लगाकर खुदकुशी कर लीअगरतला त्रिपुरा के जीबी पंत अस्पताल में कोविड-19 की जांच के एक दिन बाद एक महिला ने कथित तौर पर अस्पताल के शौचालय की छत से फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. पुलिस को शक है कि 50 वर्षीय महिला के मन में संक्रमण का डर बैठ गया था और दहशत के मारे आत्महत्या कर ली होगी. स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एसके राकेश ने कहा कि महिला को सोमवार को अस्पताल के फ्लू वार्ड में भर्ती कराया गया था.राकेश ने कहा, 'महिला का शव सुबह करीब पांच बजे अस्पताल के शौचालय की छत से लटका पाया गया, जबकि उसकी कोविड-19 रिपोर्ट सुबह 11 बजे आई. रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि हो गई.' महिला की मां सोमवार की रात उसे अस्पताल ले गई थी और उसने मंगलवार सुबह अपनी बेटी को बिस्तर से गायब पाया.एक पुलिस अधिकारी ने कहा, 'अस्पताल में बहुत खोजने के बाद, उसकी मां ने शव को शौचालय की छत से लटका पाया.'उन्होंने कहा कि महिला पहले से किडनी रोग और सांस की बीमारी से ग्रसित थी. उन्होंने कहा कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया और अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया गया है
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल जज का कार्यकाल बढ़ाने की मांग कर रहे याचिकाकर्ता को बॉम्बे हाईकोर्ट जाने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मालेगांव ब्लास्ट मामले की त्वरित सुनवाई की के लिए ट्रायल जज के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग कर रहे परिजनों को बॉम्बे हाईकोर्ट जाने के लिए कहा है। मालेगांव ब्लास्ट की सुनवाई कर रहे मुम्बई की विशेष एनआईए कोर्ट के पीठासीन अधिकारी श्री पाडालकर, 29 फरवरी, 2020 को सेवानिवृत्ति चुके हैं। चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने धमाके के पीड़ित के पिता को त्वरित सुनवाई के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट समक्ष अपील करने को कहा। पीठ ने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस इस सबंध में उचित निर्णय ले सकते हैं। Also Read - COVID 19 के बारे में चीन और WHO से पूरी जानकारी लेने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग : सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर पीठ, मालेगांव के 60 वर्षीय निवासी निसार अहमद सैय्यद बिलाल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। 29 सितंबर, 2008 को मालेगांव के भिक्कू चौक पर हुए विस्फोट में उनके बेटे सैय्यद अजहर निसार अहमद की मौत हो गई थी। याचिकाकर्ता की दलील थी कि मामले की सुनवाई में हो रही देरी संविधान के अनुच्छेद 21 के खिलाफ है। याचिका में कहा गया था, "मुकदमे में हुई देरी के कारण याचिकाकर्ता और अन्य पीड़ितों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत, याचिकाकर्ता त्वरित ट्रायल का हकदार है और विशेषकर तब, जबकि याचिकाकर्ता का बेटा धमाके में मारा गया हो।" Also Read - सुप्रीम कोर्ट ने असम को इनर लाइन एरिया से बाहर रखने वाले राष्ट्रपति के आदेश पर रोक लगाने से इनकार किया, केंद्र से जवाब मांगा याचिका में कहा गया था कि दुर्घटना 29 सितंबर 2008 की है, लेकिन मुकदमे के ट्रायल में 12 साल लग गए हैं और अब जज को बदलने पर और देर होगी, क्योंकि नए जज को सारे सबूतों को समझने में समय लगेगा। याचिकाकर्ता की दलील थी, "वह पिछले एक साल और 4 महीनों में 140 गवाहों के परीक्षण में सक्षम रहे थे। नया जज मामले के रिकॉर्डों को, जो कि हजारों पन्नों में है, और समय लेगा। पीठासीन अधिकारी रिकॉर्डों से वाकिफ थे, और उनका कार्यकाल बढ़ाना न्याय के हित में होगा।" याचिकाकर्ता ने इससे पहले एक फरवरी, 2020 को बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से पीठासीन अधिकारी के कार्यकाल के विस्तार के लिए अनुरोध किया था। हालांकि, उस संबंध में कोई निर्देश पारित नहीं किया गया। मालेगांव विस्फोट मामले के मुकदमे की प्रभावी प्रगति न होने के कारण 26 फरवरी को बॉम्बे हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की खिंचाई भी की थी। इसके बाद, 27 फरवरी को, भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर, जो मालेगांव विस्फोट मामले के प्रमुख अभियुक्तों में से एक हैं, मुंबई की विशेष अदालत में पेश हुईं थीं। ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सात लोग इस मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं। मालेगांव बम विस्फोटों छह लोग मारे गए थे और 100 से अधिक घायल हो गए थे।
जब अपहरण के बाद हत्या होती है तो कोर्ट अपहरणकर्ता को हत्यारा मान सकता है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट की तीन-सदस्यीय खंडपीठ ने तमिलनाडु के नेता एम के बालन को 2001 में हुए अपहरण और हत्या का दोषी करार दिया है। दो-सदस्यीय खंडपीठ के खंडित फैसले के कारण इस मामले को तीन-सदस्यीय पीठ को सौंपा गया था। न्यायमूर्ति (अब सेवानिवृत्त) वी. गोपाल गौड़ा और न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने 2016 में इस मामले में खंडित निर्णय दिया था। न्यायमूर्ति गौड़ा ने आरोपी को बरी कर दिया था, जबकि न्यायमूर्ति मिश्रा ने अभियुक्त को दोषी ठहराया था। (सोमासुन्दरम उर्फ सोमू बनाम पुलिस आयुक्त के माध्यम से राज्य सरकार, (2016) 16 एससीसी 355) उसके बाद इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति के. एक. जोसेफ और न्यायमूर्ति वी. रमासुब्रमण्यम की खंडपीठ ने की। बेंच ने इस मामले के साक्ष्य का आकलन करते हुए व्यवस्था दी कि अपहरण के बाद हुई हत्या के मामले में अपहरणकर्ता को हत्यारा माना जा सकता है। खंडपीठ की ओर से न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ द्वारा लिखे गये फैसले में कहा गया है, "यथोचित मामले में अपहरण के बाद हत्या की घटना कोर्ट को यह मानने में सक्षम बनाती है कि अपहरणकर्ता ही हत्यारा है। सिद्धांत यह है कि अपहरण के बाद अपहरणकर्ता ही यह बता पाने की स्थिति में होगा कि पीड़ित का अंतत: क्या हुआ और यदि वह ऐसा करने में असफल रहता है तो यह स्वाभाविक है और तार्किक भी कि कोर्ट के लिए आवश्यक रूप से यह निष्कर्ष निकालना सहज हो सकता है कि उसने (अपहरणकर्ता ने) बदनसीब पीड़ित को खत्म कर दिया है। साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 भी अभियोजन के पक्ष में ही होगी।" बेंच ने आगे लिखा, "जहां अपहरण के बाद अपहृत व्यक्ति को गैर-कानूनी तरीके से कैद करके रखा जाता हो और बाद में उसकी मौत हो जाती है, तो यह अपरिहार्य रूप से निष्कर्ष निकलता है कि पीड़ित की मौत उनके हाथों ही हुई है, जिन्होंने उसका अपहरण करके कैद में रखा था।" न्यायालय ने 'पश्चिम बंगाल सरकार बनाम मीर मोहम्मद उमर (2000) 8 एससीसी 382' एवं 'सुचा सिंह बनाम पंजाब सरकार (एआईआर 2001 एससी 1436)' मामले में दिये गये पूर्व के निर्णयों का भी हवाला दिया। सुचा सिंह मामले में न्यायमूर्ति के टी थॉमस ने कहा था : "जब एक से अधिक व्यक्तियों ने पीड़ित को अगवा किया हो, जिसकी बाद में हत्या हो जाती है, तो तथ्यात्मक स्थिति को ध्यान में रखकर यह मानना कोर्ट के लिए न्यायोचित है कि सभी अपहरणकर्ता हत्या के लिए जिम्मेदार हैं। भारतीय दंड संहिता की धारा 34 का इसमें सहयोग लिया जा सकता है, जब तक कि कोई विशेष अपहरणकर्ता अपने स्पष्टीकरण के साथ कोर्ट को यह संतुष्ट नहीं करता कि उसने बाद में पीड़ित के साथ क्या किया, अर्थात् क्या उसने अपने सहयोगियों को रास्ते में छोड़ दिया था या क्या उसने दूसरों इस जघन्य कृत्य को करने से रोका था आदि, आदि।" इन मामलों में भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 के तहत अनुमान का इस्तेमाल यह साबित करने के लिए किया गया था कि ऐसे मामलों में किसी अन्य प्रकार की परिस्थिति साबित करने का जिम्मा अभियुक्त का होता है। मामलों के तथ्यों को लेकर कोर्ट ने व्यवस्था दी कि अभियुक्तों द्वारा हत्या को अंजाम दिये जाने का अनुमान सही लगाया गया था।
मंगलवार, 2 जून 2020
सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 7 के बारे मे संक्षिप्त विवरण
सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 7 के बारे मे संक्षिप्त विवरण ( जानकारी )
धारा 7(1) :- जीवन की रक्षा एवं स्वतंत्रता से संबंधित
सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 7(1) के तहत माँग सकते हैं, जो लोक जन सूचना अधिकारी या केंद्रीय जन सूचना अधिकारी 48 घंटे में प्रदान की जाएगी । जीवन की रक्षा से संबंधित कुछ सूचनाएँ इस प्रकार है :-
1. पुलिस उत्पीड़न एवं हिंसा के विरुद्ध अधिकार
2. कैदी का इंटरव्यू देने का अधिकार
3. निशुल्क कानूनी सहायता का अधिकार
4. निजता का अधिकार
5. शीघ्र विचारण का अधिकार
6. निष्पक्ष विचारण का अधिकार
7. कामकाजी महिलाओं के लैंगिक शोषण के विरुद्ध अधिकार
धारा 7(2) :- जीवन की रक्षा एवं स्वतंत्रता से संबंधित सूचना केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी सूचना देने में असफल रहते हैं तो उस आवेदन को नामंजूर कर दिया समझा जाएगा ।
धारा 7(3) (क) :- दस्तावेज के लिए अधिभारित शुल्क के बारे में 30 दिन के अंदर अगर लोक जन सूचना अधिकारी आवेदक को इसकी जानकारी नहीं देते हैं तो 30 दिन के बाद इसे अपवर्जित किया जाएगा
धारा 7(4) :- इस अधिनियम के अधीन अभिलेख या उसके किसी भाग तक पहुँच अपेक्षित है और ऐसा व्यक्ति, जिसको पहुँच उपलब्ध कराई जाने है । संवेदनात्मक रूप से निशक्त है, वहाँ यथास्थिति, केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य सूचना अधिकारी सूचना तक पहुँच को समर्थ बनाने के लिए सहायता उपलब्ध कराएगा जिसमें निरीक्षण के लिए सहायता सम्मिलित है, जो समुचित हो ।
धारा 7(5) :- इसके अधीन फीस युक्तियुक्त होगी और ऐसे व्यक्ति से, जो गरीबी रेखा के नीचे है, जैसा समुचित सरकार द्वारा निर्धारित किया जाएगा, कोई फीस प्रभारित नहीं की जाएगी ।
धारा 7(6) :- लोक जन सूचना अधिकारी सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6(1) के तहत 30 दिनों में सूचना उपलब्ध नहीं कराते हैं 30 दिन के बाद बिना भारित शुल्क के पूरी सूचना और दस्तावेज लोक जन सूचना अधिकारी मुफ्त में उपलब्ध कराएंगे
धारा 7(7) :- केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 11 के अधीन पर व्यक्ति (Third Party) द्वारा किए गए अभ्यावेदन को ध्यान में रखेगा ।
धारा 7(8) :- केंद्रीय जन सूचना अधिकारी या राज्य जन सूचना अधिकारी द्वारा को दिए गए आरटीआई आवेदन को अस्वीकृत करता है तो
(i) अस्वीकृति का कारण बताएगा ।
(ii) वह अवधि जिसके भीतर अस्वीकृति के विरुद्ध कोई अपील की जा सके
(iii)अपीलीय प्राधिकारी का नाम, पदनाम और पूर्ण पता देगा।
धारा 7(9) :- केंद्रीय जन सूचना अधिकारी या लोक जन सूचना अधिकारी किसी सूचना को उसी प्रारूप में उपलब्ध कराएगा जिसमें उसे माँगा गया है । जब तक कि लोक प्राधिकारी के स्रोतों को अननुपाती रुप से विचलित ना करता हो ।
प्रश्नगत अभिलेख की सुरक्षा या संरक्षण के प्रतिकूल ना हो ।
लाक डाउन में खुल रही फर्जी पत्रकारों की पोल!
लखनऊ। लाक डाउन में खुल रही फर्जी पत्रकारों की पोल! कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए सरकार द्वारा लाक डाउन घोषित किया गया है! इस दौरान मिली छूट में अनिवार्य सेवा के अन्तर्गत पत्रकारों को भी शामिल किया गया है! इसी का लाभ उठाते हुए व्हाट्स एप ग्रुप बनाकर उसके ही परिचय पत्र ग्रुप एडमिन ने बड़ी मात्रा में यूपी के सभी जिलों में जारी करके फर्जी पत्रकारों की एक फौज खड़ी कर दी है, जो प्रशासनिक अफसरों तथा पुलिस के बीच अपना रौब झाड़ते हुए असली पत्रकारों के समक्ष मुसीबत बने हुए थे! कुछ माह पूर्व रायबरेली के ऊंचाहार में जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक ने नौ पर्जी पत्रकार दबोचकर उनके खिलाफ सूचना अधिकारी से रिपोर्ट दर्ज करवाई थी! इसके बाद मेरठ, नोएडा, बुलंदशहर आदि दर्जन भर जिलों में इसी प्रकार के व्हाट्स एपिए पत्रकार पकड़े गए! अब बिल्कुल ताजे मामले में मुजफ्फरनगर में पकड़े गए हैं फर्जी पत्रकार! एसएसपी अभिषेक यादव ने बताया कि मुजफ्फरनगर पुलिस के समक्ष फर्जी पत्रकारों की जानकारी संज्ञान में आई थी। जिस पर जिले के सभी पत्रकारों की जांच कराए जाने पर दो दर्जन फर्जी पत्रकार पकड़ में आए हैं। जिनके पास से बरामद परिचय पत्र में उल्लिखित कोई मीडिया संस्थान ही देश में नहीं कार्यरत है सबसे रोचक बात तो यह है कि सभी जिलों में पकड़े गए इन फर्जी पत्रकारों के पास जो परिचय पत्र बरामद हुए हैं, उनमें Delhi Crime, TV NEWS INDIA Fatehpur, INDIA न्यूज TV FTP"2", PMP इंडिया न्यूज चैनल, PMP India news, Zeenationaltv24, Zee India Express आदि ऐसे मीडिया कार्ड मिले हैं, जिनके पास सूचना मंत्रालय का कोई मान्यता प्रमाण पत्र ही नहीं है और पकड़े गए फर्जी पत्रकार अपने आकाओं से प्रशासन की कोई बात भी नहीं करा पाए! पुलिस महानिदेशक कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश शासन ने यूपी के सभी जिलों में पत्रकारों की व्यापक छानबीन के निर्देश दिए हैं। जिसमें कानपुर, उन्नाव, फतेहपुर, कौशाम्बी, इलाहाबाद, प्रतापगढ़, इटावा, कन्नौज, उरई, हमीरपुर,जौनपुर,बनारस,आजमगढ आदि दो दर्जन से अधिक जिलों में प्रशासन ने असली पत्रकारों की लिस्ट तैयार करने में तेजी दिखाई है।
अभिनेता एवं सांसद सनी देओल द्वारा अभिनित विज्ञापन भ्रामक, कंपनी ने विज्ञापन बंद करने का किया कमिटमेंट
TV चेनल्स पर दिखाये जाने वाले राजेश मसाले के विज्ञापन पर आपत्ति जताते हुए भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI), मुम्बई को शिकायत में लिखा कि विज्ञापन में राजेश मसाले को भारत के सबसे टेस्टी मसाले बताया गया है किन्तु इस दावे के समर्थन में कोई डाटा नहीं दिखाया जा रहा है, ऐसी स्थिति में ये विज्ञापन भ्रामक प्रतीत होता है जिस पर रोक लगाई जानी चाहिए। शिकायत पर ASCI ने विज्ञापनदाता को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया। जवाब में मसाला कंपनी ने अपनी गलती स्वीकारते हुए इस विज्ञापन को वापस लेने का भरोसा दिलाया। साथियों, राष्ट्रीय स्तर की कंपनियां उपभोक्ताओं को ठगने के लिए इस तरह के भ्रामक विज्ञापन तैयार कराती हैं।
हमें इस तरह के विज्ञापनों से सावधान रहना चाहिए।
90% भारतीयों के दिमाग मै भूसा भरा है न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू
आप लोग रेल से कभी यात्रा किए है तो रेल गाड़ी मे व स्टेशन पर छोटे व स्थानीय कप मे चाय दी जाती है। रेल के कप मे भी चाय दी तो जहाँ तक चिह्न है,वहां तक नही देते।जनता व रेल दोनो को चूना लगता है।
(2) राजभाषा के नाम पर फर्जी प्रगति प्रतिवेदन अपवादों को छोड़कर भारत सरकार के हर कार्यलय से भेजा जा रहा है।इस प्रकार बिना कार्य किए वेतन लिया जा रहा है तथाआंकडो के
फर्जीबाड़ा हेतु कागज आदि का व्यय अलग से है। बताएं IRTC का टिकट on line केवल अंग्रेजी मे क्यों❓डाक घर से रजिस्ट्री स्पीड पोस्ट की रसीद अंग्रेजी मे क्यों❓कार्यालयों के विभिन्न कार्य अंग्रेजी मे क्यों❓ (3)आप लोग राज भाषा अधिनियम 1963 तथा राज भाषा नियम 1976 , राभाषा का वार्षक कार्यक्रम किसी कार्यालय मे जाकर पढ़ ले तो उल्लंघन देख कर भौंचक रह जाएंगे ।
(4) नोएडा = न्यू ओखला इण्डस्ट्रियल डेवलपमेंट अथारिटी। अब बताये कि यह स्थान बोधक कैसे है❓यह गौतमबुद्ध नगर का पर्याय कैसे है❓
(5)न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू का कथन-- 90% भारतीयों के दिमाग मै भूसा भरा है ,को आप किस आधार पर गलत कह सकते हैं ❓
विद्याधर पाण्डेय
(1) संरक्षक, सामाजिक संस्थाये समन्वय समिति , गाजियाबाद
(2)संरक्षक, भारतीय विधि,न्याय एवम् समाज,गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर