शुक्रवार, 1 मई 2020

तीन महीने EMI से मोहलत : सुप्रीम कोर्ट ने RBI को देखने को कहा कि लोगों को बैंक ये लाभ दे रहे हैं या नहीं

एक अहम कदम में सुप्रीम कोर्ट ने RBI से यह जांचने के लिए कहा है कि उसकी तीन महीने की EMI की मोहलत की नीति बैंकों द्वारा लागू की गई है या नहीं। जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस बी आर गवई की पीठ ने इस मामले में कहा, " ऐसा प्रतीत होता है कि जिन बैंकों को RBI द्वारा लाभ दिया गया है, वो लाभ लोन लेने वालों तक नहीं बढ़ाया जा रहा है। उचित दिशा-निर्देशों का उपयोग किया जाना चाहिए।" सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि तीन महीने की मोहलत पर RBI के 27 मार्च के



नोटिफिकेशन पर दखल देने से इनकार कर दिया और RBI से पूछा कि क्या उसकी पॉलिसी बैंकों द्वारा सही मायने में लागू की गई है? वहीं केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि यह योजना उधारकर्ताओं के लिए लागू है और RBI इस पर विचार कर सकता है। पीठ ने कहा, "यह एक पीआईएल मुद्दा नहीं है, हम हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं हैं। हालांकि, उठाए गए विभिन्न मुद्दों के कारण हम अनुरोध करते हैं कि RBI यह जांच कर सकता है कि क्या इसकी नीति बैंकों द्वारा सही तरीके लागू की जा रही है।" इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में RBI की 27 मार्च की अधिसूचना को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं दाखिल हुई थीं। पीठ ने इन पर सुनवाई करते हुए वकीलों से पूछा कि क्या उन्होंने लोन लिया है। जब वकील ने कहा कि नहीं ये जनहित याचिका है तो पीठ ने सुनवाई से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि वकील खुद ही उन लोगों के लिए याचिका दाखिल कर रहे हैं जो खुद ये याचिका दाखिल कर सकते हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट के सामने कोई इस योजना से प्रभावित व्यक्ति आएगा तो इस मामले की जांच करेंगे। जस्टिस रमना ने कहा, " ये योजना लाभदायक है, अच्छी है, बुरी है, यह हम कैसे तय करे सकते हैं। यदि आप लोन लेने वाले नहीं हैं तो आप कुछ भी नहीं जानते हैं।"


COVID-19 के पीड़ितों का इलाज हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वाइन व एजीथ्रोमाइसीन से न करने पर सुप्रीम कोर्ट ने ICMR से विचार करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा है कि ICMR उस जनहित याचिका पर विचार करे जिसमें गंभीर रूप से बीमार COVID 19 रोगियों के लिए उपचार दिशानिर्देशों में तत्काल बदलाव करने का अनुरोध किया गया था। डॉ कुणाल साहा द्वारा याचिका दायर की गई थी और इसमें कहा गया था कि 31 मार्च, 2020 को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के बाद COVID 19 से पीड़ित गंभीर रोगियों का ICU में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वाइन (HCQ) और एजीथ्रोमाइसीन (AZM) के साथ असुरक्षित और "ऑफ-लेबल" तरीके से इलाज किया जा रहा है जिससे निर्दोष लोगों का जीवन दांव पर है। जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस बी आर गवई की पीठ ने याचिकाकर्ता डॉ कुणाल साहा को कहा कि अदालत ये निर्देश जारी नहीं कर सकती कि किस प्रक्रिया से पीड़ितों का उपचार किया जाना चाहिए। अदालत इस तरह के आदेश जारी नहीं कर सकती। अदालत इस मामले में विशेषज्ञ नहीं है। पीठ ने ICMR को याचिकाकर्ता के सुझावों पर गौर करने के लिए कहा है। "जैसा कि पहले चर्चा की गई है, एक एंटी-मलेरियल (HCQ) और ब्रॉड-स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक (AZM) के" ऑफ-लेबल "उपयोग के लिए सबसे गंभीर COVID-19 रोगियों के लिए अनुशंसित किया गया था और वो प्रतिवादी नंबर 1 ने मुख्य रूप से उपाख्यानात्मक सबूतों पर आधारित नहीं बल्कि COVID -19 के खिलाफ एक विशिष्ट चिकित्सा के रूप में समान दिशानिर्देशों के तहत स्पष्ट रूप से लागू किया। " यह कहते हुए कि केवल उपचार को ही प्रधानता नहीं दी जानी चाहिए, बल्कि डॉक्टरों के रूप में, उक्त उपचार के दुष्प्रभाव को ध्यान में रखा जाना चाहिए, सरकार ने इस ऑफ-लेबल उपचार के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं जिसमें "गुप्त एहतियाती नोटों" का अभाव है। इन दवाओं से प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं के कारण जीवन के अनावश्यक नुकसान को रोकने की आवश्यकता है।" इसके प्रकाश में, याचिकाकर्ता ने बताया था कि 8 अप्रैल को, प्रमुख अमेरिकी कार्डियोलॉजी सोसायटी ने आगाह किया था कि COVID19 में HCQ & AZM के उपयोग से इसके निहित दुष्प्रभाव के कारण गंभीर खतरे पैदा हो सकते हैं जहां छह विशिष्ट एहतियाती चिकित्सीय उपायों की भी सिफारिश की गई थी। इसलिए, याचिकाकर्ता का कहना था कि भले ही उन्होंने मंत्रालय को इन आरक्षणों के बारे में लिखा था और अभ्यावेदन दिया था, AHA ACC / HRS द्वारा सलाह दिए गए छह विशिष्ट चिकित्सीय उपचारों के तत्काल कार्यान्वयन द्वारा उपचार के दिशानिर्देशों में निवारक और एहतियाती उपाय करने का आग्रह किया था। लेकिन मंत्रालय ने कोई ध्यान नहीं दिया। याचिका में कहा गया था कि "9 अप्रैल, 2020 को तत्काल प्रतिनिधित्व के माध्यम से गंभीर रूप से बीमार COVID-19 रोगियों के जीवन की रक्षा करने के लिए याचिकाकर्ता ने उत्तरदाता संख्या 1 को भी लिखा कि उन्हें MCQ और AZM उपचार से जुड़े गंभीर खतरों के बारे में सूचित किया और 6-बिंदु एहतियाती और निवारक उपायों को लागू करने के लिए आवश्यक परिवर्तन करने के लिए उनसे अनुरोध किया, जैसा कि AHA/ ACC / HRS द्वारा अनुशंसित है। दुर्भाग्य से, प्रतिवादी संख्या 1 ने याचिकाकर्ता द्वारा बार-बार की गई दलीलों का जवाब नहीं दिया या AHA / ACC / HRS द्वारा दी गई 6 निवारक सिफारिशों का पालन करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।" "सूचित सहमति" को अपनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, याचिकाकर्ता ने कहा कि HCQ & AZM के साथ जिन रोगियों का इलाज किया जा रहा है, उन्हें "दवाओं के निहित दुष्प्रभाव के कारण संभावित जीवनरक्षक हृदय संबंधी जटिलताओं के जोखिम" के संभावित नुकसान के बारे में बताया जाना चाहिए। इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने कहा था कि वास्तविक सबूत के आधार पर COVID19 के उपचार के गंभीर दुष्प्रभाव और जोखिम हैं, जिनके बारे में मरीजों को जागरूक होने का अधिकार है। डॉ कुणाल साहा पीपल फॉर बेटर ट्रीटमेंट के संस्थापक अध्यक्ष हैं जो एक मानवतावादी समाज है जो बेहतर स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। याचिका एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड, राबिन मजूमदार ने तैयार की थी।



COVID-19 के मरीजों का इलाज करने वाले निजी अस्पतालों में लागत तय करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया

निजी और कॉरपोरेट अस्पतालों में कोरोना वायरस रोगियों के इलाज के लिए राष्ट्रव्यापी लागत संबंधी नियमों की मांग करने वाली उस याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया और कहा कि न्यायालय निजी अस्पतालों के मामलों में बिना उन्हें सुनवाई का अवसर दिए बिना हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या अस्पतालों में शुल्क की गणना के लिए ऊपरी सीमा लगाए



जाने के लिए लागत नियमन की प्रार्थना की गई है ? याचिकाकर्ता और वकील सचिन जैन ने तर्क दिया कि सभी संस्थाओं के लिए एक नियम होना चाहिए क्योंकि सरकार ने उन्हें रोगियों से लागत वसूलने के लिए उन्हें अधिकार दे दिए हैं। उन्होंने कहा, कि "निजी अस्पतालों में जो COVID समर्पित अस्पताल हैं , उनके पास इस बात की कोई योग्यता नहीं है कि वे अस्पताल कितना शुल्क ले सकते हैं। मरीजों से 10 से 12 लाख रुपये वसूले जा रहे हैं। सरकार ने उन्हें बिना शुल्क के शक्तियां दी हैं।" मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा, "हम आपसे सहमत हैं लेकिन हम उनकी बात सुने बिना निजी अस्पतालों के संबंध में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। सरकार कैसे निर्णय ले सकती है?" जैन ने आगे तर्क दिया कि अप्रकाशित और भारी शुल्क में सर्जिकल उपचार को शामिल नहीं किया गया है बल्कि केवल मरीजों को अस्पताल के बिस्तर उपलब्ध कराए गए हैं। याचिका में कहा गया कि COVID19 रोगियों के इलाज के लिए निजी और कॉर्पोरेट संस्थाओं को देश भर में लागत नियमों का मुद्दा "तत्काल विचार" का विषय है क्योंकि कई निजी अस्पताल राष्ट्रीय संकट की घड़ी में घातक वायरस से पीड़ित रोगियों का व्यावसायिक रूप से शोषण कर रहे हैं। याचिका में कोरोना के रोगियों को बढ़े हुए बिलों और प्रतिपूर्ति के लिए बीमा कंपनियों को इनकार करने की विभिन्न रिपोर्टों की ओर इशारा किया गया है। यह प्रस्तुत किया जाता है कि अगर अस्पतालों द्वारा इस तरह के बढ़ाए गए बिल बीमा उद्योग के लिए चिंता का विषय बन सकता है, तो एक आम आदमी की क्या दुर्दशा होगी, जिसके पास ना तो साधन हैं और प्रतिपूर्ति करने के लिए न ही बीमा कवर है, यदि उसके एक निजी अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है। याचिका में कहा गया, " यह गंभीर चिंता का विषय है कि भारत में लोगों का एक बड़ा वर्ग अभी भी किसी भी बीमा कवर का अधिकारी नहीं है और किसी भी सरकारी स्वास्थ्य योजना के तहत भी नहीं कवर नहीं हैं।"


सुप्रीम कोर्ट ने बिना राशन कार्ड वाले लोगों को राशन उपलब्ध करवाने की मांग वाली याचिका पर विचार करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह उन लोगों को राशन मुहैया कराने के लिए आयोम वेलफेयर सोसाइटी द्वारा किए गए प्रतिनिधित्व पर विचार करे, जिनके पास कोई राशन कार्ड नहीं है। याचिकाकर्ता आयोम वेलफेयर सोसाइटी ने लॉकडाउन के दौरान गरीबों और दलितों तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली के "सार्वभौमिकरण" की मांग की थी, जिससे गरीबों और अन्य कमजोर समुदाय तक भोजन की पहुंच बढ़ाई जा सके। याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया था कि यह वैश्विक महामारी के वर्तमान समय में सभी के लिए आवश्यक खाद्य पदार्थों की उपलब्धता को मज़बूत करेगा और देश की अन्य 20% आबादी के अस्तित्व की आवश्यकताओं के लिए भोजन की ज़रूरत को पूरा करने में सक्षम करेगा। यह भी बताया था कि



खाद्यान्नों का भंडार है और इस प्रकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सार्वभौमीकरण गरीब से गरीब लोगों को भोजन तक पहुंच में सक्षम करेगा, जिनमें प्रवासी समुदाय, बेघर और बुजुर्ग, खानाबदोश जनजातियां और अन्य कमजोर समुदाय तक भोजन की पहुंच शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनने के बाद अदालत ने कहा कि यह "नीतिगत मुद्दा" है और इस तरह इसे केंद्र सरकार के विचार के लिए खुला छोड़ दिया। जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने कहा, "यह एक नीतिगत मसला है, इसे भारत सरकार और इस राहत पर विचार करने के लिए संबंधित राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के लिए खुला छोड़ दिया गया है।" तदनुसार, याचिकाकर्ता को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के माध्यम से भारत संघ को रिट याचिका की एक प्रति देने का निर्देश दिया गया।



समाज सेवा संस्था प्रताप सेना के जिला प्रभारी सौरभ सिंह द्वारा अपने जन्मदिन पर कियस गया जनहितकारी कार्य

जौनपुर थाना महराजगंज अंतर्गत ग्राम सभा विझवट निवासी सौरभ सिंह जनपद जौनपुर के समाज सेवा के लिए एक उभरता हुआ सितारा है, वैसे तो सौरभ सिंह अभी विद्यार्थी जीवन यापन कर रहे है परंतु इस हाल मे भी समाज सेवा का जुनून कम नही है एक तरफ देश महामारी की मार झेल रहा है देश की जनता त्राही त्राही कर रही है सरकार बचाव पक्ष मे पूरी ताकत से लगा है ऐसे मे अगर एक विद्यार्थी भी अपनी क्षमता के अनुसार मदद के लिए आ जाये तो यह एक सराहनीय कार्य है जो पूरी तन्मयता से



सौरभ सिंह कर रहे है सौरभ सिंह ने बताया कि हम अपने जन्म के दिन गर्मी के आरम्भ का समय होने के बाद भी विगत 2 साल से 1 पेड लगाता हू और उसे जीवित रखने की पूरी कोशि करता हू इस साल भी आम का पेड़ लगाकर अपने जन्मदिनकी खुशी जाहिर किये  इस अवसर पर उनके परम मित्र उत्कर्ष सिंह;गोलू सत्यम सिंह किशन सिंह  और हिमांशु सिंह मौजुद थे     


हमीरपुर का दूल्हा 90 KM साइकिल चलाकर महोबा से विदा करा लाया दुल्हन

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर (Hamirpur) जिले में लॉकडाउन (Lockdown) के चलते ‘लॉक’ हो गई शादियों के बीच एक युवक अपनी दुल्हन (Bride) की विदाई करा लाया. युवक ने अपनी दुल्हन को साइकिल पर बिठाकर 90 किलोमीटर का लंबा सफर तय किया और अपने घर ले आया. साइकिल में बिठाकर दुल्हन को घर लाते देख लोग हैरत में पड़ गये. जिले भर में यह शादी चर्चा का विषय बन गई है.

जानकारी के मुताबिक हमीरपुर जिले में सदर तहसील के पौथिया गांव के रहने वाले छोटे प्रजापति के बेटे कलकू प्रजापति की शादी 27 अप्रैल को महोबा जिले में खरेला थाने के पुनिया गांव की रिंकी के साथ होनी तय थी. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन हो जाने से उसकी शादी खतरे में पड़ गयी. जिला प्रशासन से शादी की परमिशन नहीं मिलने की वजह से परेशान दूल्हा कलकू सुबह छह बजे ही साइकिल में सवार होकर ससुराल पुनिया गांव जा पहुंचा. यहां ससुरालवालों ने स्वागत सत्कार के बाद रिंकी को उसके साथ साइकिल पर बिठा कर विदा किया.

साइिकल से ही 90 किलोमीटर चले दूल्हा-दुल्हन
इसके बाद दूल्हा-दुल्हन साइकिल से ही अपने गांव पौथिया रवाना हो गये और 90 किलोमीटर का सफर तय कर अपने घर पहुंचे. इसके बाद दूल्हे कलकू के घरवालों ने बाबा ध्यानिदास मंदिर में दोनों को जयमाला पहनवाकर शादी की रस्में पूरी कीं. दूल्हे के पिता ने बताया कि बेटे की शादी पहले से ही तय थी अचानक लॉकडाउन हो जाने से शादी नहीं हो सकती थी, पर दूल्हा शादी करने पर अड़ा था. शादी के जुनून में वो साइकिल पर ही दुल्हन विदा कराकर घर ले आया.

कलकू प्रजापति की शादी बनी चर्चा का केंद्र
बता दें कि शादी-ब्याह के सीजन में लॉकडाउन लागू हो जाने से तमाम शादियां खतरे में पड़ गई हैं. कुछ लोग मंदिरों में सोशल डिस्टेंस से शादियां कर रहे हैं. लेकिन कलकू ने इससे एक कदम आगे बढ़कर साइकिल से ही अपनी दुल्हन को विदा कराकर सब को हैरत में डाल दिया है. जिले भर में इस अनोखी शादी की चर्चा है.


शाहगंज ब्लाक के शिक्षकों ने 268.91 कुन्तल राशन सामग्री किया’प्रदान

अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर विकास खण्ड शाहगंज के परिषदीय विद्यालयों के अध्यापकों, शिक्षा मित्रों, अनुदेशकों के द्वारा कोविड-19 पीडि़त व्यक्तियों व उनके परिजनों के सहायतार्थ 268.91 कुन्तल खाद्य सामग्री जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह को उपलब्ध कराया। खण्ड शिक्षा अधिकारी शाहगंज राजीव कुमार यादव के नेतृत्व में ब्लाक के शिक्षक 12 पिकअप गाडि़यों पर राशन लाद कर कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचे। कुल 268.91 कुंतल राशन जिसमे 87.68 कुन्तल गेहूं का आटा, 42.23 कुन्तल गेंहू, 82.85 कुन्तल चावल, 7.75 कुन्तल अरहर दाल, 13.04 कुन्तल चीनी,  14.37 कुन्तल प्याज, 11.87 कुन्तल आलू, 6.09 कुन्तल नमक व 325 ली. सरसो तेल और 1348 पैकेट मसाला उपलब्ध कराया गया।



    जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने शिक्षकों की प्रशंसा करते हुए कहा कि अभी तक पूरे प्रदेश में इतना अधिक खाद्य सामग्री किसी ने नहीं उपलब्ध कराया है जितना शाहगंज ब्लाक ने किया है। उन्होने कहा कि जनपद सदैव बेसिक शिक्षकों का आभारी रहेगा जिन्होंने अपने एक दिन का वेतन देने के बावजूद भी राशन आदि उपलब्ध कराने में बढ चढ कर सहयोग कर पुनीत कार्य किया है।खाद्यान्न सामग्री सौंपते हुए खण्ड शिक्षा अधिकारी राजीव कुमार यादव ने कहा कि मैं विकास खण्ड शाहगंज के शिक्षकों का सदैव आभारी रहूंगा जिनके सार्थक प्रयास से आज इतनी अधिक खाद्य सामग्री कोविड-19 के पीडि़तों के सहायतार्थ प्रदान किया गया। इस अवसर पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण कुमार तिवारी, जिला पूर्ति अधिकारी अजय प्रताप सिंह, मोहम्मद मुस्तफा, ड0 सभाजीत यादव, वीरेंद्र सिंह, डॉ0 अभिषेक सिंह,  ओमप्रकाश यादव, उमाशंकर यादव, डॉ0 रत्नेश सिंह, रविन्द्र नाथ यादव, मनोज कुमार यादव, अखिलेश चन्द्र मिश्र, सजल सिंह, धर्मेंद्र सिंह, वीरेंद्र कुमार,अशोक कुमार, अखिलेश यादव, बदिउज्जमा, अशोक कुमार सोनकर, उमेश पाठक, पंकज सिंह, अनिरुद्ध मौर्य, अशोक कुमार मौर्य, अजय कुमार मौर्या, प्रमोद कुमार, बुधिराम, धनंजय मिश्र सहित ब्लॉक के कई सम्मानित शिक्षक उपस्थित रहे।

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पूर्व सांसद व सदस्य विधान परिषद ने पीपीई किट,मास्क, सैनिटाइजर कराया उपलब्ध

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के निर्दशन में पूर्व सांसद धनंजय सिंह व सदस्य विधान परिषद बृजेश सिंह प्रिंसू के सौजन्य से पूर्व विधायक राजदेव सिंह, आर.एस.एस. जिला संचालक डॉ वेद प्रकाश , विभाग प्रचारक संतोष की उपस्थिति में कोरोना वायरस संक्रमण से डॉक्टरों के बचाव हेतु 90 पीपीई किट, 150 एन-95 मास्क तथा अस्पताल को सैनिटाइज करने के लिए 100 लीटर सैनिटाइजर जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह एवं मुख्य चिकित्साधिकारी रामजी पाण्डेय को जिला अस्पताल में उपलब्ध कराया गया। इस अवसर पर एमएलसी ने कहा कि इस वैश्विक महामारी में डा. तथा स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम अपनी जान की परवाह किये बगैर कार्य कर रही है जिसके लिए बधाई के पात्र है। उन्होने कहा कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी सैनिटाइजर, मास्क तथा पीपीई किट की आगे भी डिमांड करेंगे तो उनको उपलब्ध कराया जाएगा।



जिलाधकारी ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह व सदस्य विधान परिषद का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि डॉक्टर दिन-रात कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु लगे हुए हैं, उनके लिए स्वयं का बचाव भी अत्यंत आवश्यक है। आज एमएलसी द्वारा पीपीई किट,सैनिटाइजर तथा मास्क डॉक्टरों के लिए उपलब्ध कराए गए हैं जो डॉक्टरों को कोरोना संक्रमण के बचाव में सहायता करेंगे, जिसके लिए अस्पताल प्रशासन उनका आभारी रहेगा । उन्होंने कहा कि अस्पताल में मरीजों को देखते समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाए डॉक्टर स्वयं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। मरीज कम से कम दो 02 मीटर की दूरी पर रहे । डॉक्टर तथा मरीज मास्क लगाकर रहे। सदस्य विधान परिषद, पूर्व विधायक द्वारा अस्पताल का निरीक्षण किया गया । निरीक्षण के दौरान कोरोना इन्फेक्शन/पर्ची काउन्टर सभी कर्मचारी पीपीई डेªस में मरीजों की थर्मल स्कैनिंग कर रहे थे । इमरजेन्सी रूम, फ्लू कार्नर रूम तथा कोरोना क्वारेन्टाइन वार्ड में सभी चिकित्साधिकारी पीपीई ड्रेस में उपलब्ध थे।
      निरीक्षण के दौरान सी.एम.एस जिला पुरूष चिकित्सालय  ए.के. शर्मा , सी.एम.एस महिला चिकित्सालय आर.एस सरोज, पूर्व महामंत्री टी.डी. कालेज नवीन सिहं, देवेन्द्र तिवारी, शैलेन्द्र यादव,नितेश सिंह सहित अन्य उपस्थित रहे।  


महामारी से निपटने के दृष्टिगत राहत कैंप एवं अन्य स्थलों पर शरण लिए हुए व्यक्तियों को उपलब्ध कराए जाने हेतु कच्ची खाद्य सामग्री की वितरण करने के लिए सामग्रियों का तत्कालिक तौर पर उपलब्ध कराए जाने हेतु निविदा आमंत्रित

 अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार कोविड 19 की महामारी से निपटने के दृष्टिगत जनपद में बेघर व्यक्ति, प्रवासी श्रमिक, लॉक डाउन के कारण फंसे हुए व्यक्ति व राहत कैंप एवं अन्य स्थलों पर शरण लिए हुए व्यक्तियों को उपलब्ध कराए जाने हेतु कच्ची खाद्य सामग्री की वितरण करने के लिए सामग्रियों का तत्कालिक तौर पर उपलब्ध कराए जाने हेतु निविदा आमंत्रित की जा रही है। प्रदेश के जनपदों में अस्थाई आश्रय स्थल में क्वॉरेंटाइन अवधि पूर्ण होने के पश्चात उन्हें मुक्त करते समय राहत आयुक्त कार्यालय द्वारा जारी गाइड लाइंस के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को उनके साथ में 15 दिन का राशन यथा 10 किलो आटा, 10 किलोग्राम चावल, 05 किलोग्राम आलू, 02 किलो ग्राम भूना चना, 02 किलो अरहर की दाल, 500 ग्राम नमक, 200 ग्राम हल्दी का पाउडर, 200 ग्राम धनिया पाउडर, 200 ग्राम मिर्च पाउडर, सरसों तेल किए गए व्यक्तियों की क्वॉरेंटाइन अवधि पूर्ण होने के बाद उन्हें कच्चे खाद्य सामग्री 15 दिन का किट उपलब्ध कराई जानी है एवं कोविड 19 महामारी के दृष्टिगत जनपद में बेघर व्यक्ति, प्रवासी श्रमिक, लॉक डॉउन के कारण फंसे हुए व्यक्ति व राहत कैंप एवं अन्य स्थलों पर शरण लिए हुए व्यक्तियों को उपलब्ध कराए जाने हेतु पके भोजन के स्थान पर कच्ची खाद्य सामग्री किट एक परिवार को एक सप्ताह के लिए उपयोगार्थ कच्ची खाद्य सामग्री के रूप में किट व्यवस्थित कर परिवहन, पैकिंग एवं वितरण में वे व्यय को सम्मिलित करते हुए उपलब्ध कराने पर उसका व्यय भार प्रत्येक दशा में रुपए 800 से अधिक न हो दोनों निविदा हेतु कच्ची खाद्य सामग्री की वितरण करने के लिए निम्नलिखित सामग्रियों का तत्कालिक तौर पर उपलब्ध कराए जाने हेतु निविदा आमंत्रित की जाती है, निविदा फार्म आपदा कार्यालय से प्राप्त किया जा सकता है।


मई दिवस- अन्र्तराष्ट्रीय मजदूर एकता दिवस

मजदूर दिवस आजमगढ़ के तत्वावधान में मई दिवस का कार्यक्रम सामायिक कारवाॅ रैदोपुर स्थित कार्यालय पर प्रतीक रूप से सम्पन्न हुआ। सर्वप्रथम मजदूर नेताओं को पुष्प अर्पित कर संदीप द्वारा क्रान्तिकारी गीत से श्रधांजलि दी गयी। वीडियो/आडियो क्रांफ्रेसिंग के माध्यम से कर्मचारी शिक्षक नेताओं तथा छात्रों-नौजवानों व सामाजिक कार्यकर्ताओं, मजदूर नेताओ ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अपनी भूमिका निभायी। डा0वी0एन0गौड़ ने कहा कि दुनिया के मजदूरों एक हो का नारा आज इस रूप में साकार दिख रहा है कि पूरी दुनिया में मजदूर वर्ग कोरोना संकट के कारण गम्भीर आर्थिक बदहाली में जा चुका है। लेकिन इस विकट परिस्थिति में वह अपने शक्तियों का प्रर्दशन नहीं कर पा रहा है। मजदूर एकता की हम आकाक्षां करते हैं।



      हवलदार यादव ने मजदूर दिवस के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज देश में मजदूरों की स्थिति बेहद चिन्ताजनक है। पूजीवादी व्यवस्था और सत्तारूढ़ सरकार केवल कोरे नारे लगाकर मजदूरों को बहका रही है। 


      डा0 रवीन्द्र नाथ राय ने कहा कि समाज के दोनों उत्पादक शक्तियाॅ-कृषि और औद्योगित क्षेत्रों में काम करने वाली, आज के पूजीवादी व्यवस्था में भयंकर अर्थिक तबाही झेल रही है जबकि देश के बड़े-बड़े पूजीपति विश्व स्तर के पूजीपतियों में अपनी रैंक बढ़ा रहे हैंै। शिक्षक कर्मचारी संघ के संयोजक वशिष्ठ सिंह ने शिकागो के शहीदों को श्रधांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज देशभर के करोड़ो मजदूर भूख व सामाजिक असुरक्षा के दलदल में फंस गये हैं और पूजीप्रति वर्ग कोरोना जैसे महामारी के संकट काल में भी मुनाफा इकट्ठा करनें के चक्कर में पड़ा हुआ है। छात्र नेता राहुल पूंजीवादी व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि दुनिया की सारी उन्नति, अट्टालिकाओं से लेकर चमचमाती गाड़ियो तक मजदूर वर्ग के श्रम से तैयार हुई है। जबकि उसके पास खाने का ठिकाना नहीं है। रिलीफ कमेटी के अनीस भाई ने कहा कि देश के कोने-कोने में फसे हुए मजदूरों को सुरक्षित तौर पर उनके घर पहंुचाने और उन्हे समुचित बेरोजगारी भत्ता देने की जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए। बीड़ी मजदूर नेता काम0 बैजनाथ ने कहा कि कोरोन संकट के समय में बड़े-बेड़े पूजीपतियो की 68हजार से अधिक की कर्जमाफी देश की गरीब जनता व मजदूरों के साथ अन्याय है।


माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय महामंत्री इन्द्रासन सिंह नवोदय विद्यालय के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश राय किसान संग्राम समिति के नेता रामाश्रय यादव ओम प्रकाश भारती जनवादी लोक मंच के कन्हैया लाल यादव अनिल चर्तुवेदी आदि ने टेलीफोन से मजदूर दिवस के कार्यक्रम की सफलताये की सुभकामनाये भेजी। कार्यालय पर उपस्थित साथियों ने मजदूर दिवस के अवसर पर नारा लगाया- कोरोना वायरस से लड़ेगे- मानव जाति को बचायेगें।


केंद्र ने फंसे हुए श्रमिक और अन्य लोगों को स्पेशल ट्रेनों से उनके गंतव्य तक जाने की दी अनुमति

यात्री ट्रेन सेवाओं के पूर्ण निलंबन के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को विशेष ट्रेनों द्वारा लॉकडाउन के कारण विभिन्न स्थानों पर फंसे प्रवासी श्रमिकों, छात्रों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों और अन्य व्यक्तियों को उनके गंतव्य तक जाने की अनुमति दी है।



गृह मंत्रालय ने बुधवार को एक आदेश जारी किया जिसमें लॉकडाउन में फंसे हुए प्रवासी मज़दूरों, छात्रों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों आदि के एक राज्य से दूसरे राज्य में परिवहन की अनुमति दी गई, जिनमें COVID-19 के कोई लक्षण नहीं पाए जाते हों। आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 10 (2) (एल) के तहत शक्तियों को लागू करने वाले गृह सचिव द्वारा जारी इस आदेश में उस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए। रेल मंत्रालय टिकटों की बिक्री और रेलवे स्टेशन, प्लेटफार्मों और ट्रेनों में सामाजिक दूरी और अन्य सुरक्षा उपायों के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश भी जारी करेगा। 22 मार्च से नियमित यात्री ट्रेन सेवाओं को निलंबित कर दिया गया है। शुक्रवार की सुबह 1200 यात्रियों को लेकर 1200 पहली विशेष ट्रेन तेलंगाना से झारखंड के लिए रवाना हुई। इस तरह की दूसरी ट्रेन केरल के एर्नाकुलम से शाम को ओडिशा के भुवनेश्वर के लिए प्रस्थान करने वाली है। ट्रेन में 1,000 से अधिक लोगों के ले जाने की उम्मीद है,


लॉकडाउन हटने के बाद भी जिन इलाकों में काम पर नहीं आ रहे मजदूर, उनकी मजदूरी काट लें मालिक ,बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने गुरुवार को उन इलाकों में, जहां लॉकडाउन खत्म हो चुका है, नियोक्ताओं को उन मजदूरों की मजदूरी काटने की अनुमति दी, जो काम पर नहीं आ सके। गृह मंत्रालय द्वारा 29 मार्च को जारी निर्देंश, जिनमें लॉकडाउन की अवधि में कर्मचारियों को पूरी मजदूरी का भुगतान करने को कहा गया था, में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए जस्टिस आर वी घुगे ने स्पष्ट किया: "यह स्पष्ट किया जाता है कि चूंकि महाराष्ट्र ने आंशिक रूप से राज्य में कुछ औद्योगिक क्षेत्रों में लॉकडाउन खत्म कर दिया है, इसलिए श्रमिकों से अपेक्षा की जाती है कि वो शिफ्ट के अनुसार रिपोर्ट करें। उन्हें नियोक्ता द्वारा कोरोना वायरस के संक्रमण से पर्याप्त सुरक्षा दी जाएगी। यदि कर्मचारी स्वेच्छा से अनुपस्थित रहते हैं तो प्रबंधन को यह आजादी होगी कि वह उनकी मजदूरी में कटौती करे। हालांकि ऐसी कार्रवाई शुरू करते समय कानून में निर्धारित प्रक्रिया का पालन आवश्यक है।



यह उन क्षेत्रों पर भी लागू होगा जहां शायद लॉकडाउन नहीं किया गया है।" जस्टिस आरवी घुगे ने एलाइन कंपोनेंट्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जर‌िए एक ही जैसी कई याचिकाओं पर सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि प्रबंधन श्रमिकों को काम देने के लिए तैयार है और श्रमिक काम करने के लिए तैयार हैं, हालांकि COVID 19 के कारण निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप, प्रबंधन को निर्माण गतिविधियों को रोकना पड़ा है। इस पृष्ठभूमि में, याचिकाकर्ताओं ने प्रार्थना की थी कि जब तक कि निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध जारी रहता है, उन्हें मासिक मजदूरी का भुगतान करने से छूट दी जाए। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश एडवोकेट टीके प्रभाकरन ने कहा कि याचिकाकर्ता सकल मजदूरी का 50% या न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत निर्धारित मजदूरी की न्यूनतम दरों, जो भी अधिक हो, का भुगतान करने के इच्छुक हैं। भारत सरकार की ओर से पेश एडवाकेट डीजी नागोडे और राज्य सरकार की ओर से पेश एडवोकेट डीआर काले ने कोर्ट से समय मांगा। जस्टिस घुगे ने कहा- "माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 27 अप्रैल 2020 को फिकस पैक्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य मामलों के एक समूह में एक आदेश पारित किया ‌था, जिसमें नियोक्ताओं / प्रबंधन द्वारा ऐसा ही अनुरोध किया गया था। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं दो सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था, लेकिन कोई अंतरिम राहत नहीं दी थी। केरल हाईकोर्ट ने केरल सरकार के वित्त विभाग द्वारा 23 अप्रैल 2020 को जारी एक आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें 50% वेतन के भुगतान की अनुमति दी गई है और शेष 50% वेतन का भुगतान स्थगित कर दिया गया है।" न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट ऐसे ही मामलों से डील कर रहा हैहै, इसलिए यह उक्त अधिसूचना में हस्तक्षेप नहीं करेगा।


अधिसूचना जारी , केंद्र सरकार ने दो सप्ताह के लिए लॉकडाउन बढ़ाया

केंद्र सरकार ने ग्रीन और ऑरैंज क्षेत्रों में "कुछ राहत" के साथ 4 मई से अगले दो सप्ताह की अवधि के लिए देशव्यापी लॉकडाउन बढ़ा दिया है। गृह मंत्रालय द्वारा लॉकडाउन के दूसरे चरण की समाप्ति के दो दिन पहले यह घोषणा की गई। केंद्र ने 24 मार्च को COVID-19 महामारी के फैलने को नियंत्रित करने के लिए 21-दिन के लॉकडाउन की घोषणा की थी। इसके बाद 14 अप्रैल को केंद्र ने 3 मई तक लॉकडाउन के विस्तार की घोषणा की।