सोमवार, 4 मई 2020

कोविड-19 के दृष्टिगत प्रभावी कामगारों के प्रदेश में लौटने पर क्वारेन्टाईन करने के संबंध में जिलाधिकारी के द्वारा दिये गये निर्देश

  जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि कोविड-19 के दृष्टिगत प्रभावी कामगारों के प्रदेश में लौटने पर क्वारेन्टाईन करने के संबंध में शासन के द्वारा दिये गये निर्देश के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में निगरानी समिति का नेतृत्व ग्राम प्रधान के द्वारा किया जाएगा तथा इस समिति में आशा/आंगनबाड़ी/चौकीदार/युवक मंगल दल/कोरोना वारियर्स के प्रतिनिधि तथा अन्य सदस्य होंगे। इसी प्रकार शहरी क्षेत्रों में संबंधित सभासद के नेतृत्व में मोहल्ला निगरानी समिति का गठन किया जाएगा। मोहल्ला निगरानी समिति में आशा/सिविल डिफेंस/आरडब्लूए के प्रतिनिधि/नगर निकाय क्षेत्र के प्रतिनिधि तथा अन्य सदस्य होंगे।
             उपजिलाधिकारी द्वारा प्रवासियों की एक सूची ग्रामीण क्षेत्र में खंड विकास अधिकारी एवं नगरीय क्षेत्र में अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद/नगर पंचायत को दी जाएगी तथा उसकी एक प्रति मुख्य चिकित्सा अधिकारी को उपलब्ध कराई जाएगी, जिनके माध्यम से सूची सभी आशा कार्यकत्रियों को शासनादेश में दिए गए निर्देशों के अंतर्गत आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने हेतु दी जाएगी। खंड विकास अधिकारी ग्रामीण क्षेत्र में प्रवासियों की ग्राम प्रधान/निगरानी समिति के सदस्य को एवं अधिशासी अधिकारी/नगर पालिका परिषद/नगर पंचायत द्वारा नगरीय क्षेत्रों में सभासद के नेतृत्व में गठित मोहल्ला निगरानी समिति को दी जाएगी। सभी निगरानी समिति द्वारा कार्य संपादन/ड्यूटी की जाएगी, जिसमें ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में निगरानी समिति अपने ग्राम पंचायत/मोहल्ला में बाहर से चोरी-छिपे आने वाले लोगों की सूचना जिला प्रशासन को देंगे। होम क्वारेन्टाइन में रखे गए व्यक्ति के घर के बाहर आशा कार्यकत्री द्वारा उचित स्थान पर एक क्वारेन्टाइन  फ्लायर लगाया जाए गया है कि नहीं। होम क्वारेन्टाइन में रखे गए व्यक्तियों द्वारा क्वॉरेंटाइन के नियम का उल्लंघन तो नहीं किया जा रहा है यदि 02 बार से अधिक उल्लंघन किया जाता है तो उन्हें फैसेल्टी क्वारेन्टाइन में रखने हेतु संबंधित खंड विकास अधिकारी एवं उपजिलाधिकारी के माध्यम से सूचना प्रेषित करेंगे। निगरानी समिति भी देखेगी कि होम क्वारेन्टाइन में रखे गए व्यक्ति के घर में पोस्टर चस्पा हो जाए एवं 21 दिन क्वारेन्टाइन रहने के उपरांत उनके घर से पोस्टर हटा दिया जाए। आशा कार्यकत्री के द्वारा किए जा रहे कार्यों की जिम्मेदारी भी निगरानी समिति सुनिश्चित करेगी। निगरानी समिति के द्वारा प्रवासियों के 21 दिनों की होम क्वारेन्टाइन अवधि के दौरान कुछ सावधानियां बढ़ती जा रही हैं या नहीं के बारे में जानकारी करेगी कि प्रवासियों के द्वारा 21 दिनों की होम क्वारेन्टाइन अवधि के दौरान किया गया परिवार अपने घरों से पृथक कक्ष में रहेगा। क्वारेन्टाइन किए गए प्रवासी अनिवार्य रूप से मास्क/गमछा/दुपट्टा से मुंह एवं नाक को ढकेंगे। हाथ को साबुन व पानी से धोने की आदत को बढ़ावा दिया जाएगा। क्वॉरेंटाइन किए गए प्रवासी के घर में अन्य किसी व्यक्ति के प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। क्वारेन्टाईन किए गए प्रवासी के घर के मात्र एक सदस्य को ही आवश्यक वस्तुओं की खरीद-फरोक्त के लिए घर से बाहर जाने की अनुमति होगी। उक्त निर्देश का कड़ाई से पालन किया जाए।


कोई भी व्यक्ति गांव में चोरी छुपे न घुसने पाए - जिलाधिकारी

 जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह द्वारा बक्शा क्षेत्र के ग्राम प्रधानों के साथ मुलाकात की गई, जिसमें जिलाधिकारी ने सभी ग्राम प्रधानों को मनरेगा के तहत कार्य प्रारंभ कराने के निर्देश दिए साथ ही उन्होंने कहा कि गांव में बाहर से आने वाले लोगों की कड़ी निगरानी रखें। जो लोग बाहर से आए उन्हें संभव हो सके तो स्कूल में 21 दिन के लिए को क्वॉरेंटाइन में रखें अथवा वह अपने घर में ही क्वॉरेंटाइन में रहें, उन्हें घर से बाहर न निकलने दे। सभी प्रधान यह ध्यान रखें कि कोई भी व्यक्ति गांव में चोरी छुपे न घुसने पाए। प्रधानों की अध्यक्षता में गांव में निगरानी समिति बनाई जाएगी जो बाहर से आने वाले व्यक्तियों पर निगरानी रखेगी। इस मौके पर ग्राम प्रधान अमरनाथ यादव, इरफान खान, भारत यादव, महेश मौर्य, रामबुझारत यादव, आलोक यादव, जिलेदार आदि मौजूद थे।


मां दुर्गा जी विद्यालय समूह द्वारा समस्त प्राध्यापकों एवं कर्मचारियों ने 01 दिन का दिया वेतन

 प्रबंधक सूर्य प्रकाश सिंह मुन्ना ने बताया कि मां दुर्गा जी विद्यालय समूह जौनपुर के सभी विद्यालयों के समस्त प्राध्यापकों एवं कर्मचारियों ने कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए अपने 01 दिन का वेतन चीफ मिनिस्टर डिस्ट्रिक्ट रिलीफ फंड में चेक द्वारा दिया गया, जिसमें मां दुर्गा जी विद्यालय सिद्धीकपुर द्वारा रुपए 83790, मां दुर्गा जी विद्यालय बरैयाकाजी द्वारा रुपए 12240, मां दुर्गा जी विद्यालय तारापुर कॉलोनी द्वारा रू0 7951 कुल 103981 रूपया दिया गया।



                                                      


ब्लॉक प्रमुख बक्सा ने 500 कुंतल भूसा दान देने का दिया आश्वासन

आज जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह एवं पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार ब्लाक प्रमुख बक्सा सजल सिंह के घर पहुंचे जहां उन्होंने कुछ प्रधानों से बातचीत की तथा गौशालाओं में भूसा दान देने की अपील की। ब्लॉक प्रमुख बक्सा ने जिलाधिकारी को विकास खंड क्षेत्र बक्सा से 500 कुंतल भूसा इकट्ठा कर गौशालाओं में दान देने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर उन्होंने स्वयं भी भूसा दान देने के लिए जिलाधिकारी को आश्वासन दिया। जिलाधिकारी ने सभी से अपील की गयी कि गांव में लॉकडाउन  तथा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। लोग अनावश्यक रूप से घर से बाहर न निकले। गांव में भी सभी लोग मास्क लगाकर ही घर से बाहर निकले।



     इस अवसर पर पूर्व ब्लाक प्रमुख बक्सा जयप्रकाश सिंह, ग्राम प्रधान मरगूपुर विनोद सिंह, ग्राम प्रधान दिलशादपुर कमलाकर मिश्र, लाल साहब सिंह, संजय सिंह, मुन्ना सिंह आदि उपस्थित रहे।                           


ग्राम छतौरा विकास खण्ड खुटहन के किसान द्वारा कम्युनिटी किचन हेतु दिये गये सामान

ग्राम छतौरा विकास खण्ड खुटहन के किसान दिलीप कुमार मिश्रा द्वारा कोरोना संक्रमण के दृष्टिगत गरीबों एवं असहायों के लिए 03 कुंतल कद्दू, 60 किलो प्याज, 55 किलो आलू, 10 किलो हरी मिर्च, 25 किलो टमाटर, 03 किलो धनिया तथा 25 किलो नमक सदर तहसील की कम्युनिटी किचन में उप जिलाधिकारी सदर को उपलब्ध कराया।



चकबंदी विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री राहत कोष में दिया अपना 01 दिन का वेतन

बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी दयानंद सिंह चौहान ने बताया है कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) की रोकथाम के लिए स्वेच्छा से चकबंदी विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा 01 दिन का वेतन रुपए तीन लाख दो हजार सतहत्तर रू मात्र माननीय मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा किया गया है।


प्रशिक्षण के उपरान्त निजी चिकित्सालयो को अपनी सेवाएं प्रदान करने के लिए की गयी संस्तुति

मुख्य चिकित्सा अधिकारी रामजी पांडे ने बताया है कि कुंवर दास सेवाश्रम पंचहटिया, ईशा हॉस्पिटल जौनपुर, शिव सहाय बाल चिकित्सालय रूहटठा जौनपुर, कृष्णा हार्ट क्लिनिक जौनपुर एवं सुनीता हॉस्पिटल नईगंज जौनपुर को आकस्मिक एवं आवश्यक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराए जाने हेतु कोविड-19 के संबंध में इनफेक्शन प्रीवेंशन से संबंधित प्रशिक्षण के उपरांत भौतिक निरीक्षण कर  इन निजी चिकित्सालयो को अपनी सेवाएं प्रदान करने के लिए संस्तुति की गई है।


जनपद की सीमाएं पूरी तरह से रखे लाक-जिलाधिकारी

 जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने समस्त क्षेत्राधिकारी एवं थानाध्यक्षों को निर्देश दिया है कि जनपद की सीमाएं पूरी तरह से लाक रखी जाए । कोई भी व्यक्ति अनाधिकृत रूप से जनपद की सीमा में प्रवेश करने पाए। उन्होंने बताया कि बहुत सारे लोग चोरी-छिपे जनपद में प्रवेश कर रहे हैं, इन पर हर दृष्टि से निगाह रखें, जिससे जनपद में संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। इसमें किसी भी प्रकार की किसी स्तर पर अगर लापरवाही हुई तो उसे गंभीरता से लिया जाएगा। जिलाधिकारी ने सभी थानाध्यक्षों को निर्देश दिया कि प्रतिदिन अपने चौकीदार, प्रधान एवं अन्य  माध्यम से प्रत्येक गांव पर नजर रखें, अगर कोई बाहरी व्यक्ति आकर के गांव में बिना अनुमति के प्रवेश कर गया है और रह रहा है उसको तत्काल क्वॉरेंटाइन में रखा जाए और लॉकडाउन तोड़ने के लिए उसके खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की जाए। किसी व्यक्ति को जनपद मे संक्रमण फैलाने की अनुमति नही है।


एक राज्य से दूसरे राज्य में यात्रा करने की अनुमति उन लोगों के लिए नहीं है, जो सामान्य तौर पर अपने मूल स्थान से अलग कहीं रह रहे हैं: गृह मंत्रालय

गृह सचिव, अजय भल्ला IAS द्वारा जारी स्पष्टीकरण के रूप में यह कहा गया कि "यह स्पष्ट किया जाता है कि लॉकडाउन के बीच व्यक्तियों की आवाजाही के संबंध में आदेश उन लोगों की श्रेणियों तक नहीं बढ़ाया गया है, जो अन्यथा काम के उद्देश्यों के लिए अपने मूल स्थानों के अलावा अन्य स्थानों पर सामान्य रूप से रहते हैं और जो सामान्य उद्देश्य में अपने मूल स्थान की यात्रा करना चाहते हैं।" आदेश में यह जोड़ा गया कि छूट का अर्थ "ऐसे व्यथित व्यक्तियों" के लिए नहीं है और यह "उन व्यक्तियों की श्रेणियों" तक विस्तारित नहीं है, जो अन्यथा काम के उद्देश्यों के लिए अपने मूल स्थानों के अलावा अन्य स्थानों पर सामान्य रूप से निवास कर रहे हैं, और जो अपने स्थानों से मूल स्थान अपनी यात्रा करना चाहते हैंं। 29 अप्रैल को गृह मंत्रालय ने एक आदेश



जारी किया था जिसमें लॉकडाउन में फंसे हुए प्रवासी मज़दूरों, छात्रों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों आदि के एक राज्य से दूसरे राज्य में परिवहन की अनुमति दी गई, जिनमें COVID-19 के कोई लक्षण नहीं पाए जाते हों। आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 10 (2) (एल) के तहत शक्तियों को लागू करने वाले गृह सचिव द्वारा जारी इस आदेश में उस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए। शुक्रवार को विशेष ट्रेनों द्वारा विभिन्न स्थानों पर फंसे इन प्रवासी श्रमिकों, छात्रों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों और अन्य व्यक्तियों को उनके गंतव्य तक जाने की अनुमति दी। केंद्र ने फंसे हुए श्रमिक और अन्य लोगों को स्पेशल ट्रेनों से उनके गंतव्य तक जाने की अनुमति दी


जमीयत उलेमा ए हिन्द ने COVID19 प्रभावित शवों को दफनाने पर अस्थायी रोक लगाने वाली याचिका में हस्तक्षेप आवेदन दाखिल किया , शव दफनाना इस्लाम में आवश्यक

COVID19 के प्रकोप के दौरान मुस्लिम कब्रिस्तानों में शव दफनाने पर अस्थायी प्रतिबंध की मांग वाली याचिका में निहितार्थ के प्रयोजनों के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप आवेदन दायर किया गया है। आवेदक संगठन जमीयत-उलमा-ए-हिंद का कहना है कि कब्रिस्तानों में वायरस से पीड़ित शवों को दफनाने पर प्रतिबंध संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ जाता है और संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धर्म के अधिकार का उल्लंघन है, चूंकि इस्लाम और / या ईसाई धर्म में शवों को दफनाना आवश्यक है। संक्रमित शवों के माध्यम से COVID-19 के फैलने के जोखिम के डर से मुंबई के एक निवासी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपने आवासीय क्षेत्र के बगल में तीन कब्रिस्तानों में दफन किए जाने पर रोक लगाने की मांग की। यह याचिका प्रदीप गांधी ने दायर की है और संक्रमित शवों को भीड़भाड़ वाले इलाक़े में स्थित कब्रिस्तान में दफ़नाए जाने से लोगों की जान को होने वाले ख़तरे का ज़िक्र याचिका में किया है। याचिका एडवोकेट उदयादित्य बनर्जी के माध्यम से दायर की गई है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 27 अप्रैल को बांद्रा पश्चिम के तीन कब्रिस्तान में शवों को दफ़नाने जाने के बारे में जारी आदेश को स्थगित करने से मना कर दिया था जिसके बाद याचिकाकर्ता ने अब सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की है। हालाँकि याचिकाकर्ता ने माना है कि उसने याचिका में जिस बात की आशंका जाहिर की है यह बात किसी शोध से प्रमाणित नहीं हुई है पर उसका कहना है कि सावधानी बरतने में भी थोड़ी गलती भी हो तो भी सावधानी बरतनी चाहिए। याचिकाकर्ता ने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार ने भी 30 मार्च 2020 को इसी बात की सलाह देते हुए एक सर्कुलर निकाला था पर बाद में 9 अप्रैल 2020 को उसको बदल दिया और 20 अधिसूचित कब्रिस्तान में संक्रमित शवों को दफ़नाने की इजाज़त दी। याचिकाकर्ता इस बार पर जोर दिया कि भले ही उसकी दलील का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं हो, पर बाद में पछताने से सावधानी बरतना अच्छा है।



याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि अगर शवों को दफ़नाया जाना ज़रूरी है तो क्यों न उसे ऐसी जगह पर दफ़नाया जाए जहां लोगों की भीड़भाड़ कम है। उसका कहना है कि ऐसे कब्रिस्तान हैं पर उन्हें इस सूची में शामिल नहीं किया गया है। याचिका में माँग की गई है कि न केवल उन तीन कब्रिस्तान में दफ़नाने पर रोक लगाई जाए बल्कि हाईकोर्ट के 27 अप्रैल के आदेश को भी तब तक के लिए स्थगित कर दिया जाए जब तक कि इस याचिका पर फ़ैसला न आ जाए। इस याचिका पर दायर हस्तक्षेप आवेदन में आगे कहा गया है कि याचिकाकर्ता की शिकायत केवल निराधार "आशंकाओं" पर आधारित है, इसे अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इसके अलावा, यह कहा गया है कि भारत सरकार के साथ-साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य द्वारा जारी की गई विभिन्न एडवाइज़री में कहा गया है कि COVID -19 का संचरण बूंदों के माध्यम से होता है और यह कि मृत शरीर से स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं या परिवार के सदस्यों में COVID संक्रमण के बढ़ते जोखिम की संभावना नहीं है, जो शरीर को संभालने के दौरान मानक सावधानियों का पालन करते हैं। इस पृष्ठभूमि में, यह माना जाता है कि यदि दफनाने के दौरान बुनियादी और उचित दिशा-निर्देशों का पालन किया जाता है, जैसे कि श्मशान, दफन जमीन के कर्मचारियों के संवेदीकरण, हाथ की स्वच्छता और सावधानियों की बुनियादी प्रथाओं का पालन करना; संक्रमण का संचरण नहीं हो सकता है। इसके अलावा, आवेदक इस बात पर प्रकाश डालता है कि दिशानिर्देश "धार्मिक अनुष्ठानों जैसे धार्मिक लिपियों से पढ़ना, पवित्र जल छिड़कना और किसी अन्य अंतिम संस्कार जिसे शरीर को छूने की आवश्यकता नहीं है" को भी अंतिम संस्कार करने की अनुमति दी जा सकती है। इस बात पर जोर देते हुए कि लोगों में कई मिथक हैं कि जो किसी संक्रामक रोग से मर गए हैं, उनके शव का दहन करना चाहिए। आवेदक का तर्क है कि यह एक गलत धारणा है कि ऐसे शवों का दहन होना चाहिए। इस संबंध में यह प्रस्तुत किया जाता है कि, "यह एक आम मिथक है कि जिन लोगों की एक संक्रामक बीमारी से मृत्यु हो गई है, उनका शव दहन किया जाना चाहिए, लेकिन यह सच नहीं है। शव दहन सांस्कृतिक पसंद और उपलब्ध संसाधनों का विषय है। " आवेदक ने संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, कनाडा और मध्य पूर्वी देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय तुलना भी की है, जिसमें कहा गया है कि इन राष्ट्रों द्वारा इस तरह "COVID19 वायरस के फैलने का खतरा नहीं" उजागर किया गया है।



फतेहपुर में गांजे के साथ एक महिला गिरफ्तार

बांदा (उप्र). यूपी (UP) के फतेहपुर (Fatehpur) जिले में पुलिस ने एक महिला को गांजे के साथ गिरफ्तार किया है. वाहन चेकिंग के दौरान इस महिला को गिरफ्तार किया गया. जिले की औंग पुलिस ने वाहन जांच के दौरान बाइक सवार एक महिला को डेढ़ किलोग्राम गांजा के साथ गिरफ्तार (Arrested) किया है. इस संबंध में बिंदकी के पुलिस उपाधीक्षक (सीओ) योगेंद्र सिंह मलिक ने सोमवार को बताया कि लॉकडाउन के पालन के लिए की जा रही वाहन जांच के दौरान औंग थाने की पुलिस ने शादीपुर मोड़ के पास बाइक सवार एक महिला को डेढ़ किलोग्राम गांजा के साथ गिरफ्तार किया. जानकारी मिली कि ये महिला लिफ्ट लेकर बाइक से कानपुर जा रही थी. उन्होंने बताया कि गिरफ्तार महिला ने अपना नाम पता आशा शर्मा निवासी अहिरवां गांव कानपुर बताया है.


इस महिला ने पुलिस से चौडगरा (फतेहपुर) के एक किराना व्यवसायी से गांजा खरीदना स्वीकारा है. साथ ही बताया कि किराना व्यवसायी की दुकान में भी छापेमारी की गई लेकिन वह भाग गया है.


बाजार में एक लाख रुपए है कीमत


मलिक ने बताया कि महिला से बरामद गांजे की बाजार में कीमत एक लाख रुपए के करीब है. सीओ ने बताया कि बाइक को जब्त कर लिया गया है और महिला को एनडीपीएस एक्ट के तहत हवालात में भेज दिया गया है. पुलिस इस मामले में जांच कर रही है.


1 करोड़ के अफीम की हुई थी बरामदगी


इससे पहले भी नारकोटिक्स विभाग की टीम ने फतेहपुर जिले में छापेमारी कर अफीम बरामद की है. जिले के थरियांव थाना क्षेत्र के अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या दो पर पकड़ी गई अफीम को झारखंड से हरियाणा भेजा जा रहा था. इस कार्रवाई को नारकोटिक्स विभाग और पुलिस की संयुक्‍त टीम ने किया था. इस दौरान करीब 60 किलो अफीम बरामद हुई थी. 29 अप्रैल को हुई इस कार्रवाई के दौरान अफीम की तस्‍करी में लिप्‍त एक तस्‍कर की भी गिरप्तारी हुई थी. बरामद अफीम की बाजार में कीमत लगभग 1 करोड़ रुपए बताई जा रही थी.


मस्जिदों में लाउडस्पीकर से अजान पर रोक के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में 5 मई को सुनवाई

प्रयागराज. यूपी के ग़ाज़ीपुर (Ghazipur) में रमजान (Ramzan) माह के दौरान मस्जिदों (Masjid) में लाउडस्पीकर (Loudspeaker) से अज़ान पर रोक लगाये जाने के मामले में दाखिल जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सोमवार को वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत में अपना जवाब दाखिल किया गया. प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने राज्य सरकार का पक्ष रखा. जिसके बाद कोर्ट ने याची गाजीपुर के बसपा सांसद अफजाल अंसारी के अधिवक्ता को प्रत्युत्तर दाखिल करने का समय देते हुए मंगलवार 5 मई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले की सुनवाई का आदेश दिया है.आज इस केस में याचिकाकर्ताओं की ओर से पूर्व सांसद व सुप्रीम कोर्ट के सीनियर अधिवक्ता सलमान खुर्शीद वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग से बहस करेंगे. राज्य सरकार ने याची की मांग को निराधार बताते हुए याचिका खारिज करने की मांग की है। सरकार की ओर से कहा गया है कि लॉकडाउन में सरकार बिना भेदभाव के कार्य कर रही है. नागरिकों की सुरक्षा के लिए एहतियाती कदम उठाये गये हैं. सांसद अंसारी ने लाउडस्पीकर से मस्जिदों में अजान पर रोक लगाने के डीएम गाजीपुर के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र भेजकर हस्तक्षेप की मांग की है.जिसमें कहा गया है कि डीएम गाजीपुर का आदेश धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का हनन है. सांसद ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी से देश की जनता परेशान है. सभी लोग लॉकडाउन  नियमों का पालन कर रहे हैं. लोग अपने अपने घरों में नमाज पढ़ रहे हैं, लेकिन डीएम ने अपने मौखिक निर्देश से जिले में मस्जिद से अजान पर रोक लगा दी है, जो कि गलत है. पत्र का संज्ञान लेकर हाईकोर्ट से उचित कार्रवाई करने व  न्याय की मांग की गयी है. राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जिला अधिकारी ने विगत मार्च माह से ही केन्द्र सरकार व प्रदेश सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के तहत किसी भी प्रकार के सामूहिक धार्मिक कार्यक्रम पर रोक लगायी हुई है.



ये है पूरा मामला


गौरतलब है कि गाजीपुर से बसपा सांसद अफजाल अंसारी ने रमजान के महीने में लाउडस्पीकर से मस्जिदों में अजान पर रोक लगाने के डीएम गाजीपुर के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में पत्र भेजकर हस्तक्षेप की मांग की थी. सांसद अफजाल अंसारी ने पत्र में आरोप लगाया है कि डीएम का यह आदेश मौलिक अधिकारों का हनन है. सांसद ने पत्र में कहा है कि कोरोना वायरस महामारी से देश की जनता परेशान है. गाजीपुर जिले का प्रत्येक नागरिक लॉकडाउन का पालन कर रहा है. लोग यहां अपने-अपने घरों में नमाज पढ़ रहे हैं. लेकिन डीएम गाजीपुर ने अपने मौखिक आदेश से जिले की मस्जिदों में लाउडस्पीकर से अजान पर रोक लगा दी है, जो कि गलत है.


5 मई को अगली सुनवाई


राज्य सरकार ने बसपा सांसद अफजाल अंसारी की अर्जी पर जवाब दाखिल करने के अदालत से मोहलत मांगी थी. जिसे कोर्ट ने मंजूर करते हुए सुनवाई के लिए 4 मई की तारीख तय की थी. अब मंगलवार 5 मई को हाईकोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले की अगली सुनवाई होगी.


यूपी बोर्ड की कापियों का 5 मई से मूल्यांकन

प्रयागराज. लॉकडाउन (Lockdown) में यूपी बोर्ड (UP Board) की कापियों का मूल्यांकन 5 मई से दोबारा शुरू करने के राज्य सरकार (State Government) के फैसले का विरोध शुरू हो गया है. शिक्षक संगठनों ने मूल्यांकन शुरू करने के फैसले का विरोध किया है. शिक्षक संगठनों का कहना है कि लॉकडाउन में मूल्यांकन कार्य कराये जाने से शिक्षकों के सामने कई व्यवहारिक दिक्कतें आएंगीं. कई शिक्षक अपने गृह जनपद में फंसे हुए हैं. ऐसे शिक्षकों को मूल्यांकन के लिए आने के लिए पास की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. इसके साथ ही लॉकडाउन में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा न शुरू होने से भी कई शिक्षकों के मूल्यांकन केन्द्रों तक पहुंचने में भी दिक्कतें आएंगी.


अटेवा पेंशन बचाओ मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ हरि प्रकाश यादव ने लॉकडाउन में 17 मई तक कॉपियों का मूल्यांकन शुरू न किए जाने की मांग की. उन्होंने कहा 17 मई के बाद मूल्यांकन कार्य शुरू होने पर एक हफ्ते में हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की कापियों का मूल्यांकन खत्म हो सकता है. उन्होंने कहा है कि ऐसे में यूपी बोर्ड के पास 10वीं और 12वीं का रिजल्ट घोषित करने के लिए पूरे जून माह का समय शेष रहेगा.



लगभग 19 लाख कापियों का मूल्यांकन भी हो चुका है


गौरतलब है कि यूपी बोर्ड की परीक्षाएं इस साल 18 फरवरी से 6 मार्च के बीच आयोजित की गई थी. यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा में इस बार 56 लाख 7 हजार 118 परीक्षार्थी पंजीकृत थे. लेकिन नकल की सख्ती के चलते 4 लाख 70 हजार 846 परीक्षार्थियों ने परीक्षा बीच में ही छोड़ दी थी. जिसके बाद हाई स्कूल और इंटर की लगभग साढ़े 3 करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का कार्य 16 मार्च से शुरू हुआ था. तीन दिनों में प्रदेश भर में लगभग 19 लाख कापियों का मूल्यांकन भी किया गया था.


5 से 25 मई तक होना है मूल्यांकन


जिसके बाद 19 मार्च से लॉकडाउन के चलते मूल्यांकन कार्य पर रोक लगा दी गई थी. शासन ने पांच मई से 25 मई के बीच कापियों का मूल्यांकन लॉकडाउन का पालन कराते हुए पूरा करने का निर्देश जारी किया है. जिसका शिक्षक संगठन विरोध कर रहे हैं.