बुधवार, 6 मई 2020

अपनी पसंद का नाम रखना अभिव्यक्ति की आजादी का हिस्सा ,केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत किसी व्यक्ति के नाम को वैसे ही बोलना, जैसी उसका इच्छा है, उस व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। हाईकोर्ट ने कहा, "नाम रखना और उसे वैसे बोलना, जैसी उस व्यक्ति की इच्छा है, जिसका नाम लिया जा रहा है, निश्चित रूप से अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता के अधिकार का हिस्सा है।" जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस की बेंच ने एक लड़की की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। लड़की ने हाईकोर्ट से मांग की थी कि वह सीबीएसई को नाम में बदलाव के लिए दिए उसके आवेदन को अनुमति देने का निर्देश दें। मामले की पृष्ठभूमि मामले में केरल सरकार ने याचिकाकर्ता की नाम बदलने की इच्छा को स्वीकार कर लिया था। इस संबंध में 2017 में राजपत्र अधिसूचना भी जारी की गई, जिसके बाद जन्म प्रमाण पत्र सरकार द्वारा जारी अन्य दस्तावेज में याचिकाकर्ता का में नाम बदल दिया गया। हालांकि, जब तक यह प्रक्रियाएं हो पातीं, याचिकाकर्ता ने 2018 में माध्यमिक परीक्षा पास कर ली और सीबीएसई ने उसे स्कूल के रिकॉर्ड उपलब्ध पुराने नाम से प्रमाण पत्र जारी कर दिया। इसके बाद, उसने नाम में बदलाव के लिए स्कूल के प्रिंसिपल के माध्यम से आवेदन दाखिल किया, जिसे सीबीएसई ने परीक्षा उप-कानूनों के नियम 69.1 (i) का हवाला देते हुए खारिज कर दिया। नियम 69.1 (i) यह निर्धारित किया गया है कि, "उम्मीदवारों के नाम या उपनामों में परिवर्तन के आवेदनों पर विचार किया जाएगा, बशर्ते कि उम्मीदवार के नाम में पारिवर्तन को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया हो और सरकारी राजपत्र में इस सबंध में अधिसूचना जारी की जा चुकी हो।" सीबीएसई ने यह कहते हुए कि नाम में बदलाव का आवेदन परीक्षा के नतीजों के



प्रकाशन के बाद दिया गया है, इसलिए इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। जांच के नतीजे अदालत ने पाया कि राज्य या उसके साधन किसी व्यक्ति द्वारा पसंद किए गए किसी भी नाम के उपयोग में या किसी व्यक्ति को अपनी पंसद का नाम बदलने में, "हाइपर-टेक्‍निकलिटी" के आधार पर रोड़ा नहीं बन सकते। "धोखाधड़ी और आपराधिक गतिविधियों या अन्य वैध कारणों की रोकथाम और विनियमन के सीमित कारणों को छोड़कर, सरकारी रिकॉर्डों में बिना किसी हिचकिचाहट के नाम बदलने की अनुमति दी जानी चाहिए।" नियम 69.1(i) के मसले पर कोर्ट ने कहा, उक्त नियम दो स्थितियों पर विचार करता है। पहला, जहां परीक्षा के नतीजों के प्रकाशन से पहले नाम में बदलाव होता है और दूसरा वह, जहां न्यायालय निर्देश देता है। कोर्ट ने कहा, "वाक्यांश-"उम्‍मीदवार के नतीजों के प्रकाशन से पहले कोर्ट ऑफ लॉ में और सरकारी राजपत्र में अधिसूचित किया जाता है" में शब्द 'और' यद‌ि एक संयोजक रूप में इस्तेमाल किया गया है तो इसका कोई मतलब नहीं है। यदि शब्द 'और' का उपयोग संयोजक के रूप में किया जाता है तो इसका अर्थ यह होगा कि कोर्ट द्वारा नाम बदलना स्वीकार कर लिए जाने के बाद भी उसे वैधता प्रदान करने के लिए सरकारी राजपत्र में अधिसूचित किया जाना चाहिए। हालांकि यह बकवास है।" कोर्ट ने माना कि नतीजों के प्रकाशन से पूर्व दो में एक शर्त का अनुपालन होना चाहिए। कोर्ट ने कहा, "फिलहाल किसी भी कानून में ऐसा नहीं कहा गया है कि कोर्ट एक नाम को स्वीकार कर ले तो उसे वैधता प्रदान करने के लिए सरकारी राजपत्र में प्रकाशित किया जाना चाहिए। कोर्ट द्वारा नाम में बदलाव को स्वीकार किया जाना ही दुनिया में घोषणा करने के लिए एक आदेश है कि व्यक्ति का नाम बदल दिया गया है। सरकारी राजपत्र में प्रकाशन द्वारा नाम बदलने की अधिसूचना दुनिया को यह बताने का एक और तरीका है कि नाम में बदलाव हो चुका है। दोनों अलग-अलग तरीके हैं और एक दूसरे के पूरक नहीं हैं।" कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पेन्टियाह बनाम मुदल्ला वीरमल्लप्पा (AIR 1961 SC 1107) के फैसले पर भरोसा किया और कहा, "आम तौर पर शब्द 'और' को शाब्दिक अर्थ में संयोजक के रूप में स्वीकार किया जाता है। हालांकि, अगर 'और' संयोजक के रूप में उपयोग बेतुका या दुरूह परिणाम दे है, तो अदालत के पास 'और' शब्द की व्याख्या का अधिकार है, ताकि नियम बनानें वालों के इरादे पर अमल किया जा सके।" मौजूदा मामले में, वर्ष 2018 में CBSE द्वारा परीक्षा परिणाम के प्रकाशन से पहले ही वर्ष 2017 में याचिकाकर्ता के नाम में बदलाव की सूचना गजट नोटिफिकेशन प्रकाशित हो चुकी थी। अदालत ने कहा कि, इस प्रकार नियम 69.1 के तहत निर्धारित की गई शर्त का (i) गजट अधिसूचना प्रकाशित होने के साथ ही अनुपालन हो चुका था, इसलिए बोर्ड याचिकाकर्ता के अनुरोध को स्वीकार करने के लिए बाध्य था। कोर्ट ने कहा कि कि याचिकाकर्ता को एक "हाइपर-टेक्न‌िकेलिटी" के आधार पर याचिकाकर्ता को मौलिक अधिकार का उपयोग करने वंचित नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने उप कानूनों के नियम 69.1 (ii) पर भी ध्यान दिया, जिसके अनुसार उम्मीदवार के नाम में सुधार के आवेदन को नतीजों की घोषणा की तारीख के 5 साल के भीतर ही स्वीकार किया जाएग, बशर्ते कि आवेदन संस्था प्रमुख द्वारा अग्रेषित किया जाए। मौजूदा मामले में कोर्ट ने कहा, "Ext. P6 में यह देखा जा सकता है कि संस्था के प्रमुख ने नतीजों के प्रकाशन की तारीख से 16 महीने के भीतर याचिकाकर्ता का नाम बदलने का आवेदन अग्रेषित कर दिया था।" ऐसी स्थिति में उत्तरदाता सीबीएसई के रिकॉर्ड में याचिकाकर्ता के नाम को बदलने के लिए बाध्य था।


'मुंबई पुलिस और कांग्रेस इको-सिस्टम कर रहा है मिलकर काम'' बांद्रा प्रवासी घटना का सांप्रदायिकरण करने के आरोप में दर्ज नई FIR को अर्नब गोस्वामी ने रद्द करने की मांग

एक बार फिर रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी ने शीर्ष अदालत का रुख किया है। उन्होंने उनके खिलाफ दर्ज एक नई एफआईआर को रद्द करने की मांग की है। अर्नब पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने अपने प्राइम टाइम शो में बांद्रा प्रवासी घटना का सांप्रदायिकरण किया है। महत्वपूर्ण बात ये है कि एक दिन पहले ही महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा था कि पत्रकार पुलिस को ''धमका'' रहा है और जांच में बांधा ड़ाल रहा है, इसलिए उसको ऐसा करने से रोका जाए। जिस एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई है, उसे रजा एजुकेशनल वेलफेयर सोसाइटी के सचिव इरफान अबुबकर शेख ने दर्ज करवाया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि गोस्वामी ने 14 अप्रैल को मुंबई के बांद्रा में इकट्ठे हुए प्रवासी कामगारों को ''एक्टर्स'' शब्द से नामित किया था, जिन्हें वहां राष्ट्र-विरोधी तत्वों ने एकत्रित किया था। शेख ने मुम्बई के पयधोनी पुलिस स्टेशन में यह प्राथमिकी दर्ज करवाई है, जो भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना), धारा 153ए (समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), धारा 295ए (नागरिकों के किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं का अपमान) के साथ-साथ धारा 500, 505 (2), 511 और 120 बी के तहत दर्ज की गई थी। इस FIR को खारिज करने के लिए दी गई दलील डबल जियोपार्डी के सिद्धांत पर टिकी हुई है। जिसके अनुसार एक समान कार्य या एक्ट पर पुलिस कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं कर सकती है , जैसा कि पहले ही वर्तमान रिट याचिका में स्थापित किया गया है। गोस्वामी ने अपनी याचिका में कहा है कि- ''उन परेशानियों को स्पष्ट तौर पर महूसस किया जा सकता है जिनका सामना मुम्बई पुलिस इस मामले में याचिकाकर्ता को फ्रेम करने की कोशिश में कर रही है। पुलिस याचिकाकर्ता को परेशान करने के लिए अभी कुछ और आधार भी बना रही है। मुंबई पुलिस ने प्रतिवादी नंबर तीन की तरफ से दायर एक शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की है। जो पूरी तरह झूठी, प्रतिशोधी, तुच्छ, दुर्भावनापूर्ण और दुर्भावना से उपजी हुई है।'' इसके अलावा, गोस्वामी ने प्राथमिकी में लगाए उन आरोपों को भी खारिज किया है जो उनके चैनल द्वारा की गई जांच के संदर्भ में लगाए गए थे। ''रिपब्लिक टीवी ने एक सभा के संबंध में महाराष्ट्र राज्य में पैदा हुए एक नकली प्रवासी संकट का खुलासा किया था'' ,जिसने ''कांग्रेस पार्टी इको सिस्टम'' को उजागर कर दिया है। गोस्वामी ने कहा कि- '' रिपब्लिक टीवी यह सुनिश्चित करने के लिए सच्चाई या सही तथ्यों की रिपोर्ट कर रहा था कि लोगों के बीच कोई अनुचित घबराहट नहीं थी। परंतु कांग्रेस पार्टी इको सिस्टम लोगों को भड़का रहा था और नकली प्रवासी संकट के बारे में झूठे समाचार फैला रहा था।'' गोस्वामी ने कहा कि यह स्पष्ट है कि उसके खिलाफ ''कुछ राजनीतिक और निहित स्वार्थों के इशारे पर कई शिकायतें दर्ज की जाएंगी'' ताकि अनुच्छेद 19 (1) (ए) और 21 के तहत गारंटीकृत उसके संवैधानिक अधिकारों को दबाया जा सकें। इस संबंध में दलील देते हुए बताया गया कि इसी कारण उनके खिलाफ देश भर में कई प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। याचिकाकर्ता ने कहा कि- ''.... भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्यों और उनके समर्थक द्वारा विभिन्न राज्यों में एक साथ कई शिकायतें दर्ज कराई गई हैं। वहीं याचिकाकर्ता को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग करते हुए एक आॅन लाइन आंदोलन भी चलाया गया है, जिसमें घृणित हैशटैग #ArrestAntiIndiaArnab का प्रयोग किया गया है।'' इसलिए गोस्वामी ने दलील दी है कि नागपुर में उनके खिलाफ दर्ज किए गए केस के बाद अगर कोई जांच शुरू की गई है तो उसे रद्द कर दिया जाए और और महाराष्ट्र राज्य के ''सेवकों और एजेंटों'' के इशारे पर किसी भी नई प्राथमिकी के पंजीकरण को निषिद्ध कर दिया जाए। 24 अप्रैल को, सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब गोस्वामी को महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और जम्मू-कश्मीर राज्यों में उनके खिलाफ दायर एफआईआर के आधार पर गिरफ्तारी से तीन सप्ताह की सुरक्षा प्रदान की थी। यह एफआईआर सांप्रदायिक बयान देने और सोनिया गांधी की मानहानि करने के आरोप में दर्ज करवाई गई थी। प्रतिवादी ने उनके परिवार के साथ-साथ रिपब्लिक टीवी के सहयोगियों के लिए भी सुरक्षा मांगी है। यह याचिका अधिवक्ता प्रज्ञा बघेल ने दायर की है।


 


मंगलवार, 5 मई 2020

जनहित याच‌िका में आरोप, नागपुर में नहीं हो रहा सरकार के निर्देशों का पालन, अधिकारी मनमाने तरीके से लोगों को क्वारंटीन कर रहे

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने रविवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई की, जिसमें COVID 19 के संबंध में केंद्र सरकार/ ICMR द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करने करने का आरोप लगाया गया था। याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया था कि यह अति-आवश्यक मामला है, जिसकी तात्कल सुनवाई की जाए। याचिका में यह भी आरोप लगाया था कि अधिकारी नागपुर के विशेष इलाकों से लोगों को बेतरतीब तरीके से उठा रहे हैं और उन्हें क्वारंटीन सेंटर में डाल रहे थे। भले ही वे संक्रमित हों या न हों। जस्टिस अनिल एस किलोर ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए महाराष्ट्र सरकार, भारत सरकार और नागपुर महानगरपालिका को मंगलवार तक का समय दिया है। याचिकाकर्ता के वकील डॉ तुषार मांडलेकर ने कहा कि अधिकारी नागपुर शहर के 'सतरंजीपुरा' और 'मोमिनपुरा' इलाकों से लोगों को बेतरतीब तरीके से उठा रहे हैं और उन्हें



क्वारंटीन कर रहे हें, जबकि न वे न 'हाई-रिस्क कॉन्टेक्ट्स' की श्रेणी में शामिल हैं, और न 'लो रिस्क कॉन्टेक्ट्स' की। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति उक्त श्रेणियों में से किसी में भी शामिल नहीं है तो उन्हें क्वारंटीन करना संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन है। केंद्र सरकार और ICMR की ओर से समय-समय पर जारी किए गए दिशानिर्देशों का उल्लेख करते हुए मांडलेकर ने कहा कि प्रतिवादी प्राधिकरण उपरोक्त दो क्षेत्रों से लोगों को उठा रहा है और उन्हें एमएलए हॉस्टल और विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (वीएनआईटी) में क्वारंटीन किया जा रहा है, जबकि ये सेंटर भीड़-भाड़ वाले इलाकों में स्थित है। उन्होंने कहा, दिशा-निर्देशों के अनुसार, समुदाय आधारित सुविधाओं में क्वारंटीन की सुविधा, भीड़भाड़ वाले और आबादी वाले क्षेत्रों से दूर, शहरी क्षेत्र के बाहरी इलाके में रखी जाएगी। जस्टिस किलोर ने याचिकाकर्ता की जानकारी के स्रोत के संबंध में पूछताछ की, जिस पर मांडलेकर ने कहा कि याचिका‌ समाचारों पर आधारित है और उनका मुवक्किल उन समाचारों का सत्यापन नहीं कर सकता क्योंकि उसे उक्त क्षेत्रों में प्रवेश की अनुमति नहीं है। नागपुर महानगर पालिका (NMC) की ओर से पेश अधिवक्ता सुधीर पुराणिक ने कहा कि उन्हें याचिका की प्रति आज ही दी गई है, इसलिए वह केवल मौखिक निर्देश ले सकते हैं। उनके निर्देशों के अनुसार, उन मरीजों को क्वारंटीन किया जा रहा है, जो 'हाई-रिस्क कॉन्टेक्ट्स' की श्रेणी में हैं। निगम COVID-19 के संबंध में जारी दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन कर रहा है। मामले में सरकारी अधिवक्ता एसवाई देवपुजारी, राज्य सरकार की ओर से एडिसनल सॉलिसिटर जनरल यूएम औरंगाबादकर भारत सरकार की ओर से पेश हुए। एनएमसी ‌की ओर से डॉ प्रवीण गंटावर भी सुनवाई में शाामिल हुए। उन्होंने बताया कि लोगों को क्वारंटीन करने से पहले इस दिशा-निर्देशों के अनुसार हर सावधानी बरती गई है। डॉ गंटावर ने कहा, "जिन्हें क्वारंटीन किया गया है, वे 'हाई-रिस्क कॉन्टेक्ट्स' की श्रेणी में शामिल हैं। COVID-19 की श्रृंखला को तोड़ने और नागपुर शहर के नागरिकों के हित में, ऐसे कदम उठाए गए हैं।" मांडलेकर ने कहा कि प्राध‌िकरण नागपुर शहर के लोगों के हित में काम कर रहे हैं और जो भी कदम उठा रहे हैं वह नागपुर शहर के हित में हैं और COVID-19 की श्रृंखला को तोड़ने के इरादे से उठाया गया है। उन्होंने कहा कि वह भीड़भाड़ वाले इलाकों में लोगों को क्वारंटीन किए जाने से चिंतित हैं, इससे इन इलाकों आसपास रहने वाले लोगों को भी संक्रमण होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। प्रतिवादियों की ओर से पेश वकीलों ने अदालत से दो दिन का समय मांगा ताकि याचिका में लगाए गए आरोपों के संबंध में स्थिति स्पष्ट कर सकें। अदालत ने जवाब दाखिल करने के लिए 5 मई तक का समय दिया है।


विदेश में फंसे भारतीय नागरिकों की वापसी पर केंद्र सरकार ने लिया फैसला, चरणबद्ध तऱीके से 7 मई से होगी वापसी

भारत सरकार ने सोमवार को कहा कि वह चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन के दौरान विदेश में फंसे भारतीय नागरिकों की वापसी की सुविधा देगी, जिसके लिए विमान और नौसेना के जहाजों द्वारा यात्रा की व्यवस्था की जाएगी। यात्रा 7 मई से चरणबद्ध तरीके से शुरू होगी। गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस संबंध में मानक संचालन प्रोटोकॉल (एसओपी) तैयार किया गया है। भारतीय दूतावास और उच्च आयोग फंसे हुए भारतीय नागरिकों की सूची तैयार कर रहे हैं। यह सुविधा भुगतान-आधार पर उपलब्ध कराई जाएगी। हवाई यात्रा के लिए गैर-अनुसूचित वाणिज्यिक उड़ानों की व्यवस्था की जाएगी। फ्लाइट लेने से पहले यात्रियों की मेडिकल स्क्रीनिंग की जाएगी। स्क्रीनिंग में पास यात्रियों को यात्रा करने की अनुमति होगी। यात्रा के दौरान, इन सभी यात्रियों को प्रोटोकॉल का पालन करना होगा, जैसे स्वास्थ्य मंत्रालय और नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा जारी किए गए स्वास्थ्य प्रोटोकॉल। गंतव्य तक पहुंचने पर सभी को आरोग्य सेतु ऐप पर पंजीकरण करना होगा। सभी की मेडिकल रूप से स्क्रीनिंग की जाएगी। जांच के बाद, उन्हें संबंधित राज्य सरकार द्वारा भुगतान के आधार पर अस्पताल में या संस्थागत क्वारन्टीन में 14 दिनों के लिए रखा जाएगा। COVID परीक्षण 14 दिनों के बाद किया जाएगा और स्वास्थ्य प्रोटोकॉल के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी। विदेश मंत्रालय और नागरिक उड्डयन मंत्रालय जल्द ही अपनी वेबसाइटों के माध्यम से इसके बारे में विस्तृत जानकारी साझा करेंगे। राज्य सरकारों को व्यवस्था बनाने के लिए सलाह दी जा रही है, जिसमें टेस्ट, क्वारन्टीन और अपने राज्यों में वापसी करने वाले भारतीयों की आवाजाही शामिल है। कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित हैं, जो विदेशों से भारतीयों को वापस लाने के लिए निर्देश की मांग रही हैं।


सोमवार, 4 मई 2020

3 मई अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता स्‍वतंत्रता दिवस पर विशेष

'विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस' प्रेस की स्वतंत्रता का मूल्यांकन, प्रेस की स्वतंत्रता पर बाहरी तत्वों के हमले से बचाव और प्रेस की सेवा करते हुए दिवंगत हुए पत्रकारों को श्रद्धांजलि देने का दिन है



अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता स्‍वतंत्रता दिवस प्रत्येक वर्ष ३ मई को मनाया जाता है. भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में प्रेस की स्वतंत्रता एक मौलिक जरूरत है. भारत में अक्सर प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर चर्चा होती रहती है.3 मई को मनाए जाने वाले विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर भारत में भी प्रेस की स्वतंत्रता पर बातचीत होना लाजिमी ह.  प्रेस की आजादी से यह बात साबित होती है कि उस देश में अभिव्यक्ति की कितनी स्वतंत्रता है.


दवाई दुकानों की गई जांच-पड़ताल, SDO ने कहा- डॉक्टर के पर्चे पर ही दवा दें

रांची: वैश्विक महामारी घोषित कोविड-19 के प्रसार के रोकथाम के लिए पूरे रांची जिले में लॉकडाउन जारी है. इस दौरान पूरे रांची जिला अन्तर्गत केवल आवश्यक सामग्रियों की दुकानों का संचालन करने की अनुमति है. आज, रविवार को अनुमण्डल पदाधिकारी रांची के निदेशानुसार प्रतिनियुक्त मजिस्ट्रेट एवं पुलिस अधिकारियों की संयुक्त टीम के द्वारा पूरे रांची के विभिन्न हिस्सों में दवाई दुकानों का निरीक्षण किया गया.लॉकडाउन के दौरान ऐसी सूचनाएं प्राप्त हो रही थी कि शराब की दुकानें बंद होने के कारण कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा दवाई दुकानों से कॉरेक्स ले कर उसका सेवन नशीले पदार्थ के तौर पर किया जा रहा है. इस पर संज्ञान लेते हुए अनुमण्डल पदाधिकारी रांची लोकेश मिश्रा ने मजिस्ट्रेट की प्रतिनियुक्ति कर पुलिस बल के साथ शहर भर की दवाई दुकानों के निरीक्षण का निर्देश दिया जिस पर टीम ने आज शहर के विभिन्न हिस्सों में दवाई दुकानों का निरीक्षण किया. इस दौरान संचालक-मालिक से दुकान में मौजूद दवाइयों का स्टॉक रजिस्टर मांगा गया. साथ ही इसके आधार पर दुकान में उपलब्ध संबंधित दवाइयों की मिलान कर जांच की गई. इसके अतिरिक्त स्टोर के रशीद पंजी इत्यादि सहित सिर्फ प्रेस्क्रिप्शन के आधार पर दवाइयों को उपलब्ध करवाया जा रहा है या नहीं, इस संबंध में जरूरी कागजातों की भी जांच की गई.जांच के दौरान अधिकारियों ने सभी दवा विक्रेताओं को इस सम्बंध में सख्त हिदायत भी दी कि बिना डॉक्टर के लिखित प्रेस्क्रिप्शन किसी को भी दवाई उपलब्ध न करवाई जाए. ऐसा करते हुए पकड़े जाने पर न केवल उनकी दुकान सील की जा सकती है अपितु सुसंगत धाराओं के तहत कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी.



कोविड-19 के दृष्टिगत प्रभावी कामगारों के प्रदेश में लौटने पर क्वारेन्टाईन करने के संबंध में जिलाधिकारी के द्वारा दिये गये निर्देश

  जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि कोविड-19 के दृष्टिगत प्रभावी कामगारों के प्रदेश में लौटने पर क्वारेन्टाईन करने के संबंध में शासन के द्वारा दिये गये निर्देश के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में निगरानी समिति का नेतृत्व ग्राम प्रधान के द्वारा किया जाएगा तथा इस समिति में आशा/आंगनबाड़ी/चौकीदार/युवक मंगल दल/कोरोना वारियर्स के प्रतिनिधि तथा अन्य सदस्य होंगे। इसी प्रकार शहरी क्षेत्रों में संबंधित सभासद के नेतृत्व में मोहल्ला निगरानी समिति का गठन किया जाएगा। मोहल्ला निगरानी समिति में आशा/सिविल डिफेंस/आरडब्लूए के प्रतिनिधि/नगर निकाय क्षेत्र के प्रतिनिधि तथा अन्य सदस्य होंगे।
             उपजिलाधिकारी द्वारा प्रवासियों की एक सूची ग्रामीण क्षेत्र में खंड विकास अधिकारी एवं नगरीय क्षेत्र में अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद/नगर पंचायत को दी जाएगी तथा उसकी एक प्रति मुख्य चिकित्सा अधिकारी को उपलब्ध कराई जाएगी, जिनके माध्यम से सूची सभी आशा कार्यकत्रियों को शासनादेश में दिए गए निर्देशों के अंतर्गत आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने हेतु दी जाएगी। खंड विकास अधिकारी ग्रामीण क्षेत्र में प्रवासियों की ग्राम प्रधान/निगरानी समिति के सदस्य को एवं अधिशासी अधिकारी/नगर पालिका परिषद/नगर पंचायत द्वारा नगरीय क्षेत्रों में सभासद के नेतृत्व में गठित मोहल्ला निगरानी समिति को दी जाएगी। सभी निगरानी समिति द्वारा कार्य संपादन/ड्यूटी की जाएगी, जिसमें ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में निगरानी समिति अपने ग्राम पंचायत/मोहल्ला में बाहर से चोरी-छिपे आने वाले लोगों की सूचना जिला प्रशासन को देंगे। होम क्वारेन्टाइन में रखे गए व्यक्ति के घर के बाहर आशा कार्यकत्री द्वारा उचित स्थान पर एक क्वारेन्टाइन  फ्लायर लगाया जाए गया है कि नहीं। होम क्वारेन्टाइन में रखे गए व्यक्तियों द्वारा क्वॉरेंटाइन के नियम का उल्लंघन तो नहीं किया जा रहा है यदि 02 बार से अधिक उल्लंघन किया जाता है तो उन्हें फैसेल्टी क्वारेन्टाइन में रखने हेतु संबंधित खंड विकास अधिकारी एवं उपजिलाधिकारी के माध्यम से सूचना प्रेषित करेंगे। निगरानी समिति भी देखेगी कि होम क्वारेन्टाइन में रखे गए व्यक्ति के घर में पोस्टर चस्पा हो जाए एवं 21 दिन क्वारेन्टाइन रहने के उपरांत उनके घर से पोस्टर हटा दिया जाए। आशा कार्यकत्री के द्वारा किए जा रहे कार्यों की जिम्मेदारी भी निगरानी समिति सुनिश्चित करेगी। निगरानी समिति के द्वारा प्रवासियों के 21 दिनों की होम क्वारेन्टाइन अवधि के दौरान कुछ सावधानियां बढ़ती जा रही हैं या नहीं के बारे में जानकारी करेगी कि प्रवासियों के द्वारा 21 दिनों की होम क्वारेन्टाइन अवधि के दौरान किया गया परिवार अपने घरों से पृथक कक्ष में रहेगा। क्वारेन्टाइन किए गए प्रवासी अनिवार्य रूप से मास्क/गमछा/दुपट्टा से मुंह एवं नाक को ढकेंगे। हाथ को साबुन व पानी से धोने की आदत को बढ़ावा दिया जाएगा। क्वॉरेंटाइन किए गए प्रवासी के घर में अन्य किसी व्यक्ति के प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। क्वारेन्टाईन किए गए प्रवासी के घर के मात्र एक सदस्य को ही आवश्यक वस्तुओं की खरीद-फरोक्त के लिए घर से बाहर जाने की अनुमति होगी। उक्त निर्देश का कड़ाई से पालन किया जाए।


कोई भी व्यक्ति गांव में चोरी छुपे न घुसने पाए - जिलाधिकारी

 जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह द्वारा बक्शा क्षेत्र के ग्राम प्रधानों के साथ मुलाकात की गई, जिसमें जिलाधिकारी ने सभी ग्राम प्रधानों को मनरेगा के तहत कार्य प्रारंभ कराने के निर्देश दिए साथ ही उन्होंने कहा कि गांव में बाहर से आने वाले लोगों की कड़ी निगरानी रखें। जो लोग बाहर से आए उन्हें संभव हो सके तो स्कूल में 21 दिन के लिए को क्वॉरेंटाइन में रखें अथवा वह अपने घर में ही क्वॉरेंटाइन में रहें, उन्हें घर से बाहर न निकलने दे। सभी प्रधान यह ध्यान रखें कि कोई भी व्यक्ति गांव में चोरी छुपे न घुसने पाए। प्रधानों की अध्यक्षता में गांव में निगरानी समिति बनाई जाएगी जो बाहर से आने वाले व्यक्तियों पर निगरानी रखेगी। इस मौके पर ग्राम प्रधान अमरनाथ यादव, इरफान खान, भारत यादव, महेश मौर्य, रामबुझारत यादव, आलोक यादव, जिलेदार आदि मौजूद थे।


मां दुर्गा जी विद्यालय समूह द्वारा समस्त प्राध्यापकों एवं कर्मचारियों ने 01 दिन का दिया वेतन

 प्रबंधक सूर्य प्रकाश सिंह मुन्ना ने बताया कि मां दुर्गा जी विद्यालय समूह जौनपुर के सभी विद्यालयों के समस्त प्राध्यापकों एवं कर्मचारियों ने कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए अपने 01 दिन का वेतन चीफ मिनिस्टर डिस्ट्रिक्ट रिलीफ फंड में चेक द्वारा दिया गया, जिसमें मां दुर्गा जी विद्यालय सिद्धीकपुर द्वारा रुपए 83790, मां दुर्गा जी विद्यालय बरैयाकाजी द्वारा रुपए 12240, मां दुर्गा जी विद्यालय तारापुर कॉलोनी द्वारा रू0 7951 कुल 103981 रूपया दिया गया।



                                                      


ब्लॉक प्रमुख बक्सा ने 500 कुंतल भूसा दान देने का दिया आश्वासन

आज जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह एवं पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार ब्लाक प्रमुख बक्सा सजल सिंह के घर पहुंचे जहां उन्होंने कुछ प्रधानों से बातचीत की तथा गौशालाओं में भूसा दान देने की अपील की। ब्लॉक प्रमुख बक्सा ने जिलाधिकारी को विकास खंड क्षेत्र बक्सा से 500 कुंतल भूसा इकट्ठा कर गौशालाओं में दान देने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर उन्होंने स्वयं भी भूसा दान देने के लिए जिलाधिकारी को आश्वासन दिया। जिलाधिकारी ने सभी से अपील की गयी कि गांव में लॉकडाउन  तथा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। लोग अनावश्यक रूप से घर से बाहर न निकले। गांव में भी सभी लोग मास्क लगाकर ही घर से बाहर निकले।



     इस अवसर पर पूर्व ब्लाक प्रमुख बक्सा जयप्रकाश सिंह, ग्राम प्रधान मरगूपुर विनोद सिंह, ग्राम प्रधान दिलशादपुर कमलाकर मिश्र, लाल साहब सिंह, संजय सिंह, मुन्ना सिंह आदि उपस्थित रहे।                           


ग्राम छतौरा विकास खण्ड खुटहन के किसान द्वारा कम्युनिटी किचन हेतु दिये गये सामान

ग्राम छतौरा विकास खण्ड खुटहन के किसान दिलीप कुमार मिश्रा द्वारा कोरोना संक्रमण के दृष्टिगत गरीबों एवं असहायों के लिए 03 कुंतल कद्दू, 60 किलो प्याज, 55 किलो आलू, 10 किलो हरी मिर्च, 25 किलो टमाटर, 03 किलो धनिया तथा 25 किलो नमक सदर तहसील की कम्युनिटी किचन में उप जिलाधिकारी सदर को उपलब्ध कराया।



चकबंदी विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री राहत कोष में दिया अपना 01 दिन का वेतन

बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी दयानंद सिंह चौहान ने बताया है कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) की रोकथाम के लिए स्वेच्छा से चकबंदी विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा 01 दिन का वेतन रुपए तीन लाख दो हजार सतहत्तर रू मात्र माननीय मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा किया गया है।


प्रशिक्षण के उपरान्त निजी चिकित्सालयो को अपनी सेवाएं प्रदान करने के लिए की गयी संस्तुति

मुख्य चिकित्सा अधिकारी रामजी पांडे ने बताया है कि कुंवर दास सेवाश्रम पंचहटिया, ईशा हॉस्पिटल जौनपुर, शिव सहाय बाल चिकित्सालय रूहटठा जौनपुर, कृष्णा हार्ट क्लिनिक जौनपुर एवं सुनीता हॉस्पिटल नईगंज जौनपुर को आकस्मिक एवं आवश्यक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराए जाने हेतु कोविड-19 के संबंध में इनफेक्शन प्रीवेंशन से संबंधित प्रशिक्षण के उपरांत भौतिक निरीक्षण कर  इन निजी चिकित्सालयो को अपनी सेवाएं प्रदान करने के लिए संस्तुति की गई है।