रविवार, 10 मई 2020

21 दिन का अनिवार्य होम क्वॉरेंटाइन

  जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि बाहर से आने वाले लोगों को 21 दिन हर हाल में होम क्वॉरेंटाइन में रहना पड़ेगा तथा उनको क्वॉरेंटाइन के नियमों का पालन करना होगा। उन्होंने बताया कि इस तरह की शिकायतें प्राप्त हो रही है कि कुछ लोग जो बाहर से आए हैं वह घरों में न रहकर के इधर-उधर घूम रहे हैं। जिलाधिकारी ने सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि जो लोग ट्रेन या बसों से आ रहे हैं या चोरी छुपे आ रहे हैं वह हर हाल में अपने घर में रहे। किसी को स्पर्श न करें न कोई उन्हें स्पर्श करें, न वह घर के बाहर निकले। 21 दिन की अवधि में यदि किसी प्रकार की खांसी, जुखाम, बुखार और सांस लेने में दिक्कत आती है और ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं तो तत्काल सीएचसी या कंट्रोल रूम को सूचित करें, जिससे उनको जिला अस्पताल में जांच कराकर आवश्यक चिकित्सा व्यवस्था कराई जा सके। जो होम क्वॉरेंटाइन के नियम का पालन नहीं करेंगे उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई तो की ही जाएगी साथ ही साथ उनको जिला अस्पताल या किसी स्कूल में जो शेल्टर होम बनाया गया है उसमें लाकर के क्वॉरेंटाइन कराया जाएगा। किसी भी बाहर से आए हुए व्यक्ति को गांव में संक्रमण फैलाने की अनुमति नहीं होगी। निगरानी समिति इन पर गहन निगरानी करें, गांव के प्रधान व आशा की यह मुख्य रूप से जिम्मेदारी होगी। अगर इनके द्वारा भी लापरवाही की गई तो इनके विरुद्ध भी कार्रवाई होगी। थानाध्यक्ष प्रतिदिन प्रधान व चौकीदार के माध्यम से अपने थाने के प्रत्येक गांव के संबंध में जानकारी प्राप्त करेंगे कि जो लोग बाहर से आए हैं वह होम क्वॉरेंटाइन के नियमों का पालन कर रहे हैं कि नहीं। अगर नहीं कर रहे हैं तो थानाध्यक्ष स्वयं जाकर देखेंगे और ऐसे लोगों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करेंगे तथा होम क्वॉरेंटाइन के नियम का पालन कराना सुनिश्चित करेंगे।


उत्तर पूर्व के लोगों की सुरक्षा करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, याचिका का किया निपटारा

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सरकार के आश्वासन के बाद उस याचिका का निपटारा कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि देश के उत्तर-पूर्वी हिस्सों के लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार ने कहा है कि वह इस स्थिति का ध्यान रखेगी। याचिकाकर्ता की तरफ से पेश होते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्वेस ने जस्टिस अशोक भूषण,जस्टिस एस.के कौल और जस्टिस बी.आर गवई की पीठ के समक्ष बताया कि लॉकडाउन के दौरान किस तरह उत्तर-पूर्व के लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे चिंताजनक मुद्दा यह है कि इनमें से कई को उनके कमरे खाली करने के लिए कह दिया गया है,



ऐसे में अब वह कहां जाएं। याचिका में दिए गए तथ्यों को ध्यान में रखते हुए न्यायमूर्ति भूषण ने मामले में उठाई शिकायत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि याचिका में कहा गया है कि उत्तर-पूर्वी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि अन्य लोग उन्हें गलती से चीनी समझ रहे हैं। सरकार की तरफ से पेश होते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने खंडपीठ को सूचित किया कि ऐसी शिकायतों का निवारण करने के लिए विशेष रूप से हेल्पलाइन बनाई गई है। इस पर गोंसाल्वेस ने तुरंत जवाब देते हुए कहा कि ''वे सभी हेल्पलाइन डेडपड़ी हैं।'' न्यायमूर्ति कौल ने यह टिप्पणी की कि ''लोगों में जागरूकता लाई जानी चाहिए। जब लोग लॉक होते हैं, तो कुछ ऐसी कठिनाइयां पैदा होती हैं। हालांकि इस दिशा में कुछ करने की जरूरत है।'' उन्होंंने कहा कि लॉकडाउन आवश्यक है, परंतु यह कुछ कठिनाइयों के साथ आता है। पीठ ने सुझाव देते हुए कहा कि लोगों के बीच अधिक जागरूकता फैलाना महत्वपूर्ण है ताकि वे किसी के साथ गलत व्यवहार न करें। सॉलिसिटर जनरल ने पीठ को आश्वासन दिया कि सरकार इस मुद्दे पर ध्यान देगी और इस दिशा में कदम उठाएगी। इस आश्वासन के बाद खंडपीठ ने मामले में हस्तक्षेप करना उचित नहीं समझा और मामले का निपटारा कर दिया। जस्टिस भूषण ने अंत में निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि- ''एसजी ने हमें आवश्वासन दिया है कि वह याचिका में उल्लिखित सभी बिंदुओं का ध्यान रखेंगे, इसलिए हम याचिका का निपटारा करते हैं।''


सोशल डिस्टनसिंग के बजाए फिज़िकल डिस्टनसिंग शब्द के उपयोग के निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक दूरी शब्द के बजाए भौतिक दूरी शब्द के उपयोग के लिए दिशा-निर्देश देने की मांग वाली याचिका को 10,000 / - रुपए की लागत के साथ खारिज कर दिया। शकील कुरैशी की ओर से एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड सत्या मित्रा द्वारा दायर याचिका दायर की थी और वरिष्ठ अधिवक्ता एस.बी. देशमुख ने इस पर बहस की। उन्होंने याचिका में कहा कि COVID 19 के



प्रकोप के दौरान उत्तरप्रदेश और अन्य राज्यों में सोशल डिस्टनसिंग, हिंदी में सामाजिक दूरी शब्द के रूप में उपयोग किया जा रहा है। देशमुख ने न्यायालय को प्रस्तुत किया कि देश के इतिहास में अंतर्निहित जाति की धारणाओं के कारण सामाजिक दूरी शब्द के स्थान पर भौतिक दूरी शब्द के उपयोग के लिए निर्देश दिए जाएं। आगे कहा गया कि यह अल्पसंख्यकों में भेदभाव करने का एक साधन है। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय याचिका पर सुनवाई करने के लिए इच्छुक नहीं था। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति बीआर गवई की खंडपीठ ने याचिका को 10, 000 रुपए की लागत के साथ खारिज कर दिया। यह राशि आठ सप्ताह की अवधि के भीतर सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता केंद्र में याचिकाकर्ता द्वारा जमा की जानी है।


विदेशों में फंसें भारतीय नागरिकों को वापस लाने के मामले में ऐसी महिलाएं, को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जो गर्भावस्‍था के अंतिम चरण में हैंः सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विदेशों में फंसें भारतीय नागरिकों को वापस लाने के मामले में ऐसी महिलाएं, जो गर्भावस्‍था के अंतिम चरण में हैं, (थर्ड ट्राइमेस्टर) को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी सऊदी अरब में फंसी 250 गर्भवती महिलाओं की याचिका पर की है, जिसमें उन्हें सऊदी अरब से निकाले जाने की प्रार्थना की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, "सरकार याचिकाकर्ताओं के विशेष मामलों के अनुसार प्राथमिकता के सवाल का पता लगाएगी और उसी के अनुसार उचित कदम



उठाएगी।" जस्टिस अशोक भूषण, संजय किशन कौल और बीआर गवई की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई की, जिसमें भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि विदेशों में फंसे भारत‌ीय नागरिकों की स्वदेश वापसी के उद्देश्यों के लिए तय मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का कड़ाई से पालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि, एसओपी के क्लॉज 2 (iii) के अनुसार गर्भवती महिलाओं को पहले ही प्राथमिकता दी जा चुकी है। याचिकाकर्ताओं के संबंध में उपरोक्त क्लॉज के अनुसार उचित कदम उठाए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक याचिकाकर्ता गर्भावस्था के अंतिम चरण में हैं, उन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत एडवोकेट जोस अब्राहम की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई में याचिकाकर्ता (ओं) की ओर से पेश हुईं सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने कहा कि याचिकाकर्ता सऊदी अरब के विभिन्न प्रांतों में नर्स और डॉक्टर के रूप में कार्यरत हैं और कठिन हालात में हैं, जो कि "उनके साथ-साथ भ्रूण के लिए भी घातक साबित हो रहा है"। याचिका में याचिकाकर्ताओं की परेशानियों पर भी प्रकाश डाला गया है विशेष रूप से उन मामलों में जहां, "याचिकाकर्ता सऊदी अरब में अकेले रह रही हैं, उनकी देखभाल के लिए परिवार का कोई सदस्य मौजूद नहीं है।" और उन्हें उच‌ित चिकित्सा सुविधाओं भी उपलब्‍ध नहीं हो पा रही है। याचिकाकर्ता ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सरकारी की जिम्‍मेदारी है कि वह अजन्मे बच्चे के जीवन का संरक्षण करे। इसके अलावा, याचिका में कोर्ट से निवेदन किया गया है कि रियाध स्थ‌ित दूतावास को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए जाएं कि याचिकाकर्ताओं को उचित चिकित्सा सुविधाएं उपलब्‍ध हों।



बैटरी संचालित ई- फ्रेंडली ई-रिक्शा को अनुमति देने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट मेंदाखिल

सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर निर्धारित समय अवधि के भीतर कानून के अनुसार बैटरी संचालित पर्यावरण अनुकूल ई-रिक्शा को अनुमति देने पर विचार करने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और पश्चिम बंगाल राज्य को निर्देश देने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता कनिष्क सिन्हा, जो कोलकाता के एक उद्यमी और वैज्ञानिक हैं, उन्होंने दलील दी है कि प्रतिवादी अधिकारियों की ओर से दिखाई गई निष्क्रियता पूरी तरह से गैरकानूनी, मनमानी, दुर्भावनापूर्ण और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। 15 अप्रैल को याचिकाकर्ता ने ईमेल के माध्यम से उत्तरदाताओं से पहले एक प्रतिनिधित्व दिया था कि, "गरीब ई-रिक्शा चालक दैनिक जीवन की बाधाओं को दूर करने में मदद के लिए हमसे संपर्क कर रहे हैं, जिनके पास इतने लंबे समय तक कमाई का कोई साधन नहीं है।" इन बयानों के यूट्यूब वीडियो के लिंक भी संलग्न किए गए थे। ई-मेल में कहा गया कि "जैसा कि लॉकडाउन को कुछ और दिनों के लिए बढ़ाया गया है, यह उनके और उनके परिवार के लिए आपातकालीन सेवाओं में उनका उपयोग करने के लिए सुरक्षा उपाय के तौर पर एक नया तरीका निकाला है। इस तरह से बाजार में जहां दुकानदारों को आपूर्ति नहीं मिल पा रही है क्योंकि कंपनियां उन्हें सामान नहीं भेज पा रही हैं और जो किसान थोक बाजारों में उत्पाद नहीं भेज पा रहे हैं और अंतिम रूप से विक्रेता उन्हें प्राप्त करने में सक्षम नहीं हैं, इस समस्या को हल किया जाएगा। हम ऑनलाइन ऑर्डर के माध्यम से जरूरतमंद लोगों को उनकी जरूरतों के अनुसार उत्पाद भी भेजेंगे। दवा क्षेत्र में भी हम दवाइयों को दुकानों और जरूरतमंदों को भेज सकेंगे। इस तरह से सामाजिक भेद का मुख्य उद्देश्य बना रहेगा और अधिकतम लोगों को अपने घर से बाहर किसी भी चीज़ के लिए आने की ज़रूरत नहीं होगी क्योंकि उन्हें अपने दरवाजे पर सब कुछ मिल जाएगा।" इसमें आगे कहा गया कि "यहां यह उल्लेख करना उचित है कि इस आशय का निर्णय संभवतः यथाशीघ्र लिया जाए या मामले में आवश्यकता को देखते हुए 24 घंटे के भीतर हो अन्यथा हमारे पास उपयुक्त निवारण के लिए माननीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा," याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल परिवहन विभाग को लिखा था। इस अभ्यावेदन पर विचार नहीं किया गया और शीर्ष अदालत के समक्ष याचिका दायर की गई। यह आग्रह किया गया कि " बैटरी संचालित इको-फ्रेंडली ई-रिक्शा के मालिकों के पास आजीविका का एकमात्र स्रोत ई-रिक्शा का चलन है। लेकिन लॉकडाउन के बढ़ने और प्रतिवादी प्राधिकारी की उदासीनता के कारण उनकी आजीविका नहीं हो पो रही है। उनके पास ई-रिक्शा के अलावा आय का कोई अन्य स्रोत नहीं है और वे बड़े वित्तीय संकट से गुजर रहे हैं और चल रहे लॉकडाउन के कारण बड़े नुकसान की आशंका है। प्रत्येक दिन की देरी वास्तव में मुश्किल और नुकसान बढ़ा रही है। स्थिति अभी भी जारी है। 40 दिनों की तुलना में, इस प्रार्थना पर विचार करने में देरी से रिक्शा चालकों के साथ-साथ उनके परिवार के लिए भी तबाही हो सकती है।" याचिका में कहा गया है कि " विशिष्ट प्रतिनिधित्व प्राप्त करने के बावजूद प्रतिवादी अधिकारियों की ओर से कोई कार्रवाई नहीं करना, भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत उल्लिखित मौलिक अधिकारों का हनन करने के लिए समान है। प्रतिवादी प्राधिकारी जानबूझकर मामले पर शांत बैठे हैं और कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। ई-रिक्शा के गरीब मालिकों को किसी भी प्रकार की सहायता प्रदान नहीं करने में मनमाना ढंग अपना रहे हैं। प्रतिवादी अधिकारी बिना किसी तुकबंदी और तर्क के याचिकाकर्ता की प्रार्थना से बच रहे हैं ... प्रतिवादी अधिकारी, एक सार्वजनिक कार्यालय होने के नाते, इस मामले पर बैठे नहीं रह सकते हैं।"



तमिलनाडु में शराब की दुकानों को बंद करने के मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा तमिलनाडु में शराब की दुकानों को बंद करने का निर्देश दिए जाने के एक दिन बाद ही राज्य के स्वामित्व वाली तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (TASMAC) ने इसे चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। शुक्रवार शाम को जस्टिस विनीत कोठारी और जस्टिस पुष्पा सत्यनारायण की पीठ ने खुदरा में शराब बेचने वाले आउटलेट्स में भारी भीड़ की स्थिति पर ध्यान देते हुए तमिलनाडु में लॉकडाउन खत्म होने तक शराब की दुकानों को बंद करने का आदेश दिया। न्यायालय ने उल्लेख किया कि TASMAC (तमिलनाडु राज्य विपणन निगम) द्वारा शराब बेचने वाली दुकानों में भीड़ नियंत्रित करने के लिए उसके द्वारा लगाई गई शर्तों का "निष्ठुरतापूर्वक उल्लंघन" किया गया। " यह इस न्यायालय के संज्ञान में लाया



गया है कि राज्य भर में लगभग 3850 दुकानें खोली गईं, और पहले दिन 175 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड बिक्री हुई। उपरोक्त परिदृश्य TASMAC की दुकानों को फिर से खोलने के दिन के बाद ही रिपोर्ट किया गया।पता चला कि भीड़ को अनुशासित करने या बिक्री की प्रक्रिया में भी राज्य मशीनरी नियंत्रण से बाहर है। हाईकोर्ट ने कहा, " यह भी बताया गया है कि COVID-19 बीमारी से संक्रमित होने वाले पुलिस कर्मियों की संख्या भी बढ़ रही है और उन्हें नियंत्रित करने के लिए TASMAC की दुकानों के सामने तैनात किया जा रहा है। भीड़भाड़ वाले क्षेत्र ने भी उनके जीवन को जोखिम में डाल दिया, इसके अलावा उन्हें उन स्थानों पर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोक दिया गया, जहां उनकी सेवाओं की वास्तव में आवश्यकता होती है।" कोर्ट ने आगे कहा, "वीडियो क्लिपिंग और अखबारों की रिपोर्ट स्पष्ट रूप से यह साबित करने के लिए काफीहै कि COVID-19 महामारी निवारक मानदंडों, जैसे शारीरिक दूरी और मास्क पहनना, आदि को वायरस के प्रसार के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा करते हुए हवा में उड़ा दिया गया था। इसके बारे में और भी रिपोर्टें थीं कि लॉकडाउन से पहले शराब की दुकानों को फिर से खोलने के खिलाफ कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन किया गया, जिससे कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा हो गई। पुलिस कर्मियों को तैनात किए जाने के बावजूद, राज्य मशीनरी पहले दिन भी भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों को नियंत्रित नहीं कर पाई। ऑनलाइन बिक्री करने या बेचने के लिए कोर्ट के सुझाव पर भी ध्यान नहीं दिया गया।" कोर्ट ने हालांकि शराब की होम डिलीवरी और ऑनलाइन बिक्री की अनुमति दी है। 6 मई को, तमिलनाडु सरकार ने एक आदेश जारी कर TASMAC दुकानें खोलने की अनुमति दी थी। हालांकि इसके चलते शराब दुकानों के सामने भारी भीड़ और लंबी कतारें लग गईं जिससे COVID-19 संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए सामाजिक दूरी के मानदंडों का उल्लंघन हुआ। उसके बाद, हाईकोर्ट में याचिका दायर कर शराब की दुकानें खोलने के सरकार के फैसले को चुनौती दी गई। 7 मई को, उसी पीठ ने सरकारी आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन उनके कामकाज के लिए कई शर्तें लगाईं। शुक्रवार शाम को आयोजित एक विशेष सुनवाई में, पीठ ने कहा कि उसकी शर्तों का "उल्लंघन" किया गया है।



शनिवार, 9 मई 2020

सबै सहायक सबल के निर्बल कोऊ न सहाय, पवन जगावत आग को दीपक देत बुझाय

जिलाधिकारी ने वरिष्ठ पत्रकार को दिया च्यवनप्राश


जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह द्वारा जनपद के वरिष्ठ पत्रकार लोलारक दुबे को तीन डिब्बे च्यवनप्राश दिया गया। यह च्यवनप्राश डाबर कंपनी की तरफ से उपलब्ध कराया गया था। जिलाधिकारी ने जनसुनवाई कक्ष में हसनपुर, सिकरारा के बुजुर्ग देवराज गौड़ा, चेतरहा शाहगंज के रामसिंह, अर्शिया शाहगंज के बेचन सिंह को भी  च्यवनप्राश दिया गया। जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि डाबर कंपनी द्वारा उपलब्ध कराया गया च्यवनप्राश को जनसुनवाई में आने वाले हैं, बुजुर्ग व्यक्तियों को दिया जाए जिससे उनमें इम्यूनिटी सिस्टम बढ़ सके।

बोलता कैमरा पूछता सवाल?


जिलाधिकारी महोदय घ्यान दे, आज भी बहुत से गरीब राशनकार्ड के लिए आफीस का लगा रहे है चक्कर , लेखपाल है नदारद और कार्यवाही फुस्स।


क्या ऐसे असहाय गरीबो का राशन कार्ड बनने का कोई रारूस्ता है?


मां-बाप के साथ जयपुर से पैदल चलकर बिहार पहुंचा 6 साल का रघुवीर, पांच दिन बाद नसीब हुआ खाना


 










गोपालगंज. कोरोना त्रासदी (Corona Crisis) को लेकर देशव्यापी लॉकडाउन (Lockdown) के बीच संघर्ष के कई किस्से सामने आ रहे हैं. ऐसा ही एक किस्सा शुकवार को बिहार के गोपालगंज (Gopalganj) से आया जहां दो छोटे-छोटे बच्चों के साथ एक परिवार जयपुर से पैदल चलकर पहुंचा. गोपालगंज के जलालपुर चेकपोस्ट पर एक दम्पति अपने दो मासूम बच्चो के साथ 5 दिनों तक पैदल चलकर पंहुचा. इस दम्पति के पास न तो खाने के लिए पैसे बचे थे और न ही दवा खरीदने के लिए.



तीन महीने पहले ही रोजगाए के लिए गए थे जयपुर

राजस्थान के जयपुर से चलकर यह परिवार आज यूपी की सीमा से सटे गोपालगंज के जलालपुर चेकपोस्ट पर पंहुचा. इस परिवार में मां और पिता के साथ उनके 4 साल और 6 साल के मासूम बेटे भी शामिल थे जो लगातार 5 दिनों से पैदल चलकर यहां तक पहुंचे थे. 35 वर्षीय महेश राय बिहार के वैशाली के रहने वाले हैं वो अपनी पत्नी विभा देवी और दो बेटों के साथ 3 महीने पहले ही जयपुर में नौकरी करने गए थे. वहां वो शटरिंग का काम करते थे. अभी उन्‍हें काम करते हुए महज कुछ सप्ताह ही हुए थे तभी देश में कोरोना महामारी को लेकर लॉकडाउन हो गया.








लॉकडाउन खत्म होते ही अयोध्या में शुरू होगा भव्य राम मंदिर निर्माण

अयोध्या. कोरोनावायरस (COVID-19) के चलते लागू लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण (Ram Temple Construction) का कार्य शुरू नहीं हो सका है. लेकिन अब लॉकडाउन में दी गई छूट के चलते राम जन्मभूमि परिसर में राम मंदिर निर्माण के पहले के कार्य शुरू कर दिए गए है. परिसर में साफ-सफाई शुरू करने के साथ ही भूमि के समतलीकरण का कार्य शुरू हो गया है. साथ ही ग्रिल आदि धीरे-धीरे हटाई जा रही है. यह वही ग्रिल बैरियर है जिससे होकर पहले दर्शनार्थी गर्भगृह में विराजमान रामलला के दर्शनों के लिए जाते थे.
सूत्रों की माने पिछले दिनों आए आंधी-तूफान के बाद रामलला के अस्थाई गर्भ ग्रह के ऊपर रखे पेड़ के ऊपर जाने की वजह से पानी की बौछार अंदर जा रही थी. उसे भी बदला गया है और मजबूत किया गया है. माना जा रहा है की राम मंदिर निर्माण से पहले राम मंदिर के फाउंडेशन निर्माण के पहले की सभी औपचारिकताएं पूर्ण कर ली जाएंगी. जिससे कि लॉकडाउन समाप्त होने के बाद तेजी से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू किया जा सके.
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी कमल नाथ दास ने बताया कि अभी महामारी को देखते हुए धीरे-धीरे साफ-सफाई किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि लोहे की पाइप की घेराबंदी, लोहे की जाली, अस्थाई सुरक्षाकर्मियों के कैंप को हटा कर समतल कराने का कार्य जोरों पर है. कमल नाथ दास के मुताबिक जैसे इस महामारी से फुरसत होगी, तेजी से कार्य प्रारंभ हो जाएगा. और जल्दी से भगवान श्री राम की जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर का निर्माण होगा.


प्रेमी के साथ संदिग्ध अवस्था में दिखी विवाहिता बेटी, मां-छोटी बहन ने उतारा मौत के घाट

आजमगढ़. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के आजमगढ़ जिले (Azamgarh) के अहरौला थाना क्षेत्र में एक विवाहिता बेटी की उसकी मां और छोटी बहन ने मिलकर हत्या (Murder) कर दी. मां और छोटी बेटी को विवाहिता का अपने प्रेमी के साथ बात करना और घूमना-फिरना नागवार गुजर रहा था. दोनों ने उसे काफी समझाने की कोशिश की. लेकिन विवाहिता पर इसका कोई असर नहीं पड़ा तो मां-बेटी ने मिलकर उसकी हत्या कर दी. विवाहिता की हत्या की सूचना मिलने पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को अपने कब्जे में लेकर उसे पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया.


                                                    आपत्तिजनक अवस्था में दिखी बेटी (प्रतीकात्मक तस्वीर)

वारदात में शामिल मां और छोटी बहन को पुलिस हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है. जानकारी के मुताबिक अहरौला थाना क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली प्रतिभा की शादी जिले के ही बिलरियागंज थाना क्षेत्र के एक गांव में हुई थी. उसके दो बच्चे हैं. उसका पति खाड़ी के देश में नौकरी करता है. प्रतिभा अपने मायके में ही रहती है. बताया जा रहा है कि प्रतिभा का किसी से प्रेम प्रसंग चल रहा था. वो अक्सर अपने प्रेमी से फोन पर बात करती और बच्चों को छोड़कर उसके साथ घूमती-फिरती थी. विवाहित बेटी की इस हरकत का उसकी मां और छोटी बहन विरोध करती थी.विरोध के कारण परिवार में आये दिन झगड़ा होता रहता था. गुरूवार की देर रात भी इसी बात को लेकर उनके बीच झगड़ा हुआ. इस दौरान मां और छोटी बेटी ने धारदार हथियार से प्रतिभा के सर पर प्रहार कर दिया. हमले में प्रतिभा गंभीर रूप से घायल हो गयी और बाद में उसकी मौत हो गयी. इस घटना की जानकारी ग्रामीणों को हुई तो गांव में हड़कंप मच गया. सूचना के बाद पुलिस के आला अधिकारी गांव पहुंचे और मृतक महिला की आरोपी मां और छोटी बहन को हिरासत में ले लिया गया.पुलिस अधीक्षक (एसपी) प्रो. त्रिवेणी सिंह ने बताया कि हत्या की आरोपी मां-बेटी को हिरासत में ले लिया गया है. पूछताछ के दौरान यह बात निकल कर आयी कि महिला और उसके प्रेमी को घटना वाले दिन उन्होंने संदिग्ध अवस्था में देख लिया था. जिसके बाद दोनों (मां-छोटी बेटी) ने मिलकर उसकी हत्या कर दी. पुलिस फिलहाल सभी बिदुओं को जांच में शामिल कर छानबीन में जुटी है. सिंह ने बताया कि पुलिस घटना की जांच कर रही है, जो भी तथ्य सामने आयेगा उसके आधार पर कार्रवाई की जायेगी.


शुक्रवार, 8 मई 2020

डाकघरों में आधार कार्ड बनाए जाने का कार्य प्रारंभ

जनपद के 26 डाकघरों में आधार कार्ड बनाए जाने का कार्य डाक विभाग द्वारा प्रारंभ किया गया है जिसमें उप डाकघर बदलापुर, बालवरगंज, बरसठी, बाजार नेवड़िया, चंदवक, कलेक्टेªट कम्पाउंड, गौराबादशाहपुर, जलालपुर, जमालापुर, जौनपुर प्रधान डाकघर, जौनपुर कचहरी, केराकत, खेतासराय, खुटहन, मछलीशहर, महाराजगंज, मड़ियाहॅू, मुंगराबादशाहपुर, मीरगंज, मुफ्तीगंज, पट्टीनरेन्द्र, पूर्वांचल यूनिवर्सिटी, रामपुर, सरायहरखू, शाहगंज एवं जफराबाद के उपडाकघर पर सुविधा प्रारंभ की गयी है। 


प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अन्तर्गत सभी अन्त्योदय एवं पात्र गृहस्थी कार्ड धारकों को प्रत्येक व्यक्ति/यूनिट 05 किग्रा० अतिरिक्त निःशुल्क चावल एवं अन्त्योदय एवं पात्र गृहस्थी कार्डधारकों को प्रति राशनकार्ड 01 किग्रा0 वितरण किया जायेगा निःशुल्क चना ।

जिला पूर्ति अधिकारी ने बताया कि कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत आयुक्त, खाद्य तथा रसद विभाग, उ0प्र0 जवाहर भवन, द्वारा अवगत कराया गया है कि माह-मई, 2020 में प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अन्तर्गत सभी अन्त्योदय एवं पात्र गृहस्थी कार्ड धारकों को प्रत्येक व्यक्ति/यूनिट 05 किग्रा० अतिरिक्त निःशुल्क चावल एवं अन्त्योदय एवं पात्र गृहस्थी कार्डधारकों को प्रति राशनकार्ड 01 किग्रा0 निःशुल्क चना का वितरण किया जायेगा। यह वितरण माह-मई, 2020 के 15 तारीख से 25 तारीख तक ई-पॉस मशीन से नामित किये गये नोडल अधिकारियों/पर्यवेक्षणीय अधिकारी की उपस्थिति में किया जायेगा। माह-मई, 2020 में जिलाधिकारी के स्तर से नामित किये गये समस्त पर्यवेक्षणीय अधिकारी/कर्मचारी, नोडल अधिकारी व जनपद स्तरीय अधिकारीगण से अपेक्षा है कि पूर्व माह-अप्रैल, 2020 की भांति माह-मई, 2020 में वितरण तिथियों पर अपने से सम्बन्धित दुकानों पर उपस्थित होकर नियमानुसार खाद्यान्न का वितरण कराना सुनिश्चित करेंगे।