यूजीसी वाइस चेयरमैन बोले, संस्कृत भाषा में ही है भारत को विश्व गुरु बनाने की क्षमता
यूजीसी के वाइस चेयरमैन प्रो. भूषण पटवर्धन ने गुरुवार को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कहा कि दुनिया भर में संस्कृत और आयुर्वेद के प्रति सम्मान बढ़ा है। दोनों क्षेत्र में जानकारी लेने के लिए लोग भारत आ रहे हैं। ऐसा ही भाव हमें देश के वैज्ञानिकों के अंदर विकसित करना होगा। भारत को विश्व गुरु बनाने की क्षमता अगर किसी भाषा में है तो वह संस्कृत में है। संस्कृत में भारतीय ज्ञान शाखा का जो विस्तृत भंडार उपलब्ध है, उसके आधार को ग्रहण करने की जरूरत है। शास्त्र और विज्ञान को आपस में जोड़ने की जरूरत है। इसमें संस्कृत भाषा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। प्रो. पटवर्धन दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
प्रो. पटवर्धन ने कहा कि संस्कृत और आयुर्वेद में काफी जानकारियां हैं, जो आज के वैज्ञानिकों के काम आ सकती हैं। उन्होंने उदाहरण देकर समझाया कि आयुर्वेद ने काफी पहले यह बताया कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए लक्षण के हिसाब से अलग-अलग दवाएं है। आधुनिक औषधिशास्त्र में एक मर्ज के लिए एक ही दवा पर जोर दिया। अब आधुनिक औषधिशास्त्र ने भी स्वीकार कर लिया है व्यक्ति के जेनेटिक पैटर्न को ध्यान में रखते हुए दवाओं (पर्सनलाइज्ड मेडिसिन) का निर्माण किया जाए। इस पर काम भी चल रहा है। 'आयुर्जीनोमिक्स' एक नई विधा विकसित हुई है। इसी तरह से प्राचीन शास्त्रों में कई महत्वपूर्ण जानकारियां हैं, जिन्हें संस्कृत के सामने लाया सकता है।
गुणवत्ता बढ़ाने के लिए हुए कई उपाय
यूजीसी के वाइसचेयरमैन प्रो. भूषण पटवर्धन ने बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग में उच्चतर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण प्रयास चल रहे हैं। इसमें मूल्यांकन प्रणाली में सुधार, अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का प्रयोग को बढ़ावा आदि शामिल है। यूजीसी ने नए भर्ती हुए शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी तैयार किया है।
सामाजिक सरोकारों से भी जुड़ें युवा: आनंदीबेन पटेल
राज्यपाल और कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने विश्वविद्यालय के छात्रों का आह्वान किया है कि वे पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों से भी जुड़े। आज की शिक्षा प्रणाली सिर्फ प्रमाणपत्र जुटाने वाली प्रणाली है। प्रमाणपत्र देने में भी कमियां हैं। संस्कृत शिक्षा में यह दोष न आने पाए। इस पर विद्वानों को सतर्क रहना होगा। राज्यपाल गुरुवार को सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के 37वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता कर रहीं थीं।
आनंदीबेन पटेल ने कहा कि पढ़ाई पूरी करने के बाद एक बार फिर पीछे मुड़ कर देखने की जरूरत है। उन लोगों के बारे में सोचना जरूरी है जो किसी कारणवश पढ़ाई से वंचित रहे, जिन्हें आगे बढ़ने का मौका नहीं मिला। आनंदीबेन ने कहा समाज की भलाई के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई योजनाओं की शुरुआत की। इन योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति को मिल सके, इसके लिए युवाओं को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत, फिट इंडिया, जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण अपनाने और भोजन की बर्बादी रोकने जैसे तमाम अभियान हैं, जिससे युवाओं को जुड़ने की जरुरत है।
32 को गोल्ड मैडल, 22726 छात्र-छात्राओं को उपाधियां प्रदान की गई
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में गुरुवार को आयोजित 37वें दीक्षांत समारोह में 22726 छात्र-छात्राओं को उपाधियां प्रदान की गईं। इसके अलावा 26 शोध छात्र-छात्राओं को भी पीएचडी की उपाधि दी गई। समारोह में 32 छात्र-छात्राओं को 57 स्वर्ण पदक प्रदान किये गये। स्वर्ण पदक वालों की सूची में शामिल छह छात्र समारोह मे उपस्थित नहीं हो सके। संस्कृत भारती के संस्थापक चमुकृष्ण शास्त्री को डी.लिट की मानद उपाधि प्रदान की गई। समारोह का संचालन कुलसचिव राजबहादुर और प्रो. हरिप्रसाद अधिकारी ने किया। समारोह के मुख्य अतिथि यूजीसी के वाइस चेयरमैन प्रो.भूषण पटवर्धन थे। अध्यक्षता राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने की। विश्वविद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट कुलपति प्रो.राजाराम शुक्ल ने प्रस्तुत की। उन्होंने अतिथियों का स्वागत भी किया। कार्यक्रम का शुभारंभ शैक्षिक शिष्टमंडल की शोभायात्रा से हुआ।