गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

बोलता कैमरा पूछता सवाल?

ईश्वर उनको और सम्पन्न बनाये जो ऐसी आपदा मे गरीबो की मदद कर रहे है



परंतु सोचे कि थोड़ी सी मदद पर ढेर सारी तस्वीरे खिचवाने वालो वाह वाही के भुक्खडो क्या यह उचित और अच्छा है कि एक ईमानदार गरीब परंतु स्वाभीमानी व्यक्ति को खाने के पैकट एवं थोड़े से राशन के बदले उनकी तस्वीरो को वायरल कर उनको उनकी ही नजरो से गिरा रहे हों क्या यह सही है? 


जिलाधिकारी ने शेल्टर होम का किया निरीक्षण

   जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह द्वारा पूर्व मा.विद्यालय फत्तूपुर में बने शेल्टर होम, ग्राम पंचायत चांदपुर तथा भरसवॉ में मनरेगा के तहत कराए जा रहे हैं कार्यों का निरीक्षण किया गया । जिलाधिकारी ने अस्थाई गौशाला चांदपुर प्रथम का भी निरीक्षण किया । मनरेगा के तहत कराए जा रहे कार्यों में जिलाधिकारी ने सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के निर्देश दिए । उन्होंने वहां काम कर रहे हैं मजदूरों को भोजन के पैकेट वितरित किए तथा ग्राम प्रधान अरविन्द सिंह द्वारा सभी मजदूरों को 05 किलो चावल मुफ्त दिया गया । डमरूआ की ग्राम प्रधान मंजु तिवारी  द्वारा 10 कुन्तल भूसा गौशाला में दान हेतु जिलाधिकारी की उपस्थिति में दिया गया।
                               


जिलाध्यक्ष भाजपा किसान मोर्चा ने दिया 50 कुंतल भूसा तथा 51 कुंतल गेहूं

 जिलाध्यक्ष भाजपा किसान मोर्चा प्रमोद यादव द्वारा क्षेत्र प्रचारक आर.एस.एस अशोक उपाध्याय एवं प्रमोद उपाध्याय की उपस्थिति में अपने निवास स्थान ग्राम सीठापुर, बोधापुर में दानस्वरूप 50 कुंतल भूसा तथा 51 कुंतल गेहूं जिलाधिकारी को सौंपा गया। इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार मौजूद रहे। जिलाधिकारी ने भूसा एवं गेहूं दान के लिए प्रमोद यादव का आभार व्यक्त किया। उन्होने कहा कि प्रमोद यादव द्वारा दिया गया गेहूं गरीब एवं असहायों में वितरित किया जाएगा तथा भूसा गौवंशों हेतु गौशालाओं में भेजा जाएगा।    



PM मोदी के संसदीय क्षेत्र में बढ़ रही संक्रमितों की तादाद,3 मई तक बनारस में सब कुछ रहेगा बंद

वाराणसी. पीएम मोदी (PM Modi) के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में महामारी कोरोना वायरस (Pandemic Coronavirus) से संक्रमित मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. बुधवार को वाराणसी में कोरोना वायरस संक्रमण के तीन नए मामले और सामने आ गए. जिसके चलते अब वाराणसी में संक्रमितों की संख्या 52 हो गई है. मंगलवार को एक दर्जन नए मामले आने के बाद वाराणसी डीएम ने नगर क्षेत्र को एक दिन के लिए बंद करने का ऐलान किया था लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अब 3 मई तक के लिए बनारस जनपद की सभी दुकानें पूरी तरह से बंद रखने के निर्देश दे दिए गए हैं.

जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि वाराणसी में बुधवार को कोरोना वायरस संक्रमण के तीन मामले सामने आए हैं. ये तीनों व्यक्ति सप्तसागर दवा मंडी के कोरोना पॉजिटिव व्यापारी के संपर्क में आए थे. इनमें महमूरगंज के 43 वर्षीय एक दवा व्यवसायी हैं. जबकि 25 वर्षीय युवक व दूसरे संक्रमित व्यक्ति की दुकान संक्रमित व्यापारी की दुकान आस-पास है. जबकि 29 वर्षीय तीसरा संक्रमित व्यक्ति सप्त सागर मंडी में एक दुकान में काम करने वाला कर्मचारी है. जिलाधिकारी ने बताया कि अब वाराणसी में संक्रमण के 52 मामले हो गए हैं. अभी तक यहां 14 हॉटस्पॉट थे लेकिन अब तीन नई जगहों को भी हॉटस्पॉट बनाये जा रहे हैं.

दवा की दुकानें भी नहीं खुलेंगी
वाराणसी में कोरोना के बढ़ते कहर के बीच प्रशासन ने कड़ा कदम उठाते हुए सभी दुकानों को 3 मई तक पूर्ण रूप से बंद रखने का निर्देश दिया गया है. इस बीच दवा तक की दुकानें नहीं खोली जाएंगी. होम डिलीवरी के माध्यम से दवाओं की आपूर्ति की जाएगी. डीएम ने कहा है कि यदि इस नियम का पालन कोई व्यक्ति नहीं करता पाया जाएगा तो उसके विरुद्ध गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाएगा.



 







 


COVID-19: 3 मई तक बनारस में सब कुछ रहेगा बंद, PM मोदी के संसदीय क्षेत्र में बढ़ रही संक्रमितों की तादाद


Varanasi News in Hindi

 

 



COVID-19: 3 मई तक बनारस में सब कुछ रहेगा बंद, PM मोदी के संसदीय क्षेत्र में बढ़ रही संक्रमितों की तादाद
बढ़ रही है वाराणसी में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या (सांकेतिक तस्वीर) (प्रतीकात्मक तस्वीर)

 




वाराणसी में बुधवार को 3 और लोगों की कोरोना पॉजिटिव (Corona positive) रिपोर्ट आने के बाद 3 मई तक वाराणसी में संपूर्ण लॉकडाउन (Lockdown) घोषित किया गया है. बिना मेडिकल इमरजेंसी के जो भी घर से निकलेगा या शहर के अंदर आने या शहर के बाहर जाने की कोशिश करेगा उस पर FIR दर्ज की जाएगी.



वाराणसी. पीएम मोदी (PM Modi) के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में महामारी कोरोना वायरस (Pandemic Coronavirus) से संक्रमित मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. बुधवार को वाराणसी में कोरोना वायरस संक्रमण के तीन नए मामले और सामने आ गए. जिसके चलते अब वाराणसी में संक्रमितों की संख्या 52 हो गई है. मंगलवार को एक दर्जन नए मामले आने के बाद वाराणसी डीएम ने नगर क्षेत्र को एक दिन के लिए बंद करने का ऐलान किया था लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अब 3 मई तक के लिए बनारस जनपद की सभी दुकानें पूरी तरह से बंद रखने के निर्देश दे दिए गए हैं.

जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि वाराणसी में बुधवार को कोरोना वायरस संक्रमण के तीन मामले सामने आए हैं. ये तीनों व्यक्ति सप्तसागर दवा मंडी के कोरोना पॉजिटिव व्यापारी के संपर्क में आए थे. इनमें महमूरगंज के 43 वर्षीय एक दवा व्यवसायी हैं. जबकि 25 वर्षीय युवक व दूसरे संक्रमित व्यक्ति की दुकान संक्रमित व्यापारी की दुकान आस-पास है. जबकि 29 वर्षीय तीसरा संक्रमित व्यक्ति सप्त सागर मंडी में एक दुकान में काम करने वाला कर्मचारी है. जिलाधिकारी ने बताया कि अब वाराणसी में संक्रमण के 52 मामले हो गए हैं. अभी तक यहां 14 हॉटस्पॉट थे लेकिन अब तीन नई जगहों को भी हॉटस्पॉट बनाये जा रहे हैं.



दवा की दुकानें भी नहीं खुलेंगी
वाराणसी में कोरोना के बढ़ते कहर के बीच प्रशासन ने कड़ा कदम उठाते हुए सभी दुकानों को 3 मई तक पूर्ण रूप से बंद रखने का निर्देश दिया गया है. इस बीच दवा तक की दुकानें नहीं खोली जाएंगी. होम डिलीवरी के माध्यम से दवाओं की आपूर्ति की जाएगी. डीएम ने कहा है कि यदि इस नियम का पालन कोई व्यक्ति नहीं करता पाया जाएगा तो उसके विरुद्ध गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाएगा.
पास बनवाने की ये होगी प्रक्रिया


डीएम के इस आदेश के अनुसार 3 मई 2020 की रात्रि तक जनपद में कोई भी दुकान नहीं खुलेगी. राशन, सब्जी, गैस, दूध, दवाई इन सब की होम डिलीवरी ही प्रतिदिन शाम 6 बजे तक अनुमन्य होगी. पूर्व से जारी होम डिलीवरी दुकानों और होम डिलीवरी मैन के पास यथावत अनुमन्य रहेंगे. होम डिलीवरी के लिए जो भी रिटेल दुकानदार नया जुड़ कर पास बनवाना चाहते हैं वे जिला पूर्ति अधिकारी से संपर्क कर अपना पास बनवा सकते हैं, साथ ही जनपद की इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम की हेल्पलाइन नंबर 1077 पर भी संपर्क कर ऑनलाइन अप्लाई करने के उपरांत अपना रजिस्ट्रेशन नंबर नोट करवा सकते हैं, जिसे नोट करने के बाद उनका ऑनलाइन पास अप्रूव कर दिया जाएगा.



दूध की सप्लाई के लिए ये हैं नियम
दूध की सप्लाई को होम डिलीवरी के अलावा भी छूट देते हुए इसके सभी रिटेल दुकानदारों व रिटेल आउटलेट को सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच एक घंटा केवल दूध की बिक्री के लिए अनुमन्य किया गया है. शर्त यह होगी कि वह दुकान का शटर डाउन करके दूध के क्रेट बाहर रखकर केवल दूध की बिक्री करेंगे. किसी अन्य वस्तु की बिक्री यदि करते पाए गए तो दुकान को सीज करा दिया जाएगा. शहरी क्षेत्र में केवल 8 सब्जी मंडी को खोलने के लिए अनुमन्य किया गया है. इनमें भोजूबीर, लमही, पहाड़िया, पंचकोशी, चंदूआ सट्टी, सुंदरपुर, रामनगर चौक और नुआंव मंडी होंगी. ये सब्जी मंडी रात्रि 3 बजे से सुबह 6 बजे के बीच ही खुलेंगी. ठीक 6 बजे इन्हें बंद करा दिया जाएगा. इन मंडी में केवल रिटेल दुकानदार या ठेले वाले ही सब्जी खरीद पाएंगे. कोई फुटकर कस्टमर इसके अंदर आने के लिए अधिकृत नहीं होगा.

ऑड-इवन व्यवस्था लागू रहेगी
पहाड़िया मंडी में ऑड-इवन व्यवस्था लागू रहेगी तथा इसमें एक दिन में आधी दुकाने ही खुलेंगी. ये सब्जी मंडियां 1 मई की सुबह से खुलनी शुरू होंगी, 30 अप्रैल को कोई सब्जी मंडी नहीं खुलेगी. सप्तसागर, नेहरू मार्किट, बुला नाला दवा की मंडी भी जल्दी खुलेगी, लेकिन अभी खोलने की तारीख का निर्णय नही हुआ है. इसमें ऑड-ईवन का फार्मूला लागू किया जाएगा. शहर में सभी सरकारी व प्राइवेट अस्पताल खुले रहेंगे, इसके साथ ही प्राइवेट अस्पतालों के अंतर्गत जो दवा की दुकानें व फार्मेसी हैं, वह भी 24 घंटे खुल सकती हैं. बैंक, सरकारी कार्यालय जिनको खोलने के लिए अधिकृत किया गया है या जो अन्य आवश्यक कार्य कर रहे हैं, वे खुले रहेंगे. जो लोग बंद में अनुमन्य हैं वे ही बैंक जा सकेंगे.

पेट्रोल पंप, सामाजिक भोजन के पैकेट देने वाली संस्थाएं, सरकारी कार्य और व्यवस्था में लगे लोग प्रतिबंध से बाहर होंगे. राशन, सब्जी, गैस, दूध, दवाई आदि की होम डिलीवरी देने वाली दुकानें शटर डाउन करके शाम 6 बजे तक खुल सकेंगी. इसके अलावा जो निर्माण कार्य अनुमन्य किए गए हैं और उपरोक्त व्यवस्थाओं से जुड़े हुए लोग और वाहन हैं, उनको छोड़कर सभी प्रकार के पास निलंबित रहेंगे. यह आदेश केवल वाराणसी नगर निगम सीमा के लिए है और ग्रामीण क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा. नगर निगम सीमा में मेडिकल कारणों के अलावा प्रवेश करना प्रतिबंधित होगा. शहर में जो घर से बाहर उपरोक्त कारणों के अलावा बिना मेडिकल इमरजेंसी के निकलेगा या शहर में अंदर आने या शहर के बाहर जाने की कोशिश करेगा उस पर FIR दर्ज की जाएगी.

आरोग्य एप डाउनलोड करना अनिवार्य
जिन लोगों के कार्य अनुमन्य किए गए हैं वह चाहें किसी भी कार्य से जुड़े हुए कर्मचारी व्यवसायी हों, ग्राहक हों या जन-सामान्य हों, कोई भी बिना मास्क और आरोग्य एप डाउनलोड किये बिना यदि घर से बाहर निकले तो ऐसे लोगों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी. शहर में होम डिलीवरी को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देने के लिए होम डिलीवरी के नंबर नगर निगम की वेबसाइट पर भी प्रदर्शित किए गए हैं. डीएम का कहना है कि उपरोक्त एनफोर्समेंट कठोरता से लागू करने के लिए अतिरिक्त अधिकारियों की भी ड्यूटी लगाई जा रही है. लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाले पर डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के अंतर्गत कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी.








मुश्किल में फंसे शोएब अख्तर, 10 करोड़ का मानहानि नोटिस मिला

लाहौर. पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर और दुनिया के सबसे तेज गेंदबाज शोएब अख्तर मुश्किल में फंसते नजर आ रहे हैं. शोएब अख्तर (Shoaib Akhtar) को पीसीबी (PCB) के वकील तफज्जुल रिजवी ने 10 करोड़ रुपये का मानहानि नोटिस भेजा है. रिजवी ने शोएब अख्तर से बिना शर्त माफी मांगने की मांग की है. साथ ही उन्होंने कहा है कि शोएब अख्तर अपने बयानों को तुरंत वापस लें. बता दें शोएब अख्तर ने मंगलवार को उमर अकमल के मुद्दे पर एक वीडियो बनाया था जिसमें उन्होंने पीसीबी के कानून विभाग और उसके वकील तफज्जुल रिजवी पर खिलाड़ियों के खिलाफ निजी एजेंडा चलाने का आरोप लगाया था.




शोएब ने पीसीबी के वकील और कानून विभाग को घेरा था
शोएब अख्तर (Shoaib Akhtar) ने यूट्यूब पर अपलोड किए अपने वीडियो में पीसीबी के कानून विभाग और उसके वकील तफज्जुल रिजवी को नीच और नाकारा बता दिया था. उन्होंने कहा था, 'पीसीबी का कानून विभाग गिरा हुआ और नालायक है. खासतौर पर तफज्जुल रिजवी.'

शोएब  (Shoaib Akhtar) ने कहा था कि रिजवी पिछले 10-15 सालों से पीसीबी के साथ है और वो हर केस हारा है. शोएब ने बोला, 'रिजवी एक केस तो मुझसे भी हारा है. उसने अफरीदी और यूनिस खान को भी अदालत में घसीटा था. हमेशा स्टार खिलाड़ियों की इज्जत होनी चाहिए. दो टके के वकीलों को कोई नहीं जानता. फजल रिजवी पीसीबी से पैसे बनाता है, केस को उलझाता है और फिर हार जाता है.'


LU के शिक्षाशास्त्र की नई विभागाध्यक्ष की सीनियरिटी विवादों में, VC ने मांगी रिपोर्ट

लखनऊ. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की लखनऊ यूनिवर्सिटी (Lucknow University) का शिक्षाशास्त्र विभाग एक बार फिर विवादों में हैं. इस बार सवाल शिक्षाशास्त्र विभाग की नई विभागाध्यक्ष और संकायाध्यक्ष प्रो. डॉ. तृप्ता त्रिवेदी की सीनियरिटी पर उठा है. इससे पहले भी ई-कंटेंट चोरी सहित लेन-देन कर परीक्षा की उत्तर-पुस्तिका लिखवाने के मामले में भी उनका नाम उछला था, जिस पर अभी जांच पूरी भी नहीं हुई थी. अब उनकी सीनियरिटी विवादों के घेरे में है. शिक्षाशास्त्र विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष और संकायाध्यक्ष प्रो. निधि बाला ने डॉ. तृप्ता त्रिवेदी की सीनियरिटी को गलत तरीके से बढ़ाने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि प्रशासनिक मिलीभगत से डॉ. तृप्ता त्रिवेदी की सीनियरिटी गलत बढ़ाने के साथ-साथ नियम विरुद्ध भी है. उन्होंने रविवार कुलपति से शिकायत कर उनकी सीनियरिटी की जांच की मांग की है. साथ ही पूर्व में चल रही जांच पर अभी तक रिपोर्ट न आने पर सवाल भी खड़े किए हैं. प्रो. निधि बाला की शिकायत पर कुलपति ने डीन आर्ट्स, डीन एकेडेमिक्स व प्रो. SN सिंह की जांच कमिटी बनाकर फैक्ट फाइंडिंग सहित विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.



परीक्षक बनाने पर डाला था दवाब


प्रो. निधि बाला का आरोप है कि बलराम कृष्ण एकेडमी की प्रबंधक प्रोफेसर तृप्ता त्रिवेदी रूहेलखंड विश्विद्यालय के कुलपति प्रो. अनिल शुक्ला की शह पर बोर्ड ऑफ स्टडीज में अपने कॉलेज में मनचाहा एग्जामिनर लगाने के लिए उनके ऊपर प्रशासनिक दबाव बनाया करती थी, जिसके बाद डॉ. निधि ने विभागाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था. इस्तीफे के बाद शिकायत राजभवन में की गई जो आज भी कुलपति कार्यालय में लंबित है. अभी तक उस शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है.





विवादों से घिरे 2 थानाध्यक्षों पर एसपी का एक्शन, निलंबन के साथ विभागीय कार्रवाई के आदेश

पीलीभीत. कोरोना वायरस (COVID-19) के कहर में पीलीभीत पुलिस (Pilibhit Police) लगातार अपने बेहतरीन काम के लिए सराही जा रही थी. लेकिन पिछले दिनों दो थानेदारों के विवादों में आने के बाद पुलिस की छवि पर असर पड़ा. मामले में अब एसपी अभिषेक दीक्षित ने कड़ी कार्रवाई करते हुए संबंधित दोनों थानेदारों को निलंबित कर दिया है. इसके साथ ही उनके खिलाफ विभागीय जांच के भी आदेश दिए हैं.

चेयरमैन पति को गालियां देते वीडियो वायरल

पहला मामला जहानाबाद थाने का है. यहां तैनात थानाध्यक्ष मनिराम सिंह ने किसी बात को लेकर वहां के मौजूदा चेयरमैन ममता गुप्ता के पति दुर्गा चरण गुप्ता से विवाद हो गया. बात इतनी बढ़ गई कि थानाध्यक्ष महोदय चैयरमैन के घर आ धमके और जमकर घर के बाहर चैयरमैन पति को गालियां दीं. इस पूरी घटना का किसी ने वीडियो बना लिया और वायरल कर दिया.




थाने में मैरिज एनिवर्सरी की पार्टी


वहीं दूसरा मामला बिलसंडा थाने का है. यहां तैनात इंस्पेक्टर हरिशंकर वर्मा ने अपनी मैरिज एनिवर्सरी की पार्टी थाने के अंदर मना डाली. पार्टी इतनी भव्य और बड़ी थी कि थाने मे बाकायदा टेंट लगाकर कुर्सी मेज पर 250 लोगों को शराब औ नॉनवेज का लुत्फ लेते देखा जा सकता था. इस संबंध में एक वीडियो वायरल हुआ था. यही नहीं दूसरे दिन थाने में टेंट का सामान और कुर्सियां गाड़ी में लोड होती दिखाई पड़ी थी.  मामले में टेंट कारोबारी ने बताया था कि थाने से एक दीवानजी आए थे, उन्होने कुछ कुर्सियां, क्रॉकरी और टेंट का सामान थाने मंगाया था.

उधर इन दोनों थानाध्यक्षों के कारनामों की चर्चा जिले भर में हुई. मामले की खबर  जिले के कप्तान अभिषेक दीक्षित तक पहुंची. इन दो थानाध्यक्षों के कारनामों से नाराज जिले के कप्तान अभिषेक दीक्षित ने इन दोनों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए निलम्बित कर दिया है. इसके साथ ही दोनों इंस्पेक्टरों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी जारी कर दिए हैं


राशन खरीदने निकला बेटा दुल्हन लेकर लौटा

गाजियाबाद. उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद (Ghaziabad) में लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान बेटा सब्जी और राशन लेने के लिए निकला था. लेकिन जब वापस लौटा, तो दुल्हन लेकर आया. ये देखते ही मां के होश उड़ गए. मां ने दोनों को घर में प्रवेश करने से रोक दिया. मामला बढ़ा तो सीधे थाने पहुंच गया. जबकि काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने मामले में बीच का रास्ता निकाला.

दरअसल, यह बेटा अपनी गर्लफ्रेंड को पत्नी बनाकर ले आया था और मां ने घर में घुसने से मना कर दिया. बस फिर क्या था, मामला साहिबाबाद कोतवाली पहुंच गया. दुल्हन के लिबास में लड़की और उसके साथ लड़का दोनों थाने में मौजूद थे. वहां पर लड़के की मां भी आई और खुले शब्दों में कह दिया कि लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाले बेटे को घर में नहीं घुसने दूंगी. बेटा राशन लेने गया था और लड़की ब्याह कर ले आया.
शादी होने के सबूत नहीं: पुलिस
पुलिस का कहना है कि शादी हुई भी है या नहीं, इस बात का भी कोई सबूत नहीं है. जब लड़के से बात की गई तो उसका कहना है कि मंदिर में शादी हुई है. हालांकि वह इसका कोई सबूत पेश नहीं कर सका. वहीं वह एक महीने पहले हरिद्वार में शादी होने की बात कह रहा है लेकिन इसका भी वह कोई सबूत नहीं दे सका है. पूरा मामला थाने में पुलिस के लिए भी सिरदर्द बन गया. काफी देर तक सवाल-जवाब के बाद फिलहाल पुलिस ने लड़के और लड़की को समझा दिया है.



मां ने किया साफ लॉकडाउन तोड़ा है, घर में नहीं देंगे प्रवेश
लड़का अपनी नई नवेली दुल्हन को लेकर किराए के मकान में चला गया है. वहीं लड़के की मां ने फिलहाल साफ शब्दों में कह दिया है कि लॉकडाउन खत्म होने से पहले घर आने की जरूरत नहीं है.


लॉकडाउन के दौरान पूरा वेतन देने के ख़िलाफ़ 11 एमएसएमई गए सुप्रीम कोर्ट, कहा- पीएम केयर्स फंड से 70% सब्सिडी दी जाए

सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर कर सरकार की उस एडवाइज़री को चुनौती दी गई है जिसमें कहा गया था कि निजी नियोक्ता अपने कर्मचारियों को काम से नहीं निकालें और देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान उन्हें पूरा वेतन दें। सचिव (श्रम एवं रोज़गार) ने 20 मार्च को जो एडवाइज़री जारी की और गृह मंत्रालय ने 29 मार्च को जो अधिसूचना जारी की उसके ख़िलाफ़ 11 एमएसएमई कंपनियों ने यह याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि ये एडवाइज़री संविधान के अनुच्छेद 14 और 19(1) का उल्लंघन करती हैं। याचिका में कहा गया है कि निजी कंपनियों को अपने कर्मचारियों को 70% वेतन देने से छूट दी



जाए और यह राशि सरकार कर्मचारी राज्य बीमा निगम या पीएम केयर्स फंड से दी जाए। याचिकाकर्ताओं के वकील जीतेंदर गुप्ता ने कहा कि सरकार को निजी कंपनियों पर किसी भी तरह का वित्तीय भार लादने का अधिकार नहीं है और इसके लिए वह आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 का सहारा नहीं ले सकती। यह कहा गया है कि सरकार DMA की धारा 46, 47, 65 और 66 के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकती है और आपातकाल से निपटने के लिए संसाधन जुटा सकती है। यह ज़िम्मेदारी सरकार की है और इसे निजी क्षेत्र पर नहीं लादा जा सकता। याचिका में कहा गया कि "याचिकाकर्ताओं को अपने कर्मचारियों की संख्या में कटौती करने से रोका जा रहा है, विशेषकर अस्थाई और ठेके या प्रवासी मज़दूरों के संदर्भ में। याचिकाकर्ताओं को इन अधिसूचनाओं के कारण तीव्र वित्तीय और मानसिक तनाव झेलना पड़ रहा है। इन अधिसूचनाओं का प्रभाव ऐसा है कि विशेषकर एमएसएमई क्षेत्र के उद्योग जिसमें कि स्थायित्व था, अब इसकी वजह से उन्हें दिवालिया होने और व्यवसाय से उनका नियंत्रण समाप्त करने के लिए बाध्य किया जा रहा है।" याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि ये अधिसूचनाएं मनमानी, ग़ैरक़ानूनी और अतार्किक हैं और इन्हें संविधान के अनुच्छेद 14 और 19(1) के तहत ग़ैरक़ानूनी माना जाए। इन अधिसूचनाओं के ख़िलाफ़ महाराष्ट्र, पंजाब और कर्नाटक में भी याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं।



कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा,निखिल कुमारस्वामी की शादी के लिए जारी किए कितने वाहन पास?

कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार से कहा कि वह लॉकडाउन के दौरान वाहनों को पास देने पर नीति को रिकॉर्ड करे और बताए कितने लोगों को पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी के बेटे निखिल कुमारस्वामी की शादी में शामिल होने की



अनुमति दी गई थी। 21 अप्रैल को अदालत ने राज्य सरकार से पूछा था कि क्या रामनगरा जिले के कुमारस्वामी के फार्म हाउस में आयोजित शादी के दौरान सामाजिक दूरी बनाए रहने के नियम का पालन किया गया था। अधिवक्ता गीता मिश्रा द्वारा लॉकडाउन के दौरान सामाजिक दूरी के उल्लंघन की अदालत में शिकायत करने के बाद यह निर्देश दिया गया। मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्न की खंडपीठ ने कहा कि हाईकोर्ट को शादी में सामाजिक दूरी के उल्लंघन और वाहन पास देने पर कर्नाटक के भीतर और बाहर विभिन्न व्यक्तियों के ईमेल के माध्यम से कई अर्ज़ियां प्राप्त हुई थीं। पीठ ने टिप्पणी की, "क्या सरकार की यह नीति है कि लॉकडाउन के दौरान शादी के लिए पास दिया जाएं? अगर हां तो सभी लोग आवेदन करेंगे।" कोर्ट ने अब इस मामले की सुनवाई 5 मई को आगे के लिए टाल दी है।



पत्नी के वैवाहिक घर में रहने के अधिकार को वैधानिक योजना के तहत बिल्डर या विकास प्राधिकरण के खिलाफ लागू नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जब एक बिल्डर ने पुनर्विकास वाले हिस्से में मूल मालिकों को समायोजित करके अपने दायित्व का निर्वहन किया है, तो उस परिवार में शादी करने वाली महिला को आवास और क्षेत्र विकास क़ानून के प्रासंगिक प्रावधानों का हवाला देते हुए वैवाहिक घर के अधिकार को लागू करने के लिए रिट अधिकार क्षेत्र को आमंत्रित करने का अधिकार नहीं होगा, यदि उसका पति उसे आवंटित हिस्से में रहने की अनुमति नहीं देता है। पीठ ने कहा कि न तो महाराष्ट्र क्षेत्र विकास प्राधिकरण और न ही बिल्डर के पास उसके पुनर्वास के लिए कोई कानूनी बाध्यता हो सकती है। जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की एक पीठ ने एक महिला द्वारा दायर अपील का फैसला किया था, जिसमें महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट एक्ट 1976 के तहत अपने पति को आवंटित घरों में रहने का अधिकार मांगा गया था। मामले के तथ्य अपीलकर्ता का अपने पति और ससुराल वालों के साथ तनावपूर्ण संबंध था। मकान जो वैवाहिक घर के तौर पर सवालों में था, को महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट एक्ट, 1976 के तहत बिल्डरों की एक फर्म द्वारा ध्वस्त और पुनर्विकास किया गया था। पुनर्विकास की अवधि के दौरान, उक्त अधिनियम के प्रावधानों के तहत अनुमोदित एक योजना के तहत, रहने वालों को ट्रांजिट या अस्थायी आवास में स्थानांतरित करना आवश्यक था। अपीलार्थी का तर्क यह है कि पुनर्विकास की ऐसी कवायद 1976 के अधिनियम की धारा 79 के तहत बनाई गई एक वैधानिक योजना के अनुसरण में की गई थी जिसमें रहने वालों के पुनर्वास के प्रावधान हैं। उसकी शादी के बाद अपीलकर्ता के परिवार के सदस्यों, जिसमें उसके पति और सास शामिल थे, आवास में स्थानांतरित हो गए थे। अपीलार्थी-रिट याचिकाकर्ता अपने दो नाबालिग बेटों के साथ मूल इमारत में रही। चूंकि अपीलार्थी ने पुराने भवन में निवास करना जारी रखा था, म्हाडा अधिकारियों ने उस पर 1976 अधिनियम की धारा 95-ए के तहत एक नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया कि जहां भवन का मालिक भवन के पुनर्निर्माण के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करता है, वहां परिसर को खाली करने के लिए सभी कब्जाधारियों के लिए बाध्यकारी होगा। बेदखली की सूचना के बाद, वह दूसरी जगह चली गई। बाद में उन्होंने रिट याचिका के तहत बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और क्षेत्र के विकास के बाद म्हाडा द्वारा अपने पति को आवंटित मकानों में रहने के लिए दिशा-निर्देश मांगे। हाईकोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि अनुच्छेद 226 के तहत अधिकार लागू नहीं किए जा सकते। सुप्रीम कोर्ट के निष्कर्ष बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए अपीलकर्ता सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पक्षकार के रूप में आए। उसका मामला यह था कि चूंकि उसे 2000 में निष्कासन नोटिस द्वारा म्हाडा द्वारा निर्वासित किया गया था, इसलिए नए आवंटित वैवाहिक घर में उसे फिर से घर देने के लिए वो बाध्य है। इससे असहमत, पीठ ने कहा : "लेकिन हमारी राय में, जब एक बिल्डर ने इस योजना के अनुसार पुनर्विकसित हिस्से में मूल मालिकों को समायोजित करके अपने दायित्व का निर्वहन किया है, तो उस परिवार में शादी करने वाली महिला उक्त



क़ानून के प्रावधानों का हवाला देते हुए वैवाहिक घर पर अधिकार के लिए उच्च न्यायालय के रिट क्षेत्राधिकार को लागू करने के लिए हकदार नहीं होगी, यदि उसका पति उसे आवंटित आवास में निवास करने की अनुमति नहीं देता है। जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा, "उसके पास उस संपत्ति के टाइटल या ब्याज पर कोई स्वतंत्र दावा नहीं है। उसके वैवाहिक घर में रहने के अधिकार के उसके दावे को उसके पति के वैधानिक अधिकार के लिए संपार्श्विक के रूप में पेश किया जाना चाहिए। नए भवन में पुनर्वास किया गया लेकिन उसके वैवाहिक घर में निवास करने का अधिकार उससे अलग है और उक्त अधिनियम के तहत वैधानिक योजना से स्वतंत्र है।" कोर्ट ने कहा कि वैवाहिक घर में रहने का उसका अधिकार 1976 के अधिनियम से नहीं निकला था; इस तरह के अधिकारों को कानून की अन्य प्रक्रियाओं के माध्यम से लागू किया जाना चाहिए। "न तो म्हाडा, न ही बिल्डर के पास उसे फिर से स्थापित करने के लिए कोई और कानूनी दायित्व हो सकता है .. वह पुनर्विकास योजना के रचनात्मक लाभार्थी के रूप में अपना दावा ठोक रही है। लेकिन हमारी राय है कि वह जिस अधिकार को लागू करने की मांग कर रही है,जो उस सेट से निकलती है जिसमें उन घटनाओं के आधार पर जिनके पति पुनर्वास का दावा कर सकते हैं। वास्तव में ये मामला फैमिली लॉ के तहत एक स्वतंत्र कानूनी सिद्धांत के लिए अलग से हो सकता है। हम स्वीकार करते हैं कि वह 1976 अधिनियम की धारा 2 (25) के तहत एक अधिभोगी थी, लेकिन इस तरह के अधिभोग की स्थिति संपत्ति के हिस्से के मालिक के रूप में उसके पति के स्वतंत्र अधिकार पर निर्भर थी। उसकी वैवाहिक स्थिति से निकलने वाले उसके अधिकार को वैधानिक योजना के तहत उसके पुनर्वास के अधिकार से अलग नहीं किया जा सकता है। उसके वैवाहिक घर में रहने का अधिकार 1976 के अधिनियम से नहीं है। " शीर्ष अदालत ने कहा कि यद्यपि उसे एक कब्जाधारी के रूप में घर से हटाया गया, फिर भी उसके पुनर्वास का दावा पत्नी के रूप में उसकी स्थिति पर आधारित है। इसके अनुसार, इस तरह के दावे को सिविल कोर्ट या फैमिली कोर्ट या किसी अन्य फोरम द्वारा देखा जा सकता है। अपीलार्थी के ऐसे अधिकार को उसके पति के अधिकार के साथ भवन सुधार और पुनर्निर्माण कानून के तहत अलग नहीं किया जा सकता है, जिस पारिवारिक संपत्ति, जिसका वह मालिक है, का पुनर्निर्माण किया गया है, पीठ ने कहा। शीर्ष अदालत ने माना कि एक विवाहित महिला अपने पति के साथ परिवार के बाकी सदस्यों के साथ, एक संयुक्त संपत्ति के मामले में, अपनी शादी के बाद, अपने विवाह के बाद रहने की हकदार है। यदि वह अपने पति और बच्चों के साथ एक स्वतंत्र परिवार इकाई के रूप में आवास में रहती है, तो वैवाहिक घर वह आवासीय इकाई होगी। यह अधिकार उसके अधिकार में पत्नी के रूप में अंतर्निहित है। यह वैधानिक रूप से लागू होने वाली स्थितियों में हिंदू दत्तक और रखरखाव अधिनियम, 1956 की धारा 18 के प्रावधानों के तहत निहित है। घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 से महिलाओं की सुरक्षा ने इस क़ानून की धारा 2 (ओं) के संदर्भ में "साझा घराने" की अवधारणा को मान्यता दी है। 2005 अधिनियम की धारा 3 (iv) के तहत अभिव्यक्ति "आर्थिक दुर्व्यवहार" के दायरे के भीतर, उक्त अधिनियम के तहत एक पीड़ित महिला के अधिकार को हराने के लिए एक अचल संपत्ति को अलग करना घरेलू हिंसा का गठन कर सकता है। उक्त अधिनियम की धारा 19 के तहत क्षेत्राधिकार रखने वाले मजिस्ट्रेट को घरेलू हिंसा के शिकार व्यक्ति को उसके साझा घर से निकाले जाने पर आवास का आदेश पारित करने का अधिकार है। लेकिन एक पति को अपनी पत्नी को एक अलग घर में रहने के लिए मजबूर करने के लिए, जो उसका वैवाहिक घर नहीं है, उचित कानूनी मंच से एक आदेश आवश्यक होगा। अपने वैवाहिक घर से पत्नी को जबरन बेघर नहीं किया जा सकता है। हालांकि, इन उपायों का लाभ अन्य कानूनी कार्यवाही में लिया जाना चाहिए, न कि किसी बिल्डर के खिलाफ रिट याचिका में। हालांकि, न्यायालय ने वैकल्पिक आवास की उसकी मांग को सुरक्षित करने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत कुछ दिशा-निर्देश पारित किए, और अपीलार्थी को अपने पति के साथ अपने वैवाहिक घर में रहने का अधिकार स्थापित करने के लिए उचित कानूनी कार्यवाही शुरू करने की स्वतंत्रता प्रदान की।



दलित व्यक्ति से दुर्व्यवहार व उसका उत्पीड़न करने की शिकायत पर FIR दर्ज न करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट ने दिए कार्रवाई के निर्देश

दिल्ली हाईकोर्ट ने एससी/ एसटी (अत्याचार की रोकथाम) अधिनियम की धारा 4 के तहत उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है, जिन्होंने एक दलित व्यक्ति से हुए दुर्व्यवहार और उसके उत्पीड़न की शिकायत मिलने के बाद भी जानबूझकर एफआईआर दर्ज नहीं की थी। ऐसे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए ट्रायल कोर्ट को निर्देश देते हुए न्यायमूर्ति सुरेश कैत की एकल पीठ ने कहा कि पीड़ित दलित व्यक्ति न्याय पाने के लिए दर-दर भटकता रहा। इस मामले ने दिल्ली पुलिस के बहरेपन की पराकाष्ठा का उदाहरण दिया है, विशेष रूप से संबंधित थाने के एस.एच.ओ. के मामले में। वर्तमान आपराधिक अपील एससी और एसटी (अत्याचार की रोकथाम ) संशोधन अधिनियम, 2015 की धारा 14 के साथ ही आपराधिक प्रक्रिया दंड संहिता की धारा 482 के तहत दायर की गई थी, जिसमें पांच जून 2018 को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, साकेत कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी। एक निपुण अंतर्राष्ट्रीय घुड़सवार अपीलकर्ता ने कोर्ट का रुख किया करते हुए बताया कि उसे लगातार परेशान किया गया और आपराधिक धमकी दी गई क्योंकि उसका संबंध अनुसूचित जाति से है। उसने बताया कि प्रतिवादी विशेषाधिकार प्राप्त सामाजिक-आर्थिक और अभिजात वर्ग की पृष्ठभूमि से संबंधित थे। उसे जातिवादी शब्द कहते हुए शारीरिक रूप से प्रत्याड़ित किया,धमकाया और उससे गाली-गलौच किया। प्रतिवादियों ने एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया और याचिकाकर्ता पर एसिड हमले की साजिश भी रची। वहीं याचिकाकर्ता के प्रशिक्षक और इस मामले में उसके वकील कपिल मोदी को भी यातना देने और मारने के लिए भी योजना बनाई। 22 अप्रैल 2018 को, कपिल मोदी ने फतेहपुर बेरी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की। इस शिकायत में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि ''मेरे अनुसूचित जाति के छात्र प्रशांत (उर्फ प्रवीण कुमार) पर एसिड अटैक की योजना'' बनाई गई है। हालांकि पुलिस ने उक्त शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद एक प्रतिवादी ने अपीलकर्ता को फोन किया और शिकायत दर्ज करने के लिए उसे धमकाया। साथ ही कहा कि वह याचिकाकर्ता की पिटाई पुलिस से करवा देगा। अपनी जान और सुरक्षा के डर से अपीलकर्ता 29 अप्रैल 18 को उसी फतेहपुर बेरी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने गया। लेकिन पुलिस अधिकारियों ने उसकी शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया और उसे वापिस भेज दिया। अत्यधिक संकट में अपीलकर्ता ने ट्वीट करके प्रधानमंत्री और दिल्ली पुलिस के आयुक्त से न्याय दिलाने में मदद की गुहार लगाई। 11 मई 2018 को अपीलार्थी को पुलिस आयुक्त से एक ई-मेल प्राप्त हुआ,जिसमें विशेष पुलिस आयुक्त (दक्षिणी रेंज) को निर्देश दिया गया था कि वह अपीलकर्ता की शिकायत पर आवश्यक कार्रवाई करे। पुलिस और अन्य अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण 14 मई 2018 को अपीलकर्ता ने साकेत कोर्ट में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत एक आवेदन दायर किया। अपीलकर्ता के दुःख को बढ़ाते हुए उक्त मजिस्ट्रेट ने पुलिस को एक्शन टेकन रिपोर्ट दायर करने का निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई दो माह के लिए टाल दी। इस आदेश से परेशान होकर अपीलार्थी ने एक आवेदन दिया ओर कहा कि उसके मामले में जल्द सुनवाई की तारीख दी जाए परंतु मजिस्ट्रेट ने मौखिक रूप से उस आवेदन को खारिज कर दिया। इसके बाद अपीलकर्ता ने पुलिस आयुक्त के साथ-साथ भारत के मुख्य न्यायाधीश को भी पत्र लिखा कि कैसे अधीनस्थ अदालतें दलितों को न्याय प्रदान करने की अनदेखी कर रही हैं। उसके बाद अपीलकर्ता ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के समक्ष शिकायत दायर की। साथ ही बताया कि पुलिस और मजिस्ट्रेट ने एससी/ एसटी अधिनियम की धारा 4 के तहत अपना कर्तव्य नहीं निभाया है। इसके बाद 05 जून 2018 को संबंधित एएसजे ने आवेदक के आवेदन को एससी/ एसटी अधिनियम की धारा 4 के तहत खारिज कर दिया। अपीलकर्ता के लिए पेश होते हुए कपिल मोदी ने तर्क दिया कि संबंधित एएसजे ने एससी और एसटी अधिनियम की धारा 5 और 4 रिड विद धारा 15 ए (8) (सी) रिड विद रूल्स 1995 के रूल 5 व 7 के तहत निर्धारित अपने कर्तव्यों की पूरी तरह से उपेक्षा व अनादर किया है। वहीं सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने जो निर्देश जारी किए थे,उनका भी जानबूझकर पालन न करते हुए अनादर किया गया। उक्त अधिनियम की धारा 4 (2) (बी) में कहा गया है कि-''यह लोक सेवक का कर्तव्य है कि वह इस अधिनियम और अन्य संबंधित प्रावधानों के तहत शिकायत या पहली सूचना रिपोर्ट दर्ज करे और इस अधिनियम के उपयुक्त धाराओं के तहत इसे पंजीकृत करे।'' उन्होंने यह भी बताया कि निचली अदालत के दोनों पीठासीन अधिकारी न्यायिक कर्तव्यों का विवेकपूर्ण ढंग से निर्वहन करने में विफल रहे हैं। न ही वह कानून के इरादे के प्रति संवेदनशील थे और इसलिए गलत आदेश पारित कर दिए। अपीलकर्ता की तरफ से पेश हुए कपिल मोदी के प्रतिनिधित्व पर आपत्ति करते हुए राज्य के वकील ने तर्क दिया कि अपीलकर्ता ने कभी भी फतेहपुर बेरी पुलिस स्टेशन में कोई शिकायत दर्ज नहीं की। बल्कि 31 मई 2018 को आयुक्त कार्यालय से शिकायत आई थी। राज्य ने आगे प्रस्तुत किया कि शिकायत निराधार थी क्योंकि एससी/ एसटी अधिनियम के तहत प्रथम दृष्टया मामला नहीं बन रहा था। वहीं उस शिकायत को देखकर ऐसा लग रहा था कि वह प्रतिवादियों द्वारा लगाए गए आरोपों का मुकाबला करने के लिए बाद में बचाव के लिए दायर की गई थी। अंत में राज्य की तरफ से यह तर्क दिया गया था कि वर्तमान मामले में जिन पुलिस अधिकारियों के नाम लिए गए हैं उन्होंने जानबूझर उपेक्षा नहीं की थी। क्योंकि कथित घटना के समय सुप्रीम कोर्ट के निर्देश थे कि अत्याचार पर रोकथाम के लिए एसटी/ एससी अधिनियम के तहत केस दर्ज करने से पहले जांच की जाए। अपने आदेश की शुरुआत में ही अदालत ने धारा 15 के तहत वर्तमान मामले में कपिल मोदी की उपस्थिति पर आपत्ति करने वाले तर्क को खारिज कर दिया। साथ ही कहा कि दलित मानवाधिकार पर राष्ट्रीय अभियान द्वारा जारी एक पत्र में कपिल मोदी के योगदान को मान्यता दी है। साथ ही आईडीडीएल प्रतियोगिता मंच के माध्यम से दलितों के लिए ओलंपिक स्पोर्ट ऑफ ड्रेसेज को भी सुलभ बनाने में उनके महत्वपूर्ण योगदान को इंटरनेशनल ड्रेसेज डेवलपमेंट लीग ने भी सराहा है। अदालत ने कहा कि- 'उक्त पत्र में आगे कहा गया है कि भारत में दलित पुरुषों और लड़कों को घोड़े की सवारी करने के लिए पीटा जाता है और उनकी हत्या कर दी जाती है। दलित घुड़सवारों के लिए समानता के संवैधानिक लक्ष्य को प्राप्त करने में श्री कपिल मोदी और आईडीडीएल के योगदान को एनसीडीएचआर ने भी बहुत सराहा है।' इसलिए अदालत ने वर्तमान मामले में अपीलकर्ता का प्रतिनिधित्व करने के लिए श्री मोदी को सक्षम पाया है। मामले के तथ्यों को ध्यान में रखने के बाद, अदालत ने कहा कि- 'अपीलकर्ता के जीवन को एक खतरा आने वाला था। अपने जीवन के इस खतरे की उचित आशंका के कारण उसने अपनी मानसिक शांति खो दी और कथित आरोपी व्यक्तियों के एसिड हमले के डर से वह पूरी तरह से परेशान हो गया था। इसके अलावा यह भी एक उचित और प्रमाणिम विश्वास था कि इलेक्ट्रॉनिक सबूत नष्ट किए जा सकते हैं या उनके साथ छेड़छाड़ की जा सकती है।' अदालत ने यह भी कहा कि सुभाष काशीनाथ महाजन के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, प्रारंभिक जांच 7 दिनों के भीतर पूरी की जानी चाहिए। जबकि वर्तमान मामले में 59 दिनों के बाद एसीपी ने 18 जून 2018 को अपनी जांच रिपोर्ट पेश की थी। इसलिए अदालत ने कहा कि एससी/ एसटी अधिनियम के तहत अपराधों के लिए एफआईआर दर्ज करने में प्रतिबंध था परंतु अन्य अपराधों के लिए एफआईआर दर्ज करने के लिए कोई प्रतिबंध या रोक नहीं थी। अदालत ने यह भी कहा कि एससी/ एसटी अधिनियम के तहत आने वाले आरोपों के लिए पुलिस स्टेशन फतेहपुर बेरी का एसएचओ एससी/एसटी एक्ट की धारा 4 (1) और 4 (2) के तहत अपने कर्तव्य को निभाने और शिकायत पर विचार करने के लिए बाध्य था। हालांकि वह ऐसा करने में विफल रहा। इसके अलावा निचली अदालतों ने भी उपरोक्त तथ्यों की अनदेखी की है।



केंद्र ने लॉकडाउन में फंसे हुए प्रवासी मज़दूरों, छात्रों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों आदि को एक राज्य से दूसरे राज्य में परिवहन की सशर्त दी अनुमति

गृह मंत्रालय ने बुधवार को एक आदेश जारी किया जिसमें लॉकडाउन में फंसे हुए प्रवासी मज़दूरों, छात्रों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों आदि के एक राज्य से दूसरे राज्य में परिवहन की अनुमति दी गई, जिनमें COVID-19 के कोई लक्षण नहीं पाए जाते हों। आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 10 (2) (एल) के तहत शक्तियों को लागू करने वाले गृह सचिव द्वारा जारी इस आदेश में उस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। लॉकडाउन के कारण विभिन्न स्थानों पर फंसे प्रवासी श्रमिकों, छात्रों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों और अन्य व्यक्तियों को निम्न शर्तोंं पर आगे बढ़ने की अनुमति दी जाएगी:



1. सभी राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को नोडल अधिकारियों को नामित करना चाहिए और ऐसे फंसे व्यक्तियों को प्राप्त करने और भेजने के लिए मानक प्रोटोकॉल विकसित करना चाहिए। नोडल अधिकारियों को अपने राज्यों / संघ राज्य क्षेत्रों के भीतर फंसे व्यक्तियों को भी पंजीकृत करना चाहिए।


2. यदि फंसे हुए व्यक्तियों का एक समूह एक राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश और दूसरे राज्य / केंद्रशासित प्रदेश के बीच स्थानांतरित होना चाहता है, तो भेजने और प्राप्त करने वाले राज्य एक-दूसरे से परामर्श कर सकते हैं और सड़क के रास्ते से उन्हें भेजने के लिए सहमत हो सकते हैं। आगे बढ़ने वाले व्यक्तियों की जांच की जाएगी और यदि विषम व्यक्ति पाया गया तो उसे आगे बढ़ने नहीं दिया जाएगा।


3. व्यक्तियों के समूह के परिवहन के लिए बसों का उपयोग किया जाएगा। बसों को सुरक्षित किया जाएगा और बैठने में सुरक्षित सामाजिक दूरी, सुरक्षा मानदंडों का पालन किया जाएगा।


4. रास्ते में आने वाले राज्य / केंद्र शासित प्रदेश ऐसे व्यक्तियों को प्राप्त राज्य / संघ राज्य क्षेत्र में जाने की अनुमति देंगे।


5. अपने गंतव्य पर पहुंचने पर, ऐसे व्यक्तियों की जांच स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा की जाएगी और उन्हें घर में क्वारंटाइन में रखा जाएगा, जब तक कि जांच के लिए व्यक्तियों को एक साथ क्वारंटाइन में रखने की आवश्यकता न हो। समय-समय पर उनकी स्वास्थ्य जांच की जाएगी। आदेश में कहा गया है कि ऐसे व्यक्तियों को उनके स्वास्थ्य की स्थिति की निगरानी और ट्रैकिंग के लिए आरोग्य सेतु ऐप का उपयोग करने के लिए "प्रोत्साहित" किया जाएगा। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 परीक्षण में नेगेटिव आए प्रवासी मज़दूरों को उनके मूल स्थान वापस लौटने के संबंध में निर्देश देने की मांग वाली एक जनहित याचिका पर केंद्र का जवाब मांगा था।



सोमवार, 27 अप्रैल 2020

विदेशों से भारतीय नागरिकों / ओसीआई कार्ड धारकों के शव COVID-19 दिशा-निर्देशों के पालन के अधीन आने की अनुमति: गृह मंत्रालय

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन को स्पष्ट किया कि विदेशों से भारतीय नागरिकों / ओसीआई कार्ड धारकों के शवों और नश्वर अवशेषों के आगमन की अनुमति है, जो COVID-19 प्रबंधन के संबंध में विभिन्न विभागों द्वारा जारी दिशा-निर्देशों / निर्देशों के पालन के अधीन है। कार्यालय ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी की गई मानक प्रक्रिया का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि COVID-19 के संक्रमण के कारण मौत होने पर विदेशों में रखे गए भारतीय नागरिकों के शवों को वापस लाने के लिए उचित कदम उठाए जाएं। ये याचिका एक एनजीओ, प्रवासी लीगल सेल ने दाखिल की है।


याचिकाकर्ता एनजीओ ने कहा है कि इस महत्वपूर्ण स्तर पर, भारत में अधिकारियों द्वारा यहां अनापत्ति प्रमाण पत्र की मांग करने की असामान्य प्रक्रिया, पूरे प्रत्यावर्तन को एक थकाऊ प्रक्रिया बनाती है, इसके परिणामस्वरूप, कई भारतीयों के मृत शरीर विशेष रूप से बहरीन, ओमान, कुवैत, यूएई और सऊदी अरब जैसे देशों के हवाई अड्डों पर छोड़ दिए गए हैं। फरवरी में, दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर इसी तरह की याचिका का जवाब देते हुए, भारत संघ ने दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि नश्वर अवशेषों के प्रत्यावर्तन के लिए 48 घंटे की अग्रिम सूचना का नियम अनिवार्य नहीं है और आवेदक संबंधित अधिकारियों को अपेक्षित दस्तावेजों की आपूर्ति करता है तो यदि यह छूट दी जा सकती है। नियम कहता है, "हवाई परिवहन सेवा मृतक के शरीर या मानव अवशेषों या शवों के आने की अग्रिम सूचना हवाई अड्डे के स्वास्थ्य अधिकारी को कम से कम 48 घंटे पहले देगी।" सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि 48 घंटे की अग्रिम सूचना अनिवार्य नहीं है, बशर्ते आवेदक संबंधित स्वास्थ्य कार्यालय को नीचे दिए गए चार दस्तावेज़ प्रदान करता है: संबंधित देश के स्वास्थ्य विभाग द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र- स्पष्ट रूप से मृत्यु के कारण का उल्लेख करना; प्रमाणिक प्रमाण पत्र; संबंधित देश के भारतीय उच्चायोग से एनओसी; पासपोर्ट की केंसल कॉपी।


जन्म दिन के उपलक्ष्य मे किये बृक्षा रोपण

आज आधुनिक युग मे जहा आज के नव जवान प्रकृत के नियमो का पूरी तरह से उलंघन करते देखे जाते है वही समाज सेवा मे लगा युवा पत्रकार धीरज कुमार समय समय पर काबिले तारीफ का काम करे देखे जाते है। प्राप्त सूचना के अनुसार थाना सिकरारा अंतर्गत ग्राम सभा बढ़ौली निवासी युवा पत्रकार धीरज कुमार का आज जन्मदिन है वैसे आज के युवा जन्मदिन पर महज सैर



सपाटा करते देखे जाते है मगर इस युवा ने अपने जन्मदिन पर खाली जगह पर बृक्षा रोपण का कार्य किया, अमरूद का पेड लगाने के एक सवाल पर धीरज ने बताया कि अमरूद आयुर्वेद का अनमोल धरोहर है जिसमे विटामिन सी की भरपूर मात्रा मिलती है अमरूद के साथ धीरज ने कई प्रजातियो का पौधा रोपण किया,धीरज के जन्मदिन के उपलक्ष्य मे उनके तमाम मित्रो ने मोबाइल के जरिये बधाई दिये। 


सरपंच ने निकाला तो गोद में मासूम को लेकर पैदल ही चल पड़े प्रवासी मजदूर

चरखी दादरी. छोटे-छोटे बच्चे, उनके पैरों में चप्पल नहीं और मासूम को गोद में लिए बेआसरा श्रमिक परिवार घर पहुंचने की चाह में पैदल ही निकल पड़े. लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान एक गांव के सरपंच ने श्रमिक परिवार को घर से निकाल दिया, तो सभी सदस्य सिर पर सामान लेकर पैदल ही चल पड़े. पैदल चले रहे श्रमिकों को देखकर कुछ लोगों ने प्रशासन को अवगत करवाया और श्रमिक परिवारों के लिए शेल्टर होम में व्यवस्था करवाने की मांग की. हरकत में आए स्थानीय प्रशासन ने श्रमिकों को शेल्टर होम में शरण दिलवाई.

बता दें कि उत्तर प्रदेश से हरियाणा में दो पैसे कमाने के लिए कई श्रमिक परिवार आए थे. कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर लागू लॉकडाउन में फंसने पर वे एक गांव में रुके थे. राशन-पानी समाप्त होने पर सरपंच से न्याय की गुहार लगाई. कुछ दिन तो राशन-पानी मिला. बाद में उन्हें यह कहकर निकाल दिया गया कि श्रमिक परिवारों के लिए प्रशासन द्वारा वाहनों का प्रबंध करके भेजा जा रहा है. ऐसे में श्रमिक परिवारों के करीब दो दर्जन सदस्य सामान सिर पर लादकर पैदल ही निकल पड़े. चरखी दादरी के समीप करीब 15 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद सड़क पर ही रुके, तो स्थानीय लोगों ने प्रशासन को अवगत करवाया.

यूपी से आए हैं सभी
श्रमिक रामभूल, राजू, पार्वती इत्यादि ने बताया कि वे यहां पर पैसे कमाने के लिए यूपी से आए थे. लॉकडाउन के कारण काम-धंधा बंद हो गया. एक गांव में रुक कर सरपंच से राशन-पानी लिया. अब उन्हें यह कहकर भेज दिया कि प्रशासन ने वाहनों का प्रबंध करके घर भेजा जा रहा है. कोई साधन नहीं मिला तो पैदल ही निकल पड़े.


प्रशासन को दी जानकारी
इन लोगों ने बताया कि वे करीब 30 लोग हैं, जिनमें बच्चे व महिलाएं भी शामिल हैं. अब उन्हें पता ही नहीं कि साधन कहां मिलेंगे और वे कब घर पहुंच पाएंगे. वहीं, समाजसेवी जितेंद्र जटासरा ने श्रमिकों के पैदल चलने की जानकारी स्थानीय प्रशासन को दी. उन्होंने बताया कि श्रमिकों को गांव से बिना वाहन निकालना गलत है. ऐसे में प्रशासन को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.


बुजुर्गों के लिए हल्दी और मिर्च पिसवाएगी , टूटा चश्मा भी ठीक करवाएगी-पुलिस

राजगढ़. कोरोना वायरस (COVID-19) को लेकर लागू लॉकडाउन (Lockdown) के बीच पुलिस आम लोगों की मदद के लिए हरसंभव प्रयास करने में जुटी है. विभिन्न राज्यों से पुलिस के जवानों की ऐसी खबरें रोज आ रही हैं. इसी क्रम में मध्य प्रदेश के राजगढ़ की पुलिस ने अनोखा कदम उठाया है. राजगढ़ पुलिस (Rajgarh Police) ने लॉकडाउन के दौरान आम लोगों के साथ-साथ बुजुर्ग नागरिकों (Senior Citizens) का खास ख्याल रखने को योजना बनाई है."वरिष्ठ नागरिक पुलिस पंचायत" के तहत



जिले के पुलिस कप्तान प्रदीप शर्मा ने बुजुर्गों की मदद के लिए अलग से स्टाफ की तैनाती की है. महिलाओं की मदद के लिए हर एक थाने में एक एक महिला पुलिसकर्मी को नोडल अधिकारी भी बनाया गया है, जिनके मोबाइल नंबर पर फोन लगाकार बुजुर्ग व्यक्ति बेहिचक अपनी परेशानी बता सकता है. ये स्टाफ बुजुर्गों का चश्मा ठीक कराने, राशन-सब्जी लाने और यहां तक कि हल्दी-मिर्च जैसे मसाले पिसवाने का काम भी करेंगे.


 


पुलिस विभाग बोला-ई-मेल पर करो काम,कोरोना को कहो बाय-बाय

भोपाल. एमपी (mp) में पुलिस मुख्यालय (phq) हो या फिर पुलिस थाना. इन सभी जगहों पर पुलिस अधिकारी कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव (corona positive)  पाए गए हैं. पुलिस विभाग में कोरोना संक्रमण की चेन बन गयी है. इस चेन को ब्रेक करने के लिए पुलिस मुख्यालय ने गाइड लाइन जारी की हैं, जिस पर अमल शुरू हो गया है. विभाग में सारा काम ई-मेल(e-mail) पर हो रहा है. पुलिस अधिकारी कर्मचारी एक दूसरे के सीधे संपर्क में ना आएं इसके लिए तमाम पत्राचार का अब ईमेल के जरिए किया जा रहा है.



भोपाल और इंदौर में खासतौर से पुलिस अपना अधिकांश काम ईमेल के जरिए कर रही है. जिलों के पुलिस हेड क्वार्टर, पुलिस लाइन, एडीजी ऑफिस, डीआईजी ऑफिस, एसपी ऑफिस, एडिशनल एसपी ऑफिस, सीएसपी ऑफिस के तमाम काम ई-मेल के ज़रिए किए जा रहे हैं. इसके अलावा छोटी मोटी जानकारी के लिए फोन पर संपर्क कर उसे हल करने की कोशिश की जा रही है. थाना स्तर पर जो काम पहले ईमेल से होते थे वो भी अब ई-मेल से हो रहे हैं. जो जरूरी काम है उनके लिए जरूर पुलिसकर्मी पत्राचार करते हैं. लेकिन यह काम ना के बराबर हो रहे हैं. ई-मेल पर काम करने से काम में तेजी आई है.

संक्रमण के मामले में पुलिस दूसरे नंबर पर
कोरोना वायरस के आंकड़ों पर नजर डालें तो भोपाल और इंदौर में सबसे ज्यादा संक्रमण स्वास्थ विभाग में फैला है. उसके बाद दूसरे नंबर पर पुलिस विभाग है. थानों में पुलिसकर्मियों के कोरोना पॉजिटिव निकलने के बाद तमाम उपाय जरूर किए जा रहे हैं, लेकिन पुलिस विभाग में संक्रमण फैलने का खतरा अभी भी बना हुआ है.

पीएचक्यू में भी कोरोना का डर
पुलिस मुख्यालय स्थित स्पेशल ब्रांच के एक कांस्टेबल और राज्य स्तरीय महिला हेल्पलाइन की एक महिला कॉन्स्टेबल के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद पुलिस मुख्यालय में भी हड़कंप है. यहां के कर्मचारियों के सैंपल लेकर उनकी जांच कराई जा रही है. कुछ दिन पहले ही स्पेशल ब्रांच के एक कांस्टेबल की कोरोना वायरस की रिपोर्ट आई थी. महिला हेल्पलाइन की एक महिला कॉन्स्टेबल के पॉजिटिव आने के बाद हेल्पलाइन ऑफिस में सिर्फ तीन या चार पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है. इसके अलावा ईओडब्ल्यू के चीफ राजीव टंडन के ड्राइवर के कोरोना पॉजिटिव निकलने के बाद पूरे ऑफिस को सील कर दिया गया है.इन दफ्तरों में भी अब काम ई-मेल से हो रहा है.


लॉकडाउन में कम हो गए अपराध, लेकिन आगे आने वाली है बड़ी चुनौती!


 







नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते पूरे देश में 40 दिन का लॉकडाउन (Lockdown) चल रहा है. ऐसे में देश के कई हिस्सों से अपराध (Crime) के ग्राफ में कमी की खबर है. मारपीट, चेन स्नैचिंग, वाहन चोरी, लूट, फिरौती, अपहरण, रंगदारी, आत्महत्या सहित कई प्रकार के आपराधिक वारदातों के मामलों पर नजर डालें तो इसके ग्राफ में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है. हालांकि, लॉकडाउन के दौरान यूपी-बिहार (UP-Bihar) जैसे कुछ राज्यों में छिटपुट घटनाएं हुई हैं. इसके बावजूद पुलिस विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पहले की तुलना में सभी प्रकार के अपराध में 75 प्रतिशत की कमी आई है. हालांकि पुलिस का कहना है कि आने वाले दिनों में बेरोजगारी की वजह से अपराध की चुनौती बढ़ सकती है.



लॉकडाउन के दौरान अपराध में कमी
गौरतलब है कि राष्ट्रीय अपराध शाखा रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau) के मुताबिक, 'देश में हर साल तकरीबन 30 हजार लोगों की हत्या के मामले में एफआईआर दर्ज किए जाते हैं. लेकिन, लाकडॉउन के दौरान इनमें काफी कमी आई है. अनुमान है कि लॉकडाउन के दौरान हत्या के दर्ज मामलों में 50 प्रतिशत से भी ज्यादा की कमी आई है. फिलहाल अभी कोई डाटा नहीं है. आत्महत्या के मामले में भी काफी कमी आई है. ऐसे में कहा जा सकता है कि लॉकडाउन के कारण अपराध के मामले में लोगों को घर में रहने का फायदा मिल रहा है. लॉकडाउन के दौरान अपराध में कमी की मूल वजह पुलिस की चौकसी है. लॉकडाउन के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने में जुटी पुलिस हर जगह तैनात है. इस वजह से भी अपराध कम हो रहे हैं. बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के साथ-साथ पुलिस अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाने में भी जुटी है. इसी वजह से ये सुखद आंकड़े दिख रहे हैं. हालांकि, यह स्थायी समाधान नहीं है. किसी व्यक्ति को घर में रख कर अपराध पर काबू पा नहीं सकते. लॉकडाउन से पहले या बीच में भी अन्य राज्यों से कई लोग आए हैं. लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी लोग आएंगे. ऐसे में आने वाले दिनों में उन लोगों के सामने रोजगार का संकट सामने खड़ा होने वाला है. इस स्थिति में पुलिस को ज्यादा चौकस रहना पड़ेगा.



ग्रामीण इलाकों का क्या है हाल
अगर बात देश की ग्रामीण क्षेत्रों की करें तो वहां भी अपराध में काफी कमी आई है. एक-दो घटनाओं को छोड़ दें तो ग्रामीण इलाकों में शांति है. बिहार के बेगूसराय जिले के खोदावंदपुर प्रखंड के एसएचओ दिनेश कुमार कहते हैं, लॉकडाउन के दौरान पहले की तुलना में अपराध काफी कम हो गए हैं. थाने में अब एफआईआर भी कम दर्ज हो रही है. पहले महीने में 15-20 एफआईआर दर्ज होती थी. वहां पर बीते एक महीने में सिर्फ 5 ही हुई है.'

कुछ जिलों में अपराध बढ़े
हालांकि, लॉकडाउन के दौरान बिहार के कुछ जिलों से अपराध की खबरें भी आ रही हैं. बीते कुछ घंटों में ही बेगूसराय में चार लोगों की हत्या कर दी गई है. जहानाबाद जैसे जिले भी हैं, जहां पर चोरी की घटनाओं में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इसका कारण माना जा रहा है कि लॉकडाउन की वजह से लोग एक जगह फंसे हुए हैं. ऐसे में कई गांवों के घर बंद हैं, जिसका फायदा चोर उठा रहे हैं.








दूसरे राज्यों में 14 दिन की क्वारंटीन अवधि पूरी कर चुके उत्तर प्रदेश के श्रमिकों, कामगारों और मजदूरों को चरणबद्ध तरीके से वापस लाया जाएगा,मुख्यमंत्री योगी

लखनऊ :- यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक फैसले से प्रदेश के 10 लाख से भी ज्यादा परिवारों को राहत मिली है। मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को फैसला लिया था कि दूसरे राज्यों में 14 दिन की क्वारंटीन अवधि पूरी कर चुके उत्तर प्रदेश के श्रमिकों, कामगारों और मजदूरों को चरणबद्ध तरीके से वापस लाया जाएगा। । प्रदेश के सबसे ज्यादा श्रमिक महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात और हरियाणा समेत अन्य प्रदेशों में काम करते हैं। इनकी संख्या एक मोटे अनुमान के मुताबिक 10 लाख के आसपास है।


हरियाणा में फंसे मजदूर लाए जा सकते हैं सबसे पहले


श्रमिकों को वापस लाने की कवायद के तहत पहले चरण में शनिवार से हरियाणा से लगभग 11 हजार श्रमिक लाए जाएंगे। हरियाणा से आने वाले मजदूरों को 14 दिन के क्वारंटीन में रखने के निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 14 दिन बाद जब इन्हें घर भेजा जाए तो इनके साथ खाद्यान्न का पैकेट भी भेजा जाए। अगले 2 माह के अंदर प्रदेश में 5 से 10 लाख श्रमिकों के लौटने की सम्भावना है। ऐसे में इनके लिए शेल्टर होम्स स्थापित कर वहां क्वारंटीन की व्यवस्था की जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि लोग क्वारंटीन से भागने न पाएं।



लॉकडाउन को लेकर क्या है योगी सरकार का प्लान, इन जिलों में मिल सकती है राहत

लखनऊ :- यूपी में कोरोना वायरस के मामले धीरे-धीरे बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में सरकार लॉकडाउन में किसी भी तरह से ढील देने के मूड में नहीं है। हालांकि शासन स्तर पर इस मामले में मंथन चल रहा है कि उन जिलों पर पहले फोकस किया जाए जहां कोरोना के मामले कम है। अधिकारियों की बैठक में तय हुआ है कि जिन जिले में एक भी केस नहीं मिले या जहां दस से कम कोरोना के मामले आए हैं वहां ध्यान दिया जाए और वहां औद्योगिक गतिविधियां जल्द शुरू हो सकती हैं। इस तरह करीब 45 जिलों में छोटी बड़ी औद्योगिक गतिविधियां शुरू की जा सकती हैं।



शनिवार तक इन जिलों में एक भी केस नहीं


अमेठी, फर्रुखाबाद, जालौन, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट , सिद्धार्थनगर ,कानपुर देहात, फतेहपुर, , कुशीनगर, देवरिया, बलिया, चंदौली व सोनभद्र। शनिवार तक आए केस के मुताबिक यह जिले चिन्हित हुए हैं।


10 या उससे कम केस वाले जिलों में उद्योगों पर खास फोकस


हाथरस, मथुरा, एटा, कासगंज, मैनपुरी, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, खीरी, उन्नाव, कन्नौज, इटावा, बांदा, प्रतापगढ़, कौशाम्बी, प्रयागराज, बाराबंकी, अयोध्या, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, महराजगंज, आजमगढ़, मऊ जौनपुर, गाजीपुर , गोरखपुर, संतरविदास नगर व मिर्जापुर।


10 से ज्यादा केस वाले जिलों में लाकडाउन का कराया जा रहा सख्ती से पालन


शासन में उच्चस्तरीय बैठक में कहा गया कि 10 से ज्यादा केस वाले जिलों में लाकडाउन का सख्ती से पालन कराया जा रहा है। ऐसे में वहां औद्योगिक गतिविधियां शुरू करने में खासी मुश्किलें आएंगी। असल में विडम्बना यह है कि सर्वाधिक उद्योग वाले पश्चिमी यूपी के लगभग सभी जिले कोरोना संक्रमण से ग्रस्त हैं जबकि इस मामले में बुंदेलखंड बहुत बेहतर स्थिति में हैं। पश्चिमी यूपी जैसा हाल मध्य यूपी का है। बेहतर स्थिति में अपेक्षाकृत पूर्वांचल है। 


जहां ज्यादा केस वहां जारी रहेगा लॉकडाउन, पीएम मोदी का सन्देश

कोरोना वायरस महामारी संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात की। इस बैठक में पीएम मोदी ने लॉकडाउन खोलने को लेकर चर्चा की और कहा कि इसपर एक नीति तैयार करनी होगी, जिसपर राज्य सरकार को विस्तार से काम करना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बैठक में कहा कि राज्य सरकार अपनी नीति तैयार करें और किस तरह लॉकडाउन को खोला जाए। इसमें रेड, ग्रीन और ऑरेंज जोन में राज्य अपने इलाकों में लॉकडाउन को खोला जा सकता है।



जिन राज्यों में अधिक केस है, वहां लॉकडाउन जारी रहेगा, जिन राज्यों में केस कम है वहां जिलेवार राहत दी जाएगी।पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि अर्थव्यवस्था को लेकर टेंशन न लें, हमारी अर्थव्यवस्था अच्छी है। बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश के अलग-अलग जिलों को जोन के हिसाब से बांटा है, अभी करीब 170 से अधिक जिले रेड जोन में शामिल हैं। 


 


जनार्द इंडियन गैस एजेंसी सेमरी जंघई की तरफ से 21000 का सहायता राशि

 जनार्द इंडियन गैस एजेंसी सेमरी, जंघई, जौनपुर के संतोष कुमार सिंह द्वारा कोविड-19 के दृष्टिगत गरीबों, असहायों एवं निराश्रितों के सहायतार्थ इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी के नाम से 21000 रूपये का चेक जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह को दिया गया गया।


मलिन बस्ती में बांटे गए उद्भव संस्था के राशन किट

संस्थापक, उद्भव संस्था/प्रोजेक्ट साइंटिस्ट आईआईटी दिल्ली मानवी अजीत सिंह व राहुल चौधरी ने कोरोना संक्रमण के दृष्टिगत जनपद जौनपुर के गरीब, असहाय एवं निराश्रितों के सहायतार्थ संस्था के वालेंटियर उषा सिंह स्टाफ टीडी कालेज, स्वाति श्रीवास्तव, संस्था के जनपद प्रभारी आशीष श्रीवस्तव के माध्यम से 25 पैकेट राशन किट दिनेश कुमार सिंह को कलेक्ट्रेट में दी



गई। राशन किट में 05 किलो आटा, 03 किलो चावल, 01 किलो दाल, 05 पैकेट मशाला, आधा किलो गुड़, 250 मिली. सरसों का तेल, 01 किलो नमक, नहाने व कपड़े धोने के साबुन, बिस्किट्स के पैकेट दिए गए। उद्भव संस्था द्वारा दिए गए राशन पैकेट्स को मतापुर मलीन बस्ती में गरीब परिवारों को जिलापूर्ति अधिकारी अजय सिंह की देख रेख में बांटा गया, बच्चों को चॉकलेट बिस्किट भी बाटे गए।


अग्रणी बैंक यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया ने आपदा रहत कोष में एक लाख इक्कीस हजार रुपये का दी आर्थिक सहयोग

वैश्विक महामारी कोरोना के समूल उन्मूलन के लिए जनपद के अग्रणी बैंक यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया ने जनपद के सभी शाखाओं के कर्मचारियों के सहयोग से आपदा रहत कोष में एक लाख इक्कीस हजार रुपये का आर्थिक सहयोग किया है।सोमवार को यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया के क्षेत्र प्रमुख नवनीत गुप्ता, एलडीएम  उदय नारायण, विकास भवन शाखा प्रबंधक श्याम शर्मा ने जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह को आपदा रहत कोष जौनपुर के नाम एक लाख इक्कीस हजार रुपये का डिमांड ड्राफ्ट सौंपा साथ ही 500 प्रोटेक्टिव केयर मास्क और सेनेटैजेर भी सौंपे गए। इस अवसर पर यूबीआई क्षेत्र प्रमुख नवनीत गुप्ता ने बताया कि जिले का अग्रणी बैंक होने के नाते, जनपद के सभी 102 शाखाओं के कर्मचारी हर प्रकार से सरकार द्वारा दी जाने वाली योजनाओं का लाभ लाभार्थियों तक पहुँचाने में तत्पर हैं. क्षेत्र प्रमुख ने यह भी स्पष्ट किया की खातों में आया पैसा ग्राहकों के खाते में ही रहेगा, वापस नहीं जायेगा अतः किसी भी अफवाह पर ध्यान ना दें और शाखाओं में सामाजिक दूरी का पालन करते हुए पैसों की निकासी करें.  बैंक अपने 100 से ज्यादा एटीएम और 400 बैंक मित्रों के माध्यम से सुदूर क्षेत्रों में भी अपनी सेवाएँ दे रहा है, सभी



सम्मानित ग्राहकों से यह आग्रह किया है कि शाखा में आते समय अपना मुहँ-ढँक कर रखे, किसी भी अनावश्यक स्थान को ना छुवे, स्थानीय शासन द्वारा जारी दिशा निर्देशों का पालन करें और अपना सहयोग दें. राष्ट्रीय स्तर पर भी बैंक ने स्टाफ सदस्यों के सहयोग से प्रधानमंत्री केयर फंड में लगभग 14 करोड़ रुपये जमा कराये हैं। भविष्य में भी बैंक अपने सामजिक कर्तव्यों के निर्वहन एवं सहयोग हेतु प्रतिबद्ध है।


रविवार, 26 अप्रैल 2020

गरीबो को अन्न व भोजन देते समय जरूरी है लेना? विडियो एवं फोटो

जौनपुर, आज पूरे देश मे वायल हो रही विडियो एवं तस्वीरो मे सबसे ज्यादा फोटो और विडियो वायल हो रहा है उसमे देखने से पता चलता है कि कोई प्रतिदिन 10 हजार लोगो को खाना खिला रहा है तो कोई 50 हजार लोगो को, कोई गरीब बस्तीयो मे जाकर 10 किलो रासन सामान बांट रहा है तो कोई घर घर जाकर 1किलो आटा का पैकट ही वितरण कर रहा है सबसे अहम और सोचने वाली बात यह है कि हम शोशल मीडिया पर वायरल हर बात पर नजर रखते है मगर उसी शोशल मीडिया पर वायरल एक विडियो को अनदेखा कर दिया गया है जिस देख कर गरीबो को दान करते हुए कि जारही विउियो रिकार्डिंग मानवता को शर्मसार करती है



विडियो मे दिखागया गया है कि दरवाजे से एक बच्चा भागते हुए घर मे आता है और घर के अंदर आकर रोटी के लिए परेशान अपनी बड़ी दोनो बहनो को खुसी से बताता है कि दीदी बाहर मुफ्त का राशन बट रहा है बच्चे कि बात सुन दोनो बहने खुशी से भागते हुए दरवाजे पर आती है और राशन का पैकट थामने को तैयार होती है उसी समय राशन विरण करने वाले लोग कहते है कि आपको राशन का थैला देते हुए हमे विडियो निकालनी है इतना सुनते ही लड़की हाॅथ खीच लेती है और कहती है नही भईया मुझे इसकी जरूरत नही, घर मे आकर अपने भाई बहनो के बीच मे रोते हुए कहती है कि ए लोग दान नही ब्यापार कर रहे है तस्वीरो का ब्यापार। उस विडियो को देखकर वास्तव मे इंसान सोचने पर मजबूर हो जाता है कि एक तरफ सुविधा सम्पन्न लोग गरीबो को खाना खिलाने के नाम पर धन खर्च कर रहे है क्या यही उनकी पहचान कम है? क्या उनको यह बताना जरूरी है कि वे प्रतिदिन हजार या दस हजार लोागो को भोजन करवाते है,मिली जानकारी के अनुसार गुजरात के जिला सूरत मे विगत दिनो किसी भले मानव ने महज 1 किलो के आटे का पैकट ट्रक मे भर कर देर रात गरीब बस्ती के के बेहद गरीबो मे वितरण किया रात के समय 1 किलो आटा वही लेने गया जो वास्तव मे बहुत गरीब था यहक्या आटा का पैकट घर लाकर जब खोला गया तो प्रत्येक पैकट मे 15 हजार रू0 नगद मिले, तस्वीर और विडियो की बात क्या करे उस दान दाता का नाम तक किसी को नही पता ऐसा दान दाता ही हमारे देश का वास्तविक मददगार है, सारी कहानी का निश्कर्ष निकलता है कि किसी भुखे को खाना देते हुए फोटो खीचना आाखिर क्यो जरूरी है? क्या कल उस तस्वीर को दिखा कर सरकार से लाभ लेना है या समाज मे गरीबो का मसिहा बनक नाम कमाना है? 


भण्डारी रेलवे स्टेशन स्थित राज कालेज का मैदान बना अस्थायी सब्जी मण्डी

 कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के मद्देनजर सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के क्रम में जिला प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए पुरानी सब्जीमण्डी को नगर के भण्डारी स्टेशन स्थित राजकालेज के मैदान में अस्थायी तौर पर स्थानान्तरित करने का फैसला लिया है। इसी क्रम में अपर जिलाधिकारी राम प्रकाश ने मंडी संघ के व्यापारी नेता, सब्जी व्यवसायी एवं सरकारी अमला के साथ राज कालेज के मैदान का मौका मुआयना किया और कहा कि यहां पर्याप्त जगह होने के कारण सभी को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने में आसानी होगी।  उन्होंने कहा कि व्यवसायी सुनिश्चित करेगें किसी भी कीमत पर सोशल डिस्टेंसिग का



उल्लंघन न हो और न ही उनका व्यवसाय प्रभावित हो। दुकानों और व्यक्तियों के प्रति पर्याप्त दूरी रखी जाय।  व्यवसायी प्रशासन का सहयोग करें, प्रशासन हमेशा व्यवसायी वर्ग के हितों की रक्षा हेतु तैयार है। इस मौके पर सिटी मजिस्ट्रेट सहदेव मिश्रा, सीओ सिटी सुशील कुमार सिंह, प्रभारी निरीक्षक कोतवाली पवन उपाध्याय, राज डिग्री कालेज जौनपुर से डॉ मनोज वत्स, पुरानी मंडी के अध्यक्ष, व्यापारी नेता महेन्द्र सोनकर, जावेद इशरत आदि मौजूद रहे।      
                                    


मारुति कार से 40 कट्टा व 50 किलो तम्बाखू किया गया जप्त

मारुति कार से 40 कट्टा कुल 50 किलो तम्बाखू जप्त किया गया था । आरोपी सतीश अग्रवाल द्वारा लाकडाऊन का उलंघन किया गया था जिस संबंध कार्यालय दंडाधिकारी पुसौर से प्रतिवेदन प्राप्त होने पर दिनांक 25.04.2020 को सतीश अग्रवाल के विरूद्ध चौकी जुटमिल (थाना कोतवाली) में अप.क्र. 325/2020 धारा 188 भादवि दर्ज किया गया है ।



वहीं दिनांक 24.04.2020 के सुबह 6.00 बजे हीरापुर चौक में लाक डाउन डियूटी कर रहे कोतरारोड़ स्टाफ द्वारा मुखबिर सूचना पर ग्रे रंग के स्वीप्ट कार क्र. CG13W/685 में राकेश बघेल पिता विजय बघेल उम्र 28 साल साकिन नवापारा बघेल मोहल्ला थाना कोतरारोड को शराब लेकर बिक्री करने हेतु कुरमापाली, गोर्रा की ओर जाते हुए पकड़े जिसके पास से 65 लीटर कच्ची महुआ शराब जप्त किया गया है ।आरोपी की कार जप्त की गई है, जिसके विरूद्ध थाना कोतरारोड़ में धारा 34(2) 59(क) आबकार एक्ट की कार्यवाही की गई है।


सिस्टम में फसी जननी



सिविल अस्पताल से रेफर होने के बाद दिव्यांग प्रसूता, आपरेशन में जन्मी बेटी मां के साथ


लाक डाउन में मजूदूरी बंद होने से किल्लत में आए परिवार कि दिव्यांग प्रसूता शुक्रवार को लाक़डाउन के सरकारी सिस्टम में फस गई। इस जननी को सरकारी अस्पताल से रेफर के बाद एंबुलेंस भी नहीं मिली। परिजनों के पास पैसे नहीं थे तो जनसहयोग से निशुल्क रोगी सेवा केंद्र हेल्प फार यू ने जुटाई निजी अस्पताल में उपचार की व्यवस्था जुटाई और आपरेशन में जन्मी बेटी और मां अब स्वास्थ्य है।



मदद करना हमारी संस्कृति, दूसरे देश आज थैंक्यू इंडिया कह रहे हैं - मोदी

हमारे किसान खेतो में मेहनत कर रहे हैं जैसे कोई भूखा ना रह जाये। कोई मास्क बना रहा है, तो कोई क्वारैंटाइन में रहते हुए स्कूल की पुताई कर रहा है। कोई पेंशन माफ कर रहा है। यह उमड़ता-घुमड़ता भाव ही लड़ाई को पीपल ड्रिवन बना रहा है।


उन्होंने कहा, ‘बहुत ही आदर के साथ 130 देशवासियों की इस भावना को नमन करता हूं। सरकार ने कोविडवॉरियर्स.जीओवी.इन प्लेटफॉर्म भी तैयार किया है। इसमें सरकार ने सभी को एक-दूसरे से जोड़ दिया है। इससे सवा करोड़ लोग जुड़ चुके हैं। आशा कार्यकर्ता, नर्स सभी जुड़े हैं। ये लोग योजना बनाने में मदद भी कर रहे हैं। हर लड़ाई कुछ न कुछ सिखाकर जाती है। कुछ मार्ग बनाती है, मंजिलों की दिशा भी देती है। भारत में नए बदलाव भी हुए हैं। हर सेक्टर तकनीकी बदलाव की तरफ बढ़ रहा है। देश का हर इनोवेटर नया निर्माण कर रहा है।’ प्रधानमंत्री का यह इस साल का चौथा और मन की बात का कुल 64वां संस्करण है। इससे पहले पीएम मोदी ने 29 मार्च को मन की बात की थी।
मोदी के भाषण की 8 अहम बातें


1. देश एक टीम की तरह काम कर रहा


मोदी ने कहा, ‘जब देश एक टीम बनकर काम करती है, तब हम देखते हैं कि कितना बेहतर हो सकता है। दवाइंया पहुंचाने के लिए लाइफलाइन उड़ान सेवा चल रही है। कई टन दवाएं एक से दूसरे हिस्से में पहुंचाई गई हैं। 60 से ज्यादा ट्रैक पर पार्सल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। डाक सेवा भी मजबूती से काम कर रही है। गरीबों के अकाउंट में सीधे पैसे ट्रांसफर किए जा रहे हैं। गरीबों को सिलेंडर और राशन दिया जा रहा है।’


2. पुलिस को लेकर सोच में भी बदलाव आया


उन्होंने कहा, ‘स्थानीय प्रशासन, राज्य सरकारों की कोरोना से लड़ाई में अहम भूमिका है। हाल ही में जो अध्यादेश लाया गया है, स्वास्थ्यकर्मियों ने इसकी प्रशंसा की है। ऐसे स्वास्थ्यकर्मी जो कोरोना से लड़ाई में लगे हुए हैं, उन पर हमला करने वालों को सजा का प्रावधान किया गया है। पहले की बजाय पुलिस को लेकर सोच में भी बदलाव आया है। आज पुलिस जरूरतमंदों को खाना पहुंचा रही हैं। इससे पुलिस का मानवीय पक्ष सामने आया है। इसके चलते लोग पुलिस से जुड़ रहे हैं। मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में बहुत ही सकारात्मक बदलाव आ सकता है। हमें कभी भी इसे नकारात्मक रंग से रंगना नहीं है।’


3. मदद करना हमारी संस्कृति, दूसरे देश आज थैंक्यू इंडिया कह रहे हैं


मोदी ने कहा, ‘ जो मेरा नहीं है, जिस पर मेरा हक नहीं है, उसे छीनकर उपयोग लाता हूं तो यह विकृति है। जब अपनी जरूरत छोड़कर दूसरे का ध्यान रखा जाता है तो इसे संस्कृति कहते हैं। भारत ने अपनी संस्कृति के अनुरूप फैसले लिए हैं। ये ऐसा समय है, जब भारत किसी देश को दवाएं न दे तो बड़ी बात नहीं है। भारत ने अपनी संस्कृति के अनुरूप फैसला लिया। दुनिया से आ रही मांग पर ध्यान दिया। आज दुनिया के राष्ट्राध्यक्षों से बात होती है तो वे थैंक्यू इंडिया कहते हैं। इससे गर्व और बढ़ जाता है।’



4. इम्यूनिटी बढ़ाने का प्रयोग जरूर करें


‘आप लोग इम्यूनिटी बढ़ाने का प्रयोग जरूर कर रहे होंगे। काढ़े आदि के प्रयोग से प्रतिरक्षा बढ़ाई जा सकती है। जब कोई देश हमारे फॉर्मूले को बताता है तो हम हाथों-हाथ ले लेते हैं। कई बार हम अपने पारंपरिक सिद्धांतों को अपनाने की बजाय छोड़ देते हैं। जैसे विश्व ने योग को स्वीकार किया है, वैसे ही आयुर्वेद को भी स्वीकार करेगा। युवा पीढ़ी को इस बारे में भूमिका निभानी होगी।’


5. अपनी आदतों को बदलें; मॉस्क लगाएं, कहीं भी थूकें नहीं


प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कोविड ने हमारी जीवनशैली में जगह बनाई है। हमारी चेतना और समझ जागृत हुई है। इसमें मास्क पहनना और चेहरा ढंकना है। हमें इसकी आदत नहीं रही, लेकिन हो यही रहा है। अब आप खुद के साथ दूसरों को भी बचाना चाहते हैं तो मास्क जरूर पहनें। गमछा भी बेहतर है। सार्वजनिक स्थानों पर थूक देना गलत आदतों का हिस्सा था। हम हमेशा से इस समस्या को जानते थे, लेकिन यह खत्म नहीं हो रही थी। अब समय है कि थूकने की आदत छोड़ देनी चाहिए। यह बेसिक हाईजीन के साथ कोरोना को फैलने से भी रोकेगी।


6. त्योहार हमें बुरे वक्त से लड़ना सिखाते हैं


उन्होंने कहा, ‘आज अक्षय तृतीया है। यह त्योहार याद दिलाता है कि चाहे कितनी भी विपत्तियां या कठिनाइयां आएं, इससे लड़ने की हमारे ताकत अक्षय रहेगी। इसी दिन पांडवों को सूर्य से अक्षय पात्र मिला था। आज देश के पास अक्षय अन्य भंडार है। हमें पर्यावरण के बारे में सोचना होगा। अगर हम अक्षय रहना चाहते हैं तो पर्यावरण को अक्षय रखना होगा।’


सैफई मेडिकल कॉलेज का हाल / एक कमरे में 5 से 7 मरीज; कचरे से भरे डस्टबिन, कोरोना पॉजिटिव रोगी ने खोली अव्यवस्था की पोल

आगरा/इटावा. स्वच्छता व सामाजिक दूरी बनाकर ही कोरोनावायरस को मात दी जा सकती है। कारण गंदगी कोरोना पॉजिटिव मरीजों के लिए मुसीबत बन सकती है। लेकिन सैफई मेडिकल कॉलेज में अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। यहां वार्ड व शौचालयों में गंदगी का अंबार है। वार्ड में भी मरीजों के बीच सामाजिक दूरी का ख्याल नहीं रखा गया है। इस बाबत एक युवक ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किया है


22 अप्रैल को 69 मरीज सैफई हुए थे शिफ्ट
दरअसल, 22 अप्रैल को आगरा में भगवान टॉकीज स्थित पारस अस्पताल से 69 मरीजों को इटावा के सैफई मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट किया गया था। इनमें कई एक ही परिवार के हैं। जिन्हें अलग अलग वार्ड में रखा गया है। यहां का एक वीडियो सामने आया है। जिसमें मेडिकल कॉलेज में इंतजामों की पोल खोली गई है। वीडियो को एक 17 वर्षीय युवक ने बनाया है। युवक ने बताया कि, वह चार-पांच दिनों से वहां भर्ती है। उसके माता-पिता भी कोरोना पॉजिटिव हैं। वीडियो में वार्डो के बाहर गत्ता और पानी की बोतलें सहित अन्य सामान पड़े दिखे। वार्ड से कुछ दूरी पर चार रंग के बड़े-बड़े डस्टबिन रखे हैं, जो कचरे से पूरी तरह से भरे हैं। इनके आसपास कचरा पड़ा है। फर्श पर पानी है और शौचालय गंदे हैं। यहां तक नल के पास पोंछा टांगा जा रहा है। वॉशबेसिन तक गंदे पड़े हैं। कोरोना पॉजिटिव मरीज ने बताया कि वार्ड में जिस तरीके से शारीरिक दूरी का पालन होना चाहिए, वह नहीं हो रहा है। पासपास बेड पड़े हैं। बेड शीट तक नहीं बदली जा रही हैं। एक ही कमरे में पांच से सात लोगों को रखा गया है। सफाई कर्मचारी नहीं आ रहे हैं। एक अन्य मरीज ने बताया कि शौचालय में बाल्टी और मग तक साफ नहीं हैं।


आगरा में मरीजों की संख्या 371 पहुंची, अब तक 9 की मौत
ताजनगरी में अब तक 371 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। यहां 30 क्षेत्रों में 90 सक्रिय हॉटस्पॉट चिन्हित हैं। जबकि, कुल हॉटस्पॉट की संख्या 104 है। अब तक यहां 9 रोगियों की मौत हो चुकी है। डीएम प्रभु एन सिंह ने बताया कि आवश्यक वस्तुओं की होम डिलीवरी की जा रही है, जबकि निष्क्रिय हॉटस्पॉट की निगरानी रखी जा रही है।


लॉकडाउन तोड़ पुलिस टीम पर हमला,एक गिरफ्तार

बहराइच. उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में अब तक कोरोना के 9 केस सामने आ चुके हैं। ऐसे में प्रशासन सख्ती से लॉकडाउन का पालन करा रही है। लेकिन शनिवार की शाम यहां रामगांव थाना क्षेत्र के भगवानपुर माफी क्षेत्र में खुले में मीट बेचा जा रहा था। सूचना पाकर पहुंची पुलिस टीम ने दुकान बंद कराने की कोशिश की तो उन पर छुरी से हमला कर दिया गया। हमलावरों ने गंभीरवा चौकी इंचार्ज की सर्विस रिवॉल्वर छीनने की कोशिश की। सूचना पाकर पहुंची फोर्स हमलावरों को खदेड़कर स्थिति पर काबू पाया। एक हमलावर को गिरफ्तार किया गया है। रामगांव थाना क्षेत्र के भगवानपुर माफी गांव में शनिवार की शाम ननके बढ़ी पुत्र कैलाश का ससुर देहात कोतवाली के चौखड़िया निवासी लालजी पुत्र धरकन आया था। गांव वालों को भनक लगी कि लालजी में खांसी जुकाम के लक्षण हैं। किसी ने कोरोना संदिग्ध समझकर स्वास्थ्य विभाग को जानकारी दी। जब स्वास्थ्य



महकमे की टीम उसे मेडिकल परीक्षण कराने के लिए लेने पहुंची तो लालजी ने जाने से इंकार कर दिया। जिस पर गम्भीरवा चौकी प्रभारी गौरव सिंह को जानकारी दी गई। वह रिक्रूट सिपाही विशाल जायसवाल के साथ मौके पर पहुंचे और लालजी को इलाज के लिए मेडिकल कालेज भेजकर वह चौकी आ रहे थे। लेकिन भगवानपुर माफी गांव में भीड़ देखकर रूक गए। वहां एक व्यक्ति खुले में चिकेन मीट बेच रहा था। पुलिस ने भीड़ को तितर बितर करने की कोशिश की। तभी मीट बेच रहे अब्दुल ने दरोगा गौरव सिंह पर छुरे से हमला कर दिया। जिसके चलते दरोगा का दाहिना हाथ घायल हो गया। दरोगा का रिवाल्वर भी छीनने की कोशिश की गई। हमलावर तीन युवकों व तीन महिलाओं ने दरोगा व सिपाही से हाथापाई की। इसी दौरान सूचना पर एसएचओ राजमणि शुक्ला पुलिस बल के साथ पहुंच गए। इसके बाद हमलावर मौके से फरार हो गए। दबिश देकर एक हमलावर भगवानपुर माफी निवासी अब्दुल को गिरफ्तार किया गया है। घायल दरोगा व सिपाही का मेडिकल कराया गया है। एसपी डॉ. विपिन कुमार मिश्रा ने बताया कि चौकी प्रभारी गौरव सिंह की तहरीर पर बलवा, जानलेवा हमला, लूट का प्रयास, सरकारी कार्य में बाधा, लॉकडाउन उल्लंघन, महामारी एक्ट में तीन महिलाओं सहित छह लोगों पर केस दर्ज कर लिया गया है।


बहू ने जहर देकर सबको मारा फिर नस काटकर कर लिया था सुसाइड

एटा. उत्तर प्रदेश के एटा जिले में शनिवार को एक मकान में एक ही परिवार के पांच लोगों का शव मिला था। इसके बाद सोशल मीडिया पर हैशटैग एटा मांगे न्याय के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इंसाफ की मांग की गई। इसे एक खास जाति के साथ भी जोड़ा गया। लेकिन 24 घंटे के भीतर एटा पुलिस ने इस मामले का जो खुलासा किया है, वह चौंकाने वाला है। एसएसपी सुनील कुमार सिंह ने बताया- घर की बहू व मृतका दिव्या पचौरी ने अपने ससुर, बहन, बेटे को जहर देकर मारा। दसके बाद अपने छोटे बेटे आरव की मुंह दबाकर हत्या कर दी। इसके बाद दिव्या ने विषाक्त खाया और अपने हाथ की नस काटकर अपनी जान दे दी।



एसएसपी ने बताया कि बहू दिव्या के अलावा 4 लोगों ने खाना खाया था। खाने में विषाक्त पदार्थ मिलाया गया, जो मेडिकल परीक्षण में प्रमाणित हुआ है। बहू दिव्या ने खाना नहीं खाया था। उसके पेट में हार्पिक और विषाक्त पदार्थ मिले हैं। उसने अपने हाथ की नस भी काटी थी।


एफएसएल लैब भेजा गया बिसरा


इस मामले का खुलासा एसएसपी सुनील कुमार सिंह ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर किया है। तीन डॉक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया है। जिसकी वीडियोग्राफी कराई गई। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों के अनुसार, महिला दिव्या ने चार परिजनों को पहले भोजन में विषाक्त खिलाया। इसके बाद खुद विषाक्त खा लिया और हाथ की नस काट ली। बिसरा परीक्षण के लिए सुरक्षित रखा गया है। उसे एफएसएल लैब आगरा भेजा जा रहा है।


एसएसपी ने बताया कि बहू दिव्या के अलावा 4 लोगों ने खाना खाया था। खाने में विषाक्त पदार्थ मिलाया गया, जो मेडिकल परीक्षण में प्रमाणित हुआ है। बहू दिव्या ने खाना नहीं खाया था। उसके पेट में हार्पिक और विषाक्त पदार्थ मिले हैं। उसने अपने हाथ की नस भी काटी थी। उन्होंने बताया कि, इस मामले में पुलिस की छह टीमें बनाई गई हैं, जो सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल के डिटेल, रंजिश आदि का पता लगाने में जुटी हैं। पुलिस का कहना है कि, मुख्य प्रवेश द्वार व छत का दरवाजा बंद होने के कारण बाहर से किसी के प्रवेश का कोई सबूत नहीं मिला है। मृतका के पति दिवाकर से भी बात हुई है, किसी भी प्रकार की रंजिश होना नहीं बताया है।


क्या है मामला?
एटा कोतवाली नगर के श्रृंगार नगर में पूर्व स्वास्थ्य अधिकारी राजेश्वर प्रसाद पचौरी शनिवार सुबह मृत पाए गए थे। उनके साथ उनकी पुत्रवधू दिव्या पचौरी, दिव्या की बहन बुलबुल, आठ साल का बेटा आरुष और एक साल का बेटा आरव भी मृत मिले थे। दिव्या पचौरी का पति दिवाकर पचौरी उत्तराखंड में एक दवा कंपनी में नौकरी करता है। घर पर यही पांच लोग थे। शनिवार की सुबह दूधिया दूध देने पहुंचा, काफी देर तक दरवाजा नहीं खुला, इस पर उसने अंदर झांककर देखा तो वहां शव पड़े थे। 


हिमाचल में निजी स्कूलों की मनमानी: शिक्षामंत्री बोले, जबरदस्ती फीस ली तो नया कानून बनाएंगे

कोरोना (Corona Virus) के संकट के समय में सरकार की ओर से निजी स्कूलों को आगामी आदेशों तक फीस ना वसूलने के आदेश जारी किए गए थे. वहीं निजी स्कूल इन आदेशों को दरकिनार कर लगातार अभिभावकों पर फीस (Fees) जमा करवाने का दबाव बना रहे हैं. शिमला (Shimla) शहर के कई निजी स्कूल अभिभावकों को मैसेज के माध्यम से और व्हाट्सएप के माध्यम से 26 हजार से अधिक की फीस जमा करवाने का फरमान जारी कर रहे हैं. सरकार के आदेश भी निजी स्कूलों की मनमानी को नहीं रोक पाए रहे है, लेकिन अब शिक्षा मंत्री ने थोड़ी राहत यह कह कर अभिभावकों को दी है कि कोई भी अभिभावक बच्चों की फीस नहीं दे पाता है तो स्कूल उससे पैनेल्टी या जुर्माना स्कूल नहीं वसूल सकेंगे.
यह बोले शिक्षा मंत्री
शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने साफ शब्दों में कहा है कि निजी स्कूल शिक्षकों अभिभावकों से जबरदस्ती फीस नहीं ले सकते हैं और ना ही कोरोना के संकट के बीच में शिक्षकों को नौकरी से निकाल सकते हैं. शिक्षकों की सैलरी भी स्कूल नहीं रोक सकते हैं. अगर निजी स्कूल ऐसा करते हैं तो इसके लिए सरकार को नया कानून भी बनाना पड़े तो वह भी बनाया जाएगा, लेकिन निजी स्कूलों को यह मनमानी नहीं करने दी जाएगी.
सजा और जुर्माना भी हो सकता है
शिक्षा मंत्री ने कहा कि कोरोना के समय में एपिडेमिक एक्ट को राज्य सरकार ने अडॉप्ट किया है और वहीं डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत भी अगर कोई संस्था और व्यक्ति विशेष सरकार के आदेशों की अवहेलना करते हैं तो उन पर मुकदमा होने के साथ ही सजा और जुर्माना भी हो सकता है. ऐसे में निजी स्कूलों की मैनेजमेंट से यह आग्रह है कि वह इस समय में अपनी मनमानी को छोड़कर सरकार और आम जनता के साथ सहयोग करें.
अभिभावकों को भी सलाह
शिक्षा मंत्री ने अभिभावकों को भी यह सलाह दी है कि संकट के समय में भी निजी स्कूल अभिभावकों का सहयोग नहीं करते हैं तो अभिभावकों को भी इस बात पर विचार करना चाहिए कि क्या उन्हें अपने बच्चों को ऐसे स्कूलों में शिक्षा देनी चाहिए या नहीं. हालांकि शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि निजी स्कूलों की ओर से लिखित में या मैसेज के माध्यम से अभिभावकों को फीस जमा करवाने को लेकर जो आदेश जारी किए जा रहे हैं, उन पर तो सरकार कुछ नहीं कर सकती है लेकिन इतना जरूर है कि जो अभिभावक जो फ़ीस दे सकते हैं, वह दें. लेकिन जो अभिभावक फीस नहीं दे पा रहे हैं उन्हें किसी भी तरह की पेनल्टी और जुर्माना सरकार नहीं लगने देगी.
मनमानी पर रोक लगाएं: छात्र अभिभावक मंच
इस मामले को लेकर छात्र अभिभावक मंच के संयोजक विजेंदर मेहरा एक बार फिर से मुख्यमंत्री और सरकार से यह मांग की है कि सरकार  निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाए. निजी स्कूल कोरोना के संकट के समय में भी बढ़ी हुई दरों पर अभिभावकों से फीस वसूल रहे हैं. वहीं कोरोना के संकट के बीच कुछ अभिभावक ऐसे हैं जिनका काम कोरोना के चलते बंद पड़ा है और ऐसे में अभिभावक फीस देने में भी असमर्थ हैं. अब सरकार को चाहिए कि वह निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाए और फीस वसूलने के जो आदेश लगातार जारी किए जा रहे हैं उन स्कूलों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाए.
28 एमएचआरडी के साथ होगी बैठक
देशभर में कोरोना की वजह से जहां शिक्षण संस्थान बंद हैं. ऐसे में अब 28 अप्रैल को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ सभी राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की बैठक होने जा रही है. इस बैठक में जहां आगामी समय में शिक्षण संस्थानों की गतिविधियां किस तरह से रहेंगे उन्हें खोला जाएगा या नहीं इसे लेकर चर्चा होगी. तो वहीं फ़ीस और अन्य मामलों पर भी चर्चा की जाएगी. इसके बाद ही प्रदेश सरकार की ओर से भी इन सभी मामलों को लेकर निर्देश जारी किए जाएंगे.


Lockdown: में महंगी पड़ी 85 लाख की पॉर्श कार की सवारी, पुलिस ने युवक से लगवाई उठक बैठक

इंदौर. इंदौर में लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान एक युवक को पॉर्श (Porsche) की सवारी महंगी पड़ गई. बिना मास्क के घूम रहे इस युवक से पुलिस ने उठक बैठक लगवाई और मास्क लगाकर चलने की हिदायत दी. इस घटना की वीडियो सोशल मीडिया (Social Media) में जमकर वायरल हो रहा है.

कोरोना का हॉट स्पॉट बने इंदौर में एक युवक 85 लाख की पॉर्शे लग्जरी कार लेकर घूमने निकल पड़ा. इसे देखकर पुलिस कर्मियों की सांसे फूल गईं. गाड़ी जैसे ही चंद्रगुप्त मौर्य चौराहे पर पहुंची तो पुलिस ने उसे रोक लिया. युवक से पुलिस वाले ने मास्क नहीं लगाने कारण पूछा तो वह संतोषजनक जबाव नहीं दे पाया. फिर क्या था पुलिस ने सबक सिखाने के लिए युवक से बीच सड़क पर कान पकड़कर उठक बैठक लगवा दी और आगे से मास्क पहनने की हिदायत देकर छोड़ दिया.
उद्योगपति का बेटा है चालक
फरारी चलाने वाला युवक इंदौर के जाने माने उद्योगपति दीपक दरियानी का बेटा संस्कार दरियानी है. उसकी कार का नंबर एमपी 09 सीडब्ल्यू 0001 नंबर है. ये कार इंदौर में सांवेर रोड इंडस्ट्रियल एरिया स्थित आशा कन्फेक्शनरी कंपनी के नाम पर रजिस्टर्ड है जिसके मालिक दीपक दरियानी है. ये कंपनी चॉकलेट बनाने का कारोबार करती है.युवक ने कहा- वह खाने का पैकेट बांट घर जा रहा था
युवक का कहना है कि मैं खाने के पैकेट बांटकर घर जा रहा था. इस बीच पुलिस ने रोका तो मैने कार साइड में लगा ली, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने मेरी एक नहीं सुनी और बदतमीजी पर उतारू हो गए. पुलिस वाले मेरे साथ मारपीट पर उतारू हो गए. मुझसे उठक बैठक लगाने को कहा. पुलिसकर्मियों को मैंने बताया कि गाड़ी के अंदर मास्क रखी हुई है.
रोज 10 हजार खाने के पैकेट बंटवा रहे दरियानी
उद्योगपति दीपक दरियानी कोरोना के इस संकट के दौर में रोज खाने के 10 हजार पैकेट सप्लाई कर रहे हैं. ये खाना वो अपनी फैक्ट्री में ही बनवाते हैं और नगर निगम की मदद से जरूरतमंदों तक पहुंचाते हैं. वे कहते हैं ये कि बहुत कठिन समय है ऐसे में शहर का कोई व्यक्ति भूखा नहीं रहना चाहिए इसलिए वो इस सेवा के काम में लगे हुए हैं. इंदौर की गरीब जनता को प्रतिदिन भोजन उपलब्ध करवाने के लिए उन्होंने कमर कस रखी है. दीपक दरियानी की व्यवस्थाओं का जायजा लेने सांसद शंकर लालवानी भी बाणगंगा क्षेत्र स्थित उनकी फैक्ट्री में पहुंचे थे, जहां उन्होंने खाना बनाने में भी सहयोग किया था. वहीं दीपक दरियानी ने अपनी फैक्ट्री की एंबुलेंस भी गांधी मेडिकल कॉलेज को सौंप दी है. उसके साथ दो ड्राइवर भी दिए हैं.
पूर्व सीएम कमलनाथ ने किया था दरियानी की फैक्ट्री का दौरा
अभी हाल ही में 29 फरवरी 2020 को तत्कालीन सीएम कमलनाथ ने दीपक दरियानी की चॉकलेट फैक्ट्री आशा कन्फेक्शनरी का दौरा किया था. इस दौरान उन्होने दरियानी परिवार की जमकर तारीफ भी की थी. उन्होने दीपक दरियानी को मध्य प्रदेश उद्योग जगत का बड़ा उदाहरण बताते हुए कहा था कि एमपी में बहुत सारे दीपक चाहिए, जिस तरह से दरियानी परिवार ने एक छोटे से कमरे में काम शुरू कर यहां तक पहुंचा है. उन्होंने बड़ी इंडस्ट्री खड़ी की है, उसी तरह और भी लोगो को आगे आकर मध्यप्रदेश में आर्थिक गतिविधियों को आगे बढ़ाना होगा.


विमान उड़ाने को तैयार मुंबई एयरपोर्ट, बनाई गाइडलाइन, बस आदेश का इंतजार

नई दिल्ली. भारत में कोरोना वायरस  का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. हर दिन नए रिकॉर्ड को छू रहे हैं. पिछले 24 घंटों की बात करें तो कोरोना वायरस संक्रमण से 56 लोगों की मौत हुई है, जबकि 1,490 नए मामले सामने आए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय  ने मुताबिक अब तक किसी भी दिन इतनी संख्या में लोगों की मौत नहीं हुई है. एक ओर जहां सरकार के लिए चिंता का सबब बनती जा रही है वहीं अब मुंबई एयरपोर्ट  ने कहा है कि वह हवाई सेवा फिर से शुरू करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. मुंबई एयरपोर्ट ने शनिवार को बताया कि उन्होंने हवाई सेवा शुरू करने के सभी इंतजाम पूरे कर लिए हैं. एयरपोर्ट अथॉरिटी के मुताबिक यात्रा के



दौरान सुरक्षा तैयारियों का जायजा लिया जा चुका है. इस दौरान छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट मुंबई की तरफ से हवाई सफर करने वाले यात्रियों के लिए कुछ दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं.हालांकि एयरपोर्ट अथॉरिटी ने ये भी साफ कर दिया है कि वह अभी ये नहीं कह सकती कि विमान सेवाओं को कब तक शुरू किया जाएगा. बताया जा रहा है कि एयरपोर्ट पर 1.5 मीटर की दूरी पर मार्किंग की गई है. एयरपोर्ट अथॉरिटी की ओर से या​त्रियों को इन दूरी का विशेष ध्यान रखने को कहा गया है. इसके अलावा या​त्रियों को यह भी सलाह दी गई है कि वह एयरपोर्ट पर काम कर रहे कर्मचारियों से कम से कम बात करें और ऑनलाइन चेक-इन का इस्तेमाल करें, जिससे उन्हें किसी भी तरह की कोई दिक्कत का सामना न करना पड़े. एयरपोर्ट अथॉरिटी की ओर से यात्रियों से अनुरोध किया गया है अभी कुछ महीनों तक सफर के दौरान कम से कम सामान लेकर ही यात्रा करें. इसी के साथ एयरपोर्ट परिसर में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और भीड़ के साथ एयरपोर्ट पर आने से बचें.


क्वारंटाइन सेंटर से चकमा देकर भागे वृद्धों को पालिका कर्मियों ने पकड़ा, दोबारा पहुंचाया शेल्टर होम

चंदौली. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के चंदौली स्थित अलीनगर में बने शेल्टर होम (Shelter Home) में ठहरे तीन बुजुर्ग रविवार सुबह 11 बजे स्टाफ को चकमा देकर वहां से भाग निकले. बुजुर्गों के भागने की सूचना मिलते ही नगर पालिका अधिकारियों में हड़कंप मच गया. बाद में नगर पालिकाकर्मियों ने सभी को रेलवे स्टेशन के पास से पकड़ लिया और वापस शेल्टर होम ले गए. बता दें, पीडीडीयू नगर पालिका क्षेत्र के अलीनगर स्थित बने इस शेल्टर होम में 16 निराश्रित लोगों को रखा गया है. भागने वाले बुजुर्गों में पंजाब के रहने वाले सज्जन सिंह और बिहार के रहने वाले रामजनम और सुरेश यादव शामिल हैं.



जब पालिककर्मियों ने तीनों पकड़कर शेल्टर होम पहुंचाया तो बुजुर्गों ने वहां ढंक का खाना नहीं मिलने का आरोप लगाया. वहीं, इस संबंध में ईओ कृष्णचंद्र ने बताया कि तीनों बुजुर्ग 25 मार्च को शेल्टर होम में लाये गए थे. शेल्टर होम में कम्युनिटी किचन और सामाजिक संस्थाओं की ओर से ही खाना दिया जा रहा है. लॉकडाउन तक किसी को भी बाहर जाने की इजाजत नहीं दी गयी है.


 


कोरोना पॉजिटिव मरीज का ड्राइवर पहुंचा थाने, SO समेत 51 पुलिसकर्मी क्वारंटाइन

प्रयागराज. मुंबई से आए कोरोना पॉजिटिव दो भाइयों के ड्राइवर के संपर्क में आने की वजह से पूरे कौंधियारा थाने के स्टाफ को क्वारंटाइन किया गया है.दरअसल ड्राइवर अपने निजी काम से दो दिन कौंधियारा थाने पहुंचा था. जिसके चलते एहतियातन एसएसपी ने एसओ समेत 51 पुलिसकर्मियों को क्वारंटाइन में भेज दिया है. हांलांकि ड्राइवर लापता है और पुलिस तलाश में जुटी है. पुलिसकर्मियों को क्वारंटाइन किये जाने की वजह से थाने में नए इंचार्ज की तैनाती भी कर दी गई है. सभी 51 पुलिसकर्मियों को पास के ही स्कूल में क्वारंटाइन किया गया है. वहीं पुलिसकर्मियों को क्वारंटाइन किये जाने से हड़कंप मचा हुआ है. इसके अलावा शंकरगढ़ के कपारी गांव में कोरोना पॉजिटिव मिले दो सगे भाईयों के सम्पर्क में आये 192 लोगों को पुलिस और प्रशासन ने चिन्हित कर उन्हें क्वारंटाइन में भेज दिया है. इसके साथ ही उनके सैंपल भी कोरोना की जांच के लिए लैब भेज दिए गए हैं.


   


        एसओ समेत 51 पुलिसकर्मी किये गए क्वारंटाइन (प्रतीकात्मक तस्वीर )


इसके साथ ही मुंबई से अपने पिता के अंतिम संस्कार में आये कोरोना पॉजिटिव दोनों सगे भाइयों समेत 25 से ज्यादा लोगों के खिलाफ पुलिस ने शंकरगढ़ थाने में लॉकडाउन उल्लंघन और महामारी एक्ट के तहत मुकदमा भी दर्ज कर लिया है. उन पर आरोप है कि उन्होंने तेहरवीं के भोज में अनुमति से ज्यादा लोगों को इकठ्ठा कर लिया था. इसके साथ ही दोनों युवकों को मुंबई से कार से प्रयागराज लेकर पहुंचे ड्राइवर के सम्पर्क में आये कौंधियारा थाना पुलिस को भी एहतियातन आइसोलेट कर दिया गया है. प्रशासन ने शंकरगढ़ के कपारी गांव के तीन किलोमीटर के इलाके को पूरी तरह से सील कर दिया है और हॉटस्पॉट के रूप में उसे तब्दील कर दिया है. एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने कहा है कि फिलहाल 3 मई तक लॉकडाउन प्रभावी है और इसमें कोई ढ़ील नहीं दी गई है. उन्होंने कहा है कि जिले में कोरोना के तीन पॉजिटिव मरीज मिलने के बाद इसका संक्रमण रोकने के लिए पुलिस पूरी मुस्तैदी और सख्ती से लॉकडाउन का पालन करा रही है.


शनिवार, 25 अप्रैल 2020

एस0ओ0जी व थाना लाइन बाजार की संयुक्त टीम द्वारा 25,000 हजार रूपये का इनामी व डकैती के अपराध का वांछित शातिर अभियुक्तबृजेन्द्र उर्फ प्रिन्स गिरफ्तार-

जनपद में अपराध एवं अपराधियों के विरूद्ध प्रभावी नियंत्रण एवं कार्यवाही हेतु चलाये जा रहे अभियान के अन्तर्गत आज दिनांक 25.04.2020 को  पुलिस अधीक्षक, जौनपुर व  अपर पुलिस अधीक्षक नगर, जौनपुर के कुशल निर्देशन में क्षेत्राधिकारी नगर के नेतृत्व में दिनेश प्रकाश पाण्डेय प्रभारी निरीक्षक, थाना- लाइन बाजार, जौनपुर मय हमराह का0 सत्यप्रकाश सिंह, का0 दिलीप सिंह, का0 विजय प्रकाश व म0का0 रीना कुमारी मय वाहन सरकरी यूपी0 62 एजी 0420 रवाना होकर देखभाल क्षेत्र व शान्ति व्यवस्था व कोरोना महामारी को लेकर लाकडाउन ड्यूटी, पेंडिंग विवेचना व तलाश वांछित अभियुक्तगण मुकदमाती पीली कोठी पर मौजूद थे कि तभी एस0ओ0जी0टीम जनपद जौनपुर के निरीक्षक   हंसलाल यादव (प्रभारी ), उ0नि0 श्री अगम दास, उ0नि0 श्री रोहित मिश्रा ,का0 ऋतम, का0 अमित सिंह, का0 शैलेश यादव ,का0 राजन सिंह द्वारा अवगत कराया गया कि महालक्ष्मी ज्वैलर्स डकैती काण्ड का 25,000 रुपये का पुरस्कार घोषित अपराधी बृजेन्द्र उर्फ प्रिन्स पुत्र महेन्द्र प्रताप सिंह निवासी घुरहूपुर थाना केराकत जनपद जौनपुर अपने घर के सामने स्थित मड़ही में बैठा हुआ है और



अपने दोस्तों के साथ बात चीत कर रहा है । यदि जल्दी चला जाय तो पकड़ा जा सकता है । इस सूचना पर तत्काल प्रभारी निरीक्षक लाइन बाजार व एस0ओ0जी0 के टीम के साथ अपने–अपने उपरोक्त सरकारी वाहनों से पीली कोठी से ग्राम घुरहुपुर स्थित बृजेन्द्र उर्फ प्रिन्स के गिरफ्तारी हेतु ग्राम घुरहूपुर अन्तर्गत स्थित बृजेन्द्र उर्फ प्रिन्स के मकान के पास पहुँचे तो पुलिस बल को देखकर बृजेन्द्र उर्फ प्रिन्स उपरोक्त अपने मड़ही से भागने लगा और खेतों की ओर लगातार भागना शुरु किया । पुलिस बल द्वारा इसका पीछा करते हुए दौड़ाकर खेतों खेत दौड़ाते हुए ग्राम घुरहूपुर स्थित एक विरान पड़े घर के पास से इस व्यक्ति को पुलिस बल द्वारा पकड़ लिया गया पकडे गये व्यक्ति से नाम पता पूछा गया तो अपना नाम बृजेन्द्र उर्फ प्रिन्स पुत्र महेन्द्र प्रताप सिंह निवासी घुरहूपुर थाना- केराकत, जनपद- जौनपुर, बताया ।


गिरफ्तार अभियुक्त का विवरण-



  • बृजेन्द्र उर्फ प्रिन्स पुत्र महेन्द्र प्रताप सिंह निवासी घुरहूपुर थाना केराकत जनपद जौनपुर ।


अपराधिक इतिहासः-


1-मु0अ0सं0-1399/2017 धारा-3/25 आर्म्स एक्ट थाना केराकत ,जौनपुर ।


2-मु0अ0सं0-139/2017 धारा-147/148/323/307/504/506/34/120बी भादवि थाना केराकत ,जौनपुर


3-मु0अ0सं0-148/2018 धारा-147/148/323/504/506/307 भादवि व एस0सी0/एस0टी0 एक्ट थाना  बरदह जनपद-आजमगढ़ ।


4-मु0अ0सं0-301/2019 धारा-147/323/504/506/452भादवि ,थाना केराकत जनपद-जौनपुर ।


5-मु0अ0सं0- 447/18 धारा 379/411 भादवि थाना- लाइन बाजार, जौनपुर ।


6-मु0अ0सं0- 458/18 धारा 379/411 भादवि थाना- लाइन बाजार, जौनपुर ।


5-मु0अ0सं0-548/2019 धारा-395/397/412/120बी भादवि ,थाना-लाइन बाजार ,जौनपुर ।


गिरफ्तारी करने वाली पुलिस टीमः-



  1. नि0 दिनेश प्रकाश पाण्डेय,प्रभारी निरीक्षक, थाना- लाइन बाजार, जौनपुर ।



  • नि0 हंसलाल यादव प्रभारी एस0ओ0जी0, जनपद जौनपुर ।

  • उ0नि0 श्री अगम दास , उ0नि0 श्री रोहित मिश्रा एस0ओ0जी0, जनपद जौनपुर ।

  • का0 ऋतम, का0 अमित सिंह ,का0 शैलेश यादव ,का0 राजन सिंह एस0ओ0जी0 जौनपुर ।

  • का0 सत्यप्रकाश सिंह, का0 दिलीप सिंह, का0 विजय प्रकाश व म0का0 रीना कुमारी थाना लाइन बाजारजौनपुर ।


 


देश में आज से शर्तों के साथ दुकानें खोलने की परमिशन, लेकिन इंदौर में नहीं मिलेगी छूट

गृह मंत्रालय ने भले ही आज से दुकानों को शर्तों के साथ खोलने की अनुमति दे दी हो लेकिन इंदौर में अभी दुकानें नहीं खुलेंगी.कलेक्टर मनीष सिंह ने साफ कर दिया है अभी इंदौर में ऐसे हालात नहीं है कि दुकानें खोली जाएं.इसलिए फिलहाल घर-घर राशन पहुंचाने की व्यवस्था ही बनाए रखी जाएगी. प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में फिलहाल दुकानें खोलने की पहल किसी भी व्यापारिक संगठन ने नहीं की है. होलसेल किराना व्यापारी संघ के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल का कहना है उनकी कलेक्टर से चर्चा हो चुकी है. किराना व्यापारियो की ओर से भी यही बात कही गई है कि अभी दुकानें नहीं खोली जाएं, क्योंकि इंदौर कोरोना को लेकर रेड जोन में है. यदि दुकाने खुलेंगी तो लोग घर से निकलेंगे और इससे संक्रमण का खतरा बढ़ेगा.
अभी छूट देना खतरे से खाली नहीं
कलेक्टर मनीष सिंह का कहना है कि शहर में अभी हालात सामान्य नहीं हैं. ऐसे में किसी भी प्रकार की छूट देना ठीक नहीं होगा. नगर निगम ने घर घर राशन पहुंचाने की व्यवस्था कर रखी है. घर पर आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई की जा रही है. इसलिए दुकाने खोलने की जरूरत नहीं है. अगले 5-6 दिन में जब हालात सामान्य होते दिखाई देंगे तब दुकाने खोलने पर विचार किया जाएगा.
रेड जोन में है इंदौर
देश के बड़े हॉट स्पॉट में शामिल इंदौर में कोरोना के मरीजों की संख्या 1085 तक पहुंच गई है. इस बीमारी से अब तक 57 लोगों की मौत हो चुकी है. इंदौर को रेड जोन में रखा गया है इसलिए रेड जोन वाले शहरों में फिलहाल किसी तरह की छूट मिलने की उम्मीद नहीं है. कहा जा रहा है कि इंदौर के हालात को देखते हुए 3 मई के बाद भी शहर में कर्फ्यू जारी रह सकता है और किसी तरह की छूट नहीं मिलने वाली है. केंद्र सरकार का देशव्यापी लॉकडाउन 3 मई तक चलेगा. इस बीच गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया है जिसमें देश में आज से तमाम दुकानों को शर्तों के साथ खोलने की इजाजत दे दी गई है. दुकानों में सिर्फ पचास फीसदी स्टाफ ही काम कर सकेगा,लेकिन इसकी मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी जिला कलेक्टर की होगी.हालांकि अभी शॉपिग कॉम्प्लेक्स और मॉल खोले जाने की इजाजत नहीं दी गई है. सिर्फ जरूरी सामान जैसे सब्जी, फल, दवाई और किराना की दुकानों को ही खोलने की इजाजत दी गई थी.


दो जनपदों के बॉर्डर पर महिला ने दिया बच्चे को जन्म

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (Pandemic Coronavirus) से संक्रमण के बचाव के मद्देनजर देशव्यापी लॉकडाउन (Lockdown) है. बिना आवश्यकता लोगों के बाहर निकलने पर रोक है. लेकिन ऐसे में बीमार लोगों व गर्भवती महिलाओं (Pregnant women) को भी कई बार परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ऐसा ही वाकया उत्तर प्रदेश के फतेहपुर/बांदा जनपद के बॉर्डर पर हुआ. जहां प्रसव पीड़ा (labor pain) से ग्रस्त एक महिला को एंबुलेंस न मिलने के चलते उसका पति उसे बाइक पर बैठा कर नजदीकी हॉस्पिटल ले जाने का प्रयास कर रहा था लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही महिला की हालत बिगड़ने लगी और उसने सड़क के किनारे ही बच्चे को जन्म दिया.



पुलिस का मानवीय चेहरा


हालांकि इस दौरान पुलिस का मानवीय चेहरा एक बार फिर नजर आया. जनपद बॉर्डर पर तैनात चिल्ला थाना प्रभारी इंस्पेक्टर विजय सिंह ने जब महिला को प्रसव पीड़ा में देखा तो उन्होंने तत्काल महिला कांस्टेबल प्रतिमा को दो अन्य महिलाओं के साथ उसकी मदद को भेजा. महिला द्वारा बच्चे को जन्म देने के बाद चिल्ला थाना प्रभारी विजय सिंह ने महिला व उसके नवजात बच्चे को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया जहां मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं. रिपोर्ट के मुताबिक बांदा के मलकपुर गांव में रहने वाली एक गर्भवती महिला को लेबर पेन हुआ. महिला के परिजनों ने कई बार सरकारी एंबुलेंस के लिए न किया लेकिन मौके पर एंबुलेंस नहीं पहुंची और उसकी तकलीफ बढ़ती गई जिसके बाद महिला का पति उसे बाइक पर बैठा कर अस्पताल जाने लगा लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही महिला ने बांदा और फतेपुर दो जनपद को जोड़ने वाले बॉर्डर पर बच्चे को जन्म दे दिया. मामला चिल्ला थाना क्षेत्र के यमुना और केन नदी पुल के पास का है जहां पर फतेहपुर जनपद के ललौली थाना क्षेत्र के मलकपुर गांव के रहने वाले ननकू निषाद अपनी पत्नी फूला निषाद को लेकर फतेहपुर जनपद से नजदीक पड़ने वाले स्वास्थ्य केंद्र ले जा रहे थे.


तरबूज और प्याज का व्यापारी बनकर मुंबई से पहुंचा प्रयागराज, घर पहुंचने का लगाया जुगाड़

प्रयागराज. लॉकडाउन (Lockdown) में लोग अपने घर पहुंचने के लिए तरह-तरह की जुगत लगा रहे हैं. ऐसे ही एक दिलचस्प मामले में एक व्यक्ति तरबूज और प्याज का व्यापारी बनकर मुंबई (Mumbai) से ट्रक में प्रयागराज (Prayagraj) पहुंचा. इस व्यापार में उसने 3 लाख रुपये से अधिक का दांव लगाया.शहर के धूमनगंज थाना अंतर्गत कोटवा मुबारकपुर के निवासी प्रेम मूर्ति पांडेय ने बताया, “मैंने मुंबई में किसी तरह 21 दिन तो गुजार लिए, लेकिन लॉकडाउन खुलने के कोई आसार नहीं दिखने पर मैंने अपने पैतृक घर निकलने का रास्ता खोजा. वास्तव में अंधेरी ईस्ट के आजाद नगर में जहां मेरा घर है वहां बहुत घनी बस्ती है और कोरोना फैलने का खतरा भी वहां अधिक है.”


17 अप्रैल को मुंबई से चले, 23 अप्रैल को प्रयागराज पहुंचे


मुंबई एयरपोर्ट पर नौकरी करने वाले पांडेय ने कहा, “मैंने देखा कि सरकार ने एक रास्ता छोड़ रखा है वह है व्यापार का रास्ता. फल, सब्जी, दूध का व्यापार कर हम धीरे-धीरे आगे बढ़ सकते हैं. मैंने वही रास्ता चुना और यहां तक आ गया.” अपनी यात्रा के बारे में पांडेय ने बताया, “मैं 17 अप्रैल को मुंबई से चला और पिंपलगांव पहुंचा. वहां मैंने 10,000 रुपये में 1,300 किलो तरबूज खरीदा और उसे एक छोटी गाड़ी पर लोड कराके मुंबई रवाना किया. मुंबई में एक फल वाले से तरबूज का सौदा मैंने पहले ही कर रखा था.” उन्होंने बताया, “मैंने पिंपलगांव में 40 किलोमीटर पैदल चलकर वहां प्याज के बाजार का अध्ययन किया और एक जगह अच्छी क्वालिटी का प्याज दिखने पर मैंने 2,32,473 रुपये में 25,520 किलो (9.10 रुपये प्रति किलो) प्याज खरीदा और 77,500 रुपये के भाड़े पर एक ट्रक बुक कर इस प्याज को उस पर लोड कराया और 20 अप्रैल को प्रयागराज के लिए निकल पड़ा.” पांडेय ने बताया कि वह 23 अप्रैल को प्रयागराज पहुंचे और ट्रक लेकर सीधे मुंडेरा मंडी गए जहां अढ़तिया ने नकद भुगतान करने से मना किया जिस पर वह प्याज लदा ट्रक लेकर अपने गांव कोटवा पहुंचे और वहां अपने घर पर पूरा माल उतरवा दिया. उन्होंने बताया कि अभी बाजार में सागर का प्याज आ रहा है और लॉकडाउन होने से भाव कम है, लेकिन सागर का प्याज खत्म होने और लॉकडाउन खुलने पर उन्हें नासिक से लाए गए प्याज का अच्छा भाव मिलने की उम्मीद है. प्रेम मूर्ति पांडेय ने मुंबई से यहां आने की सूचना धूमनगंज थाना में पुलिस को दे दी है और मेडिकल टीम ने उनकी कोरोना की जांच कर उन्हें घर में ही क्‍वारंटाइन में रहने को कहा है. धूमनगंज की टीपी नगर पुलिस चौकी के प्रभारी अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि कोटवा के प्रेम मूर्ति पांडेय शुक्रवार को धूमनगंज थाने पर आए थे और मेडिकल टीम द्वारा उनकी थर्मल स्कैनिंग की गई. उन्होंने बताया कि हालांकि प्रशासनिक अधिकारी और मेडिकल टीम पांडेय को क्‍वारंटाइन करने को लेकर आज शाम कार्रवाई करेगी.


लोगों के लिए बनी मददगार प्रयागराज की संस्था ओम नम: शिवाय , 30 दिन में तीस लाख लोगों को कराया भोजन

देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) के कारण हुए लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान कई संस्थाएं गरीबों और जरूरतमंदों के लिए आगे आई हैं. ऐसी ही एक संस्था प्रयागराज की भी है जो कि प्रदेश के चार शहरों में लोगों को भोजन करा रही है. संस्था का दावा है कि वह लॉकडाउन के दौरान अब तक प्रदेश में तीस लाख से ज्यादा लोगों को भोजन मुहैया करा चुकी है. ओम नम: शिवाय संस्था के स्वयं सेवकों ने 3790 लोगों के घर जा जाकर खाना उपलब्ध कराया है.

प्रयागराज में हर साल लगने वाले माघ मेले और छह वर्षों में लगने वाले कुम्भ मेले में अन्न क्षेत्र चलाने वाली इस धार्मिक संस्था की ओर से लॉकडाउन के दौरान 23 मार्च से लगातार प्रयागराज, कानपुर , अयोध्या और लखनऊ में प्रतिदिन एक लाख लोगों को भोजन कराया जा रहा है. जिन क्षेत्रों में खाने की समस्या हो रही है या लोगों तक खाना किसी कारण से पहुंच नहीं पा रहा है उनकी मदद के लिये संस्था ने टोल फ्री नंबर भी जारी किया है. टोल फ्री नंबर- 7266920638 और 7266902603 पर संस्था की ओर से लोगों को भोजन मुहैया कराया जा रहा है. प्रयागराज के 11 थाना क्षेत्रों में रामबाग, बैरहना, चौफटका, करेली, करैलाबाग, तेलियरगंज, शिवकुटी, झॢसी, अंदावा और नैनी इलाके में गरीबों और जरुरतमंदों तक खाना पहुंचाया जा रहा है. इसी तरह से टोल फ्री नंबर कानपुर, लखनऊ और अयोध्या में जरूरत मंद लोगों की मदद के लिये जारी किये गए है. प्रयागराज में 250 से अधिक स्वयंसेवक दिन-रात जरूरत मंद लोगों तक खाना पहुंचा रहे हैं. खासतौर मलिन बस्तियों में जहां पर दिहाड़ी मजदूर रहते हैं, उनके लिए संस्था वरदान बनी हुई है. संस्था के लोग गऊघाट, संगम क्षेत्र में झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोगों का पेट भरने का काम कर रही हैं ओम नम: शिवाय संस्थापक के मुताबिक प्रयागराज में प्रतिदिन खाने में लोगों को चावल, सब्जी, बेसन की कढ़ी और पूड़ी का वितरण हो रहा है. इसके साथ ही पुलिस-प्रशासन की ओर से बताये गये क्षेत्रों में भी प्रतिदिन खाने का वितरण कराया जा रहा है. संस्था का कहना है कि लॉकडाउन खत्म होने तक संस्था लोगों की मदद करती रहेगी.


लोहिया अस्पताल पर विवादित कंपनी को टेंडर देने का आरोप

लखनऊ. डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट (Dr. Ram Manohar Lohia Institute) के मदर एंड चाइल्ड स्टेट रेफरेल हॉस्पिटल (Mother and Child State Referral Hospital) में ऑक्सीजन गैस पाइप लाइन के टेंडर को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है. गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में सैकड़ों मासूमों की मौत के जिम्मेदार ठहराए गए डॉ. कफील अभी सजा भुगत रहे हैं. आरोप है कि राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट के अधिकारियों ने उस आरोपी कंपनी को करोड़ों का टेंडर सौंप दिया है. इंस्टीट्यूट पर मानकों को दरकिनार कर विवादित फर्म को टेंडर देने का आरोप लगाया गया है. इससे पूरी टेंडर प्रक्रिया और अधिकारियों की भूमिका जांच के घेरे में है. टेंडर में गड़बड़ी को लेकर मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से शिकायत भी की गई है.

क्या है पूरा मामला
लोहिया इंस्टीट्यूट के मदर एंड चाइल्ड स्टेट रेफरल हॉस्पिटल में ऑक्सीजन गैस पाइप लाइन का काम जल्द शुरू होने वाला है. जिसके लिए टेंडर की टेक्निकल बिड में पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड एंड यूनानी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का नाम फाइनल किया गया था. पूरी प्रक्रिया पर सामाजिक कार्यकर्ता श्वेता सिंह ने कंपनी की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए शिकायत दर्ज की थी. उनका कहना है कि साल 2017 में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन सप्लाई में गड़बड़ी के कारण सैकड़ों मासूमों की मौत हो गई थी. उस दौरान वहां का काम भी पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड के पास ही था. उन्होंने कंपनी के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा संख्या 0703/2017 का हवाला देते हुए पुष्पा सेल्स के निदेशक मनीष भंडारी कई माह तक जेल में रहने की भी बात कही.


बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य और केंद्र से मांगा जवाब, COVID-19 मरीजों के अलावा अन्य का नहीं किया जा रहा है अस्पतालों में इलाज, जनहित याचिका में लगाया गयाआरोप

बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को उन सभी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की, जिनमें आरोप लगाया गया है कि शहर के अस्पताल COVID-19 मरीजों के अलावा अन्य ( NON COVID-19) रोगियों का इलाज नहीं कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य और केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें और हलफनामा दायर करें, जिसमें इस समस्या के प्रभावी समाधान भी बताए जाएं। न्यायमूर्ति के.आर श्रीराम ने एक मेहरवान फारशेद की जनहित याचिका पर इन-चैंबर सुनवाई की। साथ ही निर्देश दिया कि इस जनहित याचिका में दिया गया आदेश अन्य दो जनहित याचिकाओं के मामले में भी लागू होगा, जो दयानंद स्टालिन और मुताहहर खान ने दायर की थी। सभी तीन जनहित याचिकाओं में एक जैसा मुद्दा उठाया गया था और कहा



गया था कि उन मरीजों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है,जो कोरोना से नहीं बल्कि किसी अन्य बीमारी से ग्रसित हैं। इन सभी याचिकाओं में मांग की गई थी कि अस्पतालों को निर्देश दिया जाए कि उन मरीजों को भी पर्याप्त सुविधाएं प्रदान की जाए जो कोरोना के अलावा अन्य किसी बीमारी का इलाज करवाने आते हैं। खान की जनहित याचिका में कई समाचार रिपोर्टों का उल्लेख किया गया है, जिनमें बताया गया है कि मुंबई के कई अस्पतालों ने अपनी सारी सुविधाओं को COVID-19 की महामारी का मुकाबला करने में समर्पित कर दिया है, इसलिए इन अस्पतालों में किसी भी अन्य बीमारी से पीड़ित रोगियों का इलाज नहीं किया जा रहा है। यहां तक आपातकालीन या आकस्मिक विभाग में आने वाले मरीजों का भी इलाज नहीं किया जा रहा है,जिसके परिणामस्वरूप कई लोगों की मौत हो गई है। इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से यह भी मांग की है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि शहर के अस्पतालों में Covid-19 से संक्रमित मरीजों के अलावा अन्य मरीजों का इलाज भी किया जाए। जनहित याचिका में कहा गया है कि आम जनता को ऐसे अस्पतालों की एक सूची उपलब्ध कराई जानी चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता ए.वाई सखारे नगर निगम की ओर से पेश हुए और उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने अदालत को आश्वासन दिया कि वह निगम को इस मामले में उचित सलाह देंगे और इन जनहित याचिकाओं के जवाब में एक हलफनामा 29 अप्रैल, 2020 तक दायर कर दिया जाएगा। सखारे ने सुझाव दिया कि यदि याचिकाकर्ताओं के पास कोई मूल्यवान सुझाव है तो वे निगम के वरिष्ठ विधि अधिकारी को इस संबंध में एक पत्र लिखकर अपने सुझाव से अवगत करा सकते हैं। इस मामले में सीनियर एडवोकेट गायत्री सिंह याचिकाकर्ता मुताहहर खान और गौरव श्रीवास्तव याचिकाकर्ता मेहरवान फरशाद की तरफ से पेश हुए। केंद्र सरकार की तरफ से पेश होते हुए एएसजी अनिल सिंह ने कहा कि इस याचिका में उठाए गए विषय के साथ-साथ कई अन्य बड़े मुद्दे भी भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन हैं।